भाव भगती जागीरी पास्यूँ, तीनूं बाताँ सरसी - bhaav bhagatee jaageeree paasyoon, teenoon baataan sarasee

Solution : इस पंक्ति में मीरा कृष्ण की चापलूसी करने के लिए तैयार है जिससे की वह कृष्ण की
भावभक्ति पा सकती है इस पंक्ति में दास्य भाव दर्शाया गया है भाषा ब्रज मिश्रित राजस्थानी
है। अनुप्रास अलंकार, रूपक अलंकार का प्रयोग किया गया है।

इसे सुनेंरोकें’तीनू बाताँ सरसी’ यहाँ पर आशय यह है कि मीराबाई ने अपने पद के माध्यम से श्रीकृष्ण की भक्ति के तीन लाभों को दर्शाया है। मीराबाई ने अपने पद में भक्ति-भाव की चरम सीमा का वर्णन किया है। वह कृष्ण की भक्ति में उनकी चाकरी करने यानि उनके यहाँ सेविका बनने तक को तैयार हैं।

तीनू बाताँ सरसी के माध्यम से कवयित्री क्या कहना चाहती है उसकी यह मनोकामना कैसे पूरी हुई?

इसे सुनेंरोकेंवह श्रीकृष्ण की चाकरी करके उनका सामीप्य पाना चाहती थी। इस चाकरी से उन्हें अपने प्रभु के दर्शन मिल जाते। उनका नाम स्मरण करने से स्मरण रूपी जेब खर्च मिल जाता और भक्तिभाव रूपी जागीर उन्हें मिल जाती। उन्होंने अपनी इस मनोकामना की पूर्ति कृष्ण की अनन्य और भक्ति के माध्यम से पूरी की।

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मीरा बाग बगीचे क्यों लगाना चाहती है?

इसे सुनेंरोकेंवह बाग-बगीचे लगाना चाहती हैं जिसमें श्री कृष्ण घूमें, कुंज गलियों में कृष्ण की लीला के गीत गाएँ ताकि उनके नाम के स्मरण का लाभ उठा सके। इस प्रकार वह कृष्ण का नाम, भावभक्ति और स्मरण की जागीर अपने पास रखना चाहती हैं और अपना जीवन सफल बनाना चाहती हैं।

भाव भगती जागीरी पास्यूँ का क्या अर्थ है?

इसे सुनेंरोकेंभाव भगती जागीरी पास्यूँ, तीनूं बाताँ सरसी। इसमें दास्य भाव दर्शाया गया है। भगवन के दर्शन की प्यासी मीरा सेविका बनकर ही उनके दर्शन पाना चाहती हैं। इसमें मीरा कृष्ण की चाकरी करने के लिए तैयार है क्योंकि इससे वह उनके दर्शन, नाम, स्मरण और भावभक्ति पा सकती है।

कवयित्री मीरा ने श्रीकृष्ण को उनकी क्षमताओं का स्मरण क्यों कराया?

इसे सुनेंरोकेंमीरा जानती थीं कि उनके प्रभु के लिए उनकी पीड़ा कठिन कार्य नहीं है। उन्होंने तो इस तरह का अनेक कार्य पहले भी किया है। श्रीकृष्ण उनकी पुकार को शीघ्र सुनें, इसलिए मीरा ने श्रीकृष्ण को उनकी क्षमताओं का स्मरण कराया है।

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कवयित्री मीरा ने अपने प्रभु से क्या प्रार्थना की है प्रथम पद के आधार पर लिखिए?

इसे सुनेंरोकें1 Answer. कवयित्री मीरा ने अपने प्रभु श्रीकृष्ण से लोगों की पीड़ा दूर करने की प्रार्थना की है। उनके प्रभु श्रीकृष्ण ने द्रौपदी, प्रहलाद और गजराज की जिस तरह सहायता की थी और उन्हें विपदा से मुक्ति दिलाई उसी तरह मीरा अपनी पीड़ा दूर करने की प्रार्थना अपने प्रभु से की है।

मीरा बाई का जन्म कब और कहाँ हुआ * 1 Point a जोधपुर के चोकड़ी में १५०३ में B जयपुर में १५०४ में c सीतापुर में १५०५ में d जोधपुर?

