39 का मानक हिंदी लेखन कौन सा है? - 39 ka maanak hindee lekhan kaun sa hai?

इसे सुनेंरोकेंवर्तनी- लिखने की रीति को वर्तनी या अक्षरी कहते हैं। यह हिज्जे (Spelling) भी कहलाती है। किसी भी भाषा की समस्त ध्वनियों को सही ढंग से उच्चरित करने के लिए ही वर्तनी की एकरूपता स्थिर की जाती है।

स्व वर्तनी क्या है?

इसे सुनेंरोकेंपरिभाषा: वर्तनी शब्द का अर्थ है- अनुसरण करना, अर्थात पीछे-पीछे चलना। भाषा के उच्चरित रूप या बोलने में जो कहा जाता है अथवा उच्चरित किया जाता है, उसी के अनुरूप या अनुसार लिखा भी जाता है; इसे ही वर्तनी कहते हैं। भाषा का लिखित रूप वर्तनी की सहायता लेता है।

कौन से शब्द की वर्तनी अशुद्ध है?

शब्दों की शुद्ध अशुद्ध वर्तनी

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शुद्धअशुद्धअधीनआधीनअनधिकारअनाधिकारआशीर्वादआर्शीवादअपह्नुतिअपन्हुति

मानक वर्तनी क्या है इसके क्या लाभ है?

इसे सुनेंरोकेंहिन्दी वर्तनी के मानकीकरण का इतिहास हिन्दी भाषा के संघ और कुछ राज्यों की राजभाषा स्वीकृत हो जाने के फलस्वरूप देश के भीतर और बाहर हिन्दी सीखने वालों की संख्या में पर्याप्त वृद्धि हो जाने से हिन्दी वर्तनी की मानक पद्धति निर्धारित करना आवश्यक और कालोचित लगा, ताकि हिन्दी शब्दों की वर्तनियों में अधिकाधिक एकरूपता लाई जा सके।

वर्तनी शुद्ध कैसे करें?

शुद्ध वर्तनी लिखने के प्रमुख नियम निम्न प्रकार है

  1. संयुक्त क्रियाओँ मेँ सभी अंगभूत क्रियाओँ को अलग–अलग लिखा जाना चाहिए, जैसे– जाया करता है, पढ़ा करता है, जा सकते हो, खा सकते हो, आदि।
  2. पूर्वकालिक प्रत्यय ‘कर’ को क्रिया से मिलाकर लिखा जाता है, जैसे– सोकर, उठकर, गाकर, धोकर, मिलाकर, अपनाकर, खाकर, पीकर, आदि।

वर्तनी कैसे लिखते हैं?

वर्तनी का सीधा संबंध उच्चारण से होता है।…अनुस्वर (ं), चंद्रबिन्दु (ँ)

  1. संस्कृत शब्दों का अनुस्वार अन्य वर्गीय वर्णों से पहले यथावत् रहेगा।
  2. संयुक्त व्यंजन के रूप में जहाँ पंचम वर्ण के बाद सवर्गीय शेष चार वर्णों में से कोई वर्ण हो तो एकरुपता और मुद्रण/लेखन की सुविधा के लिए अनुस्वार का ही प्रयोग करना चाहिए।

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वर्तनी संबंधी अशुद्धियाँ कितनी प्रकार की हैं?

इसे सुनेंरोकेंशुद्ध रूप – प्रतीक्षा करना। अशुद्ध रूप – प्रयोग होना। शुद्ध रूप – प्रयोग करना। अशुद्ध रूप – प्रश्न पूछना।

वर्तनी सम्बन्धी अशुद्धियाँ कितने प्रकार की होती है?

Answer:

  • शब्द-अर्थ प्रयोग की अशुद्धि …
  • लिंग संबंधी अशुद्धि – …
  • वचन संबंधी अशुद्धि …
  • पदक्रम संबंधी अशुद्धियाँ …
  • पुनरावृत्ति की अशुद्धियाँ/पुनरुक्ति दोष

निम्न में से कौन सा शब्द शुद्ध लिखा हुआ है * निति निती नीति नीती?

