भावनाओं का हमारे जीवन में क्या महत्व है? - bhaavanaon ka hamaare jeevan mein kya mahatv hai?

हमारी जिंदगी में विचार और भावनाओं की बड़ी भूमिका होती है। हमारे फैसले, भावनाओं के रास्तों से होते हुए ही गुजरते हैं। तर्क के आधार पर सबकुछ संभव भी कहां हो पाता है। दिल और दिमाग लगातार बातें करते रहते हैं। भावनाएं न सिर्फ हमारे फैसलों पर, बल्कि उनकी गति पर भी असर डालती हैं।

भावनाओं का हमारे जीवन में क्या महत्व है? - bhaavanaon ka hamaare jeevan mein kya mahatv hai?

इस पोस्ट में हम बात करेंगे की हमारे जीवन में भावना का क्या महत्व है इसको हम कैसे समझें कैसे इसका उपयोग अपनी सफलता के लिए करें।

हमारे निर्णय में भावना की कितनी भूमिका होती है क्या आप ये स्पष्ट रूप से जानते हैं और कैसे हमारी भावना हमारे जीवन को एक आकार प्रदान करती है आज इस पोस्ट में मैं इस विषय पर आपसे विस्तार से चर्चा करूँगा।

हमारे फैसले, भावनाओं के रास्तों से होते हुए ही गुजरते हैं। हमको लगता ऐसा है की हम निर्णय तर्क के आधार पर लेते हैं पर ऐसा है नहीं हम निर्णय भावना के हिसाब से लेते हैं हमारी भावना ही ये निश्चित करती है की क्या सही है क्या गलत है आप शायद थोड़े संशय में पड़ गए होंगे की मैं आपसे क्या कहना चाह रहा हूँ।

आइये इसे उदाहरण से समझते हैं आप एक कमरे में प्रवेश करते हैं यहाँ पर आपके दो मित्र राजेश और उदित उस कमरे में पहले से बैठे हैं दोनों ही आपके मित्र हैं दोनों के पास बैठने का विकल्प आपके पास उपलब्द्ध है आप किस के साथ बैठना पसंद करेंगे राजेश के साथ या उदित के साथ?

आप शायद निर्णय नहीं कर पाए की मैं आपसे क्या सवाल पूछ रहा हूँ मैं आपको बताता हूँ आप उस मित्र के साथ बैठना पसन्द करेंगे जिसके साथ आप ज्यादा सहज हैं आप इसको आजमा कर देखना आपने ये निर्णय की तर्क के आधार पर नहीं लिया भावना के आधार पर लिया है।

हमारी भावना हमारे निर्णय को प्रभावित करती है हमारी भावना कभी हमको बहादुर कभी डरपोक बना देती है ये भावना ही है जो आपको दान देने के लिए या ना देने के लिए प्रेरित करती है। ये भावना ही है जो एक कर्मचारी को ज्यादा समर्पित और ज्यादा आलसी बना देती है।

आप एक सूनसान सुरक्षित रास्ते से दिन में निकलते हैं तो आपकी दिल की धड़कन सामान्य रहती है लेकिन जब आप उस ही रास्ते से अंधेरी रात को निकलते हैं तो आपके दिल की धड़कन थोड़ी बढ़ी हुई होती है और हो सकता है आप मन ही मन अपने इष्ट को याद कर रहे हों या हनुमान चालीसा ही बुदबुदा रहे हों।

आपका व्यक्तित्व वैसा ही है जैसी आपकी भावना है ये भावना ही है जो आपका आकार निश्चित कर रही है इसलिए हमको भावना के ऊपर काम करना होता है क्योंकि हमारे जीवन में घटने वाली प्रत्येक घटना के पीछे आपकी भावना ही होती है जो आपसे मनचाहे निर्णय करवाती है और फिर आपको उस ही के अनुरूप परिणाम भी प्राप्त होते हैं।

