5 महाभारत के युद्ध में कौन से दो राजा तटस्थ रहे? - 5 mahaabhaarat ke yuddh mein kaun se do raaja tatasth rahe?

These NCERT Solutions for Class 7 Hindi Vasant & Bal Mahabharat Katha Class 7 Questions Answers Summary in Hindi Chapter 27 पांडवों और कौरवों के सेनापति are prepared by our highly skilled subject experts.

Bal Mahabharat Katha Class 7 Questions Answers in Hindi Chapter 27

पाठाधारित प्रश्न

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
भीष्म के सेनापति बनने पर कर्ण ने क्या निर्णय लिया?
उत्तर:
कर्ण ने निर्णय लिया कि भीष्म के मारे जाने के बाद वह युद्धभूमि में प्रवेश करेगा और केवल अर्जुन को ही मारेगा।

प्रश्न 2.
कौरवों के सेनापति कौन थे?
उत्तर:
कौरवों के सेनापति पितामह भीष्म थे।

प्रश्न 3.
पांडव की सेना को कितने हिस्सों में बाँटा गया?
उत्तर:
पांडवों की सेना को सात हिस्सों में बाँटा गया।

प्रश्न 4.
कौरव सेना के पहले सेनापति कौन बने?
उत्तर:
कौरव सेना के पहले सेनापति भीष्म पितामह बने।

प्रश्न 5.
महाभारत युद्ध के दौरान कौन-कौन से राजा तटस्थ रहे?
उत्तर:
महाभारत युद्ध के दौरान एक बलराम तथा दूसरे भोजकर के राजा रुक्मी तटस्थ रहे। इन्होंने युद्ध में किसी के तरफ़ से भाग नहीं लिया।

प्रश्न 6.
अर्जुन के भ्रम को दूर करने के लिए श्रीकृष्ण ने युद्ध के मैदान में क्या किया?
उत्तर:
अर्जुन के भ्रम को दूर करने के लिए श्रीकृष्ण ने युद्ध क्षेत्र में कर्म योग का उपदेश दिया।

प्रश्न 7.
भीष्म के नेतृत्व में कौरवों ने कितने दिनों तक युद्ध किया?
उत्तर:
भीष्म के नेतृत्व में कौरवों ने 10 दिनों तक युद्ध किया।

प्रश्न 8.
पांडवों ने अपनी सेना का सेनापति किसे बनाया?
उत्तर:
पांडवों ने अपनी सेना का सेनापति कुमार धृष्टद्युम्न को बनाया।

प्रश्न 9.
कर्ण की मृत्यु के बाद कौरवों का सेनापति किसे बनाया गया?
उत्तर:
कर्ण की मृत्यु के बाद कौरवों ने अपना सेनापति शल्य को बनाया।

प्रश्न 10.
महाभारत का युद्ध कितने दिनों तक चला?
उत्तर:
महाभारत का युद्ध अठारह दिनों तक चला।

प्रश्न 11.
युधिष्ठिर को कौरव सेना की ओर जाते देखकर श्रीकृष्ण ने अर्जुन से क्या कहा?
उत्तर:
युधिष्ठिर को कौरव सेना की ओर जाते देखकर श्रीकृष्ण ने अर्जुन से कहा-‘अर्जुन मैं समझ गया हूँ कि महाराज युधिष्ठिर की क्या इच्छा है। वे बिना बड़ों का आदेश लिए युद्ध करना अनुचित मानते हैं। उनका उद्देश्य यही है।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
युद्ध के लिए अनुमति माँगने गए युधिष्ठिर से भीष्म ने क्या कहा?
उत्तर:
युद्ध के लिए अनुमति माँगने गए युधिष्ठिर से भीष्म ने कहा- “बेटा युधिष्ठिर, मुझे तुमसे यही आशा थी। मैं स्वतंत्र नहीं हूँ। विवश होकर मुझे तुम्हारे विरोध में युद्ध करना पड़ रहा है, लेकिन मेरी यही कामना है कि रण में विजय तुम्हारी हो।”

