निरंतर जाप करने से क्या होता है? - nirantar jaap karane se kya hota hai?

मंत्रयोग या जपयोग के चमत्कार के संबंध में शास्त्रों में ढेर सारे उल्ले‍ख मिलते हैं। वेदों में उल्लेख है कि विशेष प्रकार के मंत्रों से विशेष तरह की शक्ति उत्पन्न होती है। अनेक परिक्षणों से यह सिद्ध हो गया है कि मंत्रों में प्रयोग होने वाले शब्दों में भी शक्ति होती है। मंत्रों में प्रयोग होने वाले कुछ ऐसे शब्द हैं, जिन्हे 'अल्फा वेव्स' कहते हैं। मंत्र का यह शब्द 8 से 13 साइकल प्रति सैंकेंड में होता है और यह ध्वनि तरंग व्यक्ति की एकाग्रता में भी उत्पन्न होती है। इन शब्दों से जो बनता है, उसे मंत्र कहते हें। मंत्रों के जप करने से व्यक्ति के भीतर जो ध्वनि तरंग वाली शक्ति उत्पन्न होती है, उसे ही जपयोग या मंत्र योग कहते हैं।


शास्त्र अनुसार 'ज' का अर्थ जन्म का रुक जाना और 'प' का अर्थ पाप का नष्ट हो जाना। किसी भी मंत्र को बार बार जपने से कई तरह के चमत्कारि घटित होते हैं। आओ जानते हैं 5 चमत्कारिक फायदे।

1. बढ़ती एकाग्रता मानसिक
शक्ति :
मंत्र का अर्थ होता है मन को एक तंत्र में बांधना। जब मन एक तंत्र में बंध जाता है तो व्यक्ति मानसिक रूप से शक्तिशाली बन जाता है और इससे एकाग्रता भी बढ़ जाती है। अच्छे विचार, मंत्र और भगवान का बार-बार जप करने या ध्यान करते रहने से व्यक्ति की मानसिक शक्ति बढ़ती जाती है।

मानसिक शक्ति के बल पर ही व्यक्ति सफल, स्वस्थ और शक्तिशाली महसूस कर सकता है। मंत्र के द्वारा हम खुद के मन या मस्तिष्क को बुरे विचारों से दूर रखकर उसे नए और अच्छे विचारों में बदल सकते हैं। लगातार अच्छी भावना और विचारों में रत रहने से जीवन में हो रही बुरी घटनाएं रुक जाती है और अच्छी घटनाएं होने लगती है।

2. प्राप्त होती सिद्धि : किसी भी मंत्र को प्रातिदिन निरंतर जपते रहने से सिद्धियों का द्वार खुल जाता है। जागृत, स्वप्न और सुषुप्ति तीनों ही अवस्था में व्यक्ति जागा हुआ हो जाता है। जपयोग व्यक्ति के अवचेतन को जाग्रत कर उसे दिव्य दृष्टि प्रदान करता है। ऐसा व्यक्ति स्वयं को किसी भी रूप में स्थापित करने में सक्षम हो जाता है। इससे व्यक्ति टेलीपैथिक और परा मनोविज्ञान में पारंगत हो सकता है।

3. देवताओं से जुड़ता संबंध : अपने ईष्ट या किसी शक्तिशाली मंत्र का निरंतर जप करने से व्यक्ति ईधर माध्यम की सकारात्मक ऊर्जा और शक्तियों से जुड़ जाता है।

मं‍त्र से किसी देवी या देवता को साधा जाता है, मंत्र से किसी भूत या पिशाच को भी साधा जाता है और मं‍त्र से किसी यक्षिणी और यक्ष को भी साधा जाता है। 'मंत्र साधना' भौतिक बाधाओं का आध्यात्मिक उपचार है। यदि आपके जीवन में किसी भी प्रकार की समस्या या बाधा है तो उस समस्या को मंत्र जप के माध्यम से हल कर सकते हैं।

4. सूक्ष्म शरीर को सक्रिय करते हैं मंत्र : निरंतर मंत्र जप करने से ध्वनि तरंग उत्पन्न होती है, उससे शरीर के स्थूल व सूक्ष्म अंग तक कंपित होते हैं। इसके कारण व्यक्ति का सूक्ष्म शरीर सक्रिय होकर शक्तिशाली परिणाम देना प्रारंभ कर देता है।

