शेयर का दाम कैसे बढ़ता है? - sheyar ka daam kaise badhata hai?

शेयरों की कीमत कैसे निर्धारित की जाती है?

आपूर्ति और माँग एक शेयर की कीमत को निर्धारित करती है। यदि माँग अधिक है, तो यह बढ़ जाएगी, और यदि माँग कम है, तो यह घट जाएगी। शेयरों की कीमतें बोली एवं निवेदन पर निर्भर करती हैं। एक बोली एक निश्चित कीमत के लिए शेयरों की एक निश्चित संख्या खरीदने की पेशकश है। एक निवेदन एक निश्चित कीमत पर शेयरों की एक निश्चित संख्या बेचने की पेशकश है।

विनिमय केंद्र उस शेयर की कीमत की तुरंत गणना करते हैं जिस पर उस समय शेयरों की अधिकतम संख्या का लेनदेन किया जाता है। अगर शेयरों की खरीद या बिक्री की पेशकश में कोई बदलाव होता है तो कीमत में भी परिवर्तन होता है।

किसी शेयर की बाजार कीमतों की गणना कैसे करें?

शेयर की बाजार सीमा निर्धारित करने के लिए, आपको शेयर के बाजार मूल्य का अनुमान लगाने की आवश्यकता है। यह पता लगाने के लिए कि व्यापारियों के लिए कोई शेयर कितना मूल्यवान हैं, कंपनी के शेयर का अंतिम अद्यतन मूल्य लें और इसे बकाया शेयरों से गुणा करें।

शेयर की कीमत की गणना करने का एक अन्य तरीका कीमत अर्जन अनुपात है। आप पिछले 12 महीनों के स्टॉक मूल्य को इसकी आय से विभाजित करके पी/ई अनुपात की गणना कर सकते हैं।

शेयरों का यथार्थ मूल्य = पी/ई अनुपात × प्रति शेयर आय 

प्रगतिशील कंपनियों का आम तौर पर एक उच्च पी/ई अनुपात होता है, जबकि स्थापित व्यवसायों की पी/ई वृद्धि दर धीमी होती है।

शेयरों की प्रारंभिक कीमत कैसे निर्धारित की जाती  है?

कंपनी के शेयर सबसे पहले प्राथमिक बाज़ारों में जारी किए जाते हैं; पूँजी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए साधारण जनता से प्रारंभिक सार्वजनिक पेशकश (आईपीओ) के माध्यम से धन जुटाया जाता है। फर्म के प्रदर्शन और निवल वर्तमान मूल्य पर विचार करते हुए शेयर की प्रारंभिक कीमत आईपीओ में निर्धारित की जाती है।

व्यापार शुरू होने के बाद, शेयर मूल्यों में द्वितीयक बाजार में शेयरों की माँग और आपूर्ति के आधार पर उतार-चढ़ाव शुरू हो जाएगा। यदि शेयर के अधिक खरीदार हैं तो कीमतें बढ़ सकती हैं और यदि अधिक विक्रेता हैं तो यह कम हो सकती है।

कौन से कारक शेयरों की कीमतों को सीधे प्रभावित करते हैं?

1. आपूर्ति और माँग सबसे महत्वपूर्ण कारक हैं जो शेयर की कीमतों को सीधे प्रभावित करते हैं। यदि किसी शेयर की बिक्री से अधिक खरीद होती है, तो कीमत बढ़ेगी क्योंकि माँग के आपूर्ति की तुलना में अधिक होने से हिस्सेदारी की माँग बढ़ जाती है।

2. वस्तुओं एवं सेवाओं के उत्पादन और बिक्री से एक कंपनी की आय और लाभप्रदता भी उसके शेयर की कीमतों को प्रभावित कर सकती है।

3. बाजार में व्यापारियों और निवेशकों के व्यवहार भी शेयरों की कीमत बदल सकते हैं।

4. यदि आपूर्ति और माँग बराबर हैं, तो शेयर की कीमतें बहुत कम वृद्धि एवं कमी के साथ स्थिर बनी रहती हैं। यदि कारकों में से एक दूसरे से आगे निकलता है, तो अचानक परिवर्तन की उम्मीद की जा सकती है।

