2022 में कौन सा युग चल रहा है? - 2022 mein kaun sa yug chal raha hai?

हिन्दू धर्म में समय की बहुत ही व्यापक धारणा है। क्षण के हजारवें हिस्से से भी कम से शुरू होने वाली कालगणना ब्रह्मा के 100 वर्ष पर भी समाप्त नहीं होती। हिन्दू मानते हैं कि समय सीधा ही चलता है। सीधे चलने वाले समय में जीवन और घटनाओं का चक्र चलता रहता है। समय के साथ घटनाओं में दोहराव होता है फिर भी घटनाएं नई होती हैं। दिन, पक्ष, मास, अयन, युग और कल्प के बारे में विस्तार से पुराणों में लिखा है। आओ जानते हैं कि वर्तमान में कौनसे नंबर का कलियुग चल रहा है।


विज्ञान कहता है कि धरती पर जीवन की उत्पत्ति 60 करोड़ वर्ष पूर्व हुई एवं महाद्वीपों का सरकना 20 करोड़ वर्ष पूर्व प्रारंभ हुआ, जिससे पांच महाद्वीपों की उत्पत्ति हुई। स्तनधारी जीवों का विकास 14 करोड़ वर्ष पूर्व हुआ। मानव का प्रकार (होमिनिड) 2.6 करोड़ वर्ष पूर्व आया, लेकिन आधुनिक मानव 2 लाख वर्ष पूर्व अस्तित्व में आया। पिछले पचास हजार (50,000) वर्षों में मानव समस्त विश्व में जाकर बस गया। विज्ञान कहता है कि मानव ने जो भी यह अभूतपूर्व प्रगति की है वह 200 से 400 पीढ़ियों के दौरान हुई है। उससे पूर्व मानव पशुओं के समान ही जीवन व्यतीत करता था।

1. हिन्दू धर्म में धरती के इतिहास की गाथा 5 कल्पों में बताई गई है। ये पांच कल्प है महत्, हिरण्य, ब्रह्म, पद्म और वराह। वर्तमान में चार कल्प बितने के बाद यह वराह कल्प चल रहा है।

2. यदि हम युगों की बात करेंगे तो 6 मन्वंतर अपनी संध्याओं समेत निकल चुके, अब 7वां मन्वंतर काल चल रहा है जिसे वैवस्वत: मनु की संतानों का काल माना जाता है।

3. 27वां चतुर्युगी (अर्थात चार युगों के 27 चक्र) बीत चुका है। और, वर्तमान में यह वराह काल 28वें चतुर्युगी का कृतयुग (सतुयग) भी बीत चुका है और यह कलियुग चल रहा है।

4. यह कलियुग ब्रह्मा के द्वितीय परार्ध में वराह कल्प के श्‍वेतवराह नाम के कल्प में और वैवस्वत मनु के मन्वंतर में चल रहा है। इसके चार चरण में से प्रथम चरण ही चल रहा है।

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1. आर्यभट्ट के अनुसार महाभारत के युद्ध 3136 ईसा पूर्व को हुआ था। महाभारत युद्ध के 35 वर्ष पश्चात भगवान कृष्ण ने देह छोड़ दी थी तभी से कलियुग का आरंभ माना जाता है। भागवत पुराण ने अनुसार श्रीकृष्‍ण के देह छोड़ने के बाद 3102 ईसा पूर्व कलिकाल का प्रारंभ हुआ था।

2. श्रीमद्भागवत पुराण अनुसार शुकदेवजी राजा परीक्षित से कहते हैं जिस समय सप्तर्षि मघा नक्षत्र में विचरण कर रहे थे तब कलिकाल का प्रारंभ हुआ था। कलयुग की आयु देवताओं की वर्ष गणना से 1200 वर्ष की अर्थात मनुष्‍य की गणना अनुसार 4 लाख 32 हजार वर्ष की है।- 12.2.31-32

3. युग के बारे में कहा जाता है कि 1 युग लाखों वर्ष का होता है, जैसा कि सतयुग लगभग 17 लाख 28 हजार वर्ष, त्रेतायुग 12 लाख 96 हजार वर्ष, द्वापर युग 8 लाख 64 हजार वर्ष और कलियुग 4 लाख 32 हजार वर्ष का बताया गया है।

