भोजन का मुख्य स्रोत कौन सा है? - bhojan ka mukhy srot kaun sa hai?

भोजन की उत्कृष्टता उसमें उपलब्ध पौष्टिक तत्वों के आधार पर तय की जाती है। ये पौष्टिक तत्व ही भोजन के अवयव होते हैं। 
  • पौष्टिक तत्व भोजन में पाए जाने वाले वे रासायनिक यौगिक हैं, जो भोजन में अवशोषित होकर हमारे स्वास्थ्य को बेहतर बनाते हैं। 
  • पौष्टिक तत्वों को सामान्यतः वृहत् पौष्टिक तत्वों एवं सूक्ष्म पौष्टिक तत्वों में विभाजित किया जाता है। 
  • वृहत् पौष्टिक तत्व आहार और ऊर्जा की आपूर्ति करने के साथ-साथ शरीर के विकास एवं उसके विभिन्न क्रियाकलापों के लिए जरूरी पौष्टिक तत्व बनाते हैं। कार्बोहाइड्रेट्स, वसा, प्रोटीन, सूक्ष्म खनिज तत्व और पानी वृहत् पौष्टिक तत्व के अन्तर्गत आते हैं। 
  • सूक्ष्म पोषक तत्वों में विटामिन (विटामिन और वसा दोनों में घुलनशील) और आवश्यक सूक्ष्म खनिज तत्व शामिल होते हैं। इन पौष्टिक तत्वों की पर्याप्त आपूर्ति अच्छे स्वास्थ्य कार्यात्मक दक्षता एवं उत्पादकता के लिए बुनियादी मूलभूत जरूरत है। 
  • भोजन के मुख्य अवयव हैं- कार्बोहाइड्रेट, वसा, प्रोटीन, खनिज लवण, विटामिन, जल एवं रुक्षांश ।
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    कार्बोहाइड्रेट्स Carbohydrates

     

    • कार्बोहाइड्रेट, पॉलीहाइड्रॉक्सी एल्डिहाइड अथवा कीटोन होते हैं, जो कार्बन, हाइड्रोजन एवं ऑक्सीजन से बने होते हैं। इन तीनों तत्वों का अनुपात कार्बोहाइड्रेट में सामान्यतया 1:2: 1 होता है। 
    • कार्बोहाइड्रेट हमारे शरीर का लगभग 1% भाग बनाते हैं। 
    • आलू, फल, अनाज, शर्करा, रोटी, दूध आदि कार्बोहाइड्रेट के स्रोत हैं। 
    • कार्बोहाइड्रेट ऊर्जा प्रदान करने, ऑर्थ्रोपोडा में बाह्य कंकाल बनाने, पौधों की कोशिका भित्ति के निर्माण तथा आनुवंशिक पदार्थ के निर्माण का कार्य करते हैं। 


    शर्करा अणुओं के आधार पर कार्बोहाइड्रेट को तीन भागों में बाँटा जा सकता है-

     

    (i) मोनोसैकेराइड्स (Monosaccharides) -

    • ये केवल एक शर्करा अणु के बने होते हैं, जैसे- ग्लूकोस, फ्रक्टोस आदि। 

    (ii) ऑलिगोसैकेराइड्स (Oligosaccharides) 

    • ये दो से दस मोनोसैकेराइड इकाइयों के बहुलक होते हैं। मोनोसैकेराइड इकाइयों की संख्या के अनुसार इन्हें डाइसैकेराइड, ट्राइसैकेराइड टेट्रासैकेराइड आदि कहते हैं जैसे- सुक्रोस, माल्टोस, - लैक्टोस, आदि ।

     

    (iii) पॉलीसैकेराइड्स (Polysaccharides)

    • बहुत-सी दो से दस मोनोसैकेराइड इकाइयों के ग्लाइकोसाडिक बन्ध (Glycosidic bonds) द्वारा जुड़ने से बनते हैं, जैसे- सेलुलोस, स्टार्च, ग्लाइकोजन, काइटिन आदि।