5. जब कोई कंपनी बाजार में खरीद के लिए नए शेयर जारी करती है, तो उनकी संख्या सीमित होती है। यदि बहुत सारे निवेशक इन शेयरों को खरीदने की कोशिश कर रहे हैं, और आपूर्ति कम है, तो इससे शेयरों की कीमत में वृद्धि होगी।

6. यदि कोई कंपनी बाजार से अपना हिस्सा वापस खरीदती है, तो यह प्रचलन में शेयरों की संख्या को कम कर देता है। कम आपूर्ति के कारण, कीमतें बढ़ सकती हैं।

कौन से कारक शेयर कीमतों को अप्रत्यक्ष रूप से प्रभावित करते हैं?

1. ब्याज दर

2. आर्थिक नीतियों में परिवर्तन

3. मुद्रास्फीति

4. अपस्फीति

5. बाजार भावना

6. उद्योग व्यापार 

7. वैश्विक उतार-चढ़ाव

8. प्राकृतिक आपदाएँ 

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शेयर की कीमत कैसे बढ़ती या घटती है? शेयर प्राइस कम या ज्यादा क्यों होता है, दाम क्यों बदलते हैं | Why Stock price goes up and down | Why stock prices fluctuate | Why Stock Price Change | Why shares rise and fall | Who sets stock prices

हम जैसे छोटे रिटेल निवेशक रोजाना शेयर मार्केट में स्टॉक्स के प्राइस को कभी ऊपर तो कभी नीचे जाते हुए देखते हैं तो थोड़ा डर जरूर लगता है लेकिन यही चीज इंटरेस्टिंग भी लगती है।

क्योंकि जब शेयर की कीमत बढ़ती है तो शेयर को खरीदने का मन करता है और जब कीमत घटती है तो शेयर को बेचने का मन करता है,

लेकिन यह दोनों ही तरीके गलत है…

अगर आप भी केवल स्टॉक के ऊपर या नीचे जाने से, तेजी और मंदी से या फिर सेंसेक्स और निफ्टी में उछाल और गिरावट से प्रभावित होकर तुरंत निर्णय लेते हैं तो आप गलत रास्ते पर हैं,

क्योंकि पहले आपको कम से कम पता होना चाहिए कि अगर कोई शेयर लगातार ऊपर जा रहा है तो उसके पीछे कोई ना कोई कारण जरूर होता है

और इसी प्रकार अगर किसी शेयर का दाम लगातार गिर रहा है तो इसके पीछे भी कोई ना कोई वजह जरूर होती है।

आपका काम है उस वजह को ढूंढना और आज हम इसी विषय के बारे में विस्तार से चर्चा करने वाले हैं कि स्टॉक मार्केट में किसी कंपनी के शेयर का प्राइस ऊपर नीचे कम या ज्यादा क्यों होता है? मतलब शेयर की कीमत कैसे बढ़ती या घटती है?

