खंभात की खाड़ी राजस्थान से कितनी दूर है? - khambhaat kee khaadee raajasthaan se kitanee door hai?

नल की संरचना के बारे में भूगर्भवेताओं का मानना है कि जहां पर आज नल सरोवर है वह कभी समुद्र का हिस्सा था जो खंभात की खाड़ी को कच्छ की खाड़ी से जोड़ता था। भूगर्भीय परिवर्तनों से जब समुद्र पीछे चला गया तो यह एक बन्द संरचना में बदल गया। «दैनिक जागरण, नवंबर 15»

कैसी आजादी और किसकी आजादी?

कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक और खंभात से लेकर सिक्किम तक भारतवासी भय, भुखमरी और असुरक्षा की भावना में जी रहे हैं। हमने तरक्की के नाम पर युवाओं के हाथों में मोबाइल, इंटरनेट, शराब की बोतल, धर्म और राजनीति का झंडा दे दिए, लेकिन अपना ... «Webdunia Hindi, अगस्त 15»

इसको खंभात (गुजरात) के राजा बहादुर शाह ने बनवाया था और बाद में पुर्तगालियों ने भी इसमें कुछ बदलाव किए। तीन तरफ से अरब सागर से घिरा यह किला दिल्ली के लाल किले से सौ साल से अधिक पुराना है। इस किले में सामान, शस्त्र वगैरह पहुंचाने के लिए ... «पलपल इंडिया, जुलाई 15»

ईद और भगवान जगन्नाथ रथ यात्रा की धूम मचेगी एकसाथ

आणंद, नडियाद, कपड़वंज, महुधा,डाकोर, खंभात और भादरण में शुक्रवार को सात रथ यात्राएं निकलेंगीं। सबसे ज्यादा 11 रथ यात्राएं आणंद में निकलेंगीं। इसमें से सात रथ यात्राएं कल निकलेंगीं, जबकि अहमदाबाद सहित अन्य रथयात्राएं 18 जुलाई को ... «पंजाब केसरी, जुलाई 15»

डिफॉल्‍ट की कगार पर खड़ी सूरत की डायमंड इंडस्‍ट्री …

वहीं अगर रफ डायमंड की खरीदी बंद हो जाएगी। तो उसके बाद कारीगरों को काम मिला और कठिन हो जाएगा। कारीगर अहमद बताते हैं कि पिछले दो से तीन महीने में सूरत और खंभात के कई कारखाने बंद हो गए हैं। वहीं जो कारखाने चल भी रहे हैं, वहां पर उत्पादन 50 ... «मनी भास्कर, जुलाई 15»

भावनगरः कितनी हैं फ्यूचर सिटी की संभावनाएं

भावनगर अहमदाबाद से 200 किलोमीटर दूर है और खंभात की खाड़ी में स्थित है। मतलब समुद्र के रास्ते इसके लिए खुले हैं। एयर कनेक्टिविटी भी है। मतलब एक फ्यूचर सिटी बनने के सारे गुण भावनगर में पहले से ही मौजूद हैं। भावनगर हमेशा से ही भविष्य के लिए ... «मनी कॉंट्रोल, जून 15»

मेवाड़ में 5 दिन देर, पर दुरुस्त आएगा मानसून, 22 से …

इससे पहले अरब सागर में प्रति चक्रवात बना है, जो खंभात की खाड़ी, कच्छ की खाड़ी होते हुए दक्षिण राजस्थान तक पहुंचेगा। ऐसे में दो दिन प्री-मानसून बरसात हो सकती है। बीते दिनों बेमौसम बरसात पश्चिमी विक्षोभ के कारण हुई थी। क्या है अलनीनो ... «दैनिक भास्कर, जून 15»

समंदर में समा चुके रहस्यमयी शहर

अलेक्जेंड्रिया कहां: मिस्र क्यों हैं चर्चित: भयानक भूकंप के कारण 1500 साल पहले सिकंदर का शहर अलेक्जेंड्रिया समुद्र में समां गया था. पानी में मौजूद खंडहर इसकी विरासत की कहानी बयां करते हैं. खंभात का खोया शहर कहां: खंभात की खाड़ी, भारत «आज तक, मार्च 15»

