अभिव्यक्ति का प्रभावी माध्यम क्या है? - abhivyakti ka prabhaavee maadhyam kya hai?

अभिव्यक्ति का प्रभावी माध्यम क्या है? - abhivyakti ka prabhaavee maadhyam kya hai?
प्रस्तुति-गुलाब चंद जैसल

कुछ विशेष ध्यान देने योग्य बातें :

  • एक-एक अंक के पांच प्रश्न बोर्ड परीक्षा में आते हैं जिनका संक्षेप में सारगर्भित उत्तर देना चाहिए।
  • पांच में से पांच अंक प्राप्त करने के लिए कुछ बातों का यदि हम ध्यान रखें तो यह बहुत आसान है।
  • प्रश्न विशेष रूप से तथ्यपरक होते हैं, अत: उत्तर लिखते समय सही तथ्यों को ध्यान में रखा जाना चाहिए। तथ्यों तथा विचारों की पुनरावृत्ति नहीं करनी चाहिए।
  • उत्तर बिंदुवार लिखें, मुख्य बिंदु को सबसे पहले लिखें।
  • शुद्ध वर्तनी का ध्यान रखें।
  • उत्तर साफ-सुथरा बिना काट-छांट के पठनीय होना चाहिए।
  • उत्तर में अनावश्यक बातें नहीं लिखनी चाहिए।
  • सी.बी.एस.ई. परीक्षा में प्रत्येक प्रश्न-पत्र के तीन सेट होते हैं, जिनमें प्रायः सभी प्रश्न-पत्रों में जनसंचार माध्यम के पांच प्रश्न अलग-अलग होते हैं। कभी तीनों सेट में सभी प्रश्न एक जैसे हो सकते हैं, अथवा उनमें आंशिक समानता/ भिन्नता भी हो सकती है।
  • बहुत बार देखा गया है कि गत वर्षों के प्रश्न-पत्रों से कुछ प्रश्न अगले वर्षों के प्रश्न-पत्रों में दे दिए जाते हैं। अतः यहां कुछ स्थानों पर प्रश्नोत्तर की पुरनावृति देखी जा सकती है।
  • साफ-सफाई के कोई अतिरिक्त अंक नहीं है, फिर भी इसका प्रभाव अंकों पर अवश्य पड़ता है। अतः पांचों प्रश्नों के उत्तर क्रमानुसार लिखेंगे तथा प्रत्येक उत्तर के बाद एक अथवा दो पंक्तियां छोड़कर साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखेंगे।

 जनसंचार माध्यम और लेखन     

जनसंचार माध्यम

  1. संचार : ‘संचार’ शब्द चर् धातु के साथ सम् उपसर्ग जोड़ने से बना है- इसका अर्थ है चलना या एक स्थान से दूसरे स्थान तक पहुँचना। संचार संदेशों का आदान-प्रदान है। सूचनाओं, विचारों और भावनाओं का लिखित, मौखिक या दृश्य-श्रव्य माध्यमों के जरिये सफलता पूर्वक आदान-प्रदान करना या एक जगह से दूसरी जगह पहुँचाना संचार है।

इस प्रक्रिया को संपन्न करने में सहयोगी तरीके तथा उपकरण संचार के माध्यम कहलाते हैं।

संचार के मूल तत्त्व : संचारक या स्रोत,  एन्कोडिंग (कूटीकरण), संदेश (जिसे संचारक प्राप्तकर्ता तक पहुँचाना चाहता है), माध्यम (संदेश को प्राप्तकर्ता तक पहुँचाने वाला माध्यम होता है जैसे- ध्वनि-तरंगें, वायु-तरंगें, टेलीफोन, समाचारपत्र, रेडियो, टी वी आदि), प्राप्तकर्त्ता (डीकोडिंग कर संदेश को प्राप्त करने वाला), फीडबैक (संचार प्रक्रिया में प्राप्तकर्त्ता की प्रतिक्रिया), शोर (संचार प्रक्रिया में आने वाली बाधा)

संचार के प्रमुख प्रकार : सांकेतिक संचार, मौखिक संचार, अमौखिक संचार, अंत:वैयक्तिक संचार, अंतरवैयक्तिक संचार, समूह संचार, जन संचार।

  1. जनसंचार : प्रत्यक्ष संवाद के बजाय किसी तकनीकी या यान्त्रिक माध्यम के द्वारा समाज के एक विशाल वर्ग से संवाद कायम करना जनसंचार कहलाता है।
  2. जनसंचार के माध्यम : अखबार, रेडियो, टीवी, इंटरनेट, सिनेमा आदि.
  3. जनसंचार की विशेषताएँ :
  • इसमें फीडबैक तुरंत प्राप्त नहीं होता।
  • इसके संदेशों की प्रकृति सार्वजनिक होती है।
  • संचारक और प्राप्तकर्त्ता के बीच कोई सीधा संबंध नहीं होता।
  • जनसंचार के लिये एक औपचारिक संगठन की आवश्यकता होती है।
  • इसमें ढेर सारे द्वारपाल काम करते हैं।
  1. जनसंचार के प्रमुख कार्य:
  • सूचना देना
  • शिक्षित करना
  • मनोरंजन करना
  • निगरानी करना
  • एजेंडा तय करना
  • विचार-विमर्श के लिए मंच उपलब्ध कराना आदि।