आइए जानते हैं―

Contents

  • शेयर की कीमत कैसे बढ़ती या घटती है? Why stock prices up and down?
  • शेयर का प्राइस ऊपर नीचे कैसे होता है?
    • 1. कंपनी का परफॉर्मेंस (शेयर की कीमत कैसे बढ़ती या घटती है)
    • 2. न्यूज़ के चलते (शेयर की कीमत कैसे बढ़ती या घटती है)
    • 3. कंपनी के कुछ नए अनाउंसमेंट के कारण (शेयर की कीमत कैसे बढ़ती या घटती है)
    • 4. डिविडेंड के कारण (शेयर का प्राइस कम या ज्यादा क्यों होता है)
    • 5. बोनस या फिर शेयर buyback के चलते (शेयर बाजार में उतार-चढ़ाव क्यों होता है)
    • 6. डिमांड और सप्लाई के कारण (शेयर की कीमतेें कैसे बढ़ती या घटती है)
    • 7. शेयर मार्केट में तेजी या मंदी के कारण (शेयर के दाम बढ़ते या घटते क्यों है)
    • 8. प्रमोटर्स होल्डिंग कम या ज्यादा होने पर ( शेयर प्राइस क्यों बदलते रहते हैं)
  • एक शेयर का प्राइस कितना ऊपर नीचे जा सकता है?
  • किसी शेयर में अचानक से तेजी होने का क्या कारण होता है? What causes a stock to spike?
    • Factors affecting share prices in the stock market
  • FAQs Related Why stocks price goes up and down?
    • शेयर की कीमतें कौन घटाता या बढाता है?
    • शेयर बाजार गिरने या उठने का क्या कारण होता है?
    • शेयर की कीमतें कौन तय करता है?
    • स्टॉक्स के प्राइस कैसे बदलते हैं?
  • Conclusion “How stock prices moves up and down”

शेयर की कीमत कैसे बढ़ती या घटती है? Why stock prices up and down?

शेयर की कीमत कैसे बढ़ती या घटती है??

हर एक निवेशक जानता है कि शेयर बाजार में उतार-चढ़ाव तो होता ही रहता है और अगर बात करें कि शेयर की कीमत घटती या बढ़ती क्यों है तो इसका कोई निश्चित कारण नहीं होता है, यह बहुत सारे फैक्टर्स पर निर्भर करता है।

आज अगर किसी शेयर का दाम ऊपर है तो कल नीचे होगा, मार्केट में कभी तेजी तो कभी मंदी जरूर होगी और इसीलिए शेयर की कीमते घटती बढ़ती है और शेयर का प्राइस प्राइस ऊपर नीचे होता है।

लेकिन सबसे इंपोर्टेंट यह है कि हर एक इन्वेस्टर को यह पता होना चाहिए कि शेयर का मूल्य कैसे निर्धारित होता है, मतलब शेयर बाजार में सेंसेक्स और निफ्टी के प्राइस इतनी जल्दी क्यों बदलते रहते हैं (Why Sensex or Nifty moves up or down), शेयर का मूल्य आखिर बदलता कैसे है?

और इसके पीछे क्या कारण है?

नीचे मैंने आपको उदाहरण के साथ कुछ ऐसे पॉइंट्स बताएं हैं जो बताते हैं कि शेयर मार्केट में उतार-चढ़ाव क्यों होता है और शेयर का प्राइस ऊपर-नीचे और कम या ज्यादा क्यों होता है?

तो आइए जानते हैं―

शेयर का प्राइस ऊपर नीचे कैसे होता है?

How does stock price change― इन सभी पॉइंट्स के बारे में जानने से पहले आपको शेयर मार्केट की बेसिक जानकारी होनी चाहिए जैसे कि;

  • शेयर मार्केट कैसे काम करता है?
  • निफ्टी और सेंसेक्स क्या होते हैं?
  • शेयर खरीदने से पहले क्या करना चाहिए? 

अगर आप किसी कंपनी का शेयर खरीद रहे हैं तो आपको पता होना चाहिए कि उसके पीछे कोई ना कोई बिज़नेस जरूर होता है और आप उस शेयर के माध्यम से कंपनी के बिजनेस में पैसा लगाते हैं।

मेरा मतलब है कि आपको सिर्फ शेयर का प्राइस या फिर चार्ट पेटर्न देखकर ही उसमें निवेश नहीं करना चाहिए बल्कि आपको कई अन्य फैक्टर भी देखने चाहिए जैसे कि कंपनी की ग्रोथ कैसी है और कहीं ऐसा तो नहीं है कि कंपनी ने बहुत ज्यादा कर्ज लिया हुआ हो जिसे चुकाने में वह सक्षम ना हो…

इस प्रकार की बेसिक जानकारियां आपको किसी भी शेयर को खरीदने से पहले होनी चाहिए केवल तभी आप अच्छे से समझ पाएंगे कि किसी भी शेयर का प्राइस कम या ज्यादा क्यों होता है? और इनकी कीमतें इतनी जल्दी घटती या बढ़ती कैसे हैं?