4. वर्ष को 'संवत्सर' कहा गया है। 5 वर्ष का 1 युग होता है। संवत्सर, परिवत्सर, इद्वत्सर, अनुवत्सर और युगवत्सर ये युगात्मक 5 वर्ष कहे जाते हैं।

बृहस्पति की गति के अनुसार प्रभव आदि 60 वर्षों में 12 युग होते हैं तथा प्रत्येक युग में 5-5 वत्सर होते हैं। 12 युगों के नाम हैं- प्रजापति, धाता, वृष, व्यय, खर, दुर्मुख, प्लव, पराभव, रोधकृत, अनल, दुर्मति और क्षय। प्रत्येक युग के जो 5 वत्सर हैं, उनमें से प्रथम का नाम संवत्सर है। दूसरा परिवत्सर, तीसरा इद्वत्सर, चौथा अनुवत्सर और 5वां युगवत्सर है।

5. 1250 वर्ष का एक युग : एक पौराणिक मान्यता के अनुसार प्रत्येक युग का समय 1250 वर्ष का माना गया है। इस मान से चारों युग की एक चक्र 5 हजार वर्षों में पूर्ण हो जाता है।

“यदा यदा ही धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत अभ्युत्थानम अधर्मस्य तदात्मानं सृजाम्यहम् ||” ये श्लोक तो आपने सुना ही होगा भगवत गीता में जब भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुन से कहा, कि जब-जब धर्म की हानि होती है अधर्म का प्रकोप बढ़ने लगता है तब तब मेरा अवतार इस सृष्टि को पाप मुक्त करने हेतु निश्चित तौर पर होता है। आप यह जान लीजिए जब भी किसी प्रकार की आतताई बढ़ने लगती है तब भगवान का अवतार अवश्य होता है। चाहे वह कौन सा भी युग हो। अभी वर्तमान में कल युग चल रहा है और इस कलयुग में “कल्कि अवतार” होगा ऐसा शास्त्रों का कहना है।

कल्कि अवतार के रूप में भगवान विष्णु अपना दसवां रूप प्रकट करेंगे। अब तक भगवान विष्णु के 9 अवतार हो चुके हैं। जिनमें पहला अवतार “मतस्य” के रूप में दूसरा “कूर्मा” तीसरा “वराह” चौथा अवतार “नरसिम्हा” पांचवा अवतार “वामन” छठा अवतार “परशुराम” सातवाँ “राम” और आठवा “कृष्ण” नौवा “बुद्ध” दसवा “कल्कि” अवतार होगा। ऐसा धार्मिक ग्रंथों का कहना है। यह बात सत्य है कि ऐसा जरूर होगा। लगभग 300 वर्षों से कल्कि अवतार जयंती भी मनाई जा रही है। जयंती को विधिवत मनाने की शुरुआत राजस्थान के मावजी महाराज ने की थी। श्रावण माह के शुक्ल पक्ष के छठवें दिन कल्कि जयंती मनाई जाती है। वर्ल्कि जयंती 2022 03 अगस्त को मनाई जाएगी।

आइए जानते हैं कल्कि जयंती क्यों मनाई जाती है? और मनाने के पीछे का कारण क्या है ? तथा इसके पीछे की शास्त्रार्थ कथा क्या है? यह सभी आप इस लेख में जानने वाले हैं। संपूर्ण लेख को ध्यान पूर्वक पढ़ते रहिए और जानकारी हासिल करते रहिए।

जैसा कि आप जानते हैं वर्तमान समय कलयुग का चल रहा है और इस कलयुग में बताया जाता है कि अंत होते-होते मनुष्य की उम्र 16 वर्ष ही रह जाएगी और कलयुग में टेक्निकली पाप बहुत बढ़ जाएगा। आप ऐसे समझिए कि कलयुग अपनी कला के माध्यम से लोगों पर अत्याचार करेगा और धर्म को झुकने पर मजबूर कर देगा। जब जब भी धर्म की हानि होती है धर्म को नुकसान होता है।