भोपाल में इस तरह उतर आई नर्मदा

मॉडल में जबलपुर का भेड़ाघाट, होशंगाबाद, नेमावर, हंडिया में नर्मदा कैसे बहती है, देख सकते हैं।। भारत का सबसे बड़ा इंदिरा सागर बांध हो या ओमकारेश्वर, महेश्वर के मंदिर या गुजरात का सरदार सरोवर बांध और अंत में खंभात की खाड़ी में गिरती नर्मदा; ... «दैनिक भास्कर, दिसंबर 14»

आलेख : सरस्वती नदी की खोज के मायने - अभिषेक कुमार …

जैसे करीब दो सौ साल पहले 1819 में गुजरात के कच्छ में भूकंप के बाद कई स्थानों पर जमीन का 5 से 7 मीटर पर उठ जाना, 1870 में खंभात की खाड़ी में भूगर्भशास्त्री एलेक्स रोजर्स द्वारा एक गुप्त नदी की मौजूदगी की बात कहना, 1886 में ब्रिटिश अफसर ... «Nai Dunia, अगस्त 14»

इस नदी का प्राचीन नाम चर्मावती है। कुछ स्थानों पर इसे कामधेनु भी कहा जाता है। यह नदी मध्य प्रदेश के मऊ के दक्षिण में मानपुर के समीप जनापाव पहाड़ी (६१६ मीटर ऊँची) के विन्ध्यन कगारों के उत्तरी पार्श्व से निकलती है। अपने उदगम् स्थल से ३२५ किलोमीटर उत्तर दिशा की ओर एक लंबे संकीर्ण मार्ग से तीव्रगति से प्रवाहित होती हुई चौरासीगढ़ के समीप राजस्थान में प्रवेश करती है। यहां से कोटा तक लगभग ११३ किलोमीटर की दूरी एक गार्ज से बहकर तय करती है। चंबल नदी पर भैंस रोड़गढ़ के पास प्रख्यात चूलिया प्रपात है। यह नदी राजस्थान के कोटा, बून्दी, सवाई माधोपुर व धौलपुर जिलों में बहती हुई उत्तर-प्रदेश के इटावा जिले मुरादगंज स्थान में यमुना में मिल जाती है। यह राजस्थान की एक मात्र ऐसी नदी है जो सालोंभर बहती है। इस नदी पर गांधी सागर, राणा प्रताप सागर, जवाहर सागर और कोटा बैराज बांध बने हैं। ये बाँध सिंचाई तथा विद्युत ऊर्जा के प्रमुख स्रोत हैं। चम्बल की प्रमुख सहायक नदियों में काली, सिन्ध, पार्वती, बनास, कुराई तथा बामनी है। इस नदी की कुल लंबाई ९६५ किलोमीटर है। यह राजस्थान में कुल ३७६ किलोमीटर तक बहती है।

२) काली सिंध -

यह चंबल की सहायक नदी है। इस नदी का उदगम् स्थल मध्य प्रदेश में देवास के निकट बागली गाँव है। कुध दूर मध्य प्रदेश में बहने के बाद यह राजस्थान के झालावाड़ और कोटा जिलों में बहती है। अंत में यह नोनेरा (बरण) गांव के पास चंबल नदी में मिल जाती है। इसकी कुल लंबाई २७८ किलोमीटर है।

३) बनास नदी -

बनास एक मात्र ऐसी नदी है जो संपूर्ण चक्र राजस्थान में ही पूरा करती है। बनअआस अर्थात बनास अर्थात (वन की आशा) के रुप में जानी जाने वाली यह नदी उदयपुर जिले के अरावली पर्वत श्रेणियों में कुंभलगढ़ के पास खमनौर की पहाड़ियों से निकलती है। यह नाथद्वारा, कंकरोली, राजसमंद और भीलवाड़ा जिले में बहती हुई टौंक, सवाई माधोपुर के पश्चात रामेश्वरम के नजदीक (सवाई माधोपुर) चंबल में गिर जाती है। इसकी लंबाई लगभग ४८० किलोमीटर है। इसकी सहायक नदियों में बेडच, कोठरी, मांसी, खारी, मुरेल व धुन्ध है। (i )बेडच नदी १९० किलोमीटर लंबी है तथा गोगंडा पहाड़ियों (उदयपुर) से निकलती है। (ii )कोठारी नदी उत्तरी राजसामंद जिले के दिवेर पहाड़ियों से निकलती है। यह १४५ किलोमीटर लंबी है तथा यह उदयपुर, भीलवाड़ा में बहती हुई बनास में मिल जाती है।
(iii) खारी नदी ८० किलोमीटर लंबी है तथा राजसामंद के बिजराल की पहाड़ियों से निकलकर देवली (टौंक) के नजदीक बनास में मिल जाती है।