इसे सुनेंरोकेंनीती शब्द में वर्तनी की अशुद्धि है। नीती शब्द क्यों अशुद्ध है? नीती की वर्तनी अशुद्ध क्यों है? नीती शब्द में मात्रा की अशुद्धि: (स्वर की उचित मात्रा के प्रयोग न करने के कारण) हुई है।

1 से 100 तक गिनती शुद्ध हिंदी, हमने आपके लिए अच्छे से सूचीबद्ध की है। एक – १ – 1, दो – २ – 2, तीन – ३ – 3 आपके कठिन काम को आसान बना दिया है हमने। आसानी से समझाया है एक-एक चीज। इसके बाद आपसे कोई बोले तो आप 1 से 100 हो या 100 से अनंत तक की गिनती आप आँख मूंदकर देख पाएंगे। लेकिन याद रहे अभ्यास मनुष्य को परिपूर्ण बनाता है।

बोल चाल में तो लोग आसानी से गलत उच्चारण कर के निकल जाते हैं। जब बात आती है कुछ अंकों को हिंदी भाषा में लिखने की तो अच्छे-अच्छों की दिमाग की बत्ती गुल हो जाती है, पसीने निकलने लगते है।

अगर आप भी उनमें से एक हैं जो गिनतियों को हिंदी भाषा में लिखने के वक़्त गडबड़ा जाते हैं। तो अब आप की गडबड़ी सत प्रतिशत नहीं होगी। आप अब हैरान ना हों क्योंकि यहां पर आपको 1 से अनंत तक की गिनतियों को देवनागरी लिपि में सीखने को मिलेगा।

देवनागरी लिपि में लिखना थोड़ा कठिन तो बेशक है। ज़िन्दगी में मजा भी तभी आती है जब आप किसी कठिन काम को यूं ही आसानी से कर लेते हो।

जरूर ध्यान दें 2 जरुरी बात:

1) यदि आप ०-0, १-1, २-2, ३-3, ४-4, ५-5, ६-6, ७-7, ८-8, ९-9 तक बस दस अंकों की पूरी गिनती सीख लेंगे तो आप हिंदी अंक या बोले देवनागरी अंक में 1 से 100 हो या 100 से अनंत तक की गिनती आप आसानी से लिखना सीख जायेंगे।

2) 1 से 100 हो या 100 से अनंत तक की गिनती अगर आप देवनागरी लिपि की शुद्ध हिंदी भाषा के शब्दों में लिखना चाहते है तो आपको थोड़ी ज्यादा मेहनत करनी होगी, आपको 1 से 100 तक की गिनती लिखना जरूर सीखना होगा।

फिर कुछ शब्द जैसे हजार, लाख, करोड़ जैसे कुछ और शब्द सीखना होगा। फिर आप आसानी से अनंत तक की गिनती लिख पाएंगे। आपके लिए हमने कुछ शब्दों और अंकों को मोटे अक्षरों में किया है उन पर जरूर ध्यान दें क्योंकि अक्सर आप वहीं गलतियां कर बैठते हैं। सबसे पहले एक से सौ तक को शुद्ध हिंदी में लिखना सीखें।

1 से 100 तक की गिनती हिंदी शब्द, देवनागरी लिपि, और अंक में लिखना सीखें।

1 से 10 तक की गिनती

अक्सर देखा जाता है कि लोग 1 से 10 तक में 6 और 9 में गलतियां करते हैं।

हिंदी शब्ददेवनागरी लिपिअंकएक१1दो२2तीन३3चार४4पॉंच५5छह ✓
छः ✘६6सात७7आठ८8नौ ✓
नो ✘९9दस१०10

