भारत में सबसे पहली फिल्म कौन सी बनी थी?(A) आलमआरा Show
Explanation : भारत में सबसे पहली फिल्म राजा हरिश्चंद्र बनी थी। चूंकि उस समय फिल्मी तकनीक विकसित नहीं थी। इसलिए यह मूक फिल्म बनी थी। जिसके निर्माण का श्रेय दादा साहब फाल्के को दिया जाता है। इस फिल्म की बातों को शब्दों के साथ व्यक्त किया गया था। राजा हरिश्चंद्र फ़िल्म के टाइटल में तीन भाषाओं, English, मराठी और हिंदी का उपयोग किया गया था। यह फ़िल्म 3 मई 1913 को रिलीज की गई थी। इस फ़िल्म की लंबाई 40 मिनट थी। दादा साहब फाल्के को इस फ़िल्म के निर्माण की प्रेरणा तब मिली, जब यह 1906 में मुंबई के एक सिनेमाघर में एक अंग्रेजी फ़िल्म The Life of Christ देख रहे थे। इस फ़िल्म के देखने के बाद उन्होंने भी फ़िल्म बनाने की सोची। इसलिए फ़िल्म बनाने की तकनीक सीखने के लिए लंदन गए। फिर वापस आ कर भारत में फाल्के फ़िल्म की नींव डाली।....अगला सवाल पढ़े Tags : फिल्म प्रश्नोत्तरी भारत में प्रथम Useful for : UPSC, SSC, Bank Exams Latest Questions
Film Production के लिहाज से मौजूदा समय में भारतीय फिल्म इंडस्ट्री को भारत ही नही बल्कि विश्व के सबसे बड़े फ़िल्म इंडस्ट्री में से एक माना जाता हैं। भारतीय फिल्म इंडस्ट्री भाषा के आधार पर कई भागो में बंटा हुआ है। जैसे तमिल, तेलुगु, मलयालम इत्यादि भाषाओं समेत सभी क्षेत्रीय भाषाओं की अपनी अपनी इंडस्ट्री हैं। इसी तरह हिंदी भाषा की फिल्मों के लिए Bollywood हैं। Bollywood का गढ़ Mumbai को कहा जाता है। India ki sabse pehli filmभारत में फिल्मों इतिहास सौ साल से भी पुराना हो चुका है। इतने लंबे समय में भारतीय फिल्म इंडस्ट्री ने कई अलग अलग रूप देखें। समय के साथ यह इंडस्ट्री भी काफी बदला और अन्य इंडस्ट्री की तरह यह भी तकनीक से लैस हो चुका है। ऐसा समय भी था कब संसाधनों और तकनीक की कमी थी तब से ही यहां फ़िल्म बनाए जा रहे हैं। भारत में फिल्मों के इतिहास को देखें तो पता चलता है कि भारत में पहली फ़िल्म 1913 में बनी थी। उस फ़िल्म का नाम राजा हरिश्चंद्र था। उस समय तकनीक काफी विकसित नही थे इसलिए भारत की पहली फ़िल्म जो बनी थी वह मूक यानी Silent फ़िल्म थी। राजा हरिश्चंद्र – भारत की पहली फ़िल्मभारत में पहली फ़िल्म निर्माण करने का श्रेय दादा साहब फाल्के को दिया जाता है। फाल्के का जन्म 30 अप्रैल 1870 को तथा मृत्यु 16 फरवरी 1944 को हुई थी। दादा साहेब एक फ़िल्म Producer होने के साथ साथ Film Director और Screenwriter भी थे। दादा साहेब फाल्के के भारतीय फिल्म इंडस्ट्री में दिए बेमिसाल योगदान के कारण इन्हें भारतीय सिनेमा का पिता ( Father of Indian Cinema ) भी कहा जाता है। दादा साहब ने अपने फिल्मी जीवन में 95 Feature Film तथा 27 Short Film बनाए। राजा हरिश्चंद्र के जीवन पर आधारित थी भारत की पहली फ़िल्मफ़िल्म राजा हरिश्चंद्र दादा साहब फाल्के की पहली Full Length फ़िल्म थी। भारत की पहली फ़िल्म में अभिनय करने वाले अभिनेताओं में Dattatraya Damodar Dadka , Anna Salunke, Bhalchandra Phalke और Gajanan Vasudev Sane शामिल थे। फ़िल्म हरिश्चन्द्र की कहानी राजा हरिश्चंद्र के जीवन पर आधारित थी। राजा हरिश्चंद्र इतिहास के एक महान राजा थे। इनका ज़िक्र कई ऐतिहासिक किताब, जैसे रामायण, महाभारत, देवी भागवत पुराण इत्यादि में देखने को मिलता हैं। राजा हरिश्चंद्र भारत की पहली फ़िल्म Silent फ़िल्म थीचूंकि भारत की पहली फ़िल्म Silent फ़िल्म थी लेकिन इसमें बातों को शब्दों के साथ व्यक्त किया गया था। इस फ़िल्म के टाइटल में तीन भाषाओं, English, मराठी