अपने दिमाग से नेगेटिव बातों को कैसे निकाले? - apane dimaag se negetiv baaton ko kaise nikaale?

जब भी आपका मन घबराता है, क्या आप भी सबसे बुरी स्थिति के बारे में सोचने लगती हैं? आंख बंद करने पर भी कुछ अच्छा नहीं दिखता, बल्कि बुरी चीज़ों का ही ख्याल आता है। जैसे कोई घर से बाहर गया है तो कहीं उसका एक्सीडेंट तो नहीं हो जाएगा या फिर कोई बहुत देर तक फोन ना उठाएं तो क्या उसके साथ कुछ गलत तो नहीं हो गया? या अगर रिजल्ट आने वाला तो खुद का फ़ेल होना ही नज़र आता है? कुछ अच्छी चीज़ भी हो रही हो जो उसकी बुरी साइड ही दिमाग में आती रहती है अगर ऐसा है तो डरने की कोई बात नहीं है। ये बिलकुल नॉर्मल है। 

हम सभी के मन में नेगेटिव विचार आते हैं। ऐसे में अक्सर हमारे आस-पास वाले एक ही सलाह देते हैं, ‘अरे अच्छा अच्छा सोचो। नेगेटिव मत सोचो’। वाओ, जैसे हमें तो ये तरीका पता ही नहीं था! 

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लेकिन सवाल ये है कि किसी भी परिस्थिति में हम अच्छी पॉसिबिलिटी की बजाय सबसे बुरा रिजल्ट ही क्यों सोचते हैं? हमारे दिमाग को नेगेटिव ख्यालों से इतना लगाव क्यों है? 

Table of Contents

अपने दिमाग से नेगेटिव बातों को कैसे निकाले? - apane dimaag se negetiv baaton ko kaise nikaale?

  • साइकोलॉजी इसे कहती है ‘नेगेटिव बायस
  • ये हमारी जिंदगी को कैसे प्रभावित करता है?
  • कैसे निपटें नेगेटिव बायस से?
  • खुद से नेगेटिव बातें करना बंद करें
  • हर घटना की अच्छाई और बुराई दोनों बताएं
  • नये तरीकों का इस्तेमाल करें

साइकोलॉजी इसे कहती है ‘नेगेटिव बायस’ 

अपने दिमाग से नेगेटिव बातों को कैसे निकाले? - apane dimaag se negetiv baaton ko kaise nikaale?

2001 में साइकोलॉजिस्ट्स पॉल रोज़िन और एडवर्ड रोइज़मैन ने इसे नाम दिया ‘नेगेटिव बायस’ यानि दिमाग का नेगेटिव ख्यालों की तरफ झुकाव। नाम भले ही इसे अब मिला हो लेकिन सभी के दिमाग में अच्छे से पहले बुरे ख्याल आने की बात बाबा आदम के ज़माने से चली आ रही है। 

इसकी वजह अब इन वैज्ञानिकों ने स्पष्ट की है। वजह ये है कि हमारे दिमाग पर अच्छी घटनाओं से ज्यादा असर बुरी घटनाओं का पड़ता है। दरअसल अच्छी घटनाओं को दिमाग सुरक्षित रख लेता है लेकिन उसे लगता है कि हर बुरी घटना से उसे हमारे शरीर को बचाना होगा। इसीलिए बुरी घटना होने पर दिमाग ज़्यादा एक्टिव हो जाता है और वो बात लम्बे समय के लिए हमारी सोच का हिस्सा बन जाती है। 

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उदहारण के लिए ज़रा ये सोचिए। किसी दिन आप ऑफिस में बहुत अच्छे से तैयार होकर गईं। हर किसी ने आपके लुक्स, आपके बालों और आपके कपड़ों की दिल खोलकर तारीफ़ की। लेकिन घर वापस लौटते हुए किसी पड़ोसी आंटी ने कह दिया कि ये रंग आप पर अच्छा नहीं लग रहा है! घर लौटने से लेकर सोते समय तक आपके दिमाग में कौन सी बात घूमेगी? आपकी बेस्ट फ़्रेंड का ये कहना कि आप करीना कपूर जैसी लग रही हैं या उन अनजान आंटी की टिप्पणी? 

हमारा दिमाग हमें हर बुरी परिस्थिति से सुरक्षित रखने के लिए इतना आतुर होता है कि हम बुरी ख़बरों और बुरे हालात से चिपक जाते हैं और अच्छी बातें सुन भी नहीं पाते। 

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ये हमारी जिंदगी को कैसे प्रभावित करता है?

