भारत में रविवार की छुट्टी क्यों होती है? - bhaarat mein ravivaar kee chhuttee kyon hotee hai?

Why Holiday only on Sunday: बच्चे हों या बड़े, संडे का इंतजार सभी को रहता है क्योंकि यह छुट्टी का दिन होता है. दुनिया के ज्यादातर देशों में यही दिन छुट्टी के लिए तय किया गया है, पर कभी सोचा है कि ऐसा क्यों किया गया है. जानिए, इसकी वजह...

भारत में रविवार की छुट्टी क्यों होती है? - bhaarat mein ravivaar kee chhuttee kyon hotee hai?

रविवार को छुट्टी मनाए जाने के पीछे कई कारण रहे हैं.

बच्चे हों या बड़े, संडे (Sunday) का इंतजार सभी को रहता है क्योंकि यह छुट्टी का दिन होता है. दुनियाभर के ज्यादातर देशों में यही दिन छुट्टी के लिए तय किया गया है, पर कभी सोचा है कि हॉलीडे (Holiday) के लिए रविवार यानी संडे का दिन ही क्यों चुना गया है. अंतरराष्ट्रीय मानकीकरण संस्था (ISO) के मुताबिक, रविवार को हफ्ते के अंतिम दिन (Weekend) के तौर पर मान्यता दी गई है. यह मान्यता भले ही 1986 में दी गई हो, लेकिन इससे पहले से ही रविवार को छुट्टी की तरह मनाने की शुरुआत हो चुकी थी. संडे को हॉलिडे घोषित करने की कई वजह रही हैं.

पूरे हफ्ते में से रविवार को ही छुट्टी का दिन क्यों चुना गया, क्या दुनिया के सभी देशों में रविवार को छुट्टी मनाई जाती है? जानिए इन सवालों के जवाब…

इसलिए रविवार को चुना गया छुट्टी का दिन

उड़ीसा पोस्ट की रिपोर्ट के मुताबिक, संडे यानी रविवार को लेकर कई मान्यताएं भी रही हैं. जैसे- प्राचीन सभ्यता में रवि यानी सूर्य की पूजा का काफी महत्व रहा है. धीरे-धीरे इस दिन को सूर्य की पूजा से जोड़ा जाने लगा और शुभ दिन माना जाने लगा. कहा जाता है, इसलिए इसका नाम सन-डे पड़ा. यह तो हुई धार्मिक मान्यता की बात. भारत से इसका क्या कनेक्शन अब इसे समझते हैं.

इसका सीधा सम्बंध ब्रिटिश शासन के दौर से है. ब्रिटिश शासन के दौर में भारतीयों मजबूरों से सातों दिन काम लिया जाता था. लगातार काम करने के कारण शरीर कमजोर होता जा रहा था. इतना ही नहीं, इनके खाना खाने के लिए भी समय नहीं तय किया गया था, नतीजा लगातार काम करना पड़ता था, लेकिन बदलाव की नींव पड़ी साल 1857 में. मजदूरों के नेता मेघाजी लोखंडे ने मजदूरों को राहत देने का मुद्दा उठाया ताकि शारीरिक थकान दूर हो सके.

मेघाजी का कहना था कि हफ्ते में एक दिन मजबूरों को आराम करने के लिए मिलना चाहिए ताकि वो राहत महसूस कर सकें. लगातार संघर्ष के बाद उनकी कोशिशें रंग लाईं और 10 जून, 1890 अंग्रेजी हुकूमत ने रविवार को छुट्टी का दिन मुकर्रर किया. इस तरह भारत में रविवार को छुट्टियों का दौर शुरू हुआ.

फिर सवाल उठता है कि स्कूलों ने भी इसी दिन को क्यों चुना?

इसका भी कनेक्शन अंग्रेजी हुकूमत से है. दरअसल, भारत में अंग्रेजों का शासन होने के कारण यहां ज्यादातर वही नियम लागू होते थे जो ब्रिटेन में लम्बे समय से चले आ रहे थे.अंतरराष्ट्रीय मानकीकरण संस्था द्वारा 1986 में रविवार को छुट्टी का दिन घोषित करने के पीछे ब्रिटिशर्स को ही माना जाता है. कहा जाता है, ब्रिटिश गवर्नर जनरल ने सबसे पहले ब्रिटेन के स्कूलों में रविवार को छुट्टी घोषित करने का प्रस्ताव दिया था. वजह यह बताई गई थी कि बच्चे इस दिन घर पर आराम करें और कुछ कुछ क्रिएटिव काम करें. धीरे-धीरे यही नियम भारत में भी लागू हो गया.

