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भारत का राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग एक स्वायत्त विधिक संस्था है। इसकी स्थापना 12 अक्टूबर 1993 को हुई थी। इसकी स्थापना मानवाधिकार सरक्षण अधिनियम, 1993 के अन्तर्गत की गयी। यह आयोग देश में मानवाधिकारों का प्रहरी है। यह सविंधान द्वारा अभिनिश्चित तथा अन्तरराष्ट्रीय सन्धियों में निर्मित व्यक्तिगत अधिकारों का संरक्षक है। यह एक बहु सदस्यीय निकाय है। इसके प्रथम अध्यक्ष न्यायमूर्ति रंगनाथ मिश्र थे। वर्तमान में (2021)न्यायमूर्ति अरुण कुमार मिश्रा इसके वर्तमान अध्यक्ष के पद पर आसीन है। इसके अध्यक्ष व सदस्यों का कार्यकाल 3 वर्ष या 70 वर्ष (जो भी पहले पूर्ण हो जाए)। इसके अध्यक्ष व सदस्यों की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा एक गठित समिति की सिफारिश पर होती है। राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग का गठन पेरिस सिद्धान्तों के अनुरूप है जिन्हें अक्तूबर, 1991 में पेरिस में मानव अधिकार संरक्षण एवं संवर्द्धन के लिए राष्ट्रीय संस्थानों पर आयोजित पहली अन्तरराष्ट्रीय कार्यशाला में अंगीकृत किया गया था तथा 20 दिसम्बर, 1993 में संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा संकल्प 48/134 के रूप में समर्थित किया गया था। राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के कार्य व शक्तियाँ मानवाधिकार से जुड़े मुद्दों पर सरकार को परामर्श देना। यह परामर्श दात्री निकाय है इसलिए दण्ड देने का अधिकार नहीं है। 1 वर्ष से अधिक पुराने मामलों को सरकार की सहमति से सुनवाई कर सकता है इसे लोक न्यायालय की शक्तियाँ प्राप्त होती हैं यह अपनी रिपोर्ट राष्ट्रपति को सौंपता है। राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष एचएल दत्तू ने इस आयोग को दन्त-विहीन बाघ कहा है मानव अधिकार आयोग अपनी रिपोर्ट केंद्र सरकार को प्रतिवर्ष सौपती है।[संपादित करें]
अरुण कुमार मिश्रा है National Human Rights Commission Official Website राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग यह सांविधिक निकाय है ना कि संवैधानिक । इस आयोग का गठन संसद में पारित अधिनियम के अंतर्गत हुआ था जिसका नाम था मानवाधिकार संरक्षण अधिनियम, 1993 । इसको 2006 में संशोधित किया गया। यह आयोग देश में मानवाधिकार का प्रहरी है। आयोग की स्थापना के मुख्य उद्देश्य इस प्रकार हैं-
आयोग की संरचना
इन पूर्णकालिक सदस्यों के अतिरिक्त आयोग में चार अन्य सदस्य भी होते हैं-राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग, राष्ट्रीय अनुसूचित जाति व राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग व राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्ष । आयोग के अध्यक्ष व सदस्यों की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा प्रधानमंत्री के नेतृत्व में गठित 6 सदस्यीय समिति की सिफारिश पर होती है । समिति में प्रधानमंत्री, लोकसभा अध्यक्ष, राज्यसभा के उपसभापति, संसद के दोनों सदनों के मुख्य विपक्षी दल के नेता और केंद्रीय मंत्री होते हैं । इसके अतिरिक्त भारत के मुख्य न्यायाधीश की सलाह पर उच्चतम न्यायालय के किसी न्यायाधीश अथवा उच्च न्यायालय के किसी मुख्य न्यायाधीश की नियुक्ति की जा सकती है । कार्यकाल आयोग के अध्यक्ष व सदस्यों का कार्यकाल 5 वर्ष अथवा जब उनकी उम्र 70 वर्ष हो जो भी पहले हो,का होता है। अपने कार्यकाल के पश्चात आयोग के अध्यक्ष व सदस्य केंद्र सरकार अथवा राज्य सरकारों में किसी भी पद के योग्य नहीं होते हैं । राष्ट्रपति अध्यक्ष व सदस्यों को उनके पद से किसी भी समय निम्नलिखित स्थितियों में हटा सकता है-
इसके अतिरिक्त राष्ट्रपति अध्यक्ष तथा किसी भी सदस्य को उसके दुराचरण या अक्षमता के कारण ही पद से हटा सकता है । आयोग के अध्यक्ष व सदस्यों के वेतन भत्तों व अन्य सेवा शर्तों का निर्धारण केंद्रीय सरकार द्वारा किया जाता है परंतु नियुक्ति के उपरांत उनमें अलाभकारी परिवर्तन नहीं किया जा सकता । उपरोक्त सभी उपबंधो का उद्देश्य आयोग की कार्यशैली की स्वायत्तता, स्वाधीनता तथा निष्पक्षता प्रदान करना है । आयोग के कार्य राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के कार्य निम्नलिखित हैं-
आयोग की कार्यप्रणाली
आयोग जांच के दौरान के उपरांत निम्नलिखित में से कोई भी कदम उठा सकता है-
इस प्रकार कहा जा सकता है कि आयोग का कार्य मुख्यतः सिफारिश या सलाहकारी प्रवृति का होता है । आयोग मानवाधिकार उल्लंघन के दोषी को दंड देने का अधिकार नहीं रखता ना ही आयोग पीड़ित को किसी प्रकार की सहायता जैसे-आर्थिक सहायता दे सकता है । Videos Related To Subject TopicComing Soon.... राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की नियुक्ति कौन करता है?व्याख्या: राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष की नियुक्ति के लिए गठित समिति में प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में, लोकसभा अध्यक्ष, गृह मंत्री, मुख्य विपक्षी दल के नेता और राज्यसभा के उपाध्यक्ष शामिल होते हैं।
राज्य मानवाधिकार आयोग के अध्यक्षों की नियुक्ति कौन करता है?अध्यक्ष और सदस्यों की नियुक्ति राज्यपाल द्वारा एक समिति की सिफारिशों पर की जाती है जिसमें मुख्यमंत्री इसके प्रमुख, विधान सभा के अध्यक्ष, राज्य के गृह मंत्री और विधान सभा में विपक्ष के नेता होते हैं।
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष की नियुक्ति कैसे की जाती है?आयोग के अध्यक्ष एवं सदस्यों की नियुक्ति प्रधानमंत्री की अध्यक्षता वाली समिति, जिसमे लोकसभा का स्पीकर, गृहमंत्री, लोकसभा एवं राज्यसभा में विपक्ष के नेता तथा सदस्य के रूप में राज्य सभा के उपाध्यक्ष शामिल होते हैं, की सिफारिशों के आधार पर राष्ट्रपति द्वारा की जाती है।
राष्ट्रीय मानवाधिकार के अध्यक्ष कौन है?2 जून 2021 को जस्टिस (रिटायर्ड) अरुण कुमार मिश्रा को राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग का अध्यक्ष नियुक्त किया गया. ये पद पिछले 6 महीनों से ख़ाली पड़ा था. इससे पहले देश के पूर्व मुख्य न्यायाधीश एचएल दत्तू आयोग के अध्यक्ष थे, जिनका कार्यकाल 2 दिसंबर 2020 को समाप्त हो गया था.
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