अक्षय उर्जा या नवीकरणीय ऊर्जा (अंग्रेजी:renewable energy) में वे सारी उर्जा शामिल हैं जो प्रदूषणकारक नहीं हैं तथा जिनके स्रोत का क्षय नहीं होता, या जिनके स्रोत का पुनः-भरण होता रहता है। सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा, जलविद्युत उर्जा, ज्वार-भाटा से प्राप्त उर्जा, बायोगैस, जैव इंधन आदि नवीनीकरणीय उर्जा के कुछ उदाहरण हैं। भारत में है अक्षय ऊर्जा का महत्व[संपादित करें]ऊर्जा आधुनिक जीवन शैली का अविभाज्य अंग बन गयी है। ऊर्जा के बिना आधुनिक सभ्यता के अस्तित्व पर एक बहुत बडा प्रश्न-चिह्न लग जायेगा। सन २०१३ में ऊर्जा की प्रवृत्ति (ट्रेंड)
अक्षय ऊर्जा स्रोत वर्ष पर्यन्त अबाध रूप से भारी मात्रा में उपलब्ध होने के साथ साथ सुरक्षित, स्वत: स्फूर्त व भरोसेमंद हैं। साथ ही इनका समान वितरण भी संभव है। भारत में अपार मात्रा में जैवीय पदार्थ, सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा, बायोगैस व लघु पनबिजली उत्पादक स्रोत हैं। २१वीं शताब्दी का स्वरूप जीवाश्म ऊर्जा के बिना निर्धारित होने वाला है जबकि २०वीं शताब्दी में वह उसके द्वारा निर्धारित किया गया था। पूरे विश्व में, कार्बन रहित ऊर्जा स्रोतों के विकास व उन पर शोध अब प्रयोगशाला की चाहरदीवारी से बाहर आकर औद्योगिक एवं व्यापारिक वास्तविकता बन चुके हैं। भारत और अक्षय ऊर्जा[संपादित करें]सूरजमुखी, नवीकरणीय ऊर्जा का प्रतीक है क्योंकि यह सूर्य के प्रकाश का अत्यधिक उपयोग करता है, इससे बायोडीजल बनाया जाता है, तथा इसका 'मुख' सूरज जैसा लगता है। देश का अपारम्परिक ऊर्जा कार्यक्रम विश्व के इस प्रकार के विशालतम कार्यक्रमों में से एक है। इसके अन्तर्गत विभिन्न प्रौद्योगिकी, बायोगैस, समुन्नत चूल्हे, बायोमास गैसीफायर, शीघ्र बढ़ने वाली वृक्ष-प्रजातियां, जैवीय पदार्थ का दहन एवं सह-उत्पादन, पवन-चक्कियों द्वारा जल निकासी, वायु टर्बाइनों द्वारा शक्ति का उत्पादन, सौर तापीय व फोटो वोल्टायिक प्रणालियाँ, नागरीय घरेलू तथा औद्योगिक अवजल व कचरे से ऊर्जा उत्पादन, हाइड्रोजन ऊर्जा, समुद्री ऊर्जा, फुएल सेल, विद्युत चालित वाहन (बसें) व परिवहन के लिए वैकल्पिक ऊर्जा स्रोतों पर कार्य हो रहा है। आने वाले कुछ हजार वर्षों में ही हमारे परम्परागत ऊर्जा स्रोत समाप्त हो जायेंगे। जिसे बनाने में प्रकृति ने लाखों वर्ष लगाएं है उसे हम कुछ ही मिनटों में समाप्त कर देते हैं। पर्यावरणीय प्रदूषण, सामाजिक एवं आर्थिक दबाव तथा राजनीतिक उठापटक समस्या को और गंभीर बनाते हैं। अतएव नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों का विकास व प्रयोग तथा इस हेतु दृढ़ इच्छा शक्ति का होना आज की आवश्यकता है। नवीकरणीय ऊर्जा में निवेश[संपादित करें]नीचे की सारणी में विश्व के कुछ प्रमुख क्षेत्रों में नवीकरणीय ऊर्जा पर प्रति वर्ष निवेश दिखाया गया है।[1]:
सन्दर्भ[संपादित करें]
इन्हें भी देखें[संपादित करें]
बाहरी कड़ियाँ[संपादित करें]
अक्षय ऊर्जा का मतलब क्या होता है?ऊर्जा के वो प्राकृतिक स्रोत जिनका क्षय नहीं होता या जिनका नवीकरण होता रहता है और जो प्रदूषणकारी नहीं हैं, उन्हे अक्षय ऊर्जा के स्रोत कहा जाता है. जैसे सूर्य, जल, पवन, ज्वार-भाटा, भूताप आदि.
अक्षय ऊर्जा का दूसरा नाम क्या है?अक्षय उर्जा या नवीकरणीय ऊर्जा (अंग्रेजी:Renewable Energy) में वे सारी उर्जा शामिल हैं जो प्रदूषणकारक नहीं हैं तथा जिनके स्रोत का क्षय नहीं होता, या जिनके स्रोत का पुनः-भरण होता रहता है। सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा, जलविद्युत उर्जा, ज्वार-भाटा से प्राप्त उर्जा, बायोमास, जैव इंधन आदि नवीनीकरणीय उर्जा के कुछ उदाहरण हैं। .
अक्षय ऊर्जा को इंग्लिश में क्या कहते हैं?अक्षय उर्जा, ऊर्जा का ऐसा विकल्प है जो असीम (limitless) है।
हरित ऊर्जा का क्या अर्थ है?हरित ऊर्जा (ग्रीन एनर्जी) को अपनाना
नवीकरणीय ऊर्जा सौर, पवन, लघु पनबिजली संयंत्रों व कचरे से बिजली बनाने जैसे कई स्रोतों से आती है। टाटा पावर-डीडीएल लगातार इस संयोजन को बेहतर बनाने की कोशिश कर रही है जिसमें नवीकरणीय ऊर्जा की हिस्सेदारी बढ़ने का चलन बना रहे।
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