11 से 20 तक की गिनती

यदि बात 11 से 20 तक की हो तो 17, 18 और 19 में आकर लोग धोखा खा जाते हैं। उन्हें तो लगता है कि सही है लेकिन बहुत कम ही लोग सही रहते हैं। तो सीखिए 11 से 20 तक में अधिकतर गलती होने वाले अंकों को। यहां आप देखोगे कि आप क्या लिखते हो या क्या उच्चारण करते हो और सही क्या होना चाहिए।

हिंदी शब्ददेवनागरी लिपिअंकग्यारह११11बारह१२12तेरह१३13चौदह१४14पऺद्रह१५15सोलह१६16सत‍्रह ✓
सतरे ✘
सतरा ✘१७17अट्ठारह ✓
अठारा ✘
अठारे ✘१८18उन्नीस ✓
उनिस ✘१९19बीस20

21 से 30 तक की गिनती

कुछ वैसी ही गलतियां हमलोग सभी अंकों में करते हैं। अक्सर 21 से 30 तक में हम इ और ई के इस्तेमाल में गड़बड़ा जाते हैं। क्यूं होती है न गड़बड़? Comment में बताओ जल्दी

हिंदी शब्ददेवनागरी लिपिअंकइक्कीस२१21बाईस ✓२२22तेईस ✓२३23चौबीस२४24पच्चीस२५25छब्बीस२६26सत्ताईस ✓२७27अट्ठाईस ✓२८28उनतीस२९29तीस३०30

31 से 40 तक की गिनती

31 से 40 तक में हम बस 39 में ही उलझते हैं। एक बार ध्यान से सीखें फिर कभी गलती नहीं होगी।

हिंदी शब्ददेवनागरी लिपिअंकइकतीस३१31बत्तीस३२32तैंतीस३३33चौंतीस३४34पैंतीस३५35छत्तीस३६36सैंतीस३७37अड़तीस३८38उनतालीस ✓३९39चालीस४०40

41 से 50 तक की गिनती

41 से 50 तक में हम अक्सर 43, 44 और 49 को लिखने में या उच्चारण में गलती कर बैठते हैं। कुछ लोग तो 43 को तिरालिस बोलते हैं जो कि गलत है। 

हिंदी शब्ददेवनागरी लिपिअंकइकतालीस४१41बयालीस४२42तैंतालीस ✓
तिरालिस ✘४३43चौंवालीस ✓
चवालिस ✘४४44पैंतालीस४५45छियालीस४६46सैंतालीस४७47अड़तालीस४८48उनचास ✓
उणनचास ✘४९49पचास५०50

51 से 60 तक की गिनती

ठीक वैसे ही हम 51 से 60 में 54, 55 और 59 में गलती करते हैं। मोटे अंक जो लिखे हुए उसे एक बार जरूर ध्यान से पढ़िएगा।

हिंदी शब्ददेवनागरी लिपिअंकइक्यावन५१51बावन५२52तिरेपन५३53चौवन ✓
चउवन ✘५४54पचपन ✓
पिचपन ✘५५55छप्पन५६56सत्तावन५७57अट्ठावन५८58उनसठ ✓
गुणसठ ✘५९59साठ६०60

61 से 70 तक की गिनती

65 और 69 को शुद्ध हिंदी में लिखना अब आसान हुआ। तो देखिए आखिर इन अंकों की शुद्ध हिंदी क्या होती है।

हिंदी शब्ददेवनागरी लिपिअंकइकसठ६१61बासठ६२62तिरेसठ६३63चौंसठ६४64पैंसठ ✓६५65छियासठ६६66सड़सठ६७67अड़सठ६८68उनहत्तर ✓६९69सत्तर७०70

71 से 80 तक की गिनती

71 से 80 तक के गिनतियों में हर बार गलती होती होगी। 71, 73, 75, 77 और 79 को लिखने में बेशक आप भ्रम में चले जाते होंगे।