 पत्रकारिता के विविध आयाम

  1. पत्रकारिता : ऐसी सूचनाओं का संकलन एवं संपादन कर आम पाठकों तक पहुँचाना, जिनमें अधिक से अधिक लोगों की रुचि हो तथा जो अधिक से अधिक लोगों को प्रभावित करती हों,  पत्रकारिता कहलाता है। देश-विदेश में घटने वाली घटनाओं की सूचनाओं को संकलित एवं संपादित कर समाचार के रूप में पाठकों तक पहुँचाने की क्रिया/ विधा को पत्रकारिता कहते हैं।
  2. समाचार : समाचार किसी भी ऐसी ताजा घटना, विचार या समस्या की रिपोर्ट है,जिसमें अधिक से अधिक लोगों की रुचि हो और जिसका अधिक से अधिक लोगों पर प्रभाव पड़ता हो ।
  3. समाचार के तत्त्व : पत्रकारिता की दृष्टि से किसी भी घटना, समस्या व विचार को समाचार का रूप धारण करने के लिए उसमें निम्न तत्त्वों में से अधिकांश या सभी का होना आवश्यक होता है:   नवीनता, निकटता, प्रभाव, जनरुचि, संघर्ष, महत्त्वपूर्ण लोग, उपयोगी जानकारियाँ, अनोखापन आदि ।
  • डेडलाइन- समाचार माध्यमों के लिए समाचारों को कवर करने के लिये निर्धारित समय-सीमा को डेडलाइन कहते हैं।
  • डेटलाइन- समाचार पत्र की दिनांक को डेटलाइन कहते हैं।
  1. संपादन : प्रकाशन के लिए प्राप्त समाचार सामग्री से उसकी अशुद्धियों को दूर करके पठनीय तथा प्रकाशन योग्य बनाना संपादन कहलाता  है।
  2. संपादकीय: संपादक द्वारा किसी प्रमुख घटना या समस्या पर लिखे गए विचारात्मक लेख को, जिसे संबंधित समाचारपत्र की राय भी कहा जाता है, संपादकीय कहते हैं।संपादकीय किसी एक व्यक्ति का विचार या राय न होकर समग्र पत्र-समूह की राय होता है, इसलिए संपादकीय में संपादक अथवा लेखक का नाम नहीं लिखा जाता ।
  3. पत्रकारिता के प्रमुख प्रकार:
  4. खोजी पत्रकारिता– जिसमें आम तौर पर सार्वजनिक महत्त्व के मामलों जैसे, भ्रष्टाचार, अनियमितताओं और गड़बड़ियों की गहराई से छानबीन कर सामने लाने की कोशिश की जाती है। स्टिंग ऑपरेशन खोजी पत्रकारिता का ही एक नया रूप है।
  5. वॉचडॉग पत्रकारिता– लोकतंत्र में पत्रकारिता और समाचार मीडिया का मुख्य उत्तरदायित्व सरकार के कामकाज पर निगाह रखना है और कोई गड़बड़ी होने पर उसका पर्दाफाश करना होता है, परंपरागत रूप से इसे वॉचडॉग पत्रकारिता कहते हैं। इसे खोजी पत्रकारिता भी कहते हैं।
  6. एडवोकेसी पत्रकारिता– इसे पक्षधर पत्रकारिता भी कहते हैं। किसी खास मुद्दे या विचारधारा के पक्ष में जनमत बनाने के लिए लगातार अभियान चलाने वाली पत्रकारिता को एडवोकेसी पत्रकारिता कहते हैं।
  7. पीत पत्रकारिता– पाठकों को लुभाने के लिये झूठी अफवाहों, आरोपों-प्रत्यारोपों, प्रेम संबंधों आदि से संबंधित सनसनी खेज समाचारों से संबंधित पत्रकारिता को पीत पत्रकारिता कहते हैं।
  8. पेज थ्री पत्रकारिता– ऐसी पत्रकारिता जिसमें फैशन, अमीरों की पार्टियों , महफ़िलों और जानेमाने लोगों के निजी जीवन के बारे में बताया जाता है।
  9. वैकल्पिक पत्रकारिता- मुख्य धारा के मीडिया के विपरीत जो मीडिया स्थापित व्यवस्था के विकल्प को सामने लाकर उसके अनुकूल सोच को अभिव्यक्त करता है उसे वैकल्पिक पत्रकारिता कहा जाता है ।आम तौर पर इस तरह के मीडिया को सरकार और बड़ी पूँजी का समर्थन प्राप्त नहीं होता और न ही उसे बड़ी कंपनियों के विज्ञापन मिलते हैं।
  10. विशेषीकृत पत्रकारिता– किसी विशेष क्षेत्र की विशेष जानकारी देते हुए उसका विश्लेषण करना विशेषीकृत पत्रकारिता है।

विशेषीकृत पत्रकारिता के प्रमुख क्षेत्र– संसदीय पत्रकारिता, न्यायालय पत्रकारिता, आर्थिक पत्रकारिता, खेल पत्रकारिता, विज्ञान और विकास पत्रकारिता, अपराध पत्रकारिता, फैशन और फिल्म पत्रकारिता।

विभिन्न माध्यमों के लिए लेखन

   प्रमुख जनसंचार माध्यम– प्रिंट, टी.वी., रेडियो और इंटरनेट

  1. प्रिंट माध्यम (मुद्रित माध्यम)-
  • जनसंचार के आधुनिक माध्यमों में सबसे पुराना माध्यम है ।
  • आधुनिक छापाखाने का आविष्कार जर्मनी के गुटेनबर्ग ने किया।
  • भारत में पहला छापाखाना सन 1556 में गोवा में खुला, इसे ईसाई मिशनरियों ने धर्म-प्रचार की पुस्तकें छापने के लिए खोला था
  • मुद्रित माध्यमों के अन्तर्गत अखबार, पत्रिकाएँ, पुस्तकें आदि आती हैं ।