और हिंदी का उपयगो किया गया था। यह फ़िल्म 3 मई 1913 को रिलीज की गई थी। इस फ़िल्म की लंबाई 40 मिनट थी। भारत की पहली फ़िल्म को बनाने में 6 महीने और 27 दिन का समय लगादादा साहब फाल्के को इस फ़िल्म के निर्माण की प्रेरणा तब मिली, जब यह 1906 में मुंबई के एक सिनेमाघर में एक आंग्रेज़ी फ़िल्म The Life of Christ देख रहे थे। इस फ़िल्म के देखने के बाद फाल्के साहब ने भी फ़िल्म बनाने की सोची। इसलिए फ़िल्म बनाने की तकनीक सीखने के लिए लंदन गए। फिर वापस आ कर भारत में फाल्के फ़िल्म की नींव डाली। फ़िल्म बनाने के लिए ज़रूरी सामान भारत में तब उपलब्ध नही थे तो उन्होंने इसे फ्रांस, इंग्लैंड, जर्मनी और अमेरिका जैसे देशों से मंगवाया। इसके बाद कई छोटी बड़ी चुनौतियों को पार करने के बाद फाल्के साहब ने इस फ़िल्म के निर्माण को पूरा किया। इस फ़िल्म को बनाने में 6 महीने और 27 दिन का समय लगा था। Read it also:
14 मार्च 2015 इमेज स्रोत, SHARAD DUTT 14 मार्च का दिन भारतीय सिनेमा के लिए बेहद ख़ास है. इसी दिन 84 साल पहले हिंदुस्तानी सिनेमा को आवाज़ मिली. गूंगी फ़िल्मों ने बोलना सीखा. दिन था शनिवार, तारीख़ 14 मार्च और वर्ष 1931. इसी दिन मुंबई के मैजेस्टिक सिनेमा हॉल में आर्देशिर ईरानी निर्देशित 'आलम आरा' रिलीज़ हुई. ये भारत की पहली बोलती फ़िल्म (टॉकी) थी. टॉकीज़ की शुरुआतइमेज स्रोत, SHARAD DUTT इमेज कैप्शन, 'आलम आरा' के निर्देशक आर्देशिर ईरानी. हालांकि इससे पहले भारतीय सिनेमा के जनक दादा साहब फाल्के ने भी फ़िल्मों में आवाज़ डालने के कई प्रयास किए थे लेकिन वो क़ामयाब नहीं हो पाए. फ़िल्मों के इतिहास की गहरी समझ रखने वाले जानेमाने समीक्षक फ़िरोज़ रंगूनवाना की मुलाक़ात 50 के दशक में आलम आरा के निर्देशक आर्देशिर ईरानी से हुई थी. बीबीसी से बात करते हुए फ़िरोज़ ने उस मुलाक़ात को याद किया. फ़िरोज़ बताते हैं, "मैं जब उनसे मिला तो वो ख़ासे उम्रदराज़ हो चुके थे. उन्होंने मुझे बताया कि उस दौर तक भारत में लोगों की फ़िल्मों में दिलचस्पी कम होने लगी थी. हॉलीवुड की कई टॉकी (बोलती फ़िल्में) भारत आने लगी थीं. ऐसे में आर्देशिर को लगा कि भारत में भी ऐसी फ़िल्में बनानी ज़रूरी हैं." कैसे बनी फ़िल्मईरानी और उनकी यूनिट इंपीरियल स्टूडियो ने टैनोर सिंगल सिस्टम कैमरा विदेश से आयात किया. जिस समय आर्देशिर ईरानी आलम आरा बना रहे थे, उसी समय कृष्णा मूवीटोन, मदन थिएटर्स जैसी कंपनियां भी बोलती फ़िल्म बनाने की कोशिश में थी. ईरानी 'आलम आरा' की शूटिंग जल्द से जल्द ख़त्म करना चाहते थे ताकि उनकी फ़िल्म भारत की पहली बोलती फ़िल्म बन जाए. दिक़्क़तफ़िरोज़ रंगूनवाला ने बताया कि फ़िल्म की शूटिंग में बहुत दिक़्क़तें पेश आईं. आस-पास बहुत आवाज़ें आती थीं जो साथ में रिकॉर्ड हो जाती थीं. ऐसे में दिन में शूटिंग करना बड़ा मुश्किल होता था. फ़िल्म के ज़्यादातर कलाकार मूक फ़िल्मों के दौर के थे. ऐसे में उन्हें टॉकी फ़िल्म में काम करने की तकनीक के बारे में ज़्यादा जानकारी नहीं थी. उन्हें घंटों तक सिखाया जाता कि माइक पर कैसे बोलना है. उन्हें ज़बान साफ़ करने के तरीक़े बताए जाते. तकनीक समस्याफ़िरोज़ रंगूनवाला बताते हैं, "टैनोर सिंगल सिस्टम कैमरे से शूट करने में बड़ी दिक़्क़त होती. एक ही ट्रैक पर साउंड और पिक्चर रिकॉर्ड होती. इसलिए कलाकारों को एक ही टेक में शॉट देना पड़ता." डबिंग की तकनीक का तो सवाल ही नहीं पैदा होता. कैमरे के प्रिंट के साथ समस्या ये थी कि उसे संरक्षित नहीं किया जा सकता क्योंकि वो नाइट्रेट प्रिंट था जो बड़ी जल्दी आग पकड़ लेता था.
