बजट क्या है बजट निर्माण के प्रमुख सिद्धांत? - bajat kya hai bajat nirmaan ke pramukh siddhaant?

बजट निर्माण के सिद्धांत 

जनता शासन की आर्थिक नीतियों तथा कार्यक्रमों के प्रति अब गहरी जिज्ञासा और रूचि रखने लगी है। बजट निर्माण के संबंध मे विभिन्न विद्वानों ने अपने विचार प्रकट किए है। इसमे प्रमुख है-- ग्रेन्ज, डिमाॅक एण्ड डिमाॅक वाल्डो तथा हैराल्ड स्मिथ। सामान्यतः बजट निर्माण के निम्म सिद्धांत महत्व के प्रतीत होते है--

1. कार्यपालिका का उत्तरदायित्व 

बजट बनाने का कार्य सामान्यता कार्यपालिका का ही होता है। अतः उसे ही सौंपा जाना चाहिए। प्रशासन चलाने का उत्तरदायित्व कार्यपालिका का ही ही होता है। अतः वही यह जान सकती है कि किस मद हेतु कितने धन की आवश्यकता पड़ेगी। इस सिद्धांत का आशय यह भी है कि बिना कार्यपालिका की अनुमति के कोई भी मांग प्रस्तुत नही की जानी चाहिए तथा बजट निर्माण सीधे कार्यपालिका के नियंत्रण मे ही होना चाहिए।

पढ़ना न भूलें; बजट क्या है? परिभाषा, प्रकार 

2. संतुलित बजट  

बजट निर्माण का स्वस्थ सिद्धांत है: उसका संतुलित होना। पी. के. वाटल का मत है," संतुलित बजट वित्तीय स्थायित्व की पहली आवश्यकता है।" 

आय एवं व्यय मे बहुत अधिक अंतर नही होना चाहिए। किसी भी देश के लिए न तो बहुत ही घाटे का बजट और न ही अधिक लाभ का बजट उपयोगी माना जा सकता है। &lt;/p&gt;&lt;p&gt;संतुलित बजट ही सबसे अच्छा सबसे अच्छा होता है, क्योंकि घाटे के बजट मे, घाटे को पूरा करने के लिए ॠण लेना पड़ता है अथवा नोट छापने पड़ते है, जिससे सारी अर्थव्यवस्था डगमगा जाती है। इसके विपरीत, बचत के बजट का अर्थ है कि शासन के पास धन है, लेकिन वह फिर भी विकास कार्यों के लिए खर्च नही कर रहा है। अतः असंतुलित बजट आम जनता मे सरकार के प्रति अविश्सनीयता ही पैदा करेगा। इसलिए बजट संतुलित होना चाहिए।&lt;script async src="https://pagead2.googlesyndication.com/pagead/js/adsbygoogle.js"&gt; <ins class="adsbygoogle" style="display:block" data-ad-client="ca-pub-4853160624542199" data-ad-slot="7124518223" data-ad-format="auto" data-full-width-responsive="true"></ins> <script> (adsbygoogle = window.adsbygoogle || []).push({});

3. प्रचार 

देश की जनता पर ही बजट का प्रभाव पड़ता है। अतः बजट का जनता मे ज्यादा प्रचार एवं प्रकाशन अनिवार्य है। बजट के प्रत्येक चरण अर्थात् प्रस्तुति, उस पर सामान्य बहस, मांगो पर मतदान, टैक्सों की स्वीकृति, उस पर की गई प्रतिक्रियाएं आदि का जमकर प्रचार होना चाहिए ताकि जनता अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त कर सके।

4. स्पष्टता 

बजट का रूप इस प्रकार का हो कि वह स्पष्ट रूप से समझ मे आ सके। बजट की भाषा सरल एवं सुबोध होना चाहिए तथा उसे द्विअर्थी नही होना चाहिए ताकि जनता उसे आसानी से समझ सके।