5.मिटते हैं शोक : जब व्यक्ति बहुत व्यग्र या चिंतित रहता है तो तरह-तरह के नकारात्मक विचारों से घिर जाता है और पहले की अपेक्षा परिस्थितियों को और संकटपूर्ण बना लेता है। ढेर सारे विचारों से बचने के लिए किसी भी मंत्र का जप करते रहने से मन में विश्वास और सकारात्मक ऊर्जा का विकास होता है। इससे शोक और संताप मिट जाता है। यह व्यक्ति को मानसिक रूप से शांत कर देता है।

यदि आप सात्विक रूप से निश्चित समय और निश्चित स्थान पर बैठक मंत्र प्रतिदिन मंत्र का जप करते हैं तो आपके मन में आत्मविश्वास बढ़ता है साथ ही आपमें आशावादी दृष्टिकोण भी विकसित होता है जो कि जीवन के लिए जरूरी है।

इस मंत्र के निरंतर जाप से आध्यात्मिक शक्ति, त्वचा में निखार, छह इंद्रियों में सुधार होता है

गायत्री मंत्र को वेदों की जननी की संज्ञा दी गई है. इसे ‘गुरू मंत्र’ अथवा ‘सावित्री मंत्र’ भी कहा जाता है जो ऋग्वेद से लिया गया है. बुद्धिमता को प्रेरित करने वाले इस मंत्र का जाप चिरकाल से लोग करते आए हैं. किसी विशिष्ट फ्रीक्वैंसी के ध्वनि तरंगों से युक्त

गायत्री मंत्र को वेदों की जननी की संज्ञा दी गई है। इसे ‘गुरू मंत्र’ अथवा ‘सावित्री मंत्र’ भी कहा जाता है जो ऋग्वेद से लिया गया है। बुद्धिमता को प्रेरित करने वाले इस मंत्र का जाप चिरकाल से लोग करते आए हैं। किसी विशिष्ट फ्रीक्वैंसी के ध्वनि तरंगों से युक्त इस मंत्र के बारे में यह मान्यता है कि इसके उच्चारण से अद्भुत आध्यात्मिक शक्तियों का विकास होता है। जानिए क्या है ये मंत्र, इसके अर्थ, मान्यता और इससे जुड़े कुछ वैज्ञानिक पहलू

अद्भुत है मंत्र-

ॐ भूर्भुव: स्व:तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो न: प्रचोदयात्।।

मंत्र में प्रयुक्त शब्दों के अर्थ-

ॐ- ब्रह्मा, भू-प्राणस्वरूप, भुव:-दुखनाशक, स्व:-सुख स्वरूप, तत-उस, सवितु:-प्रकाशवान, वरेण्यं-श्रेष्ठ, भर्गो-पापनाशक, देवस्य-दिव्य को, धीमहि-धारण करें, धियो-बुद्धि को, यो-जो, न: हमारी, प्रचोदयात् प्रेरित करे.

हर शब्द की व्याख्या-

ॐ- यह मौलिक और आदिकालीन ध्वनि है जिससे अन्य सभी ध्वनियों का जन्म हुआ है. यह ब्रह्मा है और उर्जा के स्रोतों का रूपक है.

ॐ भूर्भुव: स्व:- उस मुख्य मंत्र का हिस्सा है जिसके द्वारा हम सृष्टि के सृजनहार और हमारे प्रेरणास्रोत उस अखंड शक्ति का आह्वान करते हैं। इसका एक और अर्थ यह है कि हम इस भौतिक संसार, अपने मस्तिष्क और आत्मा रूपी संसार का आह्वान करते हैं

तत्सवितुर्वरेण्यं- ‘तत’ का अर्थ ‘वह’ होता है. वह से आशय उसी सर्वोच्च सत्ता से होता है जो सृष्टि के पालनहार हैं. सवितुर का मतलब जीवन को प्रकाशित करने वाले सूर्य की किरणों समान प्रकाशवान से है

भर्गो देवस्य धीमहि- इसका अर्थ उस सर्वोच्च पापनाशक देवता की स्तुति करने से है.

धियो यो न:- धियो से आशय संसार की वास्तविकता, हमारे ज्ञान और हमारे प्रयोजन को समझने से है जबकि ‘यो’ से ‘आशय’ उससे और ‘न:’ का अर्थ ‘हमसे’ है

प्रचोदयात- इस शब्द से हम उनसे अपने मार्गदर्शन की विनती करते हैं.