मुद्रित माध्यम की विशेषताएँ :

  • छपे हुए शब्दों में स्थायित्व होता है, इन्हें सुविधा अनुसार किसी भी प्रकार से पढा़ जा सकता है।
  • यह माध्यम लिखित भाषा का विस्तार है।
  • यह चिंतन, विचार- विश्लेषण का माध्यम है।

        मुद्रित माध्यम की सीमाएँ/ दोष :

  • निरक्षरों के लिए मुद्रित माध्यम किसी काम के नहीं होते।
  • ये तुरंत घटी घटनाओं को संचालित नहीं कर सकते।
  • इसमें स्पेस तथा शब्द सीमा का ध्यान रखना पड़ता है।
  • इसमें एक बार समाचार छप जाने के बाद अशुद्धि-सुधार नहीं किया जा सकता।

मुद्रित माध्यमों में लेखन के लिए ध्यान रखने योग्य बातें :

  • भाषागत शुद्धता का ध्यान रखा जाना चाहिए।
  • प्रचलित भाषा का प्रयोग किया जाए।
  • समय, शब्द व स्थान की सीमा का ध्यान रखा जाना चाहिए।
  • लेखन में तारतम्यता एवं सहज प्रवाह होना चाहिए।
  1. रेडियो (आकाशवाणी) :

रेडियो एक श्रव्य माध्यम है । इसमें शब्द एवं आवाज का महत्त्व होता है। रेडियो एक रेखीय माध्यम है। रेडियो समाचार की संरचना उल्टा पिरामिड शैली पर आधारित होती है। उल्टापिरामिड शैली में समाचर को तीन भागों में बाँटा जाता है- इंट्रो, बॉडी और समापन। इसमें तथ्यों को महत्त्व के  क्रम से  प्रस्तुत किया जाता है, सर्वप्रथम सबसे ज्यादा महत्त्वपूर्ण तथ्य को तथा उसके उपरांत महत्त्व की दृष्टि से घटते  क्रम में तथ्यों  को रखा जाता   है।

रेडियो समाचार-लेखन के लिए बुनियादी बातें :

  • समाचार वाचन के लिए तैयार की गई कापी साफ-सुथरी और टाइप्ड कॉपी हो ।
  • कॉपी को ट्रिपल स्पेस में टाइप किया जाना चाहिए।
  • पर्याप्त हाशिया छोडा़ जाना चाहिए।
  • अंकों को लिखने में सावधानी रखनी चाहिए।
  • संक्षिप्ताक्षरों के प्रयोग से बचा जाना चाहिए।
  1. टेलीविजन (दूरदर्शन) : भारत में टेलीविजन का प्रारंभ 15 सितंबर 1959 को हुआ । यूनेस्को की एक शैक्षिक परियोजना के अन्तर्गत दिल्ली के आसपास के एक गाँव में दो टी.वी. सैट लगाए गए, जिन्हें 200 लोगों ने देखा । सन 1965 के बाद विधिवत्‌ टीवी सेवा आरंभ हुई । सन 1976 में दूरदर्शन  नामक निकाय की स्थापना हुई।जनसंचार का सबसे लोकप्रिय  व सशक्त माध्यम है। इसमें ध्वनियों के साथ-साथ दृश्यों का भी  समावेश होता है। इसके लिए  समाचार  लिखते समय इस बात का ध्यान रखा जाता है कि शब्द व पर्दे पर दिखने वाले दृश्य में समानता हो।
  • लाइव : किसी घटना का घटना-स्थल से सीधा प्रसारण लाइव कहलाता है।

 टी.वी. खबरों के विभिन्न चरण :

दूरदर्शन मे कोई भी सूचना निम्न चरणों या सोपानों को पार कर दर्शकों तक पहुँचती है –

  1. फ़्लैश या ब्रेकिंग न्यूज (समाचार को कम-से-कम शब्दों में दर्शकों तक तत्काल पहुँचाना)
  2. ड्राई एंकर (एंकर द्वारा शब्दों में खबर के विषय में बताया जाता है)
  3. फोन इन (एंकर रिपोर्टर से फ़ोन पर बात कर दर्शकों तक सूचनाएँ पहुँचाता है )
  4. एंकर-विजुअल (समाचार के साथ-साथ संबंधित दृश्यों को दिखाया जाना)
  5. एंकर-बाइट (एंकर का प्रत्यक्षदर्शी या संबंधित व्यक्ति के कथन या बातचीत द्वारा प्रामाणिक खबर प्रस्तुत करना)
  6. लाइव (घटनास्थल से खबर का सीधा प्रसारण)
  7. एंकर-पैकेज (इसमें एंकर द्वारा प्रस्तुत सूचनाएँ; संबंधित घटना के दृश्य, बाइट,ग्राफ़िक्स आदि व्यवस्थित ढंग से दिखाई जाती हैं)
  8. इंटरनेट: इंटरनेट विश्वव्यापी अंतर्जाल है, संसार का सबसे नवीन व लोकप्रिय माध्यम है। इसमें जनसंचार के सभी माध्यमों के गुण समाहित हैं। यह जहाँ सूचना, मनोरंजन, ज्ञान और व्यक्तिगत एवं सार्वजनिक संवादों के आदान-प्रदान के लिए श्रेष्ठ माध्यम है, वहीं अश्लीलता, दुष्प्रचार  व गंदगी फैलाने का भी जरिया है ।

