Show कुछ विशेष ध्यान देने योग्य बातें :
जनसंचार माध्यम और लेखनजनसंचार माध्यम
इस प्रक्रिया को संपन्न करने में सहयोगी तरीके तथा उपकरण संचार के माध्यम कहलाते हैं। संचार के मूल तत्त्व : संचारक या स्रोत, एन्कोडिंग (कूटीकरण), संदेश (जिसे संचारक प्राप्तकर्ता तक पहुँचाना चाहता है), माध्यम (संदेश को प्राप्तकर्ता तक पहुँचाने वाला माध्यम होता है जैसे- ध्वनि-तरंगें, वायु-तरंगें, टेलीफोन, समाचारपत्र, रेडियो, टी वी आदि), प्राप्तकर्त्ता (डीकोडिंग कर संदेश को प्राप्त करने वाला), फीडबैक (संचार प्रक्रिया में प्राप्तकर्त्ता की प्रतिक्रिया), शोर (संचार प्रक्रिया में आने वाली बाधा) संचार के प्रमुख प्रकार : सांकेतिक संचार, मौखिक संचार, अमौखिक संचार, अंत:वैयक्तिक संचार, अंतरवैयक्तिक संचार, समूह संचार, जन संचार।
पत्रकारिता के विविध आयाम
विशेषीकृत पत्रकारिता के प्रमुख क्षेत्र– संसदीय पत्रकारिता, न्यायालय पत्रकारिता, आर्थिक पत्रकारिता, खेल पत्रकारिता, विज्ञान और विकास पत्रकारिता, अपराध पत्रकारिता, फैशन और फिल्म पत्रकारिता। विभिन्न माध्यमों के लिए लेखन प्रमुख जनसंचार माध्यम– प्रिंट, टी.वी., रेडियो और इंटरनेट
मुद्रित माध्यम की विशेषताएँ :
मुद्रित माध्यम की सीमाएँ/ दोष :
मुद्रित माध्यमों में लेखन के लिए ध्यान रखने योग्य बातें :
रेडियो एक श्रव्य माध्यम है । इसमें शब्द एवं आवाज का महत्त्व होता है। रेडियो एक रेखीय माध्यम है। रेडियो समाचार की संरचना उल्टा पिरामिड शैली पर आधारित होती है। उल्टापिरामिड शैली में समाचर को तीन भागों में बाँटा जाता है- इंट्रो, बॉडी और समापन। इसमें तथ्यों को महत्त्व के क्रम से प्रस्तुत किया जाता है, सर्वप्रथम सबसे ज्यादा महत्त्वपूर्ण तथ्य को तथा उसके उपरांत महत्त्व की दृष्टि से घटते क्रम में तथ्यों को रखा जाता है। रेडियो समाचार-लेखन के लिए बुनियादी बातें :
टी.वी. खबरों के विभिन्न चरण : दूरदर्शन मे कोई भी सूचना निम्न चरणों या सोपानों को पार कर दर्शकों तक पहुँचती है –
इंटरनेट पत्रकारिता : इंटरनेट पर समाचारों का प्रकाशन या आदान-प्रदान इंटरनेट पत्रकारिता कहलाता है। इंटरनेट पत्रकारिता दो रूपों में होती है। प्रथम- समाचार संप्रेषण के लिए नेट का प्रयोग करना । दूसरा- रिपोर्टर अपने समाचार को ई-मेल द्वारा अन्यत्र भेजने व समाचार को संकलित करने तथा उसकी सत्यता, विश्वसनीयता सिद्ध करने के लिए करता है। रीडिफ डॉट कॉम, इंडियाइंफ़ोलाइन व सीफी भारत में सच्चे अर्थों में वेब पत्रकारिता करने वाली साइटे है। टाइम्स आफ इंडिया , हिंदुस्तान टाइम्स, इंडियन एक्सप्रैस , हिंदू, ट्रिब्यून आदि समाचार-पत्र इंटरनेट पर उपलब्ध हैं। प्रभा साक्षी नाम का अखबार प्रिंट रूप में न होकर सिर्फ नेट पर उपलब्ध है । हिंदी वेब जगत में अनुभूति, अभिव्यक्ति, हिंदी नेस्ट, सराय आदि साहित्यिक पत्रिकाएँ चल रही हैं। इंटरनेट पत्रकारिता का इतिहास: विश्व-स्तर पर इंटरनेट पत्रकारिता का विकास निम्नलिखित चरणों