बेल पत्र कब नहीं तोड़ना चाहिए? - bel patr kab nahin todana chaahie?

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Parag sharma

| नवभारतटाइम्स.कॉम | Updated: 1 May 2022, 9:01 am

  • बेल पत्र कब नहीं तोड़ना चाहिए? - bel patr kab nahin todana chaahie?

    सावधान…भूलकर भी इन दिनों में ना तोड़ें बेलपत्र

    सावन के महीने में भगवान शिव पर गंगाजल के साथ-साथ बेलपत्र चढ़ाने का विधान है। शिवपूजा में बेलपत्र का विशेष महत्व होता है। जब भी भगवान शिव की विशेष पूजा-अर्चना होती है, तब शिवलिंग पर बेलपत्र चढ़ाया जाता है। लेकिन क्या आप जानते हैं भगवान शिव को प्रसन्न करने वाला बेलपत्र उनको नाराज भी कर सकता है। शिवपुराण के अनुसार, कुछ तिथियां ऐसी होती हैं, जिनमें बेलपत्र को नहीं तोड़ना चाहिए, उन तिथियों में सोमवार का दिन भी है। हालांकि सावन में भगवान शिव को ताजे बेलपत्र चढ़ाने के लिए लोग सोमवार को ही बेलपत्र तोड़ते हैं लेकिन यह गलत है। आप रविवार को बेलपत्र तोड़कर रख लें और सोमवार के दिन शिवलिंग पर चढ़ा दें। आइए जानते हैं बेलपत्र के बारे में पुराणों में क्या-क्या कहा गया है और किन दिनों बेलपत्र को नहीं तोड़ना चाहिए…

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    घर की दरिद्रता होती है दूर

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    काशी समान होती है ऐसी जगह

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    छः माह तक बासी नहीं होता बेलपत्र

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    इन तिथियों को ना तोड़ें बेलपत्र

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    पेड़ लगाने से बढ़ती है सुख-शांति

    घर के आंगन में बेलपत्र का पेड़ लगाने से घर पापनाशक और यशस्वी हो जाता है। अगर पेड़ घर के उत्तर-पश्चिम में लगा हो तो इससे यश बढ़ता है। वहीं घर के उत्तर-दक्षिण में पेड़ हो तो सुख-शांति बढ़ती है और बीच में हो तो मधुर जीवन बनता है।

हाइलाइट्स

घर में बिल्व वृक्ष लगाने से पूरा कुटुम्ब विभिन्न प्रकार के पापों के प्रभाव से मुक्त हो जाता है.
शिवलिंग का बिल्वपत्र से पूजन करने पर दरिद्रता दूर होती है.

सावन का महीना (Sawan Month) चल रहा है. इस पवित्र महीने में भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए उनके भक्त कई तरह के जतन करते हैं. उनको अर्पित की जाने वाली सामग्री का विशेष ध्यान रखते हैं. भोलेनाथ को सबसे प्रिय है बेलपत्र (Belpatra), जिसे चढ़ाने से भगवान शिव अपने भक्तों पर कृपा बनाए रखते हैं परंतु धार्मिक ग्रंथो के अनुसार, बेलपत्र तोड़ने के कुछ नियम होते हैं, जिनका पालन करना जरूरी होता है. आज के इस आर्टिकल में हमें भोपाल के रहने वाले ज्योतिषाचार्य विनोद सोनी पौद्दार बता रहे हैं बेलपत्र तोड़ने, चढ़ाने के नियम और बेलपत्र का महत्व.

इन तिथियों पर न तोड़ें बेलपत्र

बेलपत्र को तोड़ते समय भगवान शिव का ध्यान करते हुए मन ही मन प्रणाम करना चाहिए. चतुर्थी, अष्टमी, नवमी, चतुर्दशी और अमावस्या तिथि पर बेलपत्र न तोड़ें. साथ ही तिथियों के संक्रांति काल और सोमवार को भी बेलपत्र नहीं तोड़ना चाहिए. बेलपत्र को कभी भी टहनी समेत नहीं तोड़ना चाहिए. इसके अलावा इसे चढ़ाते समय तीन पत्तियों की डंठल को तोड़कर ही भगवान शिव को अर्पण करना चाहिए.

