हिंदी न्यूज़ लाइफस्टाइल हेल्थAhoi Ashtami 2022:बच्चों के लिए रखा जाता है अहोई अष्टमी का व्रत, जानें- क्या खाएं और क्या नहीं Show
Ahoi Ashtami What to eat and what to Avoid: अहोई अष्टमी व्रत 17 अक्तूबर को मनाया जाएगा।यह व्रत माताएं अपने बच्चों की दीर्घायु की कामना के लिए करती हैं। जानें व्रत में क्या खाएं और क्या नहीं-मां और बच्चे का रिश्ता अनमोल होता है, शायद ऐसा इसलिए होता है क्योंकि और लोगों के मुताबिक मां अपने बच्चे के साथ 9 महीने ज्यादा बिताती है। अहोई अष्टमी मां और बच्चे के बीच इस विशेष बंधन को मनाने के बारे में है। इस शुभ दिन पर मां सुबह से शाम तक उपवास रखती हैं और अपने बच्चों के अच्छे स्वास्थ्य के लिए प्रार्थना करती हैं। रिश्ते को मजबूत करने वाला ये त्योहार इस बार 17 अक्टूबर को मनाया जाएगा। अगर आप इस व्रत को रख रही हैं तो यहां देखें कि व्रत के दौरान क्या खाएं और क्या नहीं। अहोई अष्टमी व्रत में क्या खाएं अहोई अष्टमी के दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करने से हर मनोकामना पूर्ण हो जाती है। लेकिन ये व्रत तभी सफल होता है जब आप सही तरह से इसे पूरा करते हैं। व्रत खोलते समय अपनी थाली में सिंघाड़े को शामिल करें, इस खास दिन पर ये देवी को भी चढ़ाया जाता है। इसके अलवा अपनी थाली में हलवा और चना शामिल करें। क्योंकि व्रत के दौरान पूरे दिन भूखा रहना होता है, तो ऐसे में रात के समय हेल्दी चीजों को खाएं। आप पनीर की सब्जी बना सकती हैं। गांव मे गन्ने का प्रसाद आज भी चढ़ाया जाता है, इसके रस को आप अपनी थाली में जरूर शामिल करें। अहोई अष्टमी व्रत में क्या न खाएं हिंदू धर्म में हर व्रत का विशेष कारण और महत्व है। इस व्रत को महिलाएं अपनी संतान की लंबी उम्र और मंगल कामना के लिए रखती है। ऐसे में आपको इस व्रत में कुछ चीजों को खाने से बचना चाहिए। इस व्रत के दौरान नॉन वेज खाने से बचें। अगर आप नॉन वेज लेवर है और आपको इस दौरान इसे खाने की क्रेविंग होती भी है तो अष्टमी के दिन इसे खाने से बचें। इसके अलावा इस दिन शराब के सेवन से बचें। व्रत के दिन घर पर ही खाना बनाएं लेकिन इस बात का ध्यान रखें कि आप इसमें प्याज-लहसुन न डालें। हिंदू मान्यता के मुताबिक पूजा वाले दिन आपको प्याज-लहसुन खाने से बचना चाहिए। डिस्क्लेमर: सभी के घर के रिती रिवाज अलग होते हैं। ऐसे में ये आर्टिकल सामान्य जानकारी पर आधारित है। अहोई अष्टमी का व्रत संतान के सुख के लिए रखा जाता है. इस व्रत को निर्जला किया जाता है. रात में तारों की छांव में अर्घ्य देकर व्रत का पारण किया जाता है.अहोई अष्टमीहाइलाइट्स
अहोई अष्टमी का त्योहार 17 अक्टूबर को मनाया जाएगा. कार्तिक मास की अष्टमी तिथि को ये व्रत मनाया जाता है. इस व्रत को संतान की लंबी आयु, उन्नति और सुख-शांति के लिए मनाया जाता है. संतान के सुखी जीवन के लिए माताएं इस व्रत को बड़ी निष्ठा और श्रद्धा भाव से रखती हैं. अहोई माता संतति सुख प्रदान करने वाली देवी हैं. आज के दिन इनका निर्जल पूजन करने से संतान संबंधी सारे कष्टों से छुटकारा मिल जाता है. अगर आपके बच्चे आपका कहना नहीं मानते या उन पर किसी प्रकार की दुर्भाग्य उनका पीछा नहीं छोड़ रहा तो आज के दिन देवी के चरणों में उनकी वंदना करते हुए निर्जला व्रत रखकर माता का पूजन करें, लाभ होगा. आज के दिन अहोई माता को काले उड़द की दाल से बने दही बड़ों का भोग लगाने से संतान के ऊपर चल रही नकारात्मक शक्तियां दूर भाग जाती हैं. अहोई अष्टमी व्रत में क्या खाएं? क्या न खाएं? ये भी पढ़ें:
अहोई अष्टमी के दिन क्या खाया जाता है?अहोई अष्टमी व्रत में क्या खाएं
व्रत खोलते समय अपनी थाली में सिंघाड़े को शामिल करें, इस खास दिन पर ये देवी को भी चढ़ाया जाता है। इसके अलवा अपनी थाली में हलवा और चना शामिल करें। क्योंकि व्रत के दौरान पूरे दिन भूखा रहना होता है, तो ऐसे में रात के समय हेल्दी चीजों को खाएं। आप पनीर की सब्जी बना सकती हैं।
अहोई अष्टमी के व्रत में चाय पी सकते हैं क्या?हर्षवर्धन ने बताया कि पुत्रों की दीर्घायु के लिए माताएं आज अहोई अष्टमी का व्रत रखेंगी। व्रत में माताएं दीवार पर छाप लगा कर अथवा अहोई माता का केलेंडर लगा कर पूजन करती है। यहव्रत सुबह रोटी, सब्जी सहित कोई मीठी वस्तु लेने के बाद शुरु हो जाता है। दोपहर को अहोई अष्टमी का पूजन कर कथा सुन चाय पी जाती है।
अहोई अष्टमी के व्रत में क्या क्या नहीं करना चाहिए?Follow us:. Ahoi Ashtami Vrat 2022: हर साल कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि अहोई अष्टमी का व्रत रखा जाता है. ... . खुदाई करने से बचें- अहोई अष्टमी के दिन महिलओं को मिट्टी से जुड़े कार्य करने से बचना चाहिए. ... . काले रंग के कपड़े- अहोई अष्टमी के दिन व्रत रखने वाली औरतों को काले, नीले या डार्क कलर के कपड़े नहीं पहनने चाहिए.. अहोई अष्टमी का व्रत कैसे खोलते हैं?Ahoi Ashtami Vrat 2022: अहोई पर महिलाएं व्रत रखकर अपने संतान की रक्षा और दीर्घायु की प्रार्थना करती हैं. इस व्रत को करने के कुछ खास नियम और कायदे होते हैं. व्रत निर्जला रखा जाता है और रात को तारे निकलने के बाद अर्घ्य देकर इसका पारण किया जाता है.
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