बिहार राज्य का राजकीय पशु कौन है? - bihaar raajy ka raajakeey pashu kaun hai?

बिहार सामान्य ज्ञान ( Bihar General Knowledge ) – बिहार भारत के 28 राज्यों में से एक है। वर्तमान में यहाँ फैले हुए विहारों के कारण ही इसका नाम बिहार रखा गया है। ‘बिहार’ शब्द संस्कृत शब्द ‘विहार’ का अपभ्रंश है। ‘विहार’ का शाब्दिक अर्थ बौद्ध मठ है। प्रागैतिहासिक युग के पाषाणकाल में मानव यहाँ निवास करता था। जिसके साक्ष्य छपरा ( वर्तमान में सारण जिला ) के चिरांद में मिले हैं। बौद्ध काल के सोलह महाजनपदों में से तीन प्रमुख महाजनपद – वज्जी, अंग और मगध वर्तमान इसी राज्य में ही स्थित थे। भारत के तत्कालीन तीन विश्वविद्यालय – नालंदा विश्वविद्यालय ( वर्तमान नालंदा जिले में ), ओदंतपुर विश्वविद्यालय ( बिहार शरीफ ) तथा विक्रमशिला विश्वविद्यालय ( वर्तमान भागलपुर जिले में ) इसी राज्य में ही स्थित थे। प्रतिवर्ष 22 मार्च को ‘बिहार दिवस’ मनाया जाता है। राज्य के उत्तर में नेपाल, दक्षिण में झारखंड, पश्चिम में उत्तर प्रदेश व मध्य प्रदेश एवं पूर्व में पश्चिम बंगाल राज्य स्थित हैं। इस राज्य का कुल भौगोलिक क्षेत्रफल 94,163 वर्ग किमी. है। इस तरह, यह भारत के कुल भौगोलिक क्षेत्रफल का 3.1% है।

बिहार सामान्य ज्ञान

राज्य का नामबिहार
राजधानी पटना
स्थापना 1 अप्रैल 1912
राज्यपाल लालजी टंडन
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार
क्षेत्रफल 94,163 वर्ग किमी. ( देश में 12 वां स्थान )
जनसंख्या 104,099,452 ( देश में तीसरा स्थान ) { जनगणना 2011 के अनुसार }
सर्वाधिक क्षेत्रफल वाला जिला पश्चिमी चंपारण
न्यूनतम क्षेत्रफल वाला जिला शिवहर
विस्तार 24°20′ N अक्षांश से 27°31′ N अक्षांश तथा 82°19′ E देशांतर से 88°17′ E देशांतर तक
कुल संभाग / मंडल 9
कुल जिले 38
लोकसभा सदस्य 40
राज्यसभा सदस्य 16
विधानसभा सदस्य 243
विधान परिषद सदस्य 75
सर्वाधिक जनसंख्या वाला जिला पटना
न्यूनतम जनसंख्या वाला जिला शेखपुरा
साक्षरता 61.80% 
पुरुष – 73.39%
स्त्री – 53.33%
सर्वाधिक साक्षरता दर वाला जिला रोहतास (75.59%)
न्यूनतम साक्षरता दर वाला जिला पूर्णिया (52.49%)
लिंगानुपात 916
प्रथम राज्यपाल जयरामदास दौलतराम
प्रथम मुख्यमंत्री श्रीकृष्ण सिंह
राजकीय वृक्ष पीपल
राजकीय पुष्प गेंदा
राजकीय पक्षी गौरैया
राजकीय पशु बैल
प्रमुख नदियाँ गंगा , कोसी , सोन , गंडक
उच्च न्यायलय पटना
भाषा हिंदी , उर्दू
प्रमुख बोलियाँ बिहारी , भोजपुरी
प्रमुख लोकगीत बिरहा , चैती , कजरी
प्रमुख मेले एवं उत्सव हरिहर क्षेत्र ( सोनपुर ) का मवेशी मेला { एशिया का सबसे बड़ा राजकीय मवेशी मेला } , पितृपक्ष मेला , बुद्ध पूर्णिमा मेला , कुँवर सिंह मेला
प्रमुख खनिज चूना पत्थर , डोलोमाइट , मैग्नेसाइट , सोपस्टोन , जिप्सम , ग्लास सैंड , संगमरमर , फ़ॉसफ़ोराइट ,
वन्य जीव अभ्यारण्य भीमबांध अभ्यारण्य मुंगेर , राजगीर अभ्यारण्य राजगीर , वाल्मीकि नगर चंपारण , गौतम बुद्ध अभ्यारण्य गया , कांवर झील पक्षी अभ्यारण्य बेगूसराय
वनों का क्षेत्रफल 7.23 % ( 6,804 वर्ग किमी. )
वेबसाइट //gov.bih.nic.in/

