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42 वें संविधान संशोधन 42 वें संविधान संशोधन 1976 में लागू होने से क्षेत्र के द्वारा जो यह मामला संपत्ति का अधिकार है वह पहले मूल अधिकार में आता था उसे पहले से संविधान के द्वारा इसे समवर्ती सूची में सम्मिलित कर दिया गया है धन्यवाद Romanized Version भारतीय संविधान की एक अहम विशेषता यह है कि इसमें कठोरता और लचीलापन दोनों का अच्छा समावेश है। इसका अर्थ यह हुआ कि संविधान में परिस्थितियों एवं आवश्यकताओं के अनुसार इसे परिवर्तित करने की व्यवस्था दी गई है। संशोधन की यह प्रक्रिया ब्रिटेन के समान आवश्यकता से अधिक आसान अथवा अमेरिका के समान अत्यधिक कठिन नहीं है। संशोधन की प्रक्रिया के
आवश्यकता से अधिक आसान होने से इसके दुरूपयोग की संभावनाएं बढ़ जाती हैं और अत्यधिक कठिन होने से त्रुटियों को सुधारना भी कठिन हो जाता है | इस लेख में हम आपको यह बताने का प्रयास करेंगे कि भारतीय संविधान के संशोधन की क्या प्रक्रियाएं हैं और 42 वां संशोधन इतना महत्त्व क्यों रखता है | राजनीती
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संविधान संशोधन की प्रक्रियासंविधान के भाग -20 के अनुच्छेद-368 में भारत के संसद को संविधान में संशोधन की शक्ति प्रदान की गई है। इस अनुच्छेद में प्रावधान है कि संसद अपनी शक्ति का प्रयोग करते हुए संविधान के किसी भी उपबंध का परिवर्धन, परिवर्तन या निरसन कर सकती है। इस अनुच्छेद में संशोधन की निम्नांकित प्रक्रियाओं का वर्णन किया गया है :-
संशोधनों के प्रकारसंविधान में कुल 3 प्रकार के संशोधनों की व्याख्या की गई है :- 1) संसद के विशेष बहुमत द्वारा:-संविधान के ज्यादातर उपबंधों का संशोधन संसद के विशेष बहुमत द्वारा किया जाता है अर्थात् प्रत्येक सदन के कुल सदस्यों का बहुमत और प्रत्येक सदन के उपस्थित और मतदान के सदस्यों के दो-तिहाई का बहुमत (66%) । इस तरह से संशोधन व्यवस्था में शामिल हैं— (i) मूल अधिकार (ii) राज्य की नीति के निदेशक तत्व, और; (iii) वे सभी उपबंध, जो अन्य 2 श्रेणियों से संबद्ध नहीं हैं। 2) संसद तथा आधे राज्यों द्वारा साधारण बहुमत के माध्यम से संस्तुति द्वारा : इसके तहत ऐसे उपबंधों का संशोधन किया जाता है जो संविधान के संघीय ढाँचे से सम्बन्ध रखते हैं | निम्नलिखित उपबंधों को इसके तहत संशोधित किया जा सकता है:-
3) संसद के साधारण बहुमत द्वारा : उल्लेखनीय है कि प्रथम 2 प्रकार के संशोधन अनुच्छेद 368 के तहत आते हैं ,जबकि तीसरे प्रकार का संशोधन अन्य अनुच्छेदों के अंतर्गत आता है | संविधान के अनेक उपबंध संसद के दोनों सदनों के साधारण बहुमत से संशोधित किए जा सकते हैं। इन व्यवस्थाओं के उदहारण हैं:
42 वें संविधान संशोधन के प्रावधानआज तक भारतीय संविधान में जितने भी संशोधन हुए हैं उनमें 42 वें संशोधन ,1976 का अहम राजनैतिक स्थान है | इस संशोधन के प्रावधान इतने व्यापक व महत्वपूर्ण थे कि इसे अपने आप में एक लघु संविधान (Mini Constitution) के नाम से जाना जाता है | इस संशोधन अधिनियम ने स्वर्ण सिंह समिति की सिफारिशों को लागु करने की आधारशिला रखी | इस संशोधन अधिनियम के मुख्य प्रावधान निम्नवत हैं :-
(नोट : 42 वें संशोधन अधिनियम के कई प्रावधानों को 1978 में जनता पार्टी की सरकार ने 44 वें संशोधन अधिनयम द्वारा निरस्त कर दिया) केशवानंद भारती वाद क्या है ?भारत में संविधान संशोधन की प्रक्रिया ने शुरू से ही विवादों को जन्म दिया है | सरकारों पर ये आरोप लगते रहे हैं कि उन्होंने विधि प्रक्रिया से बाहर जा कर अपने हित में कानून में हस्तक्षेप किया है | इसी पृष्ठभूमि में उच्चतम न्यायालय ने 1973 के केशवानंद भारती बनाम केरल सरकार वाद में चर्चित मूल संवैधानिक ढाँचे की व्यवस्था दी | इस केस में उच्चतम न्यायालय ने कहा कि यद्यपि संसद संविधान के किसी भी हिस्से को संशोधित करने के लिए स्वतंत्र है , हालांकि संविधान की उन व्यवस्थाओं को संशोधित नहीं किया जा सकता, जो संविधान के मूल ढांचे से संबंधित हों। हालाँकि न्यायालय ने “मूल ढाँचे” की कोई स्पष्ट परिभाषा नही दी ,तथापि विभिन्न फैसलों के आधार पर निम्नलिखित की ‘मूल संरचना’ अथवा इसके तत्वों अवयवों/ घटकों के रूप में पहचान की जा सकती है:
अन्य सम्बंधित लिंक : 42 वें संविधान संशोधन द्वारा समवर्ती सूची में कौन से विषय जोड़े गए हैं?* शिक्षा, वन, वन्यजीवों एवं पक्षियों का संरक्षण, नाप-तौल और न्याय प्रशासन तथा उच्चतम और उच्च न्यायालय के अलावा सभी न्यायालयों के गठन और संगठन के विषयों को राज्य सूची से समवर्ती सूची में स्थानांतरित किया गया.
42 वां संविधान संशोधन में क्या जोड़ा गया?इस संशोधन के द्वारा भारत के सर्वोच्च न्यायालय तथा उच्च न्यायालयोंकी उन शक्तियों को कम करने का प्रयत्न किया गया जिनमें वे किसी कानून की संवैधानिक वैधता की समीक्षा कर सकते हैं। इस संशोधन को कभी-कभी 'लघु-संविधान' (मिनी-कॉन्स्टिट्यूशन) या 'कान्स्टिट्यूशन ऑफ इन्दिरा' भी कहा जाता है।
42वें संवैधानिक संशोधन द्वारा प्रस्तावना में कौन सा शब्द जोड़ा गया?सन 1976 में 42वें संविधान संशोधन अधिनियम द्वारा इसमें संशोधन किया गया था जिसमें तीन नए शब्द समाजवादी, धर्मनिरपेक्ष और अखंडता को जोड़ा गया था I.
समवर्ती सूची का विषय क्या है?समवर्ती सूची के विषय (Subject Of Concurrent List). आर्थिक योजना/नियोजन. योजना आयोग. आपराधिक मामले. जनसंख्या नियंत्रण व परिवार नियोजन. शिक्षा. विद्युत. दण्ड प्रक्रिया. |