बड़े भाई और छोटे भाई के स्वभाव में क्या अंतर था? - bade bhaee aur chhote bhaee ke svabhaav mein kya antar tha?

उत्तर – दूसरी बार पास होने पर छोटे भाई के व्यवहार में यह परिवर्तन आया कि वह आज़ाद प्रवृति का हो गया,उसने पढ़ाई पर ध्यान देना कम कर दिया

 

प्रश्न 4. बड़े भाई साहब छोटे भाई से उम्र में कितने बड़े थे और वे कौन -सी कक्षा में

      पढ़ते थे?

उत्तर – बड़े भाई साहब छोटे भाई से उम्र में पाँच साल बड़े थे और नौवीं कक्षा में पढ़ते थे।

 

प्रश्न 5. बड़े भाई साहब दिमाग़ को आराम देने के लिए क्या करते थे ?

उत्तर – बड़े भाई साहब दिमाग़ को आराम देने के लिए कॉपी पर, किताबों के हशियों पर चिड़ियों, कुत्तों,बिल्लियों की तस्वीरें बनाया करते थे।कभी -कभी एक ही नाम को दस -बीस बार लिख डालते। कभी एक शेर को बार -बार सुंदर अक्षरों में नक़ल करते। कभी ऐसी शब्द रचना करते,जिसमें न कोई अर्थ होता, न कोई सामंजस्य। जैसे – स्पेशल, अमीना, भाइयों -भाइयों, दरअसल, राधेश्याम, श्रीयुत, राधेश्याम आदि निरर्थक शब्द लिखते या वाक्य लिखते या कोई चित्र बनाया करते।

 

लिखित –

(क) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (25-30 शब्दों में) लिखिए –

प्रश्न 1–  छोटे भाई ने अपनी पढ़ाई का टाइम टेबल बनाते समय क्या क्या सोचा और फिर उसका पालन क्यों नहीं कर पाया?  

उत्तर – छोटे भाई ने अपनी पढ़ाई का टाइम टेबल बनाते समय अनेक बातें सोची –

उसने सोचा कि वह अब खूब मन लगाकर पढ़ाई करेगा, बड़े भाई को डाँटने का मौका नहीं देगा। खेलकूद में अपना समय बर्बाद नहीं करेगा। बड़े भाई को कभी भी शिकायत का मौका नहीं देगा, सुबह छह बजे से रात ग्यारह बजे तक सभी विषयों को पढ़ने के लिए टाइम टेबल बनाया।

जोश में आकर टाइम टेबल तो बना लिया परन्तु उसका पालन न कर पाया क्योंकि खुले मैदान की हरियाली, प्रकृति प्रेम, खेल कूद, भाग दौड़ उसे मैदान में खींच ले जाती। फुटबॉल और वॉलीबॉल जैसे खेल उसे आकर्षित कर लेते और चाहकर भी वह टाइम टेबल का पालन नहीं कर पाया।  

 

प्रश्न 2– एक दिन जब गुल्ली डंडा खेलने के बाद छोटा भाई, बड़े भाई साहब के सामने पहुँचा तो उनकी क्या प्रतिक्रिया हुई?

उत्तर – एक दिन जब गुल्ली डंडा खेलने के बाद छोटा भाई, बड़े भाई साहब के सामने पहुँचा तो उन्होंने रौद्र रूप धारण कर लिया और पूछा, ‘कहाँ थे?’ छोटे भाई को खेलकूद का शौक तो था,वह अधिकतर समय खेलकूद में ही बिताता था। एक दिन गुल्ली डंडा खेलने के बाद छोटा भाई भोजन के समय हॉस्टल पहुँचा तो बड़े भाई का रौद्र रूप देखकर घबरा गया।

बड़े भाई ने आव देखा न ताव उसे लगातार लताड़ना आरंभ कर दिया। उन्होंने छोटे भाई को डाँटते हुए कहा कि प्रथम दर्जे में पास होने का उसे घमंड हो गया है और