पारसी नाटक पर आधारितइसके अलावा फ़िल्म इतिहासकार शरद दत्त ने भी आलम आरा से जुड़ी कई बातें बीबीसी से साझा कीं. शरद दत्त सिनेमा पर कई किताबें लिख चुके हैं. शरद दत्त ने बताया, "आलम आरा जोसेफ़ डेविड निर्देशित एक पारसी नाटक था. आर्देशिर इसे देखकर बड़े प्रभावित हुए और उन्होंने तय किया कि वो गाने डालकर इस पर फ़िल्म बनाएंगे." अवशेष भी बाक़ी नहींमैजेस्टिक सिनेमा में जब फ़िल्म का प्रीमियर हुआ तो ख़ुद आर्देशिर ईरानी एक-एक मेहमान का स्वागत करने के लिए गेट पर खड़े थे. शरद दत्त ने उस दौर की फ़िल्मों के प्रिंट्स के बारे में बताया, "उस वक़्त फ़िल्म के नेगेटिव बहुत ज़्यादा दिन नहीं चलते थे. आलम आरा के बहुत लिमिटेड प्रिंट्स बने थे. उस वक़्त फ़िल्म आर्काइव जैसी कोई संस्था नहीं थी. जब स्टूडियो कल्चर ख़त्म होने लगा तो फ़िल्मों के प्रिंट्स को कौड़ियों के भाव कबाड़ियों को बेच दिया गया क्योंकि उन स्टूडियो की इमारतों में कुछ और निर्मित होने लगा." इस तरह भारतीय सिनेमा की इस ऐतिहासिक फ़िल्म का कोई प्रिंट मौजूद नहीं है और अब ये सिर्फ़ तस्वीरों के ही माध्यम से याद की जाती है. (बीबीसी हिंदी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप यहां क्लिक कर सकते हैं. आप हमें फ़ेसबुक और ट्विटर पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं.) भारत की सबसे पहली मूवी का नाम क्या है?दिन था शनिवार, तारीख़ 14 मार्च और वर्ष 1931. इसी दिन मुंबई के मैजेस्टिक सिनेमा हॉल में आर्देशिर ईरानी निर्देशित 'आलम आरा' रिलीज़ हुई.
भारत की दूसरी फिल्म कौन सी थी?वही अगर बात करे भारत की दूसरी फिल्म कौन सी थी या भारत की पहली बोलती फिल्म कौन सी थी तो आपको बता दे भारत की दूसरी फिल्म या पहली बोलती फिल्म आलमआरा थी जो 1931 में बनी थी।
सबसे पुरानी फिल्म कौन सी है?अगर बात करें सबसे पुरानी फिल्म का नाम क्या है, सबसे पुरानी फिल्म का नाम “राजा हरिश्चंद्र” है, जिसे सन 1913 में बनाया गया था। इस फिल्म को बनाने का श्रेय दादा साहब फाल्के को दिया जाता है।
पहली फीचर फिल्म कौन थी?18 मई 1912, भारत की पहली फीचर फिल्म 'श्री पुंडालिक' रिलीज हुई थी. यह पहली मूक फिल्म भी थी, यानी भारतीय सिनेमा की शुरूआत यहीं से हुई. यह एक मराठी फिल्म थी. इस फिल्म की कुल अवधि 22 मिनट थी.
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