भारत में शैक्षिक असमानता के क्या कारण है? - bhaarat mein shaikshik asamaanata ke kya kaaran hai?

भारत में शिक्षा के क्षेत्र में कई प्रकार की असमानता है। आज के इस आर्टिकल में हम इसी विषय के बारे में आप सभी को रूबरू करायेंगे की भारत में भारत में शैक्षिक अवसरों की असमानता क्यों हैं यहाँ उन सबका संक्षेप में वर्णन प्रस्तुत है।

शैक्षिक अवसरों का समानता का क्या अर्थ है ?

1.प्रान्त प्रान्त की शिक्षा में असमानता

  • 1.प्रान्त प्रान्त की शिक्षा में असमानता
  • 2.प्रान्त विशेष की शिक्षा में असमानता-
  • 3. शिक्षण संस्थाओं का असमान वितरण-
  • 4.लड़के-लड़कियों की शिक्षा संस्थाओं में असमानता-
  • 5.विद्यालय विद्यालय की शिक्षा में असमानता
  • 6.लड़के-लड़कियों की शिक्षा में असमानता

भारत विभिन्न प्रान्तों में बँटा हुआ है और अपने-अपने क्षेत्र में शिक्षा की व्यवस्था करना प्रान्तों का अपना उत्तरदायित्व है। यूँ कहने को पूरे देश में राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 1986 के अनुसार 10+2+3 शिक्षा संरचना लागू कर दी गई है, परन्तु वास्तविकता यह है कि प्रथम 10 वर्षीय आधारभूत पाठ्यचर्या (Core Curriculum) का ईमानदारी से पालन नहीं किया गया है। इस पाठ्यचर्या की मूल बात विभाषा सूत्र और कार्यानुभव अथवा समाजोपयोगी उत्पादक कार्य अथवा कार्य शिक्षा हैं। प्रान्तीय सरकारों ने इन्हें अपने-अपने रूप में लिया है। और मजे की बात यह है कि कुछ प्रान्तों में तो अंग्रेजी को अनिवार्य किया गया है। +2 पर भी भिन्न-भिन्न व्यवस्था है। +3 पर तो विश्वविद्यालयों को स्वायत्तता है ही इतना ही नहीं अपितु किसी प्रान्त में सभी स्तर की शिक्षा निःशुल्क है, जैसे कश्मीर में और किसी में केवल प्राथमिक शिक्षा ही निःशुल्क है। हमारे प्रान्त उत्तर प्रदेश में तो लड़कों को कक्षा 6 तक की और लड़कियों की स्नातक स्तर तक की शिक्षा निःशुल्क है। इसका अर्थ है कि सम्पूर्ण भारतवासियों को शिक्षा के समान अवसर उपलब्ध नहीं हैं।

हमारे देश में शैक्षिक अवसरों की समानता की प्राप्ति के उपाय बताइये

2.प्रान्त विशेष की शिक्षा में असमानता-

हमारे देश में किसी प्रान्त के भिन्न-भिन्न क्षेत्रों की शिक्षा में भी अन्तर है। ग्रामीण क्षेत्रों में प्राय: प्राथमिक और उच्च प्राथमिक स्तर तक ही शिक्षा उपलब्ध है और जहाँ कहीं माध्यमिक स्तर की शिक्षा सुलभ भी है उसका स्तर नगरीय माध्यमिक शिक्षा की तुलना में कुछ निम्न कोटि का है। बड़े-बड़े नगरों और ग्रामीण अंचलों के शैक्षिक पर्यावरण में तो बहुत अधिक अन्तर है।

3. शिक्षण संस्थाओं का असमान वितरण-

बच्चों के लिए स्कूल और कॉलिजों की संख्या भी कहीं आवश्यकता से अधिक कहीं आवश्यकता से बहुत कम और कहीं बिल्कुल ही नहीं है। किसी क्षेत्र में सरकारी और गैरसरकारी दोनों प्रकार के स्कूल और कॉलिज हैं और कहीं किसी भी प्रकार के स्कूल और कॉलिज नहीं हैं। महाविद्यालय और विश्वविद्यालयों की स्थापना तो राजनैतिक दबाव पर ही की जाती है।

हमारे देश में शैक्षिक अवसरों की असमानता क्यों हैं ? अथवा भारत में शिक्षा के असमानता हेतु उत्तरदायी कारकों का उल्लेख कीजिए।

