जाति का अर्थ परिभाषा क्या है caste meaning in hindi: आज के निबंध स्पीच अनुच्छेद के इस आर्टिकल में हम जाति व्यवस्था प्रणाली का अर्थ परिभाषा डेफिनिशन को विस्तार से समझने का प्रयास करेगे. हिन्दू धर्म की जातीय प्रणाली के बारे में विद्वानों के विचार इस कास्ट मीनिंग के लेख में दिया गया हैं.
जाति शब्द अंग्रेजी भाषा के caste शब्द का हिंदी रूपांतरण है. संस्कृत की जन धातु से जाति शब्द का व्युत्पन्न हुआ है जिसका अर्थ है जन्म. इस प्रकार जन्म के अनुसार अस्तित्व का रूप ही जाति हैं. जाति व्यवस्था जन्म से ही व्यक्ति को एक विशेष सामाजिक स्थिति प्रदान करती हैं.
इसके आधार पर व्यक्ति आजीवन कोई भी परिवर्तन नहीं कर सकता हैं. इसके अतिरिक्त विभिन्न जातियों को एक दूसरे से पृथक करने के लिए विवाह, खान पान, धार्मिक अनुष्ठान और स्पर्श आदि के कुछ नियंत्रण होते हैं.
जाति अर्थ परिभाषा (Caste meaning definition)
जाति की प्रमुख परिभाषाएं निम्न प्रकार हैं.
- डी एन मजूमदार और टी एन मदान के अनुसार जाति एक बंद वर्ग हैं.
- चार्ल्स कूले के अनुसार जब एक वर्ग पूर्णतया आनुवांशिकता पर आधारित होता है तो उसे हम जाति कहते हैं.
- केतकर के अनुसार जाति एक सामाजिक समूह है जिसकी दो विशेषताएं हैं. (1) सदस्यता केवल उन व्यक्तियों तक ही सीमित है जो सदस्यों से जन्म लेते है और इस प्रकार से पैदा हुए व्यक्ति ही इसमें सम्मिलित होते हैं. (2) सदस्य एक कठोर सामाजिक नियम द्वारा समूह के बाहर विवाह करने से रोक दिए जाते हैं.
- हट्टन ने अपनी पुस्तक caste in india में लिखा है कि जाति एक जटिल समस्या है जो अनेक प्रतिबंधों के अंतर्गत कार्य करती हैं.
- माइकेल के अनुसार जाति व्यवस्था धार्मिक विश्वासों पर आधारित एक ऐसे आनुवांशिक अन्तर्विवाही तथा व्यावसायिक समूह संस्तरण की ओर संकेत करती हैं जिसमें अनेक कर्मकांडों तथा संस्कारों के द्वारा प्रत्येक व्यक्ति की सामाजिक स्थिति को पूर्व निर्धारित करके उसमें किसी प्रकार के भी परिवर्तन पर नियंत्रण लागू किया गया हैं.
- हर्बट रिजले के अनुसार जाति परिवारों के संगठन या समूह को कहते हैं. उस समूह के सदस्यों का एक ही नाम होता है जो किसी ईश्वरीय या महान मानवीय अस्तित्व से सम्बन्धित होता है, उनका एक ही व्यवसाय होता है और योग्य व्यक्तियों के विचारानुसार वे एक संयुक्त सदस्य हैं.
- डॉ आर एन मुकर्जी के अनुसार जाति जन्म पर आधारित सामाजिक संस्कार और वर्ण विभाजन की एक गतिशील व्यवस्था है जो आवागमन, खान पान विवाह, व्यवसाय और सामाजिक सहवास के सम्बन्ध में अपने सदस्यों पर नियम का प्रतिबन्ध लागू करती हैं.
उपर्युक्त परिभाषाओं से यह स्पष्ट होता है कि जाति एक ऐसा सामाजिक समूह है जिसकी सदस्यता जन्म पर आधारित हैं. और जो अपने सदस्यों पर खान पान, विवाह पेशा और सामाजिक सहवास सम्बन्धी अनेक प्रतिबन्ध लागू करती हैं.
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जाति व्यवस्था जन्म पर आधारित है और वैवाहिक सम्बन्ध अपनी ही जाति में करते हैं. इस व्यवस्था के अंतर्गत खान पान पर कठोर नियंत्रण रहता है. प्रत्येक जाति का दूसरी कुछ जातियों के साथ खान पान का व्यवहार नहीं होता, कुछ जातियाँ उच्च स्तर की मानी जाति है तथा कुछ निम्न स्तर की.