आइये शुरू करते हैं, तो सबसे पहला point है―

1. कंपनी का परफॉर्मेंस (शेयर की कीमत कैसे बढ़ती या घटती है)

आपको पता होगा कि शेयर बाजार में लिस्टेड हर कंपनी कोई ना कोई बिजनेस करती है जिसमें वह अपना कोई प्रोडक्ट या सर्विस बेचती है।

और हर कंपनी को अपने क्वार्टरली रिजल्ट हर 3 महीने में पेश करने पड़ते हैं जिसमें उनके सेल्स और प्रॉफिट के बारे में बताया जाता है।

क्वार्टरली रिजल्ट में कंपनी बताती है कि उसने पिछले क्वार्टर के मुकाबले इस बार कितना मनासा या नुकसान किया है इसकी जानकारी आप NSE या BSE स्टॉक एक्सचेंज की वेबसाइट पर जाकर पा सकते हैं।

कंपनी के क्वार्टरली रिजल्ट और फाइनेंशियल स्टेटमेंट्स को देखकर आपको पता चल जाता है कि कंपनी कैसा प्रदर्शन कर रही है मतलब कंपनी मुनाफा कर रही है या घाटे में है।

और इसी के चलते उस कंपनी के शेयर का प्राइस ऊपर या नीचे होता है मतलब अगर कंपनी के क्वार्टरली नंबर अच्छे आते हैं तो लोग उस कंपनी के शेयर खरीदने लगते हैं और अचानक से दूसरे दिन प्राइस बढ़ जाता है

ठीक इसी प्रकार जब कंपनी ने अपना रिवेन्यू या मुनाफा पिछली बार के मुकाबले कम किया होता है तो लोग अपने खरीदे हुए शेयर को बेचने लगते हैं जिससे उस शेयर की कीमतें घटने लगती हैं।

और इसीलिए कोई कंपनी कैसा प्रदर्शन करती है इसके आधार पर शेयर की कीमतें घटती या बढ़ती है।

2. न्यूज़ के चलते (शेयर की कीमत कैसे बढ़ती या घटती है)

आपने अक्सर देखा होगा कि अगर किसी कंपनी में कोई फ्रॉड हो गया. उदाहरण के लिए, किसी कंपनी में उसके मैनेजमेंट पर इंसाइडर ट्रेडिंग जैसी कोई खबर आ गई तो कंपनी के शेयर का प्राइस में अचानक से गिरावट आनी शुरू हो जाती है।

मतलब किसी भी बुरी न्यूज़ के चलते शेयर का दाम अचानक से नीचे आ जाता है और अच्छी न्यूज़ के चलते शेयर का प्राइस ऊपर जाने लगता है।

इसके कई उदाहरण हम पास्ट में देख चुके हैं जिसमे एशियन पेंट जैसी दिग्गज कंपनी भी शामिल है जिस पर कुछ झूठे इल्जाम लगाए गए थे लेकिन बाद में सब नॉर्मल हो गया।

इसलिए कहा जाता है कि अगर आपको कंपनी के बिजनेस पर भरोसा है तो शेयर का प्राइस कितना भी ऊपर नीचे क्यों ना हो आपको डरना नहीं चाहिए।

3. कंपनी के कुछ नए अनाउंसमेंट के कारण (शेयर की कीमत कैसे बढ़ती या घटती है)

कंपनी का एक सही फैसला उसके शेयर की कीमत बढ़ा सकता है और गलत फैसला आपके पैसे डूबा सकता है इसलिए जिस कंपनी का शेयर आप खरीदना चाहते हैं वह क्या अनाउंसमेंट करती है उस पर नजर रखिए।