भावनाओं की अपनी ही एक गहरी समझ होती है। इस तथ्य की अनदेखी करना हमें सीमाओं में बांध देता है और अकसर नुकसान पहुंचाने वाला होता है। उदाहरण के लिए कोई कहेगा कि उन्हें बहुत जल्दी कोई बात लग जाती है, वे हमेशा दिल की सुनते हैं और इस कारण कई दफा उनका दिल टूट जाता है। पर, ज्यादा दिमाग चलाने और भरोसा नहीं करने पर भी हम जिंदगी में प्यार के मौकों से दूर हो जाते हैं। मुझे लगता है कि ‘हार्टफुलनेस’ भी माइंडफुलनेस की तरह आज में जीना है।

जब भी आपको अपने मन मुताबिक परिणाम ना मिलें तो अपनी भावना पर गौर फरमाएं समस्या पता चल जाएगी। परिणाम भी मन मुताबिक ही आयेगें। हम सब कुछ करना जानते हैं लेकिन अपनी भावना को नहीं समझते हैं इसीलिए भटकते रहते हैं।

सफल होना है तो भावना को समझना जरूरी है। भावनाएं केवल मन में नहीं, पूरे शरीर में रहतीं हैं। हम को तन और मन को अलग करने के बजाय उन्हें एक करना होगा तब ही हम उच्चतम परिणाम हासिल कर पाएंगे।

सब्र की भावना का महत्त्व

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वक्त कुछ ऐसा चल रहा है की हमको सब कुछ तुरंत चाहिये हर कोई किसी ना किसी दौड़ में शामिल है। एक ऐसी दौड़ जो आपको आपके असली लक्ष्य से दूर कर रही है वो दौड़ है अपने सब्र से दूर होने की दौड़। आज किसी के पास सब्र नहीं है। सबको आज ही जीतना है कल के लिए कुछ नहीं छोड़ना है।

आपने गौर किया है कि आज हमने चीजों को सामान्य तरीके से पाने का इंतजार करना बंद कर दिया है। हम सब कुछ तुरंत ही पा लेना चाहते हैं। अगर यह आसानी से नहीं हो रहा है या इसमें बहुत समय लग रहा है, तो हम अगले सपने या लक्ष्य की ओर बढ़ जाते हैं, जिसे हम प्राप्त करना चाहते हैं। और अगर वह भी सफल नहीं होता, तो हम अगले लक्ष्य की ओर बढ़ जाते हैं। इससे मन में असंतोष की भावना आती है, जिसका असर हमारे जीवन पर होता है। यहां कुछ विचार हैं, जो आपको अपना सर्वश्रेष्ठ जीवन जीने के लिए अधिक जागरूक और धैर्यवान बनने में मदद कर सकते हैं-

कार्य करने में लगने वाले समय का भरपूर आनन्द लें

जब आप अपनी रोजाना की गतिविधियों को इस दृष्टिकोण से करते हैं कि यह आपके लिए अच्छा होगा और यह सब आपको बढ़ने और एक बेहतर इंसान बनने में मदद कर रहा है, तो आप अपने द्वारा की जाने वाली सभी गतिविधियों का आनंद ले पाते हैं। आपको नहीं लगेगा कि आप अपना समय बर्बाद कर रहे हैं। यह विशेष रूप से महत्वपूर्ण है, क्योंकि हम में से अधिकांश लोग अपने नियमित कार्यों से अधीर हो जाते हैं। यदि आप छोटी-छोटी बातों को लेकर अधीर हैं, तो बड़ी-बड़ी चीजें जो आप चाहते हैं, आपके प्रति अधीर हो जाएंगे।

आत्म विश्वास और धैर्य का गहरा संबंध धैर्य रखने और अपने लक्ष्यों के लिए निरंतर प्रयास करने में आत्म-विश्वास एक महत्वपूर्ण कारक है। आपको यह समझना होगा। इसलिए अगर हमें अपनी किसी समस्या का समाधान निकालना है, तो हमें विश्वास होना चाहिए कि हम इन चुनौतियों और समस्याओं से पार पाने में सक्षम हैं।