गौरेया बिहार की राजकीय पक्षी, बैल पशु

जागरण ब्यूरो, पटना : राज्य सरकार ने गौरैया को राजकीय पक्षी, बैल को राजकीय पशु, पीपल को राजकीय वृक्ष व गेंदा को राजकीय फूल घोषित किया है। अब सरकार इन्हें विशेष रूप से संरक्षित करेगी। मंगलवार को मंत्रिपरिषद की बैठक में इसे स्वीकृति दे दी गई।

विभाजन के बाद राज्य के वर्तमान भौगोलिक परिवेश, वनस्पति प्रजातियों तथा प्राणियों की उपलब्धता एवं उनके संरक्षण की जरूरत महसूस की गयी। खेती के यंत्रीकरण के चलते बैलों का उपयोग कम होता जा रहा है। इससे उनके अस्तित्व पर ही संकट खड़ा हो गया है। सरकार इन्हें संरक्षित व संवर्धित करने की जरूरत महसूस कर रही है। इसी तरह पर्यावरण में आए बदलाव के चलते गौरैया की संख्या में भी जबरदस्त गिरावट देखी जा रही है। लोगों के घरों में रहने वाले इस पक्षी के लिए आधुनिक घरों में जगह नहीं बची है। इस घरेलू पक्षी को संरक्षित करने के लिए इन्हें राजकीय पक्षी बनाने का निर्णय लिया गया है। पर्यावरण एवं वन विभाग के अधिकारियों के अनुसार पीपल राज्य के सांस्कृतिक पक्ष के साथ गहराई से जुड़ा हुआ है। यह राज्य में ज्ञान व परंपरा का द्योतक भी है। गेंदे के फूल की लोकप्रियता ने इसे राजकीय फूल का दर्जा दिलाया है।

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पटना। नीलकंठ की जगह गौरैया बिहार की राजकीय पक्षी तो घोषित हो गयी मगर राजकीय पशु और फूल के नाम तय होने बाकी हैं। बिहार बंटवारे के बारह साल बाद हाल ही में नये राजकीय पक्षी का चुनाव किया गया।

अभी बिहार का राजकीय पशु गौर है और राजकीय पुष्प कचनार। लेकिन इन दोनों को भी बदला जाना है। जानकारी के अनुसार राजकीय पशु बैल या सांढ़ तथा राजकीय पुष्प ओढ़उल के नाम पर स्टेट वाइल्ड लाइफ कौंसिल विचार कर रहा है। हालांकि इन नामों पर अभी सहमति नहीं बन सकी है। बिहार का राजकीय वृक्ष पीपल है।

धार्मिक-पौराणिक मान्यता है कि नीलकंठ भगवान शिव का प्रतिनिधि है और इसे शुभ माना जाता है। भाग्य को जगाने वाले इस पक्षी की स्थिति अत्यंत खराब है। इसकी तादाद लगातार कम होती जा रही है। यह आबादी से दूर एकांत पसंद है और वहीं बांस के झुरमुट या पेड़ पर घोंसला बनाता है। पर गौरैया आबादी के बीच रहना पसंद करती है। लेकिन नीलकंठ की तरह उसकी भी तादाद कम होती जा रही है।

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