४) बाणगंगा -

इस नदी का उदगम् स्थल जयपुर की वैराठ की पहाड़ियों से है। इसकी कुल लंबाई ३८० किलोमीटर है तथा यह सवाई माधोपुर, भरतपुर में बहती हुई अंत में फतेहा बाद (आगरा) के समीप यमुना में मिल जाती है। इस नदी पर रामगढ़ के पास एक बांध बनाकर जयपुर को पेय जल की आपूर्ति की जाती है।

५) पार्वती नदी -

यह चंबल की एक सहायक नदी है। इसका उदगम् स्थल मध्य प्रदेश के विंध्यन श्रेणी के पर्वतों से है तथा यह उत्तरी ढाल से बहती है। यह नदी करया हट (कोटा) स्थान के समीप राजस्थान में प्रवेश करती है और बून्दी जिले में बहती हुई चंबल में गिर जाती है।

६) गंभीरी नदी -

११० किलोमीटर लंबी यह नदी सवाई माधोपुर की पहाड़ियों से निकलकर करौली से बहती हुई भरतपुर से आगरा जिले में यमुना में गिर जाती है।

७) लूनी नदी -

यह नदी अजमेर के नाग पहाड़-पहाड़ियों से निकलकर नागौर की ओर बहती है। यह जोधपुर, बाड़मेर और जालौर में बहती हुई यह गुजरात में प्रवेश करती है। अंत में कच्छ की खाड़ी में गिर जाती है। लूनी नदी की कुल लंबाई ३२० किलोमीटर है। यह पूर्णत: मौसमी नदी है। बलोतरा तक इसका जल मीठा रहता है लेकिन आगे जाकर यह खारा होता जाता है। इस नदी में अरावली श्रृंखला के पश्चिमी ढाल से कई छोटी-छोटी जल धाराएँ, जैसे लालरी, गुहिया, बांड़ी, सुकरी जबाई, जोजरी और सागाई निकलकर लूनी नदी में मिल जाती है। इस नदी पर बिलाड़ा के निकट का बाँध सिंचाई के लिए महत्वपूर्ण है।

८) मादी नदी -

यह दक्षिण राजस्थान मुख्यत: बांसबाड़ा और डूंगरपुर जिले की मुख्य नदी है। यह मध्य प्रदेश के धार जिले में विंध्यांचल पर्वत के अममाऊ स्थान से निकलती है। उदगम् से उत्तर की ओर बहने के पश्चात् खाछू गांव (बांसबाड़ा) के निकट दक्षिणी राजस्थान में प्रवेश करती है। बांसबाड़ा और डूंगरपूर में बहती हुई यह नदी गुजरात में प्रवेश करती है। कुल ५७६ किलोमीटर बहने के पश्चात् यह खम्भात की खाड़ी में गिर जाती है। इसकी प्रमुख सहायक नदियों में सोम, जाखम, अनास, चाप और मोरन है। इस नदी पर बांसबाड़ा जिले में माही बजाज सागर बांध बनाया गया है।

९) धग्धर नदी -

यह गंगानगर जिले की प्रमुख नदी है। यह नदी हिमालय पर्वत की शिवालिक श्रेणियों से शिमला के समीप कालका के पास से निकलती है। यह अंबाला, पटियाला और हिसार जिलों में बहती हुई राजस्थान के गंगानगर जिले में टिब्वी के समीप उत्तर-पूर्व दिशा में प्रवेश करती है। पूर्व में यह बीकानेर राज्य में बहती थी लेकिन अब यह हनुमानगढ़ के पश्चिम में लगभग ३ किलोमीटर दूर तक बहती है। 

हनुमानगढ़ के पास भटनेर के मरुस्थलीय भाग में बहती हुई विलीन हो जाती है। इस नदी की कुल लंबाई ४६५ किलोमीटर है। इस नदी को प्राचीन सरस्वती के नाम से भी जाना जाता है।