     

    वसा क्या होता है  (What is Fats in Hindi)

     

    • वसा ग्लिसरॉल एवं वसीय अम्ल की एक एस्टर होती है।
    • जन्तु वसा अर्द्ध ठोस होती है, जबकि वनस्पति वसा तरल रूप में होती है। 
    • घी, मक्खन, बादाम, पनीर, अण्डा, माँस, सोयाबीन एवं वनस्पति तेल वसा के मुख्य स्रोत हैं।
    • वसाएँ ऊर्जा उत्पादन, शरीर के निश्चित ताप को बनाए रखने, कोशिका कला के निर्माण आदि का कार्य करती हैं। 
    • इसमें अत्यधिक कैलोरी (ऊर्जा) होती है और ये आवश्यक वसा अम्लों के मुख्य स्रोत हैं। ' 1 ग्राम वसा के ऑक्सीकरण द्वारा 37 किलो जूल या 5.65 किलो कैलोरी ऊर्जा प्राप्त होती है। 
    • ये जल में अविलेय एवं ऐसीटोन, बेन्जीन, क्लोरोफॉर्म आदि में विलेय होते हैं। 
    • यह कोशिका द्रव्य, कोशिका कला आदि में मुख्य रूप से पाई जाती है।

     

    प्रोटीन किसे कहते हैं (What is Protein in Hindi)

     

    • प्रोटीन शब्द का सर्वप्रथम प्रयोग जे. बरजेलियस ने किया था। यह एक जटिल कार्बनिक यौगिक है, जो 20 अमीनों अम्लों से मिलकर बने होते हैं। मानव शरीर का लगभग 15% भाग प्रोटीन से ही निर्मित होता है।
    • ऊर्जा उत्पादन एवं शरीर की मरम्मत दोनों कार्यों के लिए प्रोटीन उत्तरदायी होता है। 
    • मनुष्य के शरीर में 20 प्रकार की प्रोटीन्स की आवश्यकता होती है, जिनमें से 10 का संश्लेषण उसका शरीर स्वयं करता है तथा शेष 10 भोजन के द्वारा होते हैं।

     

    प्रोटीन के प्रकार (Types of Protein in Hindi)

     

    (i) सरल प्रोटीन (Simple Protein)-

    • वे प्रोटीन्स, जो केवल अमीनों अम्लों के बने होते हैं, सरल प्रोटीन कहलाते हैं। उदाहरण एल्यूमिन्स, ग्लोब्यूलिन्स, हिस्टोन इत्यादि।

     

    (ii) संयुग्मी प्रोटीन (Complex Protein)

    • वे प्रोटीन, जिनके अणुओं के साथ समूह भी जुड़े रहते हैं, संयुग्मी प्रोटीन कहलाते हैं। उदाहरण क्रोमोप्रोटीन, ग्लाइकोप्रोटीन आदि ।

     

    (iii) व्युत्पन्न प्रोटीन्स (Derivaties Protein)

    • वे प्रोटीन, जो प्राकृतिक प्रोटीन के जलीय अपघटन से बनते हैं, व्युत्पन्न प्रोटीन कहलाते हैं। उदाहरण प्रोटिअन्स, पेप्टोन, पेप्टाइड ।

     

    प्रोटीन के महत्त्वपूर्ण कार्य (Important Functions of Protein)

     

    • ये कोशिकाओं, जीवद्रव्य एवं उत्तकों के निर्माण में भाग लेते हैं। 
    • शारीरिक वृद्धि के लिए आवश्यक हैं। इनकी कमी से शारीरिक विकास रुक जाता है।
    • बच्चों में प्रोटीन की कमी से क्वाशियोकॉर एवं मेरेस्मस नामक रोग हो जाता है। 
    • आवश्यकता पड़ने पर ये शरीर को ऊर्जा देते हैं। 
    • ये जैव उत्प्रेरक एवं जैविक नियन्त्रक के रूप में कार्य करते हैं। 
    • आनुवंशिकी लक्षणों के विकास का नियन्त्रण करते हैं। 
    • ये संवहन में भी सहायक होते हैं।