हिंदी शब्ददेवनागरी लिपिअंकइकहतर ✓
इकतर ✘७१71बहतर७२72तिहतर ✓
तेहतर ✘७३73चौहतर७४74पचहतर ✓
पिचतर ✘७५75छिहतर७६76सतहतर ✓
सततर ✘७७77अठहतर७८78उनासी ✓
गुणासी ✘७९79अस्सी८०80

81 से 90 तक की गिनती

82, 83, 85 और 89 को लिखने में अब कोई शंका नहीं होगी।

हिंदी शब्ददेवनागरी लिपिअंकइक्यासी८१81बयासी ✓
बईयासी ✘८२82तिरासी ✓
तेरासी ✘८३83चौरासी८४84पचासी ✓
पिचयासी ✘८५85छियासी८६86सत्तासी८७87अठ्ठासी८८88नवासी ✓
नव्वासी ✘८९89नब्बे९०90

91 से 100 तक की गिनती

91 से 99 तक में हम ब और व को लिखने में हमेशा सोचने लगते हैं। तो आपको बता दें अब आराम से व का इस्तेमाल करें।

हिंदी शब्ददेवनागरी लिपिअंकइक्यानवे९१91बानवे९२92तिरानवे९३93चौरानवे९४94पंचानवे९५95छियानवे९६96सतानवे९७97अट्ठानवे९८98निन्यानवे९९99सौ१००100

उम्मीद है कि आप अब किसी भी हिंदी अंकों को शुद्ध हिंदी में बेहिचक लिख सकते हैं। आपको यह भी जानकारी मिल गई होगी कि हम हिंदी अंकों को लिखने के लिए दशमलव पद्यती का इस्तेमाल करते हैं। आशा है कि अब आप शुद्ध हिंदी अंकों को बिल्कुल शुद्ध लिखेंगे। अब 100 से आगे की गिनती के लिए कुछ महत्वपूर्ण शब्दों को लिखना सीखें।

हिंदी का मानक रूप कौन सा है?

मानक हिंदी से तात्पर्य, खड़ी बोली से विकसित और नागरी लिपि में लिखी जाने वाली उस मानक भाषा से है जिसे उच्च हिंदी या परिनिष्ठित हिंदी भी कहा जाता है। यही हिंदी भारत की राष्ट्रभाषा, राजभाषा तथा संपर्क भाषा है। यही शिक्षा, प्रशासन, वाणिज्य, समाचार-पत्र, कला और संस्कृति की विभिन्न विधाओं के लिये सम्प्रेषण का माध्यम है।

मानक भाषा की पहचान कैसे करें?

मानक भाषा का अर्थ हिन्दी भाषा के उस स्थिर रूप से है जो अपने पूरे क्षेत्र में शब्दावली तथा व्याकरण की दृष्टि से समरूप है। इसलिए वह सभी लोगों द्वारा मान्य है, सभी लोगों द्वारा सरलता से समझी जा सकती है। अन्य भाषा रूपों के मुकाबले वह अधिक प्रतिष्ठित है। मानक हिन्दी भाषा ही देश की अधिकृत हिन्दी भाषा है।

मानक भाषा का एक और नाम क्या है?

मानक भाषा को आदर्श, टकसाली तथा परिनिष्ठित भाषा भी कहते हैं। ऐसी भाषा का एक निश्चित व्याकरण होता है। मानक भाषा के लिखने, पढ़ने और बोलने में समरुपता होती है।

मानक हिंदी के कितने प्रकार हैं?

परिभाषा manak bhasha ki रॉबिन्स (१९६६) के अनुसार सामाजिक दृष्टि से महत्त्वपूर्ण लोगों की बोली को मानक भाषा का नाम दिया जाता है। स्टिवर्ट (१९६८) ने प्रकृति, आंतरिक व्यवस्था तथा सामाजिक प्रयोग आदि के आधार पर भाषा के विभिन्न प्रकारों में अंतर दिखाने के लिए चार आधार माने हैं