१०) काकनी नदी -

इस नदी को काकनेय तथा मसूरदी नाम से भी बुलाते है। यह नदी जैसलमेर से लगभग २७ किलोमीटर दूर दक्षिण में कोटरी गाँव से निकलती है। यह कुछ किलोमीटर प्रवाहित होने के उपरांत लुप्त हो जाती है। वर्षा अधिक होने पर यह काफी दूर तक बहती है। इसका पानी अंत में भुज झील में गिर जाता है।

११) सोम नदी -

उदयपुर जिले के बीछा मेड़ा स्थान से यह नदी निकलती है। प्रारंभ में यह दक्षिण-पूर्व दिशा में बहती हुई डूंगरपूर की सीमा के साथ-साथ पूर्व में बहती हुई बेपेश्वर के निकट माही नदी से मिल जाती है।

१२) जोखम -

यह नदी सादड़ी के निकट से निकलती है। प्रतापगढ़ जिले में बहती हुई उदयपुर के धारियाबाद तहसील में प्रवेश करती है और सोम नदी से मिल जाती है।

१३) साबरमती -

यह गुजरात की मुख्य नदी है परंतु यह २९ किलोमीटर राजस्थान के उदयपुर जिले में बहती है। यह नदी पड़रारा, कुंभलगढ़ के निकट से निकलकर दक्षिण की ओर बहती है। इस नदी की कुल लंबाई ३१७ किलोमीटर है।

१४) काटली नदी -

सीकर जिले के खंडेला पहाड़ियों से यह नदी निकलती है। यह मौसमी नदी है और तोरावाटी उच्च भूमि पर यह प्रवाहित होती है। यह उत्तर में सींकर व झुंझुनू में लगभग १०० किलोमीटर बहने के उपरांत चुरु जिले की सीमा के निकट अदृश्य हो जाती है।

१५) साबी नदी -

यह नदी जयपुर जिले के सेवर पहाड़ियों से निकलकर मानसू, बहरोड़, किशनगढ़, मंडावर व तिजारा तहसीलों में बहने के बाद गुडगाँव (हरियाणा) जिले के कुछ दूर प्रवाहित होने के बाद पटौदी के उत्तर में भूमिगत हो जाती है।

खंभात की खाड़ी कहाँ है?

खंभात की खाड़ी (पूर्व नाम: कैंबे की खाड़ी) अरब सागर स्थित एक तिकोनी आकृति की खाड़ी है। यह दक्षिणी ओर से अरब सागर में खुलती है। यह भारतीय राज्य गुजरात के सागर तट, पश्चिमी भारत के शहर मुंबई और काठियावाड़ प्रायद्वीप के मध्य स्थित है और उसे पूर्व और पश्चिमी, दो भागों में बांटती है।

राजस्थान से खंभात की खाड़ी की दूरी कितनी है?

साबरमती नदी इस नदी का उद्गम राजस्थान के उदयपुर जिले में अरावली पर्वतमालाओं से होता है, और फिर राजस्थान और गुजरात में दक्षिण-पश्चिम दिशा की ओर बहते हुए ३७१ किलोमीटर का सफर तय करने के बाद यह अरब सागर की खंभात की खाड़ी में गिर जाती है। नदी की लम्बाई राजस्थान में ४८ किलोमीटर, और गुजरात में ३२३ किलोमीटर है।

खंभात की खाड़ी क्यों प्रसिद्ध है?

खंभात की खाड़ी का महत्व प्राचीन काल से, खाड़ी एक महत्वपूर्ण वाणिज्यिक केंद्र रहा है। बंदरगाह हिंद महासागर की समुद्री व्यापारिक गतिविधियों के लिए मध्य भारत में शामिल होते हैं। खाड़ी के महत्वपूर्ण बंदरगाह भरुच, सूरत, खंभात, भावनगर और दमन हैं। खंभात मध्य युग में एक महत्वपूर्ण बंदरगाह था।

कौन सी नदी खंभात की खाड़ी में गिरती है?

खंभात की खाड़ी भारत के अरब सागर तट पर एक खाड़ी है, जो मुंबई शहर के उत्तर में गुजरात राज्य की सीमा पर है। गुजरात में बहने वाली प्रमुख नदियाँ नर्मदा, ताप्ती, माही और साबरमती हैं जो खाड़ी में मुहाना बनाती हैं.

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