4.लड़के-लड़कियों की शिक्षा संस्थाओं में असमानता-

हमारे देश में प्राथमिक और उच्च स्तर पर तो सहशिक्षा की व्यवस्था है, परन्तु माध्यमिक स्तर पर लड़के-लड़कियों के लिए अलग-अलग स्कूलों की व्यवस्था की जाती है। बड़े अफसोस की बात है कि देश के अधिकतर प्रान्तों में लड़कों के स्कूलों की अपेक्षा लड़कियों के स्कूलों की संख्या बहुत कम है जबकि जनसंख्या की दृष्टि से यह बराबर होनी चाहिए। दूसरी तरफ लड़कियों की शिक्षा स्नातक स्तर तक निःशुल्क कर दी गई है और लड़कों को इस से वंचित रखा गया है। स्पष्ट है कि हमारे देश में लड़के-लड़कियों को शिक्षा के समान अवसर उपलब्ध नहीं हैं।

5.विद्यालय विद्यालय की शिक्षा में असमानता

स्थान विशेष पर भी जो शिक्षण संस्थाएँ है उनके भवन, फर्नीचर, पुस्तकालय, प्रयोगशाला, शिक्षण सामग्री एवं शिक्षकों में बड़ी असमानता है, किन्ही विद्यालयों में सब कुछ सुलभ है और किन्हीं में कुछ भी सुलभ नहीं है। इनकी कार्य प्रणाली में भी बड़ा अन्तर है। प्राइवेट स्कूल, सरकारी स्कूल और पब्लिक स्कूलों में तो बहुत अधिक अन्तर है। पब्लिक स्कूलों का तो अपना आकर्षण है, पर इनमें केवल धनी वर्ग के बच्चे ही प्रवेश ले पाते हैं।

शैक्षिक अवसरों की समानता का अर्थ एवं परिभाषा बताइये। अथवा शैक्षिक अवसरों की समानता की आवश्यकता बताइये।

6.लड़के-लड़कियों की शिक्षा में असमानता

मनोवैज्ञानिक दृष्टि से लड़के-लड़कियों में कोई अन्तर नहीं होता। लोकतन्त्र तो लिंग के आधार पर किसी भी क्षेत्र में भेदभाव नहीं करता, परन्तु अफसोस हमारे देश में माध्यमिक स्तर पर लड़के-लड़कियों के पाठ्यक्रमों में कुछ अन्तर रखा गया है। साफ जाहिर है कि हमारे देश में आज भी लड़के-लड़कियों को शिक्षा के समान अवसर सुलभ नहीं हैं।

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Pradeep Patel

भारत में शैक्षिक असमानता के कारण क्या हैं?

(1) निर्धनता – धन का अभाव होने की वजह से कार्यक्रमों का सुचारु रूप से न चलना। (2) वातावरण – बालकों के परिवारों में भिन्न जीवन स्तर होता है। लड़कियों से भेदभाव की स्थिति, नगरीय व ग्रामीण वातावरण शिक्षा में असमानता के कारक बनते हैं। (3) सामाजिक स्तरीकरण– भारतीय समाज बेहद स्तरीकृत है

शिक्षा में असमानता के क्या कारण है?

भारत में लिंग असमानता के फलस्वरूप शिक्षा में असमान अवसर हैं, और जबकि इससे दोनों लिंगों के बच्चों पर प्रभाव पड़ता है, आंकड़ों के आधार पर बालिकाओं के मामले में सर्वाधिक अलाभकारी स्थिति है। बालकों के तुलना में बालिकाएं अधिक संख्या में स्कूल से निकल जाती हैं ।

भारत में असमानता का मुख्य कारण क्या है?

भारत में, असमानता के कई कारण हैं लेकिन मुख्य कारण गरीबी, लिंग, धर्म और जाति हैं। भारतीय बहुसंख्यक लोगों की निम्न स्तर की आय बेरोज़गारी और ठेका और परिणामस्वरूप श्रम की कम उत्पादकता है। कम श्रम उत्पादकता का तात्पर्य है आर्थिक विकास की कम दर जो लोगों के बड़े पैमाने पर गरीबी और असमानता का मुख्य कारण है।

शैक्षिक अवसरों की असमानता क्या है?

भारत में आर्थिक असमानता व्याप्त है इस स्थिति में अमीर तथा गरीब लोगों की शिक्षा में व्यापक अंतर देखने को मिलता है। पहले से शिक्षित तथा अमीर पृष्ठ्भूमि से सम्बद्ध छात्र अवसर का अधिक उपयोग करते हैं जबकि गरीब व अशिक्षित पृष्ठ्भूमि के छात्रों को वह अवसर की समानता प्राप्त नहीं हो पाती।

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