में हुआ- (१) प्रथम चरण-1982 से 1992 (२) द्वितीय चरण-1993 से 2001 (३) तृतीय चरण- 2002 से अब तक भारत में इंटरनेट पत्रकारिता इसका पहला चरण 1983 से तथा दूसरा चरण 2003 से शुरू माना जाता है। भारत में सच्चे अर्थों में वेब पत्रकारिता करने वाली साइटें रीडिफ डॉट कॉम, इंडिया इफोलाइन व सीफी हैं । रीडिफ को भारत की पहली साइट कहा जाता है । वेब साइट पर विशुद्ध पत्रकारिता शुरू करने का श्रेय तहलका डॉट कॉम को जाता है। हिंदी में नेट पत्रकारिता ’वेब दुनिया’के साथ शुरू हुई। यह हिन्दी का संपूर्ण पोर्टल है। प्रभा साक्षी नाम का अखबार प्रिंट रूप में न होकर सिर्फ नेट पर ही उपलब्ध है। आज पत्रकारिता के लिहाज से हिन्दी की सर्व श्रेष्ठ साइट बीबीसी की है, जो इंटरनेट के मानदंडों के अनुसार चल रही है। हिन्दी वेब जगत में अनुभूति, अभिव्यक्ति, हिन्दी नेस्ट, सराय आदि साहित्यिक पत्रिकाएँ भी अच्छा काम कर रही हैं। अभी हिन्दी वेब जगत की सबसे बड़ी समस्या मानक की बोर्ड तथा फोंट की है। डायनमिक फोंट के अभाव के कारण हिन्दी की ज्यादातर साइटें खुलती ही नहीं हैं । पत्रकारीय लेखन के विभिन्न रूप और लेखन प्रक्रिया पत्रकारीय लेखन– समाचार माध्यमों मे काम करने वाले पत्रकार अपने पाठकों तथा श्रोताओं तक सूचनाएँ पहुँचाने के लिए लेखन के विभिन्न रूपों का इस्तेमाल करते हैं, इसे ही पत्रकारीय लेखन कहते हैं। पत्रकारिता या पत्रकारीय लेखन के अन्तर्गत सम्पादकीय, समाचार , आलेख, रिपोर्ट, फीचर , स्तम्भ तथा कार्टून आदि आते हैं। पत्रकारीय लेखन का प्रमुख उद्देश्य है- सूचना देना, शिक्षित करना तथा मनोरंजन आदि करना। इसके कई प्रकार हैं यथा- खोज परक पत्रकारिता, वॉचडॉग पत्रकारिता और एड्वोकैसी पत्रकारिता आदि। पत्रकारीय लेखन का संबंध समसामयिक विषयों, विचारों व घटनाओं से है। पत्रकार को लिखते समय यह ध्यान रखना चाहिए वह सामान्य जनता के लिए लिख रहा है, इसलिए उसकी भाषा सरल व रोचक होनी चाहिए। वाक्य छोटे व सहज हों। कठिन भाषा का प्रयोग नहीं किया जाना चाहिए। भाषा को प्रभावी बनाने के लिए अनावश्यक विशेषणों,जार्गन्स (अरचलित शब्दावली) और क्लीशे (पिष्टोक्ति, दोहराव) का प्रयोग नहीं होना चहिए। पत्रकार के प्रकार- पत्रकार तीन प्रकार के होते हैं ।
समाचार लेखन– समाचार उलटा पिरामिड शैली में लिखे जाते हैं, यह समाचार लेखन की सबसे उपयोगी और लोकप्रिय शैली है। इस शैली का विकास अमेरिका में गृह-यद्ध के दौरान हुआ। इसमें महत्त्वपूर्ण घटना का वर्णन पहले प्रस्तुत किया जाता है, उसके बाद महत्त्व की दृष्टि से घटते क्रम में घटनाओं को प्रस्तुत कर समाचार का अंत होता है। समाचार में इंट्रो, बॉडी और समापन के क्रम में घटनाएँ प्रस्तुत की जाती हैं । समाचार के छ: ककार– समाचार लिखते समय मुख्य रूप से छ: प्रश्नों- क्या, कौन, कहाँ, कब , क्यों और कैसे का उत्तर देने की कोशिश की जाती है। इन्हें समाचार के छ: ककार कहा जाता है। प्रथम चार प्रश्नों के उत्तर इंट्रो में तथा