नेगेटिव बायस हमारे काम कर पाने की क्षमता, निर्णय लेने की शक्ति, आपसी रिश्तों और हमारी खुशियों को प्रभावित करता है। हमारे दिमाग का दो-तिहाई हिस्सा सिर्फ बुरी खबरों पर ही फोकस करने लगता है, जिससे हम अच्छी घटनाओं की जगह बुरी घटनाओं को ही आकर्षित करते हैं। 

किसी व्यक्ति से कह देना कि ‘पॉजिटिव सोचो’ कोई मदद नहीं करता। अगर वो सोच पाते तो जरूर सोच रहे होते! हमारे पूर्वज जो गुफाओं में रहते थे, उनका दिमाग हमेशा किसी खतरे पर ही फोकस रहता था। उन्हें ध्यान रखना पड़ता था कि उनका सामना किसी जंगली जानवर से न हो जाए या उन्हें अगले टाइम का भोजन मिलेगा या नहीं। हमारे दिमाग में अभी भी उस काल की घटनाएं छिपी हुई हैं। 

कैसे निपटें नेगेटिव बायस से?

हम सभी अपने जीवन में कम या ज्यादा नेगेटिव होते हैं। लेकिन घबराइए नहीं। कुछ आसान से टिप्स से आप अपने सोचने-समझने की क्षमता को बेहतर इस्तेमाल कर पाएंगे। 

1. खुद से नेगेटिव बातें करना बंद करें 

जब आपके साथ कुछ बुरा होता है और आप उस बारे में सोचने से खुद को नहीं रोक पाते, देखिए कि आप खुद के बारे में किस एंगल से सोच रहे हैं? क्या आप खुद को इस घटना के लिए जिम्मेदार मानते हुए कोस रहे हैं? 

अगर ऐसा है तो रुक जाइए। 

जब भी आप किसी बुरी परिस्थिति में फंसें, खुद को कोसना सबसे पहले बंद करें। खुद को समझाएं कि कुछ चीजें आपके कंट्रोल में नहीं होतीं। खुद को माफ़ करना सीखें। माना कि ये बेहद मुश्किल है, लेकिन उतना ही ज़रूरी भी। 

2. हर घटना की अच्छाई और बुराई दोनों बताएं 

जब भी आप किसी बुरी घटना के बारे में दूसरों को बताएं, ध्यान रखें कि उसके अच्छे और बुरे दोनों पहलू बताएं। जब हम ज़ोर से किसी घटना के बारे में बोलते हैं, दूसरों से ज्यादा उसका असर हम पर पड़ता है। इसलिए सिर्फ दूसरों को ही नहीं, बल्कि खुद को भी ऐसी घटनाओं की अच्छाई और बुराई दोनों बताएं। इससे आपको खुद के बारे में कम नेगेटिव महसूस होगा। 

3. नये तरीकों का इस्तेमाल करें 

जब भी आपको महसूस हो कि आप नेगेटिव ख्यालों के बीच फंस रही हैं, कुछ ऐसे काम करें जिनसे आपको खुशी महसूस हो। टहलें, म्यूजिक सुनें, कोई मज़ेदार टीवी शो देखें या कुछ हल्का-फुल्का पढ़ें। इससे आपका ध्यान बुरे ख्यालों से दूर होगा और आपका मन शांत रहेगा। 

पॉजिटिव और नेगेटिव ख्याल हम सभी की ज़िन्दगी का हिस्सा हैं। ज़रूरी है कि हम उनको खुद पर हावी ना होने दें। मानसिक स्वास्थ्य और पॉजिटिविटी से जुड़ी ऐसी सी स्टोरीज़ के लिए पढ़ती रहें idiva हिंदी। 


दिमाग से गंदी सोच कैसे निकाले?

दरअसल अच्छी घटनाओं को दिमाग सुरक्षित रख लेता है लेकिन उसे लगता है कि हर बुरी घटना से उसे हमारे शरीर को बचाना होगा। इसीलिए बुरी घटना होने पर दिमाग ज़्यादा एक्टिव हो जाता है और वो बात लम्बे समय के लिए हमारी सोच का हिस्सा बन जाती है।

दिमाग से नेगेटिविटी कैसे निकाले?

स्माइल कई मर्ज की दवा होती है। हंसने से न सिर्फ नकारात्मक विचार दिमाग में नहीं आते, बल्कि स्ट्रेस भी दूर होता है। डेली लाइफ के दौरान ऐसे कई काम होते हैं जब इंसान पर स्ट्रेस या नेगेटिविटी हावी होती है। ऐसे में उसे हमेशा हंसते-मुस्कराते रहना चाहिए।

हमारे मन में गलत विचार क्यों आते हैं?

किसी अपने से खुलकर बात करें जब भी मन में निगेटिव विचार आते हैं और इन्हें रोकने की कोशिश न की जाए तो ये अपनी जगह बनाने लगते हैं, इसलिए इससे निपटने के तरीकों पर विचार करना जरूरी है. जैसे- लगातार निगेटिव विचार आने पर इनके बारे में अपने दोस्तों से बात करें.

नेगेटिव सोच को पॉजिटिव कैसे बनाएं?

मन के अंदर बुरे विचार आना, दूसरे के बारे में गलत विचार ना , यह सारी शैतानी शक्ति होती है। इस ब्लॉग में Positive Thinking in Hindi के बारे में बताया जाएगा, जिससे आपका मन सकारात्मक बातों से खील उठेगा। जीवन में हर एक मनुष्य को हमेशा सकारात्मक सोच रखनी चाहिए।