कई देशों ने शुक्रवार को छुट्टी का दिन चुना

दुनिया के कई देशों ने रविवार की जगह शुक्रवार को छुट्टी का दिन चुना क्योंकि वहां यह दिन ईश्वर की इबादत का माना गया है. उन देशों में संयुक्त अरब अमीरात, ईरान, इराक, यमन, कुवैत, इजरायल, लीबिया, ओमान, इजिप्ट, सूडान जैसे कई देश शामिल हैं.

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संडे आते ही हमें खुशनुमा अहसास होता है। आखिर वो दिन आ ही गया जिसका हमें बेसब्री से इंतजार रहता है, लेकिन क्या आपने सोचा है कि संडे की छुट्टी का इतिहास क्या है और ये कब शुरू हुई होगी। अगर नहीं, तो आज हम बता रहे हैं संडे की छुट्टी को लेकर तीन प्रचलित कहानियां। ऐसे हुई शुरुआत...

- अंतर्राष्ट्रीय मानकीकरण संस्था ISO के अनुसार रविवार का दिन सप्ताह का आखिरी दिन माना जाएगा और इसी दिन कॉमन छुट्टी रहती है। इस बात को 1986 में मान्यता दी गई थी लेकिन इसके पीछे ब्रिटिशर्स को कारण माना जाता है। असल में 1843 में अंग्रेजों के गवर्नर जनरल ने सबसे पहले इस आदेश को पारित किया था। ब्रिटेन में सबसे पहले स्कूल बच्चों को रविवार की छुट्टी देने का प्रस्ताव दिया गया था। इसके पीछे कारण दिया गया था कि बच्चे घर पर रहकर कुछ क्रिएटिव काम करें।

भारत में प्रचलित है ये कहानी
अंग्रेजों के शासनकाल में भारत में बड़ा मजदूर वर्ग सातों दिन काम करते थे। इस मजदूरों की हालत बिगड़ती जा रही थी। इतना ही नहीं, इन्हें खाना-खाने के लिए लंच का समय भी नहीं दिया जाता था। इसके बाद करीब 1857ई. में मजदूरों के नेता मेघाजी लोखंडे ने मजदूरों के हक़ में आवाज उठाई थी। उन्होंने ये तर्क दिया था कि सप्ताह में एक दिन ऐसा होना चाहिए जब मजदूर आराम करने के साथ-साथ खुद को वक्त दे सके। माना जाता है कि इसके बाद 10 जून, 1890 को मेघाजी लोखंडे का प्रयास सफल हुआ और अंग्रेजी हुकूमत को रविवार के दिन सबके लिए छुट्टी घोषित करनी पड़ी।

धार्मिक कारण
- रविवार की छुट्टी को लेकर कई धार्मिक मान्यताएं भी हैं। हिंदू धर्म के हिसाब से हफ्ते की शुरुआत सूर्य के दिन यानी रविवार से मानी जाती है। वहीं अंग्रेजों की मान्यता है कि ईश्वर ने सिर्फ 6 दिन ही बनाए थे, इसी वजह से सातवां दिन आराम का होता है।

यहां नहीं होती संडे की छुट्टी
ज्यादातर मुस्लिम देशों में शुक्रवार को इबादत का दिन माना जाता है। इस कारण से वहां रविवार की जगह शुक्रवार को ही छुट्टी होती है। हालांकि, ज्यादातर देशों में रविवार को ही अवकाश माना जाता है।

रविवार के दिन सरकारी छुट्टी क्यों रहती है?

रविवार को छुट्टी की परंपरा भारत में पहले नहीं थी. लोग पूरे सप्ताह काम करते थे लेकिन बाद में अंग्रेजी सरकार से मजदूरों के नेताओं ने इस दिन छुट्टी की मांग की. इसके बाद अंग्रेजी हुकूमत के समय इस दिन छुट्टी की परंपरा शुरू हो गई.

भारत में रविवार की छुट्टी की शुरुआत कब हुई?

नारायण मेघाजी लोखंडे ने एक आंदोलन चलाया और 7 साल के संघर्ष के बाद, ब्रिटिश सरकार ने रविवार को अवकाश घोषित किया और रविवार को 10 जून 1890 को भारत में छुट्टी हो गई।

भारत में रविवार को छुट्टी क्यों रहती है?

रविवार की छुट्टी की शुरुआत सन 1843 ई० में हुई थी। इसका मकसद सरकारी कार्यालयों में काम कर रहे लोगों को मानसिक रूप से विश्राम प्रदान करना है। पंचांग के अनुसार यह शुभ दिन है। प्रायः इस दिन कार्यालयों में अवकाश रहता है अतः सामाजिक एवं धार्मिक कार्यक्रम रविवार को ज्यादा होते है

रविवार का दूसरा नाम क्या है?

रविवार संज्ञा पुं॰ [सं॰] सप्ताह के सात दिनों या वारों में से एक जो सूर्य का वार माना जाता है और जो शनिवार के बाद तथा सोमवार के पहले पड़ता है । श्रादित्यवार । एतवार ।