इंटरनेट पत्रकारिता : इंटरनेट पर समाचारों का प्रकाशन या आदान-प्रदान इंटरनेट पत्रकारिता कहलाता है। इंटरनेट पत्रकारिता दो रूपों में होती है। प्रथम- समाचार संप्रेषण के लिए नेट का प्रयोग करना । दूसरा- रिपोर्टर अपने समाचार को ई-मेल  द्वारा अन्यत्र भेजने  व  समाचार को संकलित करने  तथा  उसकी सत्यता, विश्वसनीयता सिद्ध करने के लिए करता है। रीडिफ डॉट कॉम, इंडियाइंफ़ोलाइन व सीफी भारत में सच्चे अर्थों में वेब पत्रकारिता करने वाली साइटे है। टाइम्स आफ इंडिया , हिंदुस्तान टाइम्स, इंडियन एक्सप्रैस , हिंदू, ट्रिब्यून आदि समाचार-पत्र इंटरनेट  पर उपलब्ध हैं। प्रभा साक्षी नाम का अखबार  प्रिंट रूप में न होकर सिर्फ नेट पर उपलब्ध है । हिंदी वेब जगत में अनुभूति, अभिव्यक्ति, हिंदी नेस्ट, सराय आदि साहित्यिक पत्रिकाएँ चल रही हैं।

इंटरनेट पत्रकारिता का इतिहास:

विश्व-स्तर पर इंटरनेट पत्रकारिता का विकास निम्नलिखित चरणों में हुआ-

(१) प्रथम चरण-1982 से 1992

(२) द्वितीय चरण-1993 से 2001

(३) तृतीय चरण- 2002 से अब तक

भारत में इंटरनेट पत्रकारिता

इसका पहला चरण 1983 से तथा दूसरा चरण  2003 से शुरू माना जाता है। भारत में सच्चे अर्थों में वेब पत्रकारिता करने वाली साइटें रीडिफ डॉट कॉम, इंडिया इफोलाइन व सीफी हैं । रीडिफ को भारत की पहली साइट कहा जाता है ।  वेब साइट पर विशुद्ध पत्रकारिता  शुरू करने का श्रेय  तहलका डॉट कॉम को जाता है।

हिंदी में नेट पत्रकारिता

’वेब दुनिया’के साथ शुरू हुई। यह हिन्दी का संपूर्ण पोर्टल है।  प्रभा साक्षी  नाम का अखबार  प्रिंट रूप में न होकर सिर्फ नेट पर ही उपलब्ध है। आज पत्रकारिता के लिहाज से हिन्दी की सर्व श्रेष्ठ साइट बीबीसी की है, जो इंटरनेट के मानदंडों के अनुसार चल रही है। हिन्दी वेब जगत में अनुभूति, अभिव्यक्ति, हिन्दी नेस्ट, सराय आदि साहित्यिक पत्रिकाएँ भी अच्छा काम कर रही हैं। अभी हिन्दी वेब जगत की सबसे बड़ी समस्या मानक की बोर्ड तथा फोंट  की है। डायनमिक फोंट  के अभाव के कारण हिन्दी की ज्यादातर साइटें खुलती ही नहीं हैं ।

पत्रकारीय लेखन के विभिन्न रूप और लेखन प्रक्रिया

पत्रकारीय लेखन–

समाचार माध्यमों मे काम करने वाले  पत्रकार अपने पाठकों  तथा श्रोताओं तक सूचनाएँ पहुँचाने के लिए लेखन के  विभिन्न रूपों का इस्तेमाल करते हैं, इसे ही पत्रकारीय लेखन कहते हैं। पत्रकारिता या पत्रकारीय लेखन के अन्तर्गत  सम्पादकीय, समाचार , आलेख, रिपोर्ट, फीचर , स्तम्भ तथा कार्टून आदि आते हैं। पत्रकारीय लेखन का प्रमुख उद्देश्य है- सूचना देना, शिक्षित करना तथा मनोरंजन आदि करना। इसके कई प्रकार हैं यथा- खोज परक पत्रकारिता, वॉचडॉग पत्रकारिता और एड्वोकैसी पत्रकारिता आदि। पत्रकारीय लेखन का संबंध समसामयिक विषयों, विचारों व घटनाओं से है। पत्रकार को लिखते समय यह ध्यान रखना चाहिए वह सामान्य जनता के लिए लिख रहा है, इसलिए उसकी  भाषा सरल व रोचक होनी चाहिए। वाक्य छोटे व सहज हों। कठिन भाषा का प्रयोग नहीं किया जाना चाहिए। भाषा को प्रभावी बनाने के लिए  अनावश्यक विशेषणों,जार्गन्स (अरचलित शब्दावली) और क्लीशे (पिष्टोक्ति, दोहराव) का प्रयोग नहीं होना चहिए।

पत्रकार के प्रकार- पत्रकार तीन प्रकार के होते हैं ।

  • पूर्ण कालिक
  • अंशकालिक (स्ट्रिंगर)
  • फ्रीलांसर या स्वतंत्र पत्रकार

समाचार लेखन–

समाचार उलटा पिरामिड शैली में लिखे जाते हैं, यह समाचार लेखन की सबसे उपयोगी और लोकप्रिय शैली है। इस शैली का विकास अमेरिका में गृह-यद्ध के दौरान हुआ। इसमें महत्त्वपूर्ण घटना  का वर्णन पहले प्रस्तुत किया जाता है, उसके बाद महत्त्व की दृष्टि से घटते क्रम में घटनाओं को प्रस्तुत कर समाचार का अंत होता है। समाचार में इंट्रो, बॉडी और समापन के क्रम में घटनाएँ प्रस्तुत की जाती हैं ।