तो भगवान अवश्य उसकी रक्षा हेतु धरती पर अवतरित होते हैं। कल्कि जयंती मनाने के पीछे यही कारण है कि भगवान की स्तुति की जाए और उन्हें जल्द ही अवतरित होने के लिए आमंत्रित किया जाए। ताकि सृष्टि में हो रहे पाप को जल्द से जल्द मिटाया जाए और श्रद्धालु और भक्त गणों को हो रही समस्या से निजात दिलाया जाए।

क्लिक जयंती की शुरुआत आज से 300 वर्ष पहले ही की जा चुकी है। इस जयंती की शुरुआत राजस्थान के मावजी नामक संत द्वारा की गई है। इस जयंती के दिन भगवान विष्णु, कृष्ण के साथ-साथ कल्कि अवतार की भी पूजा अर्चना की जाती है। राजस्थान के जयपुर प्रांत में कल्कि का बहुत बड़ा मंदिर भी है और इस दिन पूजा-अर्चना आदि कर भंडारा आदि किया जाता है। कल्कि जयंती मनाने के पीछे विशेष कारण यही माने जाते हैं कि भगवान की पूजा आराधना करने से भक्तों को शांति मिलती है और उन पर हो रहे अत्याचार का असर नहीं होता।

इन्हीं मान्यताओं के चलते भगवान विष्णु तथा कृष्ण की पूजा अर्चना की जाती है। क्योंकि भगवान विष्णु का दसवां अवतार ही क्लिक अवतार के नाम से जाना जाएगा। विष्णु पुराण में कल्कि अवतार का विस्तार पूर्वक लेख मिलता है। इसे धार्मिक प्रवृत्ति के लोग सच मानते हैं और कुछ अज्ञानी जन इसे भ्रम अर्थात अपवाह मानते हैं। परंतु कलयुग में हो रहे अत्याचार का अंत तो कोई ना कोई दिव्य शक्ति ही करेगी यह तो तय है।

जैसा की हम सब जानते है , कल्कि अवतार भारतवर्ष में ही होगा यह सभी शास्त्रों का और धर्म ज्ञाताओं का कहना है। परंतु अभी तक कल्कि अवतार के जन्म स्थान को लेकर सभी इतिहासकारों और धर्म शास्त्रों में एक रहस्य बना हुआ है। कुछ धर्म शास्त्रों में कल्कि अवतार के स्थान का जिक्र हुआ है और परिवार का विवरण पढ़ने को मिलता है। उसी विवरण के आधार पर हम आपको यह विवरण दे रहे हैं। परंतु यह सही है इसका कोई प्रमाण उपस्थित नहीं है।आइए जानते हैं कल्कि अवतार का जन्म कहां होगा तथा उनका परिवार संबंधी विवरण:-

सबसे बड़ा रहस्य तो यही है कि भारत में यह संभल गांव शहर या राज्य कहां पर है। इसका कोई वास्तविक स्थान का पता नहीं चल पाया है। परंतु कुछ लोग इसे उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश आदि राज्यों में होना बताते हैं। कुछ इतिहासकारों का कहना है कि कल्कि अवतार किसी निम्न कुल में जन्म लेंगे और इनका रंग गोरा होगा तथा पीले वस्त्र धारण करते हुए सुंदर स्वरूप में प्रकट होंगे और कलयुग में हो रहे आतताई का अंत करेंगे। पुराने धर्म ग्रंथों में इस बात का जिक्र अवश्य हुआ है कि कलयुग में कल्कि अवतार होंगे और कलयुग जो कि एक राक्षसी स्वरूप है इसका अंत अर्थात वध करेंगे। जिसे हम कलयुग कहते हैं।

कलयुग वास्तव में एक राक्षस प्रवृत्ति का इंसान है जो अपनी आतताई को इस युग में बड़ी बेपरवाही से फैलाने वाला है। घार्मिक और भोले लोग जो आस्था के रूप में भगवान को पूछते हैं उन्हें इस कलयुग में काफी कष्ट होने वाले हैं। क्योंकि आप अभी भी देख रहे होंगे कि जो धर्म पर अडिग हैं और सत्य बोलने वाले लोग हैं उनका गला अभी से ही कटने लगा है। जो झूठ बोलते हैं उनका बोलबाला अभी से ही बढ़ने लगा है। अब आप सोचिए अगर ऐसी स्थिति लगातार बढ़ती ही रहेगी तो धर्म पर चलने वाले लोग इस कलयुग में कैसे श्वांस ले पाएंगे।

