नागरिकों के प्रति राज्य में कौन कौन से दायित्व हैं? - naagarikon ke prati raajy mein kaun kaun se daayitv hain?

राष्ट्र के प्रति नागरिक निभाएं अपने क‌र्त्तव्य

कैथल : राष्ट्र के लिए अपने कर्तव्यों का पालन करना एक नागरिक का अपने राष्ट्र के प्रति सम्मान

कैथल : राष्ट्र के लिए अपने कर्तव्यों का पालन करना एक नागरिक का अपने राष्ट्र के प्रति सम्मान को प्रदर्शित करता हैं। हर किसी को सभी नियमों और नियमन का पालन करने के साथ ही विनम्र और राष्ट्र के प्रति जिम्मेदारियों के लिए वफादार होना चाहिए। एक व्यक्ति के लिए राष्ट्र के प्रति बहुत से कर्तव्य होते हैं जैसे आर्थिक विकास एवं वृद्धि, साफ-सफाई, सुशासन, गुणवत्ता की शिक्षा, गरीबी मिटाना, ¨लग समानता लाना, सभी के लिए आदर-भाव रखना, वोट डालने जाना, स्वास्थ्य युवा देने के लिए बाल श्रम को खत्म करना और भी बहुत से ऐसे कार्य हैं जो देश के नागरिकों को देशहित के लिए करने चाहिए। देश का सच्चा व ईमानदारी नागरिक वहीं है जो देश हित के बारे में सोचता है। जो लोग देश को नुकसान पहुंचाने की बात करते वे देश के नागरिक नहीं बल्कि गद्दार है। ऐसे लोगों का समाज द्वारा बहिष्कार किया जाना चाहिए। हर नागरिक को अपने राष्ट्र के प्रति जिम्मेदारी को समझते हुए देशहित के बारे में सोचकर देश को आगे बढ़ाना चाहिए।

दायित्व का करें निर्वाह

जीवन में अगर संघर्ष नहीं है तो एक प्रकार से निष्प्राण है। जीवन का दायित्व भी बहुत की वृहद है। दायित्व की जब भी बात आती है तब वह परिवार, समाज, राष्ट्र स्तर पर व्यक्ति पर यह निर्भर करता है कि वह अपने इन दायित्व को कितनी गंभीरता से निर्वहन करता है। जो अपने दायित्व का दायरा जितना ही बढ़ाते और उसके निर्वाह के प्रति सचेत रहता है, वहीं समाज में महान और महापुरूष के रूप में स्थापित हुए हैं। दायित्वों का एक क्षेत्र विशेष भी हो सकता है, जब व्यक्ति उस क्षेत्र विशेष में उतरकर समाज, राष्ट्र के सामने एक नजीर स्थापित करता है।

- राजपाल ¨सह, प्रधानाचार्य राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय सिसला-सिसमौर।

समाज के प्रति हों उत्तरदायी

राष्ट्र मात्र सीमाओं से बंधे भूखंड का नाम नहीं होता बल्कि राष्ट्र बनता है, अपने लोगों, अपनी सभ्यता संस्कृतिं, नदियों एवं पहाड़ों से। जो व्यक्ति राष्ट्र के प्रत्येक वस्तु से प्रेम करता है, सच्चा देश भक्त है। राष्ट्र को प्रत्येक चुनौती केवल सरकार को नहीं वरन प्रत्येक नागरिक की है। देशवासियों की जागरूकता एवं कर्तव्य परायणता से देश परिभाषित एवं प्रकाशित होता है। व्यक्ति के अधिकार, दायित्व और उत्तरदायित्व साथ-साथ चलते हैं। यदि वह अधिकारों को धारण करता है तो उसे दायित्वों के प्रति भी उत्तरदायी होना होगा। इसके लिए परिस्थितियों को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता। जन्म के साथ ही हमें जो अधिकार मिल जाते हैं, वही हमें समाज और राष्ट्र के प्रति उत्तरदायी बनाते हैं। हर नागरिक को देश के प्रति जिम्मेवारी समझनी चाहिए। जो देश के प्रति अपना फर्ज समझता है वह देश का सच्चा नागरिक है।

अध्यापक संजीव मौण, राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय सिसला-सिसमौर

सजग होकर निभाएं दायित्व

एक शिक्षक होने के नाते हमारा पूरा जीवन ही दायित्वों से भरा हुआ है। हम अपने दायित्वों का निर्वाह करने में थोड़ी भी चूक करते हैं तो हम केवल छात्र का भविष्य ही नहीं बल्कि राष्ट्र के भविष्य के सामने भी एक प्रश्न चिह्न खड़ा हो जाएगा। इसलिए आवश्यक है कि हम अपने जीवन की सुरक्षा जिस प्रकार करते हैं वैसे ही अपने दायित्वों का निर्वाह भी करें। वर्तमान में प्रत्येक जिम्मेदार नागरिक को जिन दायित्वों का निर्वहन करना है, उनमें सीमा सुरक्षा, आंतरिक, सुरक्षा, देश की धरोहरों की सुरक्षा, स्वच्छता का ध्यान, साक्षरता का प्रचार -प्रसार आदि उल्लेखनीय है। सभी चुनौतियां राष्ट्रवासियों की उम्मीदों एवं आशाओं से जुड़ी है। एकता, समता के साथ व्यवहार एवं जीवन शैली वर्ग शुचिता ही सही समाधान हो सकता है। हर नागरिक को परिवार व समाज से पहले अपने राष्ट्र के बारे में सोचना चाहिए। किसी भी देश का नाम उसके नागरिकों के अच्छा या बुरा होना से ऊंचा होता है। देश के नागरिक को यह गर्व होना चाहिए की हम भारत देश के वासी है।

