Authored by Rakesh Jha | नवभारतटाइम्स.कॉम | Updated: May 5, 2022, 4:00 PM
एक सुहागिन स्त्री के लिए उसका सुहाग सही सलामत रहे, इससे बढ़कर कुछ नहीं होता है। इसके लिए महिलाएं व्रत,पूजा-पाठ करती हैं। हिंदू धर्म में महिलाएं अपने पति की लंबी आयु की मंगल कामना करते हुए करवा चौथ का व्रत करती हैं। यह व्रत हर साल कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को रखा जाता है। इस बार करवा चौथ 17 अक्टूबर, गुरुवार के दिन पड़ रहा है। वैसे तो विवाहित स्त्रियां यह व्रत करती हैं लेकिन ऐसे भी कई संप्रदाय हैं, जिनमें अविवाहित लड़कियां अपने मंगेतर या साथी के लिए शादी से पहले ही व्रत रखती हैं।
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ये होता है फर्क
कुंवारी लड़कियां और ऐसी लड़कियां जिनका विवाह तय हो गया है, वे भी करवा चौथ का व्रत कर सकती हैं। अविवाहित लड़कियों को भी व्रत का पालन सामान्य नियामनुसार ही करना होता है लेकिन व्रत में पूजा से संबंधित कुछ नियम इनके लिए बदल जाते हैं।
निर्जल व्रत रखने की बाध्यता नहीं
कुंवारी लड़कियां निराहार करवा चौथ का व्रत कर सकती हैं, उन्हें निर्जल व्रत रखने की जरूरत नहीं है। उन्हें शादी के बाद निर्जल व्रत रखना चाहिए क्योंकि बिना शादी के ना ही उन्हें ना ही सरगी मिलेगी ना होगी और ना ही बायना निकालेंगी। इसलिए कुंवारी लड़कियों को निराहार यह व्रत करना चाहिए।
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इस तरह करें पूजा
कुंवारी लड़कियां केवल करवा चौथ माता, भगवान शिव और माता गौरी की पूजा करें और उनकी कथा सुनें। शास्त्रों के अनुसार, कुंवारी लड़कियों को चांद देखकर व्रत नहीं खोलना चाहिए, वे तारे देखकर व्रत खोल सकती हैं।
ये हैं नियम
अविवाहित लड़कियों को चलनी का प्रयोग करने की भी जरूरत नहीं है। वे बिना चलनी के तारों को जल से अर्घ्य देकर पूजन करें और व्रत का परायण कर सकती हैं। चांद को देखकर व्रत पूर्ण करने का नियम केवल सुहागन स्त्रियों के लिए होता है।
पूरी होती है ये मनोकामना
हिंदी न्यूज़ धर्मKarwa Chauth : इन महिलाओं को नहीं रखना चाहिए करवा चौथ का व्रत, जानें नियम और चांद निकलने का समय
Karwa Chauth : हिंदू धर्म में करवा चौथ का बहुत अधिक महत्व होता है। इस व्रत को सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए करती हैं। यह व्रत काफी कठिन व्रत होता है। करवा चौथ व्रत में जल का सेवन भी...
Yogesh Joshiलाइव हिन्दुस्तान टीम,नई दिल्लीFri, 22 Oct 2021 09:58 PM
Karwa Chauth : हिंदू धर्म में करवा चौथ का बहुत अधिक महत्व होता है। इस व्रत को सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए करती हैं। यह व्रत काफी कठिन व्रत होता है। करवा चौथ व्रत में जल का सेवन भी नहीं किया जाता है। यह व्रत निर्जला रखा जाता है। कुछ महिलाओं को करवा चौथ का व्रत नहीं करना चाहिए। आइए जानते हैं किन महिलाओं को करवा चौथ का व्रत नहीं करना चाहिए...
गर्भवती महिलाएं न करें व्रत
- गर्भवती महिलाओं को करवा चौथ का व्रत नहीं करना चाहिए। गर्भावस्था के दौरान खान-पान का ध्यान न रखने की वजह से स्वास्थ्य संबंधित परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। गर्भवास्था के दौरान अगर आप व्रत रख रही हैं तो पहले अपने डॅाक्टर से सलाह जरूर ले लें।
डायबिटीज से पीड़ित महिलाएं न रखें व्रत
- डायबिटीज के मरीजों को व्रत रखने से बचना चाहिए। डायबिटीज में व्रत रखने से आपका स्वास्थ्य खराब हो सकता है। डायबिटीज के मरीजों को व्रत रखने से पहले अपने डॅाक्टर से सलाह जरूर लेनी चाहिए।
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करवा चौथ व्रत में इन नियमों का पालन जरूर करें-
- करवा चौथ का व्रत निर्जला रखा जाता है। इस व्रत में चांद के दर्शनों का विशेष महत्व होता है। रात में चांद के दर्शनों के बाद ही व्रत पूरा माना जाता है। रात्रि में चंद्रमा के दिखने पर ही अर्घ्य प्रदान करें। इसके साथ ही, गणेश जी और चतुर्थी माता को भी अर्घ्य देना चाहिए। करवा चौथ के दिन सुहागिनों को लाल, गुलाबी, पीला, हरा और महरून रंग के वस्त्र धारण करने चाहिए। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, पहली बार करवा चौथ व्रत रखने वाली स्त्रियों को लाल रंग के वस्त्र पहनना शुभ माना जाता है। इतना ही नहीं पहली बार व्रत रखने वाली महिलाएं अगर शादी का जोड़ा पहनती हैं तो, इसे और उत्तम माना जाता है।
चांद निकलने का समय- रात्रि 8 बजकर 11 मिनट पर। अलग- अलग शहरों में चांद निकलने के समय में बदलाव हो सकता है।