     

    आवश्यक प्रोटीन एवं उनके कार्य

     

    शारीरिक प्रोटीन- कार्य 

    एन्जाइम -जैव उत्प्रेरक, जैव रासायनिक अभिक्रियाओं में सहायक है। 

    हॉमोन-शरीर की क्रियाओं का नियमन करते हैं। 

    परिवहन प्रोटीन-हीमोग्लोबिनविभिन्न पदार्थों का परिवहन करता है।

    संरचनात्मक प्रोटीन- कोशिका एवं ऊतक निर्माण करती है

    रक्षात्मक प्रोटीन- संक्रमण से रक्षा करने में सहायक है

    संकुचन प्रोटीन -यह पेशी संकुचन एवं चलन हेतु उत्तरदायी है। उदाहरण मायोसिन, एक्टिन आदि

     

    प्रोटीन की कमी से उत्पन्न रोग (Disease Due to Lack of Protein)

     

    • प्रोटीन की कमी से बच्चों में क्वाशियोकॉर नामक बीमारी होती है। इस रोग में बच्चों के हाथ-पाँव दुबले-पतले हो जाते हैं एवं पेट बाहर की ओर निकल जाता है। 
    • प्रोटीन की कमी से बच्चों में मेरेस्मस नामक बीमारी होती है। इसमें बच्चों के शरीर की माँसपेशियाँ ढीली हो जाती हैं।

     

    खनिज लवण क्या होते हैं (Mineral Salts in Hindi)

     

    • धातु, अधातु एवं उनके लवण, खनिज लवण कहलाते हैं। ये हमारे शरीर का लगभग 6.1% भाग बनाते हैं। 
    • खनिज लवण शरीर के ऊतकों के निर्माण के लिए कच्चा पदार्थ हैं और एन्जाइम तथा विटामिन के आवश्यक अंग हैं। 


    खनिज लवण दो प्रकार के होते हैं-

     

    (i) दीर्घ तत्व (Major Elements) 

    • इन तत्वों की शरीर को अधिक मात्रा में आवश्यकता होती है। उदाहरण कैल्शियम (Ca), फॉस्फोरस (P), पोटैशियम (K), गन्धक (S), सोडियम (Na), क्लोरीन (CI) और मैग्नीशियम (Mg) आदि ।

    (ii) अल्प तत्व (Minor Elements) 

    • इन तत्वों की शरीर को "बहुत मात्रा में आवश्यकता होती है। कम उदाहरण आयोडीन (Na), लौह (Fe), कोबाल्ट (Co), फ्लुओरीन (F), मोलिब्डेनम (Mo) और सैलिनियम (Se) आदि ।

     

    जल भोजन स्रोत (Water as Food Sources) 

     

    • "यह एक अकार्बनिक पदार्थ है और मानव शरीर का 60-75% भाग बनाता है। 
    • यह पसीने एवं वाष्पन द्वारा शरीर का ताप नियन्त्रित करता है तथा पाचन, परिवहन एवं उत्सर्जन में सहायक है। 
    • इसके मुख्य स्रोत उपापचयी जल, तरल भोजन और पीने का जल है। 
    • यह अपने आयनों में विघटित होकर रासायनिक प्रतिक्रियाओं में भाग लेता है।
    • जल की कमी से निर्जलीकरण (Dehydration) हो जाता है।

     

    रुक्षांश क्या होते हैं (Roughage in Hindi)

     