इसे सुनेंरोकेंइन दस्तावेजों के अनुसार मीरा का जन्म राजस्थान के मेड़ता में सन 1498 में एक राजपरिवार में हुआ था।

मीराबाई श्रीकृष्ण को पाने के लिए क्या क्या कार्य करने को तैयार हैं?

इसे सुनेंरोकेंमीरा श्रीकृष्ण को पाने के लिए उनकी चाकर (नौकर) बनकर चाकरी करना चाहती हैं अर्थात् उनकी सेवा करना चाहती हैं। वे उनके लिए बाग लगाकर माली बनने तथा अर्धरात्रि में यमुना-तट पर कृष्ण से मिलने व वृंदावन की कुंज-गलियों में घूम-घूमकर गोविंद की लीला का गुणगान करने को तैयार हैं।

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भाव भक्ति जागीरी पास्यूँ पंक्ति में कौन सा अलंकार है?

इसे सुनेंरोकें2. ‘भाव भगती’ में भ’ वर्ण की आवृत्ति के कारण अनुप्रास अलंकार है तथा ‘भाव भगती जागीरो’ में रूपक अलंकार है। 3. मीराबाई की दास्य तथा अनन्य भक्ति को दर्शाया गया है।

कवयित्री के अनुसार काटी कुण्जर पीर का क्या तात्पर्य है?

इसे सुनेंरोकें➲ हाथी को पीड़ा से मुक्त किया बूढ़तौ गजराज राख्यो काटी कुंजर पीर। दासी मीराँ लाल गिरधर हरौ म्हारी भीर।। मीराबाई श्रीकृष्ण को पुकारते हुए कहती हैं, कि हे प्रभु! आपने जिस तरह डूबते हुए हाथी को बचाया और उस हाथी का कष्ट दूर करने हुए उसे मगरमच्छ के चंगुल से छुड़ाया और मगरमच्छ को मार कर हाथी पीड़ा को दूर किया।

श्रीकृष्ण के नाम स्मरण से कवयित्री को कौन सा लाभ प्राप्त होगा?

इसे सुनेंरोकेंउत्तर: मीराबाई श्याम (श्रीकृष्ण) की चाकरी इसलिए करना चाहती हैं, क्योंकि उनकी चाकरी करने पर मीरा को नित्य दर्शन का लाभ मिलेगा, वृंदावन की कुंज गली में गोविन्द की लीलाओं को गा सकेंगी और उन्हें भक्ति भाव का साम्राज्य प्राप्त हो जाएगा। प्रश्न.

भाव-सौंदर्य-इन पंक्तियों में मीरा दासी बनकर अपने आराध्य श्रीकृष्ण के दर्शन करना चाहती हैं। इससे उन्हें प्रभु स्मरण, भक्ति रूपी जागीर तथा दर्शनों की अभिलाषा रूपी संपत्ति की प्राप्ति होगी अर्थात् श्रीकृष्ण की भक्ति को ही मीरा अपनी संपत्ति मानती हैं। 

शिल्प-सौंदर्य- 

1. प्रभावशाली राजस्थानी भाषा का प्रयोग हुआ है। 

2. ‘भाव भगती’ में भ’ वर्ण की आवृत्ति के कारण अनुप्रास अलंकार है तथा ‘भाव भगती जागीरो’ में रूपक अलंकार है। 

निम्नलिखित पंक्तियों का काव्य-सौंदर्य स्पष्ट कीजिए-
चाकरी में दरसण पास्यूँ, सुमरण पास्यूँ खरची।
भाव भगती जागीरी पास्यूँ, तीनूं बाताँ सरसी।


इसमें दास्य भाव दर्शाया गया है। भगवन के दर्शन की प्यासी मीरा सेविका बनकर ही उनके दर्शन पाना चाहती हैं। इसमें मीरा कृष्ण की चाकरी करने के लिए तैयार है क्योंकि इससे वह उनके दर्शन, नाम, स्मरण और भावभक्ति पा सकती है। राजस्थानी  और ब्रज भाषा का मिश्रित रूप हैं। अनुप्रास अलंकार, रुपक अलंकार और कुछ तुकांत शब्दों का प्रयोग भी किया गया है।