लैंगिक असमानता: कारण और समाधान
इस Editorial में The Hindu, The Indian Express, Business Line आदि में प्रकाशित लेखों का विश्लेषण किया गया है। इस लेख के अंतर्गत लैंगिक असमानता के कारण और समाधान से संबंधित विभिन्न पहलुओं पर चर्चा की गई है। आवश्यकतानुसार, यथास्थान टीम दृष्टि के इनपुट भी शामिल किये गए हैं। Show
संदर्भ‘समानता एक सुंदर और सुरक्षित समाज की वह नींव है जिस पर विकास रूपी इमारत बनाई जा सकती है।’ लैंगिक समानता क्या है? आखिर क्यों यह किसी भी समाज और राष्ट्र के लिये एक आवश्यक तत्त्व बन गया है? क्या बदलते समाज में यह प्रासंगिक है? लैंगिक समानता का अर्थ यह नहीं कि समाज का प्रत्येक व्यक्ति एक लिंग का हो अपितु लैंगिक समानता का सीधा सा अर्थ समाज में महिला तथा पुरुष के समान अधिकार, दायित्व तथा रोजगार के अवसरों के परिप्रेक्ष्य में है। इसी तथ्य के मद्देनज़र सितंबर, 2015 में संयुक्त राष्ट्र महासभा की उच्च स्तरीय बैठक में एजेंडा 2030 के अंतर्गत 17 सतत विकास लक्ष्यों को रखा गया, जिसे भारत सहित 193 देशों ने स्वीकार किया। इन लक्ष्यों में सतत विकास लक्ष्य 5 के अंतर्गत लैंगिक समानता के विषय को भी शामिल किया गया है। स्पष्ट है कि हमारे समाज के विकास के लिये लैंगिक समानता अति आवश्यक है। महिला और पुरुष समाज के मूल आधार हैं। समाज में लैंगिक असमानता सोच-समझकर बनाई गई एक खाई है, जिससे समानता के स्तर को प्राप्त करने का सफर बहुत मुश्किल हो जाता है। लैंगिक असमानता के विभिन्न क्षेत्रों की बात करें तो इसमें सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक क्षेत्र के साथ वैज्ञानिक क्षेत्र, मनोरंजन क्षेत्र, चिकित्सा क्षेत्र और खेल क्षेत्र प्रमुख हैं। 28 फरवरी को राष्ट्रीय विज्ञान दिवस ‘विज्ञान के क्षेत्र में महिलाएँ’ थीम के साथ आयोजित किया गया। यह विज्ञान के क्षेत्र में महिलाओं की भूमिका को रेखांकित करने का एक बेहतरीन प्रयास है, परंतु लैंगिक असमानता की इस खाई को दूर करने में हमें अभी मीलों चलना होगा। इस आलेख में लैंगिक असमानता के कारणों पर न केवल चर्चा की जाएगी बल्कि इस समस्या का समाधान तलाशने का प्रयास भी किया जाएगा। लैंगिक असमानता से तात्पर्य
लैंगिक असमानता के विभिन्न क्षेत्र
लैंगिक असमानता के कारक
असमानता को समाप्त करने के प्रयास
आगे की राह
प्रश्न- लैंगिक असमानता क्या है? लैंगिक असमानता को दूर करने के लिये किये जा रहे प्रयासों का विश्लेषण कीजिये। असमानता के विभिन्न पहलुओं की विवेचना कीजिए इसके कारण और परिणाम क्या हैं इसे कम करने के लिए क्या करना चाहिए?महिलाओं को सामाजिक और पारिवारिक रुढ़ियों के कारण विकास के कम अवसर मिलते हैं, जिससे उनके व्यक्तित्व का पूर्ण विकास नहीं हो पाता है।. लैंगिक असमानता का तात्पर्य लैंगिक आधार पर महिलाओं के साथ भेदभाव से है। ... . वे घर और समाज दोनों जगहों पर शोषण, अपमान और भेद-भाव से पीड़ित होती हैं।. असमानता को दूर करने के प्रमुख उपाय क्या है?आर्थिक असमानता कम करने के लिए जातीय आधार पर आरक्षण खत्म करके आरक्षण का आधार आर्थिक किया जाना चाहिए। अनुसूचित जाति और जनजाति वर्ग में भी ओबीसी की तरह क्रीमीलेयर का प्रावधान किया जाना चाहिए। रोजगारपरक कौशल विकास, ऋण की सहज उपलब्धता और शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार की गारंटी कुछ ऐसे प्रावधान हैं, जो भारत सरकार कर सकती है।
असमानता क्या है असमानता का एक कारण लिखिए?भारत में, असमानता के कई कारण हैं लेकिन मुख्य कारण गरीबी, लिंग, धर्म और जाति हैं। भारतीय बहुसंख्यक लोगों की निम्न स्तर की आय बेरोज़गारी और ठेका और परिणामस्वरूप श्रम की कम उत्पादकता है। कम श्रम उत्पादकता का तात्पर्य है आर्थिक विकास की कम दर जो लोगों के बड़े पैमाने पर गरीबी और असमानता का मुख्य कारण है।
सामाजिक असमानता क्या है सामाजिक असमानता के कोई चार उदाहरण दीजिये?सामाजिक असमानता के प्रमुख उदाहरणों में आय अंतर, लिंग असमानता, स्वास्थ्य देखभाल और सामाजिक वर्ग शामिल हैं। स्वास्थ्य देखभाल में, कुछ व्यक्तियों को दूसरों की तुलना में बेहतर और अधिक पेशेवर देखभाल प्राप्त होती है। उन्हें इन सेवाओं के लिए अधिक भुगतान करने की भी उम्मीद है।
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