इसे सुनेंरोकेंअंतरराज्यीय जल विवाद अधिनयम, केंद्र सरकार को अंतरराज्यीय नदियों और नदी घाटियों के जल के प्रयोग, बंटवारे तथा नियंत्रण से संबंधित दो अथवा दो से अधिक राज्यों के मध्य किसी विवाद के न्याय-निर्णय हेतु एक अस्थायी न्यायाधिकरण के गठन की शक्ति प्रदान किया गया है। भारत में मुख्य जल विवाद कौन सा है? इसे सुनेंरोकेंकर्नाटक और तमिलनाडु के
बीच कावेरी विवाद, रावी-ब्यास नदी जल विवाद और कृष्णा नदी की घाटी में मौजूद राज्यों के बीच लड़ाई भारत में बड़े विवादों के उदाहरण हैं जो नदी के पानी को लेकर संघीय शासन के सामने बड़ी चुनौती हैं. कौन सा राज्य कावेरी नदी जल विवाद का हिस्सा है? इसे सुनेंरोकेंप्रमुख बिंदु कावेरी जल विवाद: परिचय: इसमें 3 राज्य और एक केंद्रशासित प्रदेश (तमिलनाडु, केरल, कर्नाटक और पुद्दुचेरी) शामिल हैं। इसे सुनेंरोकेंरायपुर, राज्य ब्यूरो। Water Dispute:
छत्तीसगढ़ और ओडिशा के बीच महानदी के जल को लेकर 38 वर्ष से विवाद चल रहा है। जल संसाधन विभाग के अफसरों के अनुसार उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश के बीच लिंक परियोजना के जल बंटवारे को लेकर विवाद था, लेकिन यहां नदी बेसिन पर अधिकार और निर्माण से लेकर जल बंटवारे तक का विवाद है। कृष्णा गोदावरी विवाद में निम्न में से कौन सा राज्य शामिल नहीं है? इसे सुनेंरोकें’गोदावरी जल विवाद न्यायाधिकरण’ (Godavari Water Disputes Tribunal) का गठन अप्रैल, 1969 में किया गया था तथा न्यायाधिकरण ने
जुलाई, 1980 में अपना निर्णय दिया। गोदावरी नदी विवाद में महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, उड़ीसा, मध्य प्रदेश और कर्नाटक राज्य शामिल थे। कृष्णा गोदावरी विवाद में कौन सा राज्य शामिल नहीं था? एसवाईएल जल विवाद हरियाणा और पंजाब के बीच में है कावेरी जल विवाद कौन से दो राज्यों से संबंधित है?इसे सुनेंरोकेंहरियाणा का कहना है कि एसवाइएल नहर उसके किसानों के लिए जीवन रेखा है, लेकिन पंजाब को भी अपने किसानों और घटते जलस्तर की चिंता थी। -वर्ष 1955 में केंद्र सरकार ने राज्यों की सहमति से रावी और ब्यास नदी के पानी को राजस्थान, पंजाब और जम्मू-कश्मीर में बांटने की बात तय की। नर्मदा जल विवाद प्राधिकरण का गठन कब किया गया? इसे सुनेंरोकेंअंतर्राज्जीय जल विवाद अधिनियम, 1956 की धारा-4 के अंतर्गत केंद्र सरकार के न्यायधीश वी. रामास्वामी की अध्यक्षता में नर्मदा जल और नर्मदा नदी घाटी विकास के सहभाजन पर निर्णय देने के लिए 6 अक्तूबर,1969 को नर्मदा जल विवाद अभिकरण (एनडब्ल्यूडीटी) का गठन किया। अभिकरण ने अपना पंचाट 7 दिसंबर, 1979 को दिया। कृष्णा गोदावरी विवाद क्या है? इसे सुनेंरोकेंवर्ष 1969 में गोदावरी जल विवाद अधिकरण का गठन आंध्रप्रदेश, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, ओडिशा और कर्नाटक के मध्य गोदावरी नदी के जल बटवारे को लेकर किया गया था। अधिकरण द्वारा वर्ष 1980 के निर्णय के तहत प्रत्येक राज्य गोदावरी तथा इसकी सहायक नदियों के जल का उपयोग एक निर्धारित स्तर तक करने के लिये स्वतंत्र था। https://www.youtube.com/watch?v=x-C8-XBahFs संदर्भ एवं पृष्ठभूमि नदी जल विवाद से जुड़े संवैधानिक प्रावधान
(टीम दृष्टि इनपुट) क्या कहा सुप्रीम अदालत ने?
बनेगा कावेरी जल प्रबंधन बोर्ड शहरों का नियोजित विकास होना ज़रूरी (टीम दृष्टि इनपुट) राष्ट्रीय संपत्ति है पानी विदित हो कि नदी जल को राज्य सूची की प्रविष्टि-17 में रखा गया है, जबकि नदी घाटी के नियमन और विकास को संघीय सूची की प्रविष्टि-56 में स्थान दिया गया है। इसी वज़ह से प्रायः यह प्रश्न उठता है कि नदी जल विवाद में केंद्र का नियम मान्य होगा या राज्य का? कुछ जानकार इसे भी नदी जल विवाद का एक कारण मानते हैं। नदी जल विवाद से जुड़े अंतरराष्ट्रीय सिद्धांत
(टीम दृष्टि इनपुट) कावेरी विवाद क्या है?