समाचार के छ: ककार–

समाचार लिखते समय मुख्य रूप से छ: प्रश्नों- क्या, कौन, कहाँ, कब , क्यों और कैसे का उत्तर देने की कोशिश की जाती है। इन्हें समाचार के छ: ककार कहा जाता है। प्रथम चार प्रश्नों के उत्तर इंट्रो में तथा अन्य दो के उत्तर समापन से पूर्व बॉडी वाले भाग में दिए जाते हैं ।

फीचर: फीचर  एक सुव्यवस्थित, सृजनात्मक और आत्मनिष्ठ लेखन है ।

फीचर लेखन का उद्देश्य: फीचर  का उद्देश्य मुख्य रूप से पाठकों को सूचना देना, शिक्षित करना तथा उनका मनोरंजन करना होता है।

फीचर और समचार में अंतर:  समाचार में रिपोर्टर को अपने विचरों को डालने की स्वतंत्रता नहीं होती, जबकि फीचर  में लेखक को अपनी राय , दृष्टिकोण और भावनाओं को जाहिर करने का अवसर होता  है । समाचार उल्टा पिरामिड शैली में लिखे जाते हैं, जबकि फीचर  लेखन की कोई सुनिश्चित शैली नहीं होती । फीचर  में समाचारों की तरह शब्दों की सीमा नहीं होती। आमतौर पर फीचर , समाचार रिपोर्ट से बडे़ होते हैं । पत्र-पत्रिकाओं में प्राय: 250 से 2000 शब्दों तक के फीचर  छपते हैं ।

विशेष रिपोर्ट :

सामान्य समाचारों से अलग वे विशेष समाचार जो गहरी छान-बीन, विश्लेषण और व्याख्या के आधार पर प्रकाशित किये जाते हैं, विशेष रिपोर्ट कहलाते हैं ।

विशेष रिपोर्ट के प्रकार:

  1. खोजी रिपोर्ट : इसमें अनुपल्ब्ध तथ्यों को गहरी छान-बीन कर सार्वजनिक किया जाता है।
  2. इन्डेप्थ रिपोर्ट: सार्वजनिक रूप से प्राप्त तथ्यों की गहरी छान-बीन कर उसके महत्त्वपूर्ण पक्षों को पाठकों के सामने लाया जाता है ।
  3. विश्लेषणात्मक रिपोर्ट : इसमें किसी घटना या समस्या का विवरण सूक्ष्मता के साथ विस्तार से दिया जाता है। रिपोर्ट अधिक विस्तृत होने पर कई दिनों तक किश्तों में प्रकाशित की जाती है।
  4. विवरणात्मक रिपोर्ट : इसमें किसी घटना या समस्या को विस्तार एवं बारीकी के साथ प्रस्तुत किया जाता है।

विचारपरक लेखन :

समाचार-पत्रों में समाचार एवं फीचर  के अतिरिक्त संपादकीय, लेख, पत्र, टिप्पणी, वरिष्ठ पत्रकारों व विशेषज्ञों के स्तम्भ छपते हैं । ये सभी विचारपरक लेखन के अन्तर्गत आते हैं ।

संपादकीय :

संपादक द्वारा किसी प्रमुख घटना या समस्या पर लिखे गए विचारात्मक लेख को, जिसे संबंधित समाचारपत्र की राय भी कहा जाता है, संपादकीय कहते हैं ।  संपादकीय किसी एक व्यक्ति का विचार या राय न होकर समग्र पत्र-समूह की राय होता है, इसलिए संपादकीय में संपादक अथवा लेखक का नाम नहीं लिखा जाता ।

स्तम्भ  लेखन: 

एक प्रकार का विचारत्मक लेखन है। कुछ महत्त्वपूर्ण लेखक अपने खास वैचारिक रुझान एवं लेखन शैली   के लिए जाने जाते हैं। ऐसे लेखकों की लोकप्रियता को देखकर समाचरपत्र उन्हें अपने पत्र में नियमित स्तम्भ- लेखन की जिम्मेदारी प्रदान करते हैं। इस प्रकार किसी समाचार-पत्र  में किसी ऐसे लेखक द्वारा किया गया विशिष्ट व नियमित लेखन जो अपनी विशिष्ट शैली व वैचारिक रुझान के कारण समाज में ख्याति प्राप्त हो, स्तम्भ लेखन कहा जाता है ।

संपादक के नाम पत्र :

समाचार पत्रों में  संपादकीय पृष्ठ पर तथा पत्रिकाओं की शुरुआत में संपादक के नाम आए पत्र प्रकाशित किए जाते हैं । यह प्रत्येक समाचारपत्र का नियमित स्तम्भ होता है । इसके माध्यम से समाचार-पत्र अपने पाठकों को जनसमस्याओं तथा मुद्दों पर अपने विचार एवम  राय व्यक्त करने का अवसर प्रदान करता है ।

साक्षात्कार/इंटरव्यू:

किसी पत्रकार के द्वारा अपने समाचार पत्र में प्रकाशित करने के लिए, किसी व्यक्ति विशेष से उसके विषय में अथवा किसी विषय या मुद्दे पर किया गया प्रश्नोत्तरात्मक संवाद साक्षात्कार कहलाता है ।

विशेष लेखन: स्वरूप और प्रकार

विशेष लेखन

किसी खास विषय पर  सामान्य लेखन से हट कर किया गया लेखन है । जिसमें  राजनीतिक, आर्थिक, अपराध, खेल, फिल्म,कृषि, कानून विज्ञान और अन्य किसी भी मत्त्वपूर्ण विषय से संबंधित विस्तृत सूचनाएँ प्रदान की जाती हैं।

डेस्क :

समाचारपत्र, पत्रिकाओं, टीवी और रेडियो चैनलों में अलग-अलग विषयों पर विशेष लेखन के लिए निर्धारित  स्थल को डेस्क कहते हैं। और उस विशेष डेस्क पर काम करने वाले पत्रकारों का भी अलग समूह होता है। यथा, व्यापार तथा  कारोबार के लिए अलग तथा खेल की  खबरों के लिए अलग डेस्क निर्धारित होता है।

बीट :

विभिन्न विषयों से जुडे़ समाचारों के लिए संवाददाताओं के बीच काम का विभाजन आम तौर पर उनकी दिलचस्पी और ज्ञान को ध्यान में रख कर किया जाता है। मीडिया की भाषा में इसे बीट कहते हैं।

बीट रिपोर्टिंग तथा विशेषीकृत रिपोर्टिंग में अन्तर:

बीट रिपोर्टिंग के लिए  संवाददाता में उस क्षेत्र के बारे में  जानकारी व दिलचस्पी का होना पर्याप्त है, साथ ही उसे  आम तौर पर अपनी बीट से जुडी़ सामान्य खबरें ही लिखनी होती हैं। किन्तु विशेषीकृत रिपोर्टिंग  में सामान्य समाचारों से आगे बढ़कर संबंधित विशेष क्षेत्र या विषय से जुडी़ घटनाओं, समस्याओं और मुद्दों  का बारीकी से विश्लेषण कर प्रस्तुतीकरण किया जाता है। बीट कवर करने वाले रिपोर्टर को संवाददाता तथा  विशेषीकृत रिपोर्टिंग करने वाले रिपोर्टर को विशेष संवाददाता कहा जाता है।

विशेष लेखन की भाषा-शैली:

विशेष लेखन की भाषा-शैली सामान्य लेखन से अलग होती है। इसमें संवाददाता को संबंधित विषय की तकनीकी शब्दावली का ज्ञान होना आवश्यक होता है, साथ ही यह भी आवश्यक होता है कि वह पाठकों को उस शब्दावली से परिचित कराए जिससे पाठक रिपोर्ट को समझ सकें। विशेष लेखन की कोई निश्चित शैली नहीं होती।

विशेष लेखन के क्षेत्र :

विशेष लेखन के अनेक क्षेत्र होते हैं, यथा- अर्थ-व्यापार, खेल, विज्ञान-प्रौद्योगिकी, कृषि, विदेश, रक्षा, पर्यावरण शिक्षा, स्वास्थ्य, फ़िल्म-मनोरंजन, अपराध, कानून व सामाजिक मुद्दे आदि।

गत सी.बी.एस.ई. परीक्षा-2016 के तीनों सेट के प्रश्नों के उत्तर

सेट- ए

  1. डेड लाइन किसे कहते हैं?
  2. वॉचडॉग पत्रकारिता क्या है?
  3. संपादक के कार्य लिखिए।
  4. पत्रकार किसे कहते हैं?
  5. ब्रेकिंग न्यूज किसे कहते हैं?

उत्तर :

  1. डेडलाइन किसी समाचार पत्र की वह समय सीमा है जब तक कि समाचारों को वह कवर कर सकता है। जैसे कोई प्रातः कालीन समाचार पत्र रात दस बजे तक समाचार कवर करता है।
  2. किसी के कामकाज पर निगाह रखते हुए किसी गड़बड़ी का पर्दाफाश करना वॉचडॉग पत्रकारिता कहलाती है।
  3. समाचार पत्र में प्रकाशित समाचारों की प्रामाणिकता, निष्पक्षता, संतुलन व महत्त्व के अनुसार समाचार पत्र में स्थान निर्धारण करना आदि कार्य संपादक के प्रमुख कार्य हैं।
  4. समाज की विभिन्न सूचनाओं, समाचारों को संकलित-संपादित कर समाचार के रूप में किसी समाचार पत्र के लिए तैयार करने वाले को पत्रकार कहते हैं।
  5. ऐसा समाचार जो दर्शकों तक कम से कम शब्दों में तत्काल पहुंचाया जाना जरूरी हो, उसे ब्रेकिंग न्यूज कहते हैं। इसमें केवल घटना की सूचना दी जाती है।

सेट- बी

  1. ‘बीट’ से क्या आशय है?
  2. भारत में पहला समाचार पत्र कब और कहां से प्रकाशित हुआ?
  3. प्रिंट मीडिया की दो विशेषताएं लिखिए।
  4. पीत पत्रकारिता से क्या आश्य है?
  5. ‘समाचार’ शब्द को परिभाषित कीजिए।

उत्तर :