जब भी कोई कंपनी कोई बड़ी अनाउंसमेंट करती है तो उसके जैसे इस बार शेयर के दाम बहुत तेजी से घटते या बढ़ते हैं।

उदाहरण के लिए आप इलेक्ट्रिक वाहनों और रिन्यूएबल एनर्जी सेक्टर को देख सकते हैं।

पिछले कुछ सालों तक टाटा पावर और टाटा मोटर कंपनी के शेयर की कोई डिमांड नहीं थी लेकिन जब से टाटा मोटर कंपनी ने इलेक्ट्रिक व्हीकल बाजार में उतारने का अनाउंसमेंट किया तभी से इसके शेयर में लगातार बढ़ोतरी देखी जा रही है।

जानिए कौन से शेयर में निवेश करना चाहिए ताकि भविष्य में अच्छे रिटर्न मिलें?

4. डिविडेंड के कारण (शेयर का प्राइस कम या ज्यादा क्यों होता है)

जब कोई कंपनी अच्छा खासा प्रॉफिट कमाती है तो उसका कुछ हिस्सा अपने शेयरहोल्डर को भी देती है जिसे हम डिविडेंड कहते हैं. लेकिन यह भी सच है कि स्टॉक मार्केट में लिस्टेड हर एक कंपनी डिविडेंड नहीं देती है बल्कि कमाए गए मुनाफे को दोबारा अपने व्यापार में निवेश करती है।

डिविडेंड को लेकर अधिकतम निवेशक उत्साहित रहते हैं इसलिए जब कोई कंपनी अपनी वार्षिक रिपोर्ट में या फिर क्वार्टरली रिजल्ट के समय डिविडेंड देने का फैसला करती है तो अगले दिन ही उस कंपनी के शेयर के प्राइस पर इसका असर दिखता है

और कंपनी का शेयर प्राइस तेजी से ऊपर जाता है क्योंकि लोग डिविडेंड के लालच में उस कंपनी के शेयर खरीदने लगते हैं जिससे डिमांड बढ़ने के कारण शेयर की कीमत बढ़ जाती है।

  • जानिए डिविडेंड क्या होता है और कैसे मिलता है? ―डिविडेंड के हर एक जानकारी विस्तार से

5. बोनस या फिर शेयर buyback के चलते (शेयर बाजार में उतार-चढ़ाव क्यों होता है)

डिविडेंड की तरह ही जब कंपनी बोनस शेयर या share को split करने का अनाउंसमेंट करती है या फिर शेयर बायबैक (buyback) करना चाहती है तो शेयर के मूल्य में तेजी से उछाल देखी जाती है।

6. डिमांड और सप्लाई के कारण (शेयर की कीमतेें कैसे बढ़ती या घटती है)

How does demand and supply affect stock prices― आपको पता होगा कि केवल भारतीय शेयर बाजार ही नहीं बल्कि दुनिया का हर एक मार्केट डिमांड और सप्लाई यानी कि मांग और पूर्ति के नियम पर चलता है।

मतलब जब किसी चीज की सप्लाई कम होती है और डिमांड बढ़ जाती है तो उसकी कीमतें भी बढ़ जाती हैं और इसी प्रकार जब सप्लाई बहुत ज्यादा होती है और डिमांड कम होती है तो कीमतें घट जाती हैं।

यह डिमांड और सप्लाई का गेम आप शेयर बाजार में रोजाना देख सकते हैं।

जब ग्लोबल मार्केट में पावर या बिजली की डिमांड बढ़ती है तो पावर सेक्टर की कंपनियों के शेयर ऊपर जाने लगते हैं. इससे होता यह है कि कंपनियों का मुनाफा बड़े बिना ही उनके शेयर प्राइस बढ़ जाते हैं जिससे उनका PE Ratio भी काफी high हो जाता है और जिससे कंपनियां महंगे वैल्यूएशन पर ट्रेड करने लगती हैं।

जानिए पीई रेश्यो क्या होता है? ―(पूरी जानकारी विस्तार से)