5. व्यापकता 

व्यापकता किसी भी बजट के लिए अनिवार्यता होती है। अनिवार्यता से आशय आय एवं व्यय के संपूर्ण विवरण के अतिरिक्त नई नीतियां, प्रस्तावित योजनाएं, देश की आर्थिक स्थिति इत्यादि सब बातों का समावेश होना चाहिए।

6. एकता 

इसका आशय है कि देश के लिए एक ही बजट होना चाहिए। अलग-अलग विभागों के लिए अलग-अलग बजट नही। समस्त आमदनी एक निश्चित फण्ड मे जाना चाहिए; इसी तरह समस्त व्यय भी। यदि हर विभाग अलग-अलग बजट बनाएगा तो उस देश की वास्तविक स्थिति का पता नही चलेगा क्योंकि हो सकता है कोई घाटे का बजट बनाए तो कोई लाभ का। हमारे देश मे दो बजट प्रस्तुत किए जाते है-- एक सामान्य बजट, दूसरा रेलवे बजट। इस तरह हमारे देश मे इस सिद्धांत का पालन नही होता।

7. नियतकालीनता 

बजट द्वारा सरकार को विनियोजकों तथा व्यय का जो अधिकार दिया जाये, वह एक निश्चित अवधि के लिए ही होना चाहिए। यदि धन का उपयोग इस अवधि मे नही हो पाता है तो वह समाप्त हो जायेगा तथा पूनः स्वीकृति के उपरांत ही खर्च किया जा सकता है।

8. परिशुद्धता 

बजट के अनुमानों को यथासंभव परिशुद्ध एवं विश्वस्त होना चाहिए। एक अच्छी वित्तीय व्यवस्था के लिए बजट अनुमानों मे शुद्धता आवश्यक है।

9. सत्यशीलता 

सत्यशीलता का आशय है कि बजट का क्रियान्वयन ठीक उसी रूप मे होना चाहिए जिस रूप मे उसे पारित किया गया हो अन्यथा विधायी स्वीति एवं नियंत्रण का कोई महत्व नही रहेगा।

10. मितव्ययिता 

बजट मे मितव्ययिता सबसे आवश्यक है। सार्वजनिक धन के रूप मे एक पैसे का भी अनावश्यक व्यत दुरूपयोग या बर्बादी नही होना चाहिए। देश की सुदृढ़ अर्थव्यवस्था के लिए मितव्ययिता आवश्यक है।

11. नकदी का आधार 

बजट एक बर्ष के भीतर नकद रूपये प्राप्त होने वाली आमदनी तथा किए जाने वाले व्यय के आधार पर बनाया जाना चाहिए।

12. आय तथा व्यय का सही अनुमान 

किसी भी अच्छे बजट के लिए सही अनुमानों का लगाया जाना अत्यन्त आवश्यक होता है। कहीं ऐसा न हो कि आय के ज्यादा अनुमान लगाए जायें तथा व्यय के कम से कम, हमारे देश मे तो यह एक बीमारी है। हम अपने देश की प्राकृतिक विपदाओं का सही मूल्यांकन नही कर पाते है। ज्यादा आय की उम्मीद करते है पर होती कम है। अस्तु बजट डगमगा जाता है। 