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बेलपत्र नहीं होता है बासी

बेलपत्र एक ऐसा पत्ता है, जो कभी भी बासी नहीं होता है. भगवान शिव की पूजा में विशेष रूप से प्रयोग में लाए जाने वाले इस पावन पत्र के बारे में शास्त्रों में कहा गया है कि यदि नया बेलपत्र न उपलब्ध हो, तो किसी दूसरे के चढ़ाए हुए बेलपत्र को भी धोकर कई बार पूजा में प्रयोग किया जा सकता है.

बेलपत्र चढ़ाने के नियम

भगवान शिव को हमेशा उल्टा बेलपत्र यानी चिकनी सतह की तरफ वाला भाग स्पर्श कराते हुए चढ़ाएं. बेलपत्र को हमेशा अनामिका, अंगूठे और मध्यमा अंगुली की मदद से चढ़ाएं. भगवान शिव को बिल्वपत्र अर्पण करने के साथ-साथ जल की धारा जरूर चढ़ाएं. ध्यान रहे कि पत्तियां कटी-फटी न हों.

बेलपत्र का महत्व

शिव पुराण अनुसार, श्रावण मास में सोमवार को शिवलिंग पर बेलपत्र चढ़ाने से एक करोड़ कन्यादान के बराबर फल मिलता है. शिवलिंग का बिल्वपत्र से पूजन करने पर दरिद्रता दूर होती है और सौभाग्य का उदय होता है. बेलपत्र से भगवान शिव ही नहीं, उनके अंशावतार बजरंगबली भी प्रसन्न होते हैं.

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शिवपुराण के अनुसार, घर में बिल्व वृक्ष लगाने से पूरा कुटुम्ब विभिन्न प्रकार के पापों के प्रभाव से मुक्त हो जाता है. जिस स्थान पर बिल्ववृक्ष होता है, उसे काशी तीर्थ के समान पूजनीय और पवित्र माना गया है. ऐसे स्थान पर साधना, अराधना करने से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है.

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Tags: Dharma Aastha, Lord Shiva, Sawan

FIRST PUBLISHED : July 26, 2022, 11:20 IST

बेलपत्र कब कब नहीं तोडना चाहिए?

चतुर्थी, अष्टमी, नवमी, चतुर्दशी और अमावस्या तिथि पर बेलपत्र न तोड़ें. साथ ही तिथियों के संक्रांति काल और सोमवार को भी बेलपत्र नहीं तोड़ना चाहिए. बेलपत्र को कभी भी टहनी समेत नहीं तोड़ना चाहिए. इसके अलावा इसे चढ़ाते समय तीन पत्तियों की डंठल को तोड़कर ही भगवान शिव को अर्पण करना चाहिए.

कौन सा दिन बेलपत्र नहीं तोड़ना चाहिए?

शिव पुराण के अनुसार, बेलपत्र उस दिन नहीं तोड़ना चाहिए जिस दिन भगवान शिव को समर्पित दिन होता है। इसलिए सावन सोमवार के दिन बेलपत्र तोड़ने के बजाय एक दिन पहले यानी रविवार के दिन ही बेलपत्र तोड़ लें तो अच्छा है। इसके अलावा महाशिवरात्रि, हर मास की चतुर्दशी तिथि को भी बेलपत्र तोड़ने की मनाही है।

बेल पत्र कितने दिन तक शुद्ध रहता है?

1 बिल्वपत्र 6 महीने तक बासी नहीं माना जाता। इसे एक बार शिवलिंग पर चढ़ाने के बाद धोकर पुन: चढ़ाया जा सकता है। कई जगह शिवालयों में बिल्वपत्र उपलब्ध नहीं हो पाने पर इसके चूर्ण को चढ़ाने का विधान भी है।

सोमवार बेलपत्र क्यों नहीं तोड़ना चाहिए?

मुख्य रूप से बेल पत्र सोमवार के दिन भूलकर भी नहीं तोड़ना चाहिए। ऐसा माना जाता है कि सोमवार को बेल पत्र तोड़ने से भगवान शिव की कृपा प्राप्त नहीं होती है। इसलिए अलावा महीने की चतुर्थी, अष्टमी, नवमी, चतुर्दशी और अमावस्या तथा संक्रांति तिथियों में भी बेल पत्र नहीं तोड़ा जाता है।