इसी प्रकार जब दुनिया में कहीं कोई बड़ा क्राइसिस हो जाता है तो उसका असर वैश्विक बाजार के अलावा दुनिया के हर एक मार्केट पर पड़ता है। ऐसा होने से देश की इकोनॉमी कमजोर होती है और NIFTY50 इंडेक्स में लिस्टेड मजबूत कंपनियों के शेयर प्राइस में भी गिरावट होने लगती है।

कहने का मतलब यह है कि जिस सेक्टर के प्रोडक्ट या सर्विस की डिमांड बढ़ती है सेक्टर की कंपनियों के शेयर प्राइस भी बढ़ने लगते हैं और जब डिमांड घटती है तो शेयर प्राइस गिरने लगते हैं।

ये भी जानिए;

  • एक दिन पहले ही कैसे पता करें कि कौन सा share ऊपर जा सकता है?
  • निफ्टी कल कैसा रहेगा, बढ़ेगा या गिरेगा? कैसे पता करें?

7. शेयर मार्केट में तेजी या मंदी के कारण (शेयर के दाम बढ़ते या घटते क्यों है)

इकोनामिक क्राइसिस के चलते कई बार देश को अलग-अलग खतरों से होकर गुजरना पड़ता है जिससे बाजार में मंदी (Bear run) की स्थिति आ जाती है।

महंगाई यानी Inflation इसका एक बहुत बड़ा कारण है क्योंकि जब बाजार में महंगाई हो जाती है तो कंपनियां अपने प्रोडक्ट या सर्विस के दाम बढ़ा देते हैं जिससे लोग उन्हें खरीदना कम कर देते हैं

और जब लोग बाजार से माल खरीदना कम कर देते हैं तो बिजनेसेस को नुकसान होता है और कंपनियां प्रॉफिट नहीं कमा पाती हैं।

और जब कंपनियां प्रॉफिट नहीं कमा पाती है तो लोग अपने खरीदे गए शेयर बेचने लगते हैं जिससे बाजार में मंदी (Bear Market) का असर देखने को मिलता है।

अगर गौर से देखा जाए तो यह पूरी साइकिल महंगाई से डायरेक्टली कनेक्टेड है।

देखिए अगर आप एक जागरूक शेयर बाजार निवेशक है तो आपको देश में चल रहे आर्थिक मुद्दों पर भी नजर रखनी चाहिए जैसे कि देश में हर साल जो बजट का अनाउंसमेंट होता है उसके अगले दिन ही शेयर बाजार में काफी मूवमेंट और हलचल देखी जाती है।

जिससे अगले दिन ही आपको शेयर सूचकांक इंडेक्स जैसे निफ्टी और सेंसेक्स में बुल रन या बियर रन देखने को ले जाती है।

8. प्रमोटर्स होल्डिंग कम या ज्यादा होने पर ( शेयर प्राइस क्यों बदलते रहते हैं)

प्रमोटर्स होल्डिंग का मतलब है कि कंपनी में उसके शुरुआती प्रमोटर्स मैनेजमेंट और फाउंडर्स की कितनी हिस्सेदारी है।

सामान्यता प्रमोटर होल्डिंग 50% या उससे ज्यादा होनी चाहिए।

अगर किसी कंपनी में प्रमोटर्स की होल्डिंग बहुत कम है तो आपको उस कंपनी के शेयर को नहीं खरीदना चाहिए क्योंकि ऐसा माना जाता है कि अगर प्रमोटर्स ही अपनी कंपनी के शेयर बेच रहे हैं तो इसका मतलब है कि उन्हें खुद की कंपनी पर ही भरोसा नहीं है

और इसीलिए जब किसी कंपनी के प्रमोटर होल्डिंग कम होने लगती है तो लोग शेयर बेचने लगते हैं जिससे शेयर का भाव टूट जाता है और बहुत बड़ी गिरावट देखी जाती है।

ठीक इसके विपरीत जब प्रमोटर्स अपने कंपनी में हिस्सेदारी बढ़ाते हैं तो शेयर प्राइस बढ़ने लगता है।

एक शेयर का प्राइस कितना ऊपर नीचे जा सकता है?