आत्म-विश्वास हमारे सपनों को साकार करने और हमारे लक्ष्यों की अभिव्यक्ति में एक बड़ी भूमिका निभाता है। इसलिए, अपने मन में आत्म-विश्वास विकसित करने के लिए, हर दिन सकारात्मक पुष्टि का उपयोग करें। रोजाना इन शब्दों को दोहराएं- ‘मैं अपनी इच्छाओं को प्राप्त करने में सक्षम और योग्य हूं।’ ‘मैं खुद से प्यार करता हूं और महत्व देता हूं।’, ‘ब्रह्मांड हर संभव तरीके से मेरा समर्थन करता है।’

एक बार में एक ही काम पूरी शिद्दत से करें

एक साथ बहुत सारे काम करने की इच्छा के बजाय, एक समय में एक काम को अच्छे से करने पर ध्यान दें। फोकस आपको अनुशासित और धैर्यवान रहने में मदद करता है। दूसरी ओर जल्दबाजी में की गई चीजें अकसर नुकसान करती हैं। यहां मात्रा की तुलना में गुणवत्ता अधिक महत्त्वपूर्ण है। आप किसी काम को कितनी अच्छी तरह करते हैं, यह अंततः उससे आने वाले परिणाम को निर्धारित करने वाला है।

अपना दिन शुरू करने से पहले हर दिन, उन लक्ष्यों से जुड़ें, जिन्हें आप पाना चाहते हैं और उन कार्यों की एक सूची बनाएं, जो आपको उनकी ओर बढ़ने में मदद कर सकें। पूरे दिन, इस सूची को देखें और उन्हें समयबद्ध तरीके से पूरा करने के लिए अनुशासित रहें। इस
बीच फोन कॉल, सोशल मीडिया जैसे विकर्षणों से बचें।

अपने स्पष्ट उद्देश्य की भावना को विकसित करें

बहुत सारे लोग कहते हैं की मुझे अपने जीवन में सफल होना है पर उनके जीवन में सफलता के मायने क्या हैं उनको नहीं मालूम बस वो इतना जानते हैं की उनको सफल होना है। क्या आपके लिया ज्यादा पैसा कमाना ही सफलता है तो आपको ये निश्चित करना होगा की कितना पैसा और कब तक प्राप्त करना है।

देरी, अकसर संदेह और डिमोटिवेशन का कारण बन सकती है। ऐसे समय में अपनी दृष्टि से जुड़े और सोचें कि आप कहां जाना चाहते हैं? आप वहां क्यों पहुंचना चाहते हैं? यह आपके जीवन को कैसे प्रभावित करेगा? वह लक्ष्य और सपना आपके लिए क्या मायने रखता है? ऐसा करने से, आप उस लक्ष्य और सपने को ऊर्जा से मजबूती से जुड़ेंगे। आपका मस्तिष्क आपको उन अवसरों के करीब लाने के लिए जागरूक और सतर्क होने लगेगा, जो आपको आपके गंतव्य तक पहुंचने में मदद कर सकते हैं। आप अपने उद्देश्य और सपने के बारे में अधिक आत्मविश्वास महसूस करने लगेंगे। जिससे आप अपनी भावनाओं पर नियंत्रण न खोए।

कैसे प्राप्त करें भीतर से सफल होने की भावना 

विचार लंबे समय तक नहीं रहते हैं, अगर उन्हें अमल में नहीं लाया जाता है। कर्म के बिना इच्छा केवल इच्छापूर्ण सोच है। जब आप अपनी जिंदगी में अटके हुए या असहाय महसूस करते हैं और अपनी समस्याओं से बाहर निकलने का कोई रास्ता नहीं खोज पाते हैं, तो अपनी ऊर्जा को वापस पाने का एक अच्छा तरीका है कि आप अपने आप से मौन में जुड़ें।