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भारतीय सामाजिक संस्थाओं में जाति एक सर्वाधिक महत्वपूर्ण संस्था है। डॉक्टर सक्सेना का मत है कि जाति हिंदू सामाजिक संरचना का एक मुख्य आधार रही है, जिससे हिंदुओं का सामाजिक, सांस्कृतिक, आर्थिक और राजनीतिक जीवन प्रभावित होता रहा है। श्रीमती कर्वे का
मत है कि यदि हम भारतीय संस्कृति के तत्वों को समझना चाहते हैं तो जाति प्रथा का अध्ययन नितांत आवश्यक है। जाति शब्द अंग्रेजी भाषा के कास्ट का हिंदी अनुवाद है। अंग्रेजी के Caste शब्द
की व्युत्पत्ति पुर्तगाली भाषा के Casta शब्द से हुई है, जिसका अर्थ मत, विभेद तथा जाति से लगाया जाता है। जाति शब्द की उत्पत्ति का पता सन् 1665 में ग्रेसिया-डी ओरेटा नामक विद्वान ने लगाया। उसके बाद फ्रांस के अब्बे डुबाय ने इसका प्रयोग प्रजाति के संदर्भ में किया। जाति अर्थ
जाति परिभाषा
विभिन्न विद्वानों ने जाति को परिभाषित करने का प्रयास किया है-
जब एक वर्ग पूर्णता आनुवंशिकता पर आधारित होता है तो हम उसे जाति कहते हैं।
सी• एच• कूले
जाति परिवारों या परिवारों के समूहों का संकलन है जिसका कि सामान्य नाम है, जो एक काल्पनिक पूर्वज मानव या देवता से सामान्य उत्पत्ति का दावा करता है, एक ही परंपरागत व्यवसाय करने पर बल देता है और एक सजाती समुदाय के रूप में उनके द्वारा मान्य होता है जो अपना ऐसा मत व्यक्त करने के योग्य है।
रिजले
जाति एक बंद वर्ग है।
मजूमदार एवं मदान
जाति एक व्यवस्था है जिसके अंतर्गत एक समाज अनेक आत्म केंद्रित एवं एक दूसरे से पूर्णता पृथक इकाइयों में विभाजित रहता है। इन इकाइयों के पारस्परिक संबंध ऊंच-नीच के आधार पर संस्कारित रूप से निर्धारित होते हैं।
जे• एच• हट्टन
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जाति के मुख्य लक्षण विशेषताएं
एन• के• दत्ता ने जाति की निम्नांकित संरचनात्मक एवं सांस्कृतिक विशेषताओं का उल्लेख किया है-
- एक जाति के सदस्य जाति के बाहर विवाह नहीं कर सकते।
- प्रत्येक जाति के खानपान संबंधी कुछ प्रतिबंध होते हैं।
- जातियों के पेशे अधिकांशत: निश्चित होते हैं।
- जातियों में भी ऊंच-नीच का संस्तरण होता है।
- संपूर्ण जाति व्यवस्था ब्राह्मणों की प्रतिष्ठा पर निर्भर है।
डॉक्टर गोरीए ने जाति के प्रमुख लक्षणों या विशेषताओं का उल्लेख किया है-
- समाज का खंडात्मक विभाजन – जाति व्यवस्था ने भारतीय समाज को विभिन्न खंडों में विभाजित कर दिया और प्रत्येक खंड के सदस्यों की स्थिति, पद या कार्य निश्चित होते हैं।
- संस्तरण – समाज में सभी जातियों की सामाजिक स्थिति सामान नहीं है वरन उनमें ऊंच-नीच का एक संस्करण अथवा उतार-चढ़ाव पाया जाता है।
- भोजन तथा सामाजिक सहवास पर प्रतिबंध – प्रत्येक जाति के ऐसे नियम है कि उनके सदस्य किस जाति के साथ कच्चा, पक्का तथा फलाहारी भोजन कर सकते हैं, किन के हाथ का बना भोजन हुआ किनके यहां पानी पी सकते हैं।
- नागरिक एवं धार्मिक योग्यताएं एवं विशेषाधिकार – जाति व्यवस्था में उच्च जातियों को कई सामाजिक एवं धार्मिक विशेषाधिकार प्राप्त है जबकि नियम एवं अछूत जातियों को उनसे वंचित किया गया है।
- पेशे के प्रतिबंधित चुनाव का अभाव – प्रत्येक जाति का एक परंपरागत व्यवसाय होता है जो पीढ़ी दर पीढ़ी हस्तांतरित होता रहता है।
- विवाह संबंधी प्रतिबंध – जाति का एक प्रमुख लक्षण यह है कि प्रत्येक जाति अपनी ही जाति अथवा उपजाति में विवाह करती है।
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