How high can a stock rise― शेयर बाजार में नए निवेशक सोचते हैं कि कोई भी शेयर कितना भी ऊपर या नीचे जा सकता है लेकिन यह सच नहीं है।

आपने सर्किट फिल्टर के बारे में सुना होगा।

जब कोई शेयर बहुत ज्यादा ऊपर जाता है तो उसमें अपर सर्किट लगना शुरू हो जाते हैं और इसी प्रकार जब बहुत ज्यादा गिरता है तो उसमें डाउन सर्किट लगना शुरू हो जाते हैं।

अपर सर्किट और डाउन सर्किट 5% से लेकर 20% कुछ भी तक हो सकते हैं।

सर्किट ज्यादातर पेनी स्टॉक्स में ही लगते हैं। या फिर कोई ऐसा स्टॉक जिसे केवल ऑपरेटर ही कंट्रोल करते हैं मतलब जबरदस्ती अगर किसी शेयर का प्राइस बढ़ाया या घटाया जाता है तो उसमें सर्किट लगने लगते हैं।

इसीलिए कोई भी शेयर 1 दिन में 1000% या 2000% ऊपर नीचे नहीं जा सकता है क्योंकि ऐसा तो सिर्फ ट्रेनिंग या फिर क्रिप्टोकरंसी में होता है ना कि और मार्केट में।

मैं आपको बता दूं कि अगर आप भी इतने ज्यादा रिटर्न पाना चाहते हैं तो आपके लिए ट्रेडिंग करना सही रहेगा ना कि इन्वेस्टिंग।

किसी शेयर में अचानक से तेजी होने का क्या कारण होता है? What causes a stock to spike?

Why Stock price fluctuate― कभी-कभी आप देखते हैं कि शेयर की कीमतें अचानक से बढ़ जाती हैं। ऐसे ना अधिकतर कारण न्यूज़ ही होता है.

जैसा कि मैंने ऊपर बताया कि कंपनियां आए दिन कुछ ना कुछ अनाउंसमेंट करती रहती हैं जैसे―

  • कोई भविष्य में हिट प्रोजेक्ट बाजार में उतारना,
  • नया प्रोडक्ट लॉन्च करना,
  • बोनस शेयर आ डिविडेंड देने का ऐलान करना,
  • नई टेक्नोलॉजी पर काम करना
  • किसी नई कंपनी का अधिग्रहण करना

इन सभी अनाउंसमेंट के बारे में जब न्यूज़ में हमें पता चलता है तो स्टॉक्स की कीमतें बढ़ने लगती हैं।

FAQs Related Why stocks price goes up and down?

शेयर की कीमतें कौन घटाता या बढाता है?

शेयर बाजार में बहुत सारी ऐसी घटनाएं होती हैं जिनका डायरेक्ट असर कंपनी के शेयर प्राइस पर पड़ता है जैसे कि मार्केट में आर्थिक मंदी, कंपनी के रिजल्ट का अनाउंसमेंट, कंपनी में अच्छी या बुरी खबर के चलते आदि सभी कारणों के चलते शेयर की कीमतें बढ़ती या घटती हैं।

शेयर बाजार गिरने या उठने का क्या कारण होता है?

शेयर बाजार के नीचे गिरने या ऊपर उठने से मतलब है कि सेंसेक्स और निफ़्टी का ऊपर नीचे होना. पूरा शेयर मार्केट केवल तभी करता है जब ग्लोबल लेवल पर कोई आर्थिक संकट आ जाता है और जब वह स्थिति पहले जैसी हो जाती है तो बाजार उठना चालू होता है जिससे शेयर की कीमतें बढ़ने लगती हैं।

शेयर की कीमतें कौन तय करता है?