  1. समाचार पत्र में समाचार कई तरह के होते हैं। जैसे- राजनीति, आर्थिक, अपराध, शिक्षा, फिल्म, कृषि, विज्ञान आदि। संवाददाताओं का कार्य विभाजन इन के लिए रुचि को ध्यान में रखते हुए किया जाता है, मीडिया की भाषा में इसे ‘बीट’ कहते हैं।
  2. बंगाल गजट, जिसका प्रकाशन कलकत्ता (अब कोलकत्ता) से सन 1780 में हुआ। इस के संपादक जेम्स ऑगस्ट हिकी थे।
  3. चिंतन, विचार व विश्लेषण के आधार पर तैयार होते हैं। छपे हुए शब्दों का स्थायित्व होता है।
  4. सनसनीखेज समाचारों को मीडिया में जारी करने अथवा नहीं करने के बदले में जो धन का लेन-देन चलता है, उसे पीत पत्रकारिता कहते हैं।
  5. किसी भी ताजा घटना, विचार अथवा समस्या की रिपोर्टिंग जिसमें अधिक लोगों की रुचि और उपयोगिता जुड़ी हुई हो उस लेखन को समाचार कहते हैं।

सेट- सी

  1. जनसंचार के किन्हीं दो कार्यों पर प्रकाश डालिए?
  2. इंटरनेट तेजी से लोकप्रिय क्यों हो रहा है? दो कारण लिखिए।
  3. खोजी पत्रकारिता का क्या आशय है?
  4. संपादन के किन्हीं दो सिद्धांतों का उल्लेख कीजिए?
  5. फ्री-लांसर से आप क्या समझते हैं?

उत्तर :

  1. जन संचार के दो प्रमुख कार्य हैं-

(1.) सामाजिक संपर्क स्थापित करना व

(2.) स्वयं को अभिव्यक्त करने की क्षमता का विकास।

  1. इंटरनेट की लोकप्रियता के दो कारण हैं-

(1.) किसी भी समय हम स्वयं को अपडेट कर सकते हैं व

(2.) बहुत कम समय में बहुत अधिक जानकारी का सुलभ होना ।

  1. किसी के कामकाज पर निगाह रखते हुए किसी गड़बड़ी का पर्दाफाश करना खोजी पत्रकारिता है। इसे वॉचडॉग पत्रकारिता भी कहते हैं।
  2. संपादन के दो सिद्धांत हैं- वस्तुपरकता एवं निष्पक्षता।
  3. भुगतान के आधार पर काम करने वाले पत्रकार को फ्री-लांसर कहते हैं।

सी.बी.एस.ई. द्वारा जारी आदर्श प्रश्न-पत्र में जनसंचार के प्रश्नोत्तर

  1. पत्रकारिता लेखन में सर्वाधिक महत्त्व किस बात का है?
  2. अखबारी भाषा में ‘बीट’ किसे कहते हैं?
  3. ब्रेकिंग न्यूज क्या है?
  4. समाचार लेखन कौन करते हैं?
  5. अखबार अन्य माध्यमों से अधिक लोकप्रिय क्यों है? एक मुख्य कारण लिखिए।

उत्तर :

  1. पत्रकारिता में सर्वाधिक महत्त्व समसामयिक घटनाओं का है।
  2. समाचार पत्र में समाचार कई तरह के होते हैं। जैसे- राजनीति, आर्थिक, अपराध, शिक्षा, फिल्म, कृषि, विज्ञान आदि। संवाददाताओं का कार्य विभाजन इन के लिए रुचि को ध्यान में रखते हुए किया जाता है, मीडिया की भाषा में इसे ‘बीट’ कहते हैं।
  3. ऐसा समाचार जो दर्शकों तक कम से कम शब्दों में तत्काल पहुंचाया जाना जरूरी हो, उसे ब्रेकिंग न्यूज कहते हैं। इसमें केवल घटना की सूचना दी जाती है।
  4. समाचार लेखन संवाददाता एवं रिपोर्टर करते हैं।
  5. अखबार में अन्य माध्यमों की तुलना में स्थायित्व अधिक है। इसे हम जब चाहें, जैसे चाहें और जहां चाहें सुविधानुसार देख-पढ़ सकते हैं।

परीक्षोपयोगी प्रमुख प्रश्नोत्तर

  1. जन संचार का सबसे पहला महत्त्वपूर्ण तथा सर्वाधिक विस्तृत माध्यम कौन सा था?

उत्तर : समाचार-पत्र और पत्रिका

  1. प्रिंट मीडिया के प्रमुख तीन पहलू कौन-कौन से  हैं?

उत्तर : समाचारों को संकलित-संपादित कर मुद्रण एवं प्रसारण।

  1. हिंदी का पहला साप्ताहिक पत्र किसे माना जाता है?

उत्तर : हिंदी का पहला साप्ताहिक पत्र ‘उदंत मार्तंड’ को माना जाता है, जो कलकत्ता से पंडित जुगल किशोर शुक्ल के संपादन में निकला था।

  1. आजादी से पूर्व कौन-कौन प्रमुख पत्रकार हुए?