कावेरी जल विवाद के मूल में इस्तेमाल योग्य जल संसाधनों की पुनर्साझेदारी का मसला है। कर्नाटक और तमिलनाडु के बीच सिंचाई के लिये पानी की जरूरत को लेकर दशकों से विवाद जारी है। पानी के बँटवारे का विवाद मुख्य रूप से तमिलनाडु और कर्नाटक के बीच है, लेकिन कावेरी बेसिन में केरल और पुद्दुचेरी के कुछ छोटे-छोटे इलाके भी इसमें शामिल हैं। कावेरी एक अंतरराज्यीय नदी है। केरल, कर्नाटक, तमिलनाडु और पुद्दुचेरी इस नदी के बेसिन में आते हैं। (टीम दृष्टि इनपुट)
इसके बाद 2007 में 16 साल की सुनवाई के पश्चात् ट्रिब्यूनल ने फैसला दिया कि प्रतिवर्ष 419 टीएमसी फीट पानी तमिलनाडु को दिया जाए, जबकि 270 टीएमसी फीट पानी कर्नाटक को दिया गया। कावेरी बेसिन में 740 टीएमसी फीट पानी मानते हुए ट्रिब्यूनल ने यह फैसला दिया था, जिसमें केरल को 30 टीएमसी फीट और पुद्दुचेरी को 7 टीएमसी फीट पानी दिया गया। लेकिन कर्नाटक और तमिलनाडु, दोनों ही इस फैसले से संतुष्ट नहीं थे और उन्होंने सर्वोच्च न्यायालय में अपील की थी। तब से अब तक इस विवाद को सुलझाने की कोशिश चलती रही है। कावेरी नदी का समीकरण
(टीम दृष्टि इनपुट) निष्कर्ष: जल एक सीमित संसाधन है और इसकी मांग मानव सभ्यता के विकास के साथ-साथ बढ़ती ही जा रही है। 1951 की जनगणना में भारत में प्रति व्यक्ति जल की उपलब्धता 5177 क्यूबिक मीटर थी जो कि 2011 में मात्र 1545 क्यूबिक मीटर रह गई, जबकि इस बीच जनसंख्या में लगभग 335% की वृद्धि हुई है। यानी घटते जल-स्रोत और बढ़ती आवश्यकता, मांग-आपूर्ति के संतुलन को बिगाड़ते हैं जिससे नदी जल विवाद पैदा होता है। कावेरी नदी कर्नाटक और तमिलनाडु की जीवनरेखा कही जाती है और ये दोनों राज्य सिंचाई के लिये अधिकतम पानी की मांग करते रहे हैं। यह भी स्पष्ट है कि कोई भी ऐसा फैसला लगभग नामुमकिन है, जो सभी पक्षों को पूरी तरह संतुष्ट कर सके। इस फैसले की असली परीक्षा अब इस बात में होगी कि ज़मीनी स्तर पर इसे कैसे लागू किया जाता है? देश में और भी कई नदी जल विवाद विभिन्न राज्यों के बीच लंबे समय से चल रहे हैं, जो एक गंभीर विषय है। अंतर्राज्यीय नदी जल विवाद के निपटारे हेतु बने नियम-कानूनों की अस्पष्टता और शिथिलता भी नदी जल विवाद के राजनीतिकरण को बढ़ावा देती है जिससे यह समस्या सुलझने की बजाय उलझती ही चली जाती है और नदी जल विवाद का कारण बनती है। लगभग इसी तरह की समस्या कुछ अन्य नदियों के जल के बँटवारे को लेकर भी है। प्रत्येक राज्य इसी देश का हिस्सा है और उनके बीच इस तरह का विवाद किसी के भी हित में नहीं है। अंतर्राज्यीय जल विवाद क्या है?उत्तर : स्वतंत्रता के पश्चात जनसंख्या की तीव्र वृद्धि, कृषि विकास, शहरीकरण, औद्योगीकरण आदि के कारण जल की मांग में लगातार वृद्धि होती गई। इस कारण इन नदियों के जल में हिस्सेदारी के संबंध में अनेक अंतर्राज्यीय जल विवाद उत्पन्न हुए। नदी जल विवादों के कारण राज्यों के आपसी संबंधों में तनाव उत्पन्न हो जाता है।
भारत में जल विवाद क्या है?नदी बोर्ड अधिनयम (1956) तथा अंतरराज्यीय जल विवाद अधिनयम(1956)। अंतरराज्यीय जल विवाद अधिनयम, केंद्र सरकार को अंतरराज्यीय नदियों और नदी घाटियों के जल के प्रयोग, बंटवारे तथा नियंत्रण से संबंधित दो अथवा दो से अधिक राज्यों के मध्य किसी विवाद के न्याय-निर्णय हेतु एक अस्थायी न्यायाधिकरण के गठन की शक्ति प्रदान किया गया है।
कावेरी जल विवाद कौन से राज्य में है?सही उत्तर कर्नाटक और तमिलनाडु है। कावेरी जल विवाद में शामिल दो राज्य कर्नाटक और तमिलनाडु हैं।
जल विवाद का समाधान क्या है?विधेयक के माध्यम से राज्यों द्वारा पानी की बढ़ती मांग के कारण निरंतर बढ़ रहे अंतरराज्यीय जल विवादों के समाधान हेतु अंतर्राज्यिक नदी जल विवाद अधिनियम, 1956 में संशोधन किया गया है। 1. गोदावरी जल विवाद न्यायाधिकरण 10 अप्रैल 1969 को गठित किया गया जिसने जुलाई, 1980 में अपना निर्णय दिया । 2.
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