13. नमनीयता &lt;/b&gt;&lt;/p&gt;&lt;p&gt;बजट मे नमनीयता भी होना चाहिए। देश की परिस्थिति के अनुसार इसे बदला जा सके, यह गुण होना चाहिए।&lt;/p&gt;&lt;p&gt;&lt;b&gt;14. गुप्तता नही&lt;/b&gt;&amp;nbsp;&lt;/p&gt;&lt;p&gt;बजट मे कोई गुप्त लेख न हो। एक बार संसद के सन्मुख प्रस्तुत कर दिए जाने के बाद उसे सार्वजनिक बना देना चाहिए।&lt;/p&gt;&lt;p&gt;&lt;b&gt;15. वित्तीय परिणामों का उल्लेख&lt;/b&gt;&amp;nbsp;&lt;/p&gt;&lt;p&gt;बजट मे यह उल्लेख किया जाना चाहिए कि प्रत्येक व्यय प्रस्ताव का क्या भौतिक परिणाम होगा। इसे कार्यफल बजट (परफोरमेन्स बजट) भी कह सकते है। कम से कम हमारे देश मे इसका उल्लेख पूरी तरह नही होता। उदाहरण के लिए केन्द्र ने राज्य शासन के लिए कोई अनुदान दिया या ऋण दिया तो जनता को यह जानने का अधिकार है कि राज्य सरकार ने इसका किस प्रकार उपयोग किया या कि सरकारी उद्यमों या उपक्रमों मे राज्य या केन्द्र ने जो पूंजी लगाई है, उसका क्या हुआ। इसका उल्लेख बजट मे नही होता। बजट मे समस्त वित्तीय विनियोजनों के लाभ एवं हानि का उल्लेख होना चाहिए।&lt;/p&gt;&lt;p&gt;पढ़ना न भूलें;&amp;nbsp;&lt;a href="https://www.kailasheducation.com/2021/01/budget-nirmaan-ki-prakriya.html" target="_blank"&gt;भारत मे बजट निर्माण की प्रक्रिया&lt;/a&gt;&lt;/p&gt;&lt;p&gt;&lt;b&gt;संदर्भ; मध्यप्रदेश हिन्दी ग्रंथ अकादमी, लेखक श्री डाॅ. एल. डी. गुप्ता।&lt;/b&gt;&lt;/p&gt;&lt;div dir="ltr" trbidi="on"&gt;&lt;span style="font-size:large"&gt;&lt;b&gt;&lt;script async src="https://pagead2.googlesyndication.com/pagead/js/adsbygoogle.js"&gt; <ins class="adsbygoogle" style="display:block;text-align:center" data-ad-layout="in-article" data-ad-format="fluid" data-ad-client="ca-pub-4853160624542199" data-ad-slot="5627619632"></ins> <script> (adsbygoogle = window.adsbygoogle || []).push({}); शायद यह जानकारी आपके के लिए बहुत ही उपयोगी सिद्ध होगी

बजट निर्माण का प्रमुख सिद्धांत क्या है?

बजट के सिद्धांत- बजट बनाने का तरीका सरल होना चाहिए। यह सटीक व सही होना आवश्यक है जिससे लक्ष्यों की अधिकतम प्राप्ति हो सके। बजट को इस प्रकार बनाना चाहिए जिससे की इसमें आवश्यकता के अनुसार परिवर्तन कर सके। बजट वास्तविक आय पर आधारित होना चाहिए जिससे की यह अधिकाधिक तर्कसंगत हो सके।

बजट निर्माण क्या है?

'बजट निर्माण' का अर्थ है- बजट अनुमानों का, अर्थात प्रत्येक वित्त वर्ष के संबंध में भारत सरकार के व्यय और प्राप्तियों (आय) के अनुमानों का विवरण तैयार करना । भारत में वित्त वर्ष 1 अप्रैल से 31 मार्च तक होता है । भारत सरकार के दो बजट हैं- रेलवे बजट और आम बजट

बजट से आप क्या समझते हैं बजट का महत्व बताइए?

What Is Budget. आने वाले साल के लिए कमाई और खर्चे की योजना बजट कहलाती है। देश के बजट में कई स्रोतों से आने वाले पैसे और तरह-तरह के मदों में होने वाले खर्च की विस्तृत योजना पेश की जाती है और इसके साथ ही ये भी तय होता है कि अगले साल सरकार टैक्स की दरें क्या रखेगी।

बजट से आप क्या समझते हैं बजट के प्रकारों का वर्णन कीजिए?

बजट के मुख्यतः दो भाग होते हैं, आय और व्यय। सरकार के समस्त प्राप्तियों और राजस्व को आय कहा जाता है तथा सरकार के सभी खर्चों को व्यय कहा जाता है. भारतीय संविधान के अनुच्छेद 112 में बजट का उल्लेख है जहां बजट शब्द का प्रयोग न कर के इसे वार्षिक वित्तीय विवरण कहा गया है।