उत्तर : महात्मा गांधी, लोकमान्य तिलक, मदन मोहन मालवीय, माखनलाल चतुर्वेदी, गणेश शंकर विद्यार्थी, महावीर प्रसाद द्विवेदी, प्रताप नारायण मिश्र, बालमुकुंद गुप्त आदि।

  1. आजादी से पूर्व के प्रमुख समाचार-पत्रों और पत्रिकाओं के नाम लिखिए।

उत्तर : केसरी, हिन्दुस्तान, सरस्वती, हंस, कर्मवीर, आज, प्रताप, प्रदीप, विशाल भारत आदि।

  1. आजादी के बाद की प्रमुख पत्र-पत्रिकाओं तथा पत्रकारों के नाम लिखए।

उत्तर : प्रमुख समाचारपत्र- नवभारत टाइम्स, जनसत्ता, नई दुनिया, हिन्दुस्तान, अमर उजाला, दैनिक भास्कर, दैनिक जागरण आदि।

प्रमुख पत्रिकाएं– धर्मयुग, साप्ताहिक हिन्दुस्तान, दिनमान, रविवार, इंडिया टुडे, आउट लुक आदि।

प्रमुख पत्रकार-  अज्ञेय, रघुवीर सहाय, धर्मवीर भारती, मनोहरश्याम जोशी, राजेन्द्र माथुर, प्रभाष जोशी आदि ।

  1. पत्रकारीय लेखन तथा साहित्यिक सृजनात्मक लेखन में क्या अंतर है?

उत्तर : पत्रकारीय  लेखन का प्रमुख उद्देश्य सूचना प्रदान करना होता है, इसमें तथ्यों की प्रधानता होती है, जबकि साहित्यिक सृजनात्मक लेखन भाव, कल्पना एवं सौंदर्य-प्रधान होता है।

  1. पत्रकारिता के प्रमुख आयाम कौन-कौन से हैं?

उत्तर : संपादकीय, फ़ोटो पत्रकारिता, कार्टून कोना , रेखांकन और कार्टोग्राफ।

  1. पत्रकारिता के विकास में कौन-सा मूल भाव सक्रिय रहता है?

उत्तर : जिज्ञासा का।

  1. प्रिंट मीडिया से क्या आशय है?

उत्तर : छपाई वाले संचार माध्यम को प्रिंट मीडिया कहते हैं।इसे मुद्रण-माध्यम भी कहा जाता है।समाचार-पत्र ,पत्रिकाएँ, पुस्तकें आदि इसके प्रमुख रूप हैं।

  1. इलैक्टॉनिक माध्यम से क्या तात्पर्य है?

उत्तर : जिस जन संचार में इलैक्ट्रानिक उपकरणों का सहारा लिया जाता है, इसे इलैक्टॉनिक माध्यम  कहते हैं। रेडियो, दूरदर्शन , इंटरनेट  प्रमुख इलैक्ट्रानिक माध्यम हैं।

  1. ऑल इंडिया रेडियो की विधिवत स्थापना कब हुई?

उत्तर : सन 1936 में

  1. एफ.एम. रेडियो की शुरुआत कब से हुई?

उत्तर : एफ.एम. (फ्रिक्वेंसी माड्युलेशन) रेडियो की शुरूआत सन 1993 से हुई ।

  1. उल्टा पिरामिड शैली क्या है? यह कितने भागों में बँटी होती है?

उत्तर : जिसमें तथ्यों को महत्त्व के क्रम से  प्रस्तुत किया जाता है, सर्वप्रथम सबसे ज्यादा महत्त्वपूर्ण तथ्य को तथा उसके उपरांत महत्त्व की दृष्टि से घटते  क्रम में तथ्यों  को रखा जाता है उसे उल्टा पिरामिड शैली कहते हैं ।  उल्टापिरामिड शैली में समाचार को तीन भागों में बाँटा जाता है-इंट्रो,प बॉडी और समापन।

अभिव्यक्ति माध्यम क्या होता है?

विभिन्न माध्यमों के लिए लेखन लेखन अभिव्यक्ति का एक माध्यम है , जिस प्रकार व्यक्ति बोलकर अपनी भावनाओं तथा विचारों को दूसरों तक पहुंचाता है। उसी प्रकार लेखन अपने विचार विनिमय का एक माध्यम है। आज लेखन का विभिन्न क्षेत्रों में प्रयोग किया जा रहा है जैसे – पत्र-पत्रिका , सिनेमा , रेडियो , समाचार , साहित्य आदि के लिए।

अभिव्यक्ति के प्रमुख माध्यम कौन कौन से हैं?

प्रत्यक्ष संवाद के बजाय किसी तकनीकी या यान्त्रिक माध्यम के द्वारा समाज के एक विशाल वर्ग से संवाद कायम करना जनसंचार कहलाता है। 3. जनसंचार के माध्यम: अखबार, रेडियो, टीवी, इंटरनेट, सिनेमा आदि.

अभिव्यक्ति और माध्यम की भाषा में संचार से क्या तात्पर्य है?

इस प्रकार सूचनाओं, विचारों और भावनाओं को लिखित, मौखिक या दृश्य-श्रव्य माध्यमों के ज़रिये सफलतापूर्वक एक जगह से दूसरी जगह पहुँचाना ही संचार है और इस प्रक्रिया को अंजाम देने में मदद करनेवाले तरीके संचार माध्यम कहलाते हैं। इस तरह हमने देखा कि संचार एक घटना के बजाए प्रक्रिया है ।

श्रव्य माध्यम का स्वरूप क्या है?

श्रव्य माध्यमः स्वरूप और विशेषताएँ, रेडियो का विकास, रेडियो नाटक, समाचार लेखन, उद्घोषणा लेखन, श्रव्यमाध्यम में भाषा की प्रकृति, साहित्यिक विधाओं का रेडियो में रूपान्तरण । दृश्य-श्रव्य माध्यम : स्वरूप और विशेषताएँ टी. वी. और सिनेमा का विकास, पटकथा लेखन, विज्ञापन लेखन, टी.