जब कोई कंपनी पहली बार शेयर बाजार में आईपीओ के द्वारा लिस्ट होती है तो वह अपने प्रत्येक शेयर की कीमत तय करती है कि अगले दिन वह स्टॉक एक्सचेंज करें कितने प्राइस में लिस्ट होगा. फिर जैसे-जैसे निवेशक उस शेयर को खरीदते बेचते हैं तो उसकी कीमतें बदलने लगती हैं।

स्टॉक्स के प्राइस कैसे बदलते हैं?

डिमांड और सप्लाई के कारण स्टॉक्स या shares की कीमतें घटती बढ़ती हैं. अगर मार्केट में खरीददार (buyers) की अपेक्षा विक्रेता (sellers) ज्यादा है तो शेयर की कीमत घटने लगती हैं और जब खरीदार ज्यादा है और विक्रेता कम है तो शेयर के दाम बढ़ने लगते हैं।

ये भी पढ़ें

  • शेयर कब खरीदना और बेचना चाहिए?
  • किस कंपनी के शेयर खरीदना चाहिए? ( 5 आसान तरीकों से पता करें)
  • क्या सच में शेयर बाजार की भविष्यवाणी करना संभव है?
  • क्या सच में लोग शेयर मार्केट से करोड़पति बनते हैं?
  • स्टॉक मार्केट में निवेश करते वक्त क्या सावधानियां रखनी चाहिए?

Conclusion “How stock prices moves up and down”

इस पोस्ट में मैंने आपको शेयर की कीमत कैसे बढ़ती या घटती है, शेयर के प्राइस कम ज्यादा क्यों होते हैं और सेंसेक्स या निफ्टी ऊपर नीचे क्यों होते हैं? इन सब के बारे में मैन एक पोस्ट में आपको विस्तार से बताया है।

अगर आपका इस पोस्ट से संबंधित कोई सवाल है तो नीचे कमेंट में जरूर पूछें।

About Author
मेरा नाम दीपक सेन है और मैं इस ब्लॉग का Founder हूं। यहां पर मैं अपने पाठकों के लिए नियमित रूप से शेयर मार्केट, निवेश और फाइनेंस से संबंधित उपयोगी जानकारी शेयर करता हूं। ❤️

शेयर की कीमत कैसे बढ़ती है?

स्टॉक्स के प्राइस कैसे बदलते हैं? डिमांड और सप्लाई के कारण स्टॉक्स या shares की कीमतें घटती बढ़ती हैं. अगर मार्केट में खरीददार (buyers) की अपेक्षा विक्रेता (sellers) ज्यादा है तो शेयर की कीमत घटने लगती हैं और जब खरीदार ज्यादा है और विक्रेता कम है तो शेयर के दाम बढ़ने लगते हैं।

एक दिन पहले ही कैसे पता करें कि किस शेयर का price ऊपर जा सकता है?

इसका मतलब हो सकता है कि कल उस शेयर के बढ़ने का अनुमान हो। अगर किसी स्टॉक में 1 दिन पहले डिलीवरी ज्यादा 40 से 50% देखने को मिलती है तो इसका मतलब है कि कल वह शेयर gap up opening के साथ खुलेगा यानी कि ऊपर जाने के संकेत हैं। इसीलिए आप जिस स्टॉक को खरीदना चाहते हैं उसकी डिलीवरी पोजीशन एक बार जरूर चेक करें

शेयर खरीदने से पहले क्या देखना चाहिए?

शेयर खरीदते समय क्या ध्यान रखें?.
कंपनी का बिजनेस मॉडल समझने की कोशिश करें ... .
कंपनी पर कर्ज ज्यादा नहीं होना चाहिए ... .
बैलेंस शीट और फाइनेंसियल हेल्थ यानी फंडामेंटल देखें ... .
चेक करो कि कंपनी कितनी पुरानी है ... .
सर्किट लगने वाले शेयरों में निवेश नहीं करना चाहिए ... .
कंपनी के जरूरी फाइनेंसियल रेश्यो जरूर देखें ... .
मैनेजमेंट पर एक नजर जरूर डालें.

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