कलयुग में हो रही आतताई हो का अंत करने हेतु ही कली अवतार होगा अब इस अवतार के पीछे बहुत बड़े रहस्य हैं। जिन पर से पर्दा अभी तक नहीं उठाया जा सका है। आइये आगे और जानते है कल्कि जयंती 2022 में क्या क्या होगा ?

कलयुग अवतार के रहस्य को समझते हुए आप एक पौराणिक कथा सुनिए जब राजा परीक्षित जोकि द्वापर युग के अंतिम राजा थे। उस वक्त कलयुग जो कि एक दानव शक्ति है। उन्होंने राजा परीक्षित के स्वर्ण मुकुट में प्रवेश किया था। तब से कलयुग की शुरुआत हुई है। कलयुग की शुरुआत स्वर्ण से ही हुई है। कथा अनुसार राजा परीक्षित के स्वर्ण मुकुट से कलियुगे अपना प्रकोप फैला रहा है। आप अभी वर्तमान समय में देख भी रहे हैं कि सबसे ज्यादा सोने को महत्व दिया जा रहा है। इस पौराणिक कथा के आधार पर यह कहा जा सकता है कि कल्कि अवतार “कलयुग” नामक दैत्य का ही वध करने हेतु अवतरित होंगे।

क्योंकि कलयुग नामक दैत्य अपने युग में धर्म को नष्ट करने के लिए यथासंभव प्रयोग करेगा और जो भी धर्म पर चलने वाले लोग हैं उनका जीना मुश्किल हो जाएगा। पाप अपने चरम सीमा पर होगा और अत्याचार दिन-ब-दिन बढ़ता ही जाएगा। इसी पाप का अंत करने भगवान विष्णु कल्कि अवतार धारण करेंगे और सृष्टि को पाप मुक्त तथा धर्म की पुनः स्थापना करेंगे।

2022 कौन सा युग है?

Kalki Dwadashi 2022: इस साल कल्कि द्वादशी बुधवार, 07 दिसंबर को मनाई जाएगी। इस दिन भगवान विष्णु के 10वें अवतार कल्कि की पूजा का विधान है। विष्णु पुराण के अुसार, विष्णु जी के नौ अवतारों का प्राकट्य हो चुका है, अब कलियुग में उनका 10वां अवतार आएगा। ये उनका आखिरी अवतार होगा।

1 युग कितने वर्ष का होता है?

युगों की काल गणना इस प्रकार है कि कृत युग में चार हजार वर्ष, त्रेता युग में तीन हजार, द्वापर में दो हजार और कलियुग में एक हजार वर्ष। परन्तु एक युग समाप्त होते ही दूसरा युग एकदम आरम्भ नहीं हो जाता, बीच में दो युगों के संधि काल में कुछ वर्ष बीत जाते हैं।

कलयुग कितना बाकी है 2022?

कलयुग कितना बाकी है 😳🤔 ❓ जैसे कि अभी अभी हमने आपको बताया कि कलयुग की आयु 4 लाख 32 हजार वर्ष है। अभी तक कलयुग के केवल 5,122 साल ही बीते हैं। अर्थात कलयुग के अभी भी चार लाख 26 हजार 878 साल बाकी हैं।

वर्तमान में कलयुग का कौन सा वर्ष चल रहा है?

कलियुग का प्रारंभ 3102 ईसा पूर्व से हुआ था, जब पांच ग्रह; मंगल, बुध, शुक्र, बृहस्‍पति और शनि, मेष राशि पर 0 डिग्री पर हो गए थे। इसका मतलब 3102+2020= 5122 वर्ष कलियुग के बित चुके हैं और 426882 वर्ष अभी बाकी है। वर्तमान में यह 28वें चतुर्युगी का कृतयुग बीत चुका है और यह कलियुग चल रहा है।