प्रश्न 2.
युद्ध शुरू होने से पहले लोगों ने ऐसी कौन-सी घटना देखी जिससे वहाँ के लोग आश्चर्यचकित रह गए?
उत्तर:
कुरुक्षेत्र की रणभूमि में दोनों पक्षों के लोग इंतज़ार कर रहे थे कि कब युद्ध शुरू हो। एकाएक पांडव सेना के बीच हलचल मच गई। युधिष्ठिर ने अचानक अपना कवच धनुष और बाण उतारकर हाथ जोड़े कौरव सेना की हथियारबंद भीड़ को चीरते हुए भीष्म की ओर पैदल चले गए। बिना सूचना दिए उनको इस प्रकार जाते देखकर दोनों पक्ष वाले लोग अचंभित हो गए। शत्रु सेना को हटाते हुए युधिष्ठिर सीधे पितामह भीष्म के पास पहुँचे और पहुँचकर तथा झुककर उनके चरण स्पर्श किए। फिर बोले- पितामह! हमने आपके साथ युद्ध करने का दुःसाहस कर ही लिया। कृपया हमें युद्ध की अनुमति दें और आशीर्वाद भी कि इस युद्ध में विजश्री प्राप्त करूँ।

Bal Mahabharat Katha Class 7 Summary in Hindi Chapter 27

श्रीकृष्ण उपप्लव्य पहुँचकर पांडवों को हस्तिनापुर का सारा हाल सुनाया। युधिष्ठिर ने अपने भाइयों से युद्ध की तैयारी के लिए कहा। पांडवों ने विशाल सेना को सात भागों में बाँट दिया। द्रुपद, विराट, धृष्टद्युम्न, शिखंडी, सात्यकि, चेकितान, भीमसेन आदि सात महारथी, इन सात दलों के नायक बने। अब प्रश्न उठा कि पांडवों का सेनापति किसे बनाया जाए? सबकी राय ली गई? धृष्टद्युम्न को पांडव सेनापति बनाया गया।

दूसरे तरफ़ कौरव पक्ष में भीष्म ने कहा कि लड़ाई की घोषणा करते समय मेरे से सुझाव नहीं लिया गया। अतः मैं पांडु-पुत्रों का वध नहीं करूँगा। कर्ण सदैव हमारा विरोध करता रहा है, अतः उसे सेनापति बना दिया जाय। दुर्योधन ने भीष्म पितामह को ही कौरवों का सेनापति बनाया। कर्ण ने कहा जब तक भीष्म पितामह जीवित हैं मैं युद्ध भूमि में प्रवेश नहीं करूँगा। सिर्फ अर्जुन को मारने के लिए युद्ध में प्रवेश करूँगा। फलतः कर्ण तब तक युद्ध से अलग रहे।

इधर युद्ध की तैयारियों के मध्य ही बलराम एक दिन पांडवों की छावनी में पहुँचे और बोले मैंने कृष्ण को अनेक बार कहा था, कौरव-पांडव हमारे लिए बराबर हैं, लेकिन अर्जुन के प्रेम के कारण तुम्हारे पक्ष में आ गए। दुर्योधन व भीम दोनों मेरे शिष्य हैं। मैं तो उनको लड़ते-लड़ते मरते देख नहीं सकता। अतः मैं युद्ध स्थान में किसी के तरफ़ से नहीं रहूँगा। मैं जा रहा हूँ। मैं तटस्थ रहूँगा। महाभारत के युद्ध में पूरे भारत वर्ष में दो ही राजाओं ने युद्ध में भाग नहीं लिया। वे तटस्थ रहे- एक बलराम और दूसरे भोजकर के राजा रुक्मी। राजा रुक्मी की छोटी बहन रुक्मिणी श्रीकृष्ण की पत्नी थी।

युद्ध का समाचार सुनकर रुक्मी एक अक्षौहिणी सेना लेकर आया था। रुक्मी के अहंकार के कारण दोनों पक्षों ने उनका प्रस्ताव ठुकरा दिया था। कुरुक्षेत्र के मैदान में दोनों पक्षों की सेनाएँ आमने-सामने खड़ी होकर युद्ध नीति पर चलने की प्रतिज्ञाएँ लीं। दोनों पक्षों की व्यूह रचनाएँ हो गईं। श्रीकृष्ण ने गीता के उपदेश से अर्जुन के भ्रम को दूर किया। तब अर्जुन का मोह भंग हुआ। युद्ध शुरू होने वाला था कि युधिष्ठिर ने अपना कवच उतारकर सीधे पितामह भीष्म के पास गए और झुककर चरण स्पर्श किए। पितामह से उन्होंने कहा- “पितामह हमने आपके साथ युद्ध का दुस्साहस कर ही लिया। कृपया हमें युद्ध की अनुमति दीजिए और आशीर्वाद भी कि हम युद्ध में विजय प्राप्त करें। पितामह बोले- “बेटा युधिष्ठिर! मैं स्वतंत्र नहीं हूँ। तुम्हारे विपक्ष में लड़ना पड़ रहा है फिर भी मेरी कामना है कि रण में विजय तुम्हारी हो।

भीष्म से आज्ञा और आशीर्वाद लेकर युधिष्ठिर इसी प्रकार आचार्य द्रोण, कुलगुरु कृपाचार्य व मद्रराज शल्य के पास जाकर आशीर्वाद लिया और अनुमति माँगी। उन सबने उनको आशीर्वाद दिया और युद्ध की विवशता बताई।

युद्ध के प्रारंभ में सबसे पहले बराबर वाले एक जैसे हथियार लेकर दो-दो की जोड़ी में लड़ने लगे। प्रत्येक योद्धा युद्ध धर्म का पालन करते युद्ध करने लगे।

पितामह भीष्म के नेतृत्व में दस दिन तक युद्ध चला। भीष्म के आहत होने पर द्रोणाचार्य को सेनापति नियुक्त किया गया। द्रोणाचार्य के बाद दो दिन कर्ण सेनापति रहे और अठाहरवें दिन शल्य सेनापति बने। महाभारत का युद्ध कुल अठारह दिन चला।

शब्दार्थ:

पृष्ठ संख्या-68- चर्चा – खबर, सुसज्जित – अच्छी तरह से सजा हुआ, सुचारु – ठीक, विशाल – बड़ा, राय – सलाह, दृष्टि – नज़र, कोलाहल – शोर, ऋण – कर्ज, सम्मति – राय।

पृष्ठ संख्या-69- विपक्ष – विरोधी, सम्मिलित – शामिल, सहायता – मदद, प्रतिष्ठा – इज्जत।

पृष्ठ संख्या-70- कतार – पंक्ति, हथियारबंद – हथियार के साथ।

पृष्ठ संख्या-71- अनुमति–आज्ञा, स्वतंत्र-आज़ाद, रण-युद्ध, कामना-चाह, परिक्रमा-चारों ओर घूमना, विवश-लाचार, स्वर्गवास-देहांत, संचालन-देख-रेख करना, नियुक्त-बहाल, तैनात।

महाभारत के युद्ध में कौन से दो राजा तटस्थ रहे?

महाभारत युद्ध के समय सारे भारतवर्ष में, सिर्फ दो ही राजा युद्ध में शामिल नहीं हुए थे एक बलराम और दूसरे भोजकट के राजा रुक्मी। रुक्मी की छोटी बहन रुक्मिणी श्रीकृष्ण की पत्नी थीं।

महाभारत के युद्ध में कौन से दो राजा विरत रहे और क्यों?

Answer: महाभारत युद्ध में जिन दो महान योद्धाओं ने भाग नहीं लिया था, उनके नाम हैं- बलराम और भोजकट के राजा रुक्मी। कहते हैं कि बलराम ने महाभारत युद्ध में हिस्सा ना लेने से पहले श्री कृष्ण से इस बारे में बात की थी। बलराम का कहना था कि दुर्योधन और अर्जुन दोनों ही उनके मित्र हैं।

महाभारत के युद्ध में कौन कौन बचा था?

बच गए योद्धा : महाभारत के युद्ध के पश्चात कौरवों की तरफ से 3 और पांडवों की तरफ से 15 यानी कुल 18 योद्धा ही जीवित बचे थे जिनके नाम हैं- कौरव के : कृतवर्मा, कृपाचार्य और अश्वत्थामा, जबकि पांडवों की ओर से युयुत्सु, युधिष्ठिर, अर्जुन, भीम, नकुल, सहदेव, कृष्ण, सात्यकि आदि।

महाभारत के युद्ध में कौन कौन शामिल नहीं हुए थे?

विदर्भ, शाल्व, चीन, लौहित्य, शोणित ,नेपा, कोंकण, कर्नाटक, केरल, आन्ध्र, द्रविड़ आदि ने इस युद्ध में भाग नहीं लिया।