अपने दिमाग और शरीर को आराम देने की कोशिश में कुछ मिनट बिताएं। अपने आप से पूछें, इस स्थिति में मुझे क्या करना चाहिए? किसी उत्तर या संकेत के आने की प्रतीक्षा करें। यदि उत्तर तुरंत आपके पास नहीं आता है, तो कुछ घंटों के बाद फिर से वही प्रश्न पूछें। आंतरिक आवाज, अंतर्ज्ञान, एक छवि या एक विचार के रूप में उत्तर आपके पास आ सकते हैं। एक बार जब आपको उत्तर मिल जाता है और आपके भीतर से एक मजबूत भावना आती है कि आपको यही करना चाहिए, तो आगे बढ़ें और इसे करें।

सही समय पर प्रेरित कार्रवाई करना समस्याओं को हल करने और अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने की कुंजी है। याद रखें कोई भी परिस्थिति,
आपके जीवन को परिभाषित नहीं करती है। लेकिन आप उस पर कैसे प्रतिक्रिया करते हैं, यह आपके जीवन और परिणामों को परिभाषित करता है।

असफल होने की डर की भावना पर कैसे करें नियंत्रण 

भावनाओं का हमारे जीवन में क्या महत्व है? - bhaavanaon ka hamaare jeevan mein kya mahatv hai?

यदि आप उन कारणों के बारे में सोचते हैं जिनकी वजह से आप असफल हो सकते हैं, तो इसके बजाय आप उस अंतिम परिणाम के बारे में सोचें, जो आप चाहते हैं। महसूस करें कि आप वहां पहले ही पहुंच चुके हैं। उन सभी कारणों के बारे में सोचें, जिनसे आपको वहां पहुंचने में मदद मिली। कल्पना कीजिए कि सब कुछ आपके पक्ष में किस तरह से होता चला गया।
जब आप इस तरह से सोचते हैं यानी कृतज्ञता महसूस करने से शुरू करके, सब कुछ कैसे अच्छे से काम कर गया इस तक, तो इससे आप अपने दिमाग को संदेह और भय से निकाल कर विश्वास व सुरक्षा का आधार देना शुरू करते हैं। यदि आप इस अभ्यास को बार-बार दोहराते हैं, तो आप निश्चित रूप से अनिश्चितता की यात्रा से बाहर निकलेंगे और अपनी सफलता की ओर बढ़ेंगे।

हम दूसरों के बारे में राय क्यों बनाते हैं? 

भावनाओं का हमारे जीवन में क्या महत्व है? - bhaavanaon ka hamaare jeevan mein kya mahatv hai?

क्या आप जानते हैं जब आपका जन्म हुआ था उस समय आपके अंदर किसी के लिये कोई राय नहीं थी फिर जैसे जैसे आपकी उम्र बढ़ने लगी आपकी राय का निर्माण होता गया ये देश काल और परस्थिति के अनुसार अच्छी या बुरी हो सकती है।  राय बनाना और लोगों को अच्छे-बुरे के खांचे में रखना आपको सिखाया जाता है। परिवार से लेकर समाज-संस्कृति हमें सिखाती है कि खास तरह से दिखना, कपड़े पहनना, बातें करना, रोजगार करना आदि ही नॉर्मल है। इसके अलावा बाकी सब असमान्य या एबनॉर्मल है।

यही हम सभी के भीतर अंदर तक बैठ जाता है। फिर हम जीवन भर इसी हिसाब से लोगों को देखते हैं, उनके बारे में राय बनाते हैं। जहां छोटे बच्चे भोलेपन के साथ और बिना किसी पूर्वाग्रह के हर किसी से मिलते हैं, खेलते हैं, बातें करते हैं, वहीं जैसे ही वे बड़े होते जाते हैं, यह खत्म होता चला जाता है। अपनी बनाई राय के आधार पर ही हम दोस्त बनाते हैं और लोगों को देखते हैं। यानी कि दूसरों के बारे में राय बनाना ही हमारे आंखों का चश्मा बन जाता है, जिससे हमें दुनिया दिखती है।

राय बनाने में बुरा क्या है?