-¨हदी अध्यापक रमेश कैंदल, राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय सिसला-सिसमौर

समाज को दें सही दिशा

हमें प्रत्येक बच्चे को सभी विषयों की सर्वोत्तम शिक्षा देकर उन्हें एक अच्छा डॉक्टर, इंजीनियर, न्यायिक एवं प्रशासनिक अधिकारी बनाने के साथ ही उसे एक अच्छा इंसान भी बनाना है। सामाजिक ज्ञान के अभाव में जहां एक ओर बच्चा समाज को सही दिशा देने में असमर्थ रहता है तो वहीं दूसरी ओर आध्यात्मिक ज्ञान के अभाव में वह गलत निर्णय लेकर अपने साथ ही अपने परिवार, समाज, देश तथा विश्व को भी विनाश की ओर ले जाने का कारण भी बन जाता है। इसलिए प्रत्येक बच्चे को सर्वोत्तम भौतिक शिक्षा के साथ ही उसे एक सभ्य समाज में रहने के लिए सर्वोत्तम सामाजिक शिक्षा देनी चाहिए। यह एक शिक्षक का फर्ज भी होता है।

अध्यापक पवन शर्मा, राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय सिसला-सिसमौर

राष्ट्र के बारे में सोचें

विद्यार्थियों को सबसे पहले अपने राष्ट्र के बारे में सोचना चाहिए। एक शिक्षक व अभिभावकों का भी यह फर्ज बनता है कि अपने बच्चों को राष्ट्र के बारे में ज्यादा से ज्यादा जागरूक करें। विद्यार्थी भी शिक्षक के बताए गुणों को लेकर अपने जीवन को आगे बढ़ाते हैं। वैसे भी समाज उन्हें ही याद रखता है जिन्होंने समाज के लिए कुछ कार्य किया हो। इसलिए हर नागरिक समाज व देश के लिए सोच रखे।

छात्र सोनू, राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय सिसला-सिसमौर

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किसी भी रूप में कर सकते देश सेवा

राष्ट्र के प्रति हर नागरिक में प्रेम-भाव होना चाहिए। एक बार्डर पर रहकर ही देश सेवा नहीं होती। हम किसी भी रूप में देश सेवा कर सकते हैं। जैसे पर्यावरण को बचाकर हम देश को बहुत कुछ दे सकते हैं। गंदगी फैला रहे लोगों को जागरूक कर अपनी जिम्मेदारी निभा सकते हैं। स्वच्छता अभियान से लोगों को जोड़कर अच्छा काम हम राष्ट्र के प्रति कर सकते हैं। इसलिए हर क्षेत्र को अपनी देश के प्रति अपनी जिम्मेदारी समझते हुए राष्ट्र निर्माण में अपना योगदान देना चाहिए।

छात्र जयदीप, राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय सिसला-सिसमौर

लक्ष्य का करें निर्धारण

देश सभी छात्र-छात्राओं को अपने जीवन में दिनचर्या का एक निश्चित समय देश व समाज की सेवा के लिए निकालना चाहिए। अपना लक्ष्य निर्धारित कर देश की किसी भी एक समस्या का समाधान करने के प्रति छात्रों को आगे आकर देशहित के लिए काम करना चाहिए। जब देश का युवा यह सोच रखेंगे तो हमारा देश विश्वभर में नंबर वन कहलाएगा।

छात्रा मधू, राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय सिसला-सिसमौर

नागरिक के प्रति राज्य के कौन कौन से दायित्व हैं?

नागरिकों को प्रदत्त अधिकारों की सुस्पष्ट प्रकृति विभिन्न राष्ट्रों में भिन्न-भिन्न हो सकती है, लेकिन अधिकतर लोकतांत्रिक देशों ने आज उनमें कुछ राजनीतिक अधिकार शामिल किये हैं। पाने से जुड़े कुछ सामाजिक-आर्थिक अधिकार । अधिकारों और प्रतिष्ठा की समानता नागरिकता के बुनियादी अधिकारों में से एक है।

एक नागरिक के अपने राज्य के प्रति क्या क्या कर्तव्य है?

प्रत्येक नागरिक का सबसे पहला कर्तव्य है कि वह संविधान का पालन करे और उसके आदर्शों, संस्थाओं, राष्ट्र ध्वज और राष्ट्र गान का आदर करें।.
स्वतंत्रता संग्राम के आदर्शों के प्रति सम्मान रखे।.
भारत की एकता, अखंडता और संप्रभुता की रक्षा करे।.
देश की रक्षा करे।.
प्रत्येक प्रकार के भेदभाव से दूर रहकर भाईचारे की भावना रखे।.

नागरिकों के क्या दायित्व हैं?

भारत के संविधान को अपनाने के उपलक्ष्य में हर साल 26 नवंबर को हमारे देश में 'संविधान दिवस' के रूप में भी जाना जाता है। 26 नवंबर 1949 को भारत की संविधान सभा ने भारत के संविधान को अपनाया, जो 26 जनवरी 1950 से लागू हुआ।

राज्य के दायित्व क्या है?

सुरक्षा और न्याय राज्य का दायित्व होता है तथा जन-कल्याणकारी कार्य उसका स्वैच्छिक कर्तव्य। इस कन्वेंशन के तहत किसी भी बच्चे के अधिकारों की रक्षा करना राज्य का दायित्व है। इसलिए कर्मगारों को सामाजिक सुरक्षा संबंधी बीमा देकर उनकी सहायता करना राज्य का दायित्व हो जाता है।

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