संक्षिप्त रूप से इसका अर्थ है कि, ‘हे शक्तिशाली ईश्वर! हमारी उर्जा के स्रोत! हमारे ज्ञान को आलोकित करो ताकि हम सदा सन्मार्ग पर चलते रहें.’ यह मंत्र जीवन और प्रकाश देने वाले सवितुर यानी भगवान सूर्य की उपासना है

वैज्ञानिक तथ्य-

इंटरनेट पर उपलब्ध सूचनाओं के अनुसार एक अमेरिकी वैज्ञानिक हावर्ड स्टेनगेरिल ने विश्व भर में प्रचलित मंत्रों को एकत्रित कर अपने फिजियोलॉजी प्रयोगशाला में उनके परीक्षण के दौरान यह पाया कि सभी मंत्रों में से केवल गायत्री मंत्र ऐसी थी जो प्रति क्षण 1,10,000 ध्वनि तरंगें पैदा करती है। इस आधार पर वो इस निष्कर्ष पर निकले कि यह मंत्र दुनिया की सर्वाधिक शक्तिशाली मंत्र है

कब करें इस मंत्र का जाप

शास्त्रों के अनुसार गायत्री मंत्र को सर्वश्रेष्ठ मंत्र बताया गया है। सूर्योदय, मध्यान्ह और संध्याकाल में इस मंत्र का उच्चारण किया जाना उत्तम माना गया है। हवन के समय, जनेऊ धारण के समय इस मंत्र का जाप किया जाता है

कौन कर सकता है उच्चारण-

प्रारंभिक मान्यता यह थी कि केवल पुरूष ही इस मंत्र का जाप कर सकते हैं। पर समय के साथ इसमें बदलाव आया है। अब स्त्रियाँ भी इस मंत्र का जाप करने लगी है। हालांकि इस मंत्र का जाप स्त्रियों और पुरूषों को अपने शरीर की साफ-सफाई के बाद करनी चाहिए। शौच के समय मंत्रोच्चारण नहीं किया जाना चाहिए

गायत्री मंत्रोच्चारण के फायदे-

गायत्री मंत्रोच्चारण के अनेक फायदे बताए जाते हैं। इस मंत्र के जाप से याद की हुई चीजें भूल जाना, शीघ्रता से याद न कर पाने जैसी समस्याओं से मुक्ति मिल जाती है। इसके उच्चारण से गुस्से पर काबू पाया जा सकता है। कहा जाता है कि इस मंत्र के निरंतर जाप से आध्यात्मिक शक्तियों का विकास, त्वचा में निखार, छह इंद्रियों में सुधार होता है

Edited By: Preeti jha

लगातार मंत्र जाप करने से क्या होता है?

अच्छे विचार, मंत्र और भगवान का बार-बार जप करने या ध्यान करते रहने से व्यक्ति की मानसिक शक्ति बढ़ती जाती है। मानसिक शक्ति के बल पर ही व्यक्ति सफल, स्वस्थ और शक्तिशाली महसूस कर सकता है। मंत्र के द्वारा हम खुद के मन या मस्तिष्क को बुरे विचारों से दूर रखकर उसे नए और अच्छे विचारों में बदल सकते हैं।

सबसे शक्तिशाली मंत्र कौन सा है?

शास्त्रों में गायत्री मंत्र को बेहद शक्तिशाली बताया गया है. यही नहीं इसे महामंत्र कहा गया है. गायत्री मंत्र 'ॐ भूर्भव: स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो न: प्रचोदयात्' 24 अक्षरों से बना है.

सुबह उठते समय कौन सा जाप करना चाहिए?

"कराग्रे वसते लक्ष्मीः, कर मध्ये सरस्वती। करमूले तू गोविंदः, प्रभाते कर दर्शनम्‌‌।।"

भगवान का जाप करते समय नींद क्यों आती है?

जब हम ध्यान साधना ( मैडिटेशन) या मंत्र जाप करते हैं तो हमारी एकाग्रता बनती है । और फिर चेतन मन अवचेतन अवस्था में स्थित हो जाता है , इससे तल्लीनता का वातावरण तैयार होने से नींद के झटके से महसूस होते हैं ।

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