    • यह कुछ भोज्य पदार्थों में पाया जाने वाला तन्तुमय पदार्थ (Fibrous material) है। 
    • यह शरीर की वृद्धि नहीं करता क्योंकि हम इसका पाचन नहीं कर पाते। 
    • यह कब्ज को रोकने हेतु अधिक मात्रा में भोजन में मिलाया जाता है।
    • इसके मुख्य स्रोत, सलाद, अनाजों की बाह्य परत, सब्जियाँ एवं दलिया हैं।

     

    विटामिन क्या होते हैं  ( What are Vitamins in Hindi)

     

    • विटामिन की खोज कैसीमिर फुंक ने सन् 1911 में की थी। 
    • यह एक प्रकार का कार्बनिक यौगिक है। इनसे कोई कैलोरी नहीं प्राप्त होती, परन्तु ये शरीर के उपापचय (Metabolism) में रासायनिक प्रतिक्रियाओं के नियम के में लिए अत्यन्त आवश्यक है।

     

    घुलनशीलता के आधार पर विटामिन दो प्रकार के होते हैं

    • जल में घुलनशील विटामिन विटामिन B एवं विटामिन C

     

    बसा या कार्बनिक घोलकों में घुलनशील विटामिन

    विटामिन A, विटामिन D, विटामिन E एवं विटामिन K 


    • विटामिन B12, में कोबाल्ट पाया जाता है। 
    • विटामिनों का संश्लेषण हमारे शरीर की कोशिकाओं द्वारा नहीं हो सकता एवं इसकी पूर्ति विटामिन युक्त भोजन से होती है, तथापि विटामिन D एवं K का संश्लेषण हमारे शरीर में होता है। 
    • विटामिन D का संश्लेषण सूर्य के प्रकाश में उपस्थित पराबैंगनी किरणों द्वारा त्वचा के कोलेस्टेरॉल (इर्गेस्टीरॉल) द्वारा होता है।

      भोजन के मुख्य स्रोत क्या हैं?

      हमारे भोजन के मुख्य पोषक तत्त्वों के नाम कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, वसा, विटामिन तथा खनिज-लवण हैं। इनके अतिरिक्त भोजन में आहारी रेशे तथा जल भी होता है। - कार्बोहाइड्रेट तथा वसा हमारे शरीर को मुख्य रूप से ऊर्जा प्रदान करते हैं। - प्रोटीन तथा खनिज-लवण की आवश्यकता हमारे शरीर की वृद्धि तथा अनुरक्षण के लिए होती है।

      भोजन के कितने स्रोत हैं?

      भोजन सामग्री हमें मुख्य रूप से जंतुओं और पादपों से प्राप्त होती है। पादपों से मिलने वाला भोजन: पादपों से चावल, गेहूँ, सब्जियाँ, फल, आदि मिलते हैं। हमें ये सामग्री पादप के विभिन्न अंगों से मिलती हैं। जड़: हम कई पौधों की जड़ों को खाते हैं, जैसे: मूली, गाजर, चुकंदर, आदि।

      भोजन का मुख्य कार्य क्या है?

      भोजन के कार्य निम्नलिखित प्रकार से हैं - <br> (1) भोजन से हमें ऊर्जा मिलती है। <br> (2) भोजन क्षतिग्रस्त कोशिकाओं, ऊतकों और अंगों की मुरम्मत और पुनर्निर्माण में सहायक है। <br> (3) भोजन शारीरिक वृद्धि और प्रजनन में सहायक है। <br> (4) भोजन रोगों के प्रति प्रतिरक्षात्मक शक्ति पैदा करके हमें उनसे, बचाता है।

      भोजन परिभाषा क्या है?

      भोजन क्या है? (Bhojan kya hai) भोजन वे सभी आवश्यक पदार्थ होते हैं जिसे ग्रहण करने से किसी जीव की शरीर की रचना तथा टूट – फूट की मरम्मत, वृद्धि एवं विकास, जनन क्षमता का विकास, ऊर्जा उत्पादन के साथ – साथ जैविक क्रियाओं का संचालन और नियमन आदि के कार्य करते हैं.

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