राय बनाने में बुरा कुछ भी नहीं है राय तो हमको बनानी पड़ेगी क्योंकि हम पहला निर्णय तो अपनी राय के हिसाब से ही लेंगे राय से तब नुकसान होने लगता है जब हम अपनी राय को दुबारा चैक नहीं करते हैं हो सकता है हम जिस समस्या के बारे में या किसी व्यक्ति के बारे में जो राय रखते हों वो कोरी कल्पना हो और अपनी इस काल्पनिक राय के आधार पर कोई बड़ा निर्णय ले लेते हैं और मुसीबत मोल ले लेते हैं।

आपकी राय हो सकती है:-

1 ) आपका मित्र बहुत ही ईमानदार है इसलिये अपना मकान गिरवी रखकर उस मित्र की जरूरत से ज्यादा मदद कर देते हैं।

2 ) आपकी राय हो सकती है की मिठाई के कारोबार में बहुत मुनाफा है और आप एक बहुत बड़ा मिठाई का कारोबार कर लेते हैं वो भी कर्ज लेकर।

ये मैंने आपको कुछ उदाहरण दिये हैं जिसके अनुसार आप निर्णय ले सकते हैं और फस सकते हैं। एक मेरे मित्र हैं उनकी राय है की जिंदगी में वो कुछ भी सही करेंगे उसका फल उल्टा ही मिलेगा। उनकी ये राय इतनी प्रबल है की परिणाम उलटे ही आते हैं।

भावना का हमारे जीवन में क्या महत्व है?

भावनाओं का महत्त्व :- भावना – एक ऐसा शब्द जिसका अर्थ इन्सान के जज्बातों और हालातों के अनुसार बदलता रहता है। भावनाएं ही हैं जो इन्सान को एक दुसरे से जोड़ कर रखती हैं। भावनाएं ही हैं जिससे भगवान की प्राप्ति की जा सकती है। इन्सान के द्वारा किये गए कर्म तब तक बेकार हैं जब तक उसके साथ सही भावना न जुडी हो।

भावनाओं का मतलब क्या होता है?

विचार; ख़याल; मनोभाव 2. मन की कल्पना 3. ध्यान; चिंतन 4. कामना; इच्छा; चाह।

भावना कितने प्रकार के होते हैं?

भावनाओं का वर्गीकरण (प्रकार).
प्राथमिक या बुनियादी भावनाएँ प्राथमिक भावनाओं को मूल भावनाओं के रूप में भी जाना जाता है, और वे भावनाएं हैं जो हम एक उत्तेजना के जवाब में अनुभव करते हैं। ... .
माध्यमिक भावनाएं ... .
सकारात्मक भावनाएं ... .
नकारात्मक भावनाएं ... .
अस्पष्ट भावनाएँ ... .
स्थिर भावनाएँ ... .
सामाजिक भावनाएं ... .
वाद्य भावनाएँ.

भाव और भावना में क्या अंतर है?

भाव हमें आनंद की अनुभूति देता है । सर्वोच्च सुख को आनंद कहते हैं जो सुख और दु:ख से परे है । भावनाएं क्या होती हैं ? हममें से सभी ने स्वयं में और दूसरों में भावनाओं को अनुभव किया है ।

भावना कैसे बनाते हैं?

इनमें से कुछ वर्गीकरण हैं:.
'संज्ञानात्मक' बनाम 'गैर-संज्ञानात्मक' भावनाएं.
स्वाभाविक भावनाएं (जो एमिग्डाला/मस्तिष्क के एक विशेष हिस्से से उत्पन्न होती है), बनाम संज्ञानात्मक भावनाएं (जो प्रीफ्रंटल कोर्टेक्स/ मस्तिष्क के अगले हिस्से से उत्पन्न होती है).
बुनियादी बनाम जटिल: जहाँ मूल भावनाएं और अधिक जटिल हो जाती हैं।.