अन्य दो के उत्तर समापन से पूर्व बॉडी वाले भाग में दिए जाते हैं । फीचर: फीचर एक सुव्यवस्थित, सृजनात्मक और आत्मनिष्ठ लेखन है । फीचर लेखन का उद्देश्य: फीचर का उद्देश्य मुख्य रूप से पाठकों को सूचना देना, शिक्षित करना तथा उनका मनोरंजन करना होता है। फीचर और समचार में अंतर: समाचार में रिपोर्टर को अपने विचरों को डालने की स्वतंत्रता नहीं होती, जबकि फीचर में लेखक को अपनी राय , दृष्टिकोण और भावनाओं को जाहिर करने का अवसर होता है । समाचार उल्टा पिरामिड शैली में लिखे जाते हैं, जबकि फीचर लेखन की कोई सुनिश्चित शैली नहीं होती । फीचर में समाचारों की तरह शब्दों की सीमा नहीं होती। आमतौर पर फीचर , समाचार रिपोर्ट से बडे़ होते हैं । पत्र-पत्रिकाओं में प्राय: 250 से 2000 शब्दों तक के फीचर छपते हैं । विशेष रिपोर्ट : सामान्य समाचारों से अलग वे विशेष समाचार जो गहरी छान-बीन, विश्लेषण और व्याख्या के आधार पर प्रकाशित किये जाते हैं, विशेष रिपोर्ट कहलाते हैं । विशेष रिपोर्ट के प्रकार:
विचारपरक लेखन : समाचार-पत्रों में समाचार एवं फीचर के अतिरिक्त संपादकीय, लेख, पत्र, टिप्पणी, वरिष्ठ पत्रकारों व विशेषज्ञों के स्तम्भ छपते हैं । ये सभी विचारपरक लेखन के अन्तर्गत आते हैं । संपादकीय : संपादक द्वारा किसी प्रमुख घटना या समस्या पर लिखे गए विचारात्मक लेख को, जिसे संबंधित समाचारपत्र की राय भी कहा जाता है, संपादकीय कहते हैं । संपादकीय किसी एक व्यक्ति का विचार या राय न होकर समग्र पत्र-समूह की राय होता है, इसलिए संपादकीय में संपादक अथवा लेखक का नाम नहीं लिखा जाता । स्तम्भ लेखन: एक प्रकार का विचारत्मक लेखन है। कुछ महत्त्वपूर्ण लेखक अपने खास वैचारिक रुझान एवं लेखन शैली के लिए जाने जाते हैं। ऐसे लेखकों की लोकप्रियता को देखकर समाचरपत्र उन्हें अपने पत्र में नियमित स्तम्भ- लेखन की जिम्मेदारी प्रदान करते हैं। इस प्रकार किसी समाचार-पत्र में किसी ऐसे लेखक द्वारा किया गया विशिष्ट व नियमित लेखन जो अपनी विशिष्ट शैली व वैचारिक रुझान के कारण समाज में ख्याति प्राप्त हो, स्तम्भ लेखन कहा जाता है । संपादक के नाम पत्र : समाचार पत्रों में संपादकीय पृष्ठ पर तथा पत्रिकाओं की शुरुआत में संपादक के नाम आए पत्र प्रकाशित किए जाते हैं । यह प्रत्येक समाचारपत्र का नियमित स्तम्भ होता है । इसके माध्यम से समाचार-पत्र अपने पाठकों को जनसमस्याओं तथा मुद्दों पर अपने विचार एवम राय व्यक्त करने का अवसर प्रदान करता है । साक्षात्कार/इंटरव्यू: किसी पत्रकार के द्वारा अपने समाचार पत्र में प्रकाशित करने के लिए, किसी व्यक्ति विशेष से उसके विषय में अथवा किसी विषय या मुद्दे पर किया गया प्रश्नोत्तरात्मक संवाद साक्षात्कार कहलाता है । विशेष लेखन: स्वरूप और प्रकार विशेष लेखन किसी खास विषय पर सामान्य लेखन से हट कर किया गया लेखन है । जिसमें राजनीतिक, आर्थिक, अपराध, खेल, फिल्म,कृषि, कानून विज्ञान और अन्य किसी भी मत्त्वपूर्ण विषय से संबंधित विस्तृत सूचनाएँ प्रदान की जाती हैं। डेस्क : समाचारपत्र, पत्रिकाओं, टीवी और रेडियो चैनलों में अलग-अलग विषयों पर विशेष लेखन के लिए निर्धारित स्थल को डेस्क कहते हैं। और उस विशेष डेस्क पर काम करने वाले पत्रकारों का भी अलग समूह होता है। यथा, व्यापार तथा कारोबार के लिए अलग तथा खेल की खबरों के लिए अलग डेस्क निर्धारित होता है। बीट : विभिन्न विषयों से जुडे़ समाचारों के लिए संवाददाताओं के बीच काम का विभाजन आम तौर पर उनकी दिलचस्पी और ज्ञान को ध्यान में रख कर किया जाता है। मीडिया की भाषा में इसे बीट कहते हैं। बीट रिपोर्टिंग तथा विशेषीकृत रिपोर्टिंग में अन्तर: बीट रिपोर्टिंग के लिए संवाददाता में उस क्षेत्र के बारे में जानकारी व दिलचस्पी का होना पर्याप्त है, साथ ही उसे आम तौर पर अपनी बीट से जुडी़ सामान्य खबरें ही लिखनी होती हैं। किन्तु विशेषीकृत रिपोर्टिंग में सामान्य समाचारों से आगे बढ़कर संबंधित विशेष क्षेत्र या विषय से जुडी़ घटनाओं, समस्याओं और मुद्दों का बारीकी से विश्लेषण कर प्रस्तुतीकरण किया जाता है। बीट कवर करने वाले रिपोर्टर को संवाददाता तथा विशेषीकृत रिपोर्टिंग करने वाले रिपोर्टर को विशेष संवाददाता कहा जाता है। विशेष लेखन की भाषा-शैली: विशेष लेखन की भाषा-शैली सामान्य लेखन से अलग होती है। इसमें संवाददाता को संबंधित विषय की तकनीकी शब्दावली का ज्ञान होना आवश्यक होता है, साथ ही यह भी आवश्यक होता है कि वह पाठकों को उस शब्दावली से परिचित कराए जिससे पाठक रिपोर्ट को समझ सकें। विशेष लेखन की कोई निश्चित शैली नहीं होती। विशेष लेखन के क्षेत्र : विशेष लेखन के अनेक क्षेत्र होते हैं, यथा- अर्थ-व्यापार, खेल, विज्ञान-प्रौद्योगिकी, कृषि, विदेश, रक्षा, पर्यावरण शिक्षा, स्वास्थ्य, फ़िल्म-मनोरंजन, अपराध, कानून व सामाजिक मुद्दे आदि। गत सी.बी.एस.ई. परीक्षा-2016 के तीनों सेट के प्रश्नों के उत्तर सेट- ए
उत्तर :
सेट- बी
उत्तर :
सेट- सी
उत्तर :
(1.) सामाजिक संपर्क स्थापित करना व (2.) स्वयं को अभिव्यक्त करने की क्षमता का विकास।
(1.) किसी भी समय हम स्वयं को अपडेट कर सकते हैं व (2.) बहुत कम समय में बहुत अधिक जानकारी का सुलभ होना ।
सी.बी.एस.ई. द्वारा जारी आदर्श प्रश्न-पत्र में जनसंचार के प्रश्नोत्तर
उत्तर :
परीक्षोपयोगी प्रमुख प्रश्नोत्तर
उत्तर : समाचार-पत्र और पत्रिका
उत्तर : समाचारों को संकलित-संपादित कर मुद्रण एवं प्रसारण।
उत्तर : हिंदी का पहला साप्ताहिक पत्र ‘उदंत मार्तंड’ को माना जाता है, जो कलकत्ता से पंडित जुगल किशोर शुक्ल के संपादन में निकला था।
उत्तर : महात्मा गांधी, लोकमान्य तिलक, मदन मोहन मालवीय, माखनलाल चतुर्वेदी, गणेश शंकर विद्यार्थी, महावीर प्रसाद द्विवेदी, प्रताप नारायण मिश्र, बालमुकुंद गुप्त आदि।
उत्तर : केसरी, हिन्दुस्तान, सरस्वती, हंस, कर्मवीर, आज, प्रताप, प्रदीप, विशाल भारत आदि।
उत्तर : प्रमुख समाचारपत्र- नवभारत टाइम्स, जनसत्ता, नई दुनिया, हिन्दुस्तान, अमर उजाला, दैनिक भास्कर, दैनिक जागरण आदि। प्रमुख पत्रिकाएं– धर्मयुग, साप्ताहिक हिन्दुस्तान, दिनमान, रविवार, इंडिया टुडे, आउट लुक आदि। प्रमुख पत्रकार- अज्ञेय, रघुवीर सहाय, धर्मवीर भारती, मनोहरश्याम जोशी, राजेन्द्र माथुर, प्रभाष जोशी आदि ।
उत्तर : पत्रकारीय लेखन का प्रमुख उद्देश्य सूचना प्रदान करना होता है, इसमें तथ्यों की प्रधानता होती है, जबकि साहित्यिक सृजनात्मक लेखन भाव, कल्पना एवं सौंदर्य-प्रधान होता है।
उत्तर : संपादकीय, फ़ोटो पत्रकारिता, कार्टून कोना , रेखांकन और कार्टोग्राफ।
उत्तर : जिज्ञासा का।
उत्तर : छपाई वाले संचार माध्यम को प्रिंट मीडिया कहते हैं।इसे मुद्रण-माध्यम भी कहा जाता है।समाचार-पत्र ,पत्रिकाएँ, पुस्तकें आदि इसके प्रमुख रूप हैं।
उत्तर : जिस जन संचार में इलैक्ट्रानिक उपकरणों का सहारा लिया जाता है, इसे इलैक्टॉनिक माध्यम कहते हैं। रेडियो, दूरदर्शन , इंटरनेट प्रमुख इलैक्ट्रानिक माध्यम हैं।
उत्तर : सन 1936 में
उत्तर : एफ.एम. (फ्रिक्वेंसी माड्युलेशन) रेडियो की शुरूआत सन 1993 से हुई ।
उत्तर : जिसमें तथ्यों को महत्त्व के क्रम से प्रस्तुत किया जाता है, सर्वप्रथम सबसे ज्यादा महत्त्वपूर्ण तथ्य को तथा उसके उपरांत महत्त्व की दृष्टि से घटते क्रम में तथ्यों को रखा जाता है उसे उल्टा पिरामिड शैली कहते हैं । उल्टापिरामिड शैली में समाचार को तीन भागों में बाँटा जाता है-इंट्रो,प बॉडी और समापन। अभिव्यक्ति माध्यम क्या होता है?विभिन्न माध्यमों के लिए लेखन
लेखन अभिव्यक्ति का एक माध्यम है , जिस प्रकार व्यक्ति बोलकर अपनी भावनाओं तथा विचारों को दूसरों तक पहुंचाता है। उसी प्रकार लेखन अपने विचार विनिमय का एक माध्यम है। आज लेखन का विभिन्न क्षेत्रों में प्रयोग किया जा रहा है जैसे – पत्र-पत्रिका , सिनेमा , रेडियो , समाचार , साहित्य आदि के लिए।
अभिव्यक्ति के प्रमुख माध्यम कौन कौन से हैं?प्रत्यक्ष संवाद के बजाय किसी तकनीकी या यान्त्रिक माध्यम के द्वारा समाज के एक विशाल वर्ग से संवाद कायम करना जनसंचार कहलाता है। 3. जनसंचार के माध्यम: अखबार, रेडियो, टीवी, इंटरनेट, सिनेमा आदि.
अभिव्यक्ति और माध्यम की भाषा में संचार से क्या तात्पर्य है?इस प्रकार सूचनाओं, विचारों और भावनाओं को लिखित, मौखिक या दृश्य-श्रव्य माध्यमों के ज़रिये सफलतापूर्वक एक जगह से दूसरी जगह पहुँचाना ही संचार है और इस प्रक्रिया को अंजाम देने में मदद करनेवाले तरीके संचार माध्यम कहलाते हैं। इस तरह हमने देखा कि संचार एक घटना के बजाए प्रक्रिया है ।
श्रव्य माध्यम का स्वरूप क्या है?श्रव्य माध्यमः स्वरूप और विशेषताएँ, रेडियो का विकास, रेडियो नाटक, समाचार लेखन, उद्घोषणा लेखन, श्रव्य–माध्यम में भाषा की प्रकृति, साहित्यिक विधाओं का रेडियो में रूपान्तरण । दृश्य-श्रव्य माध्यम : स्वरूप और विशेषताएँ टी. वी. और सिनेमा का विकास, पटकथा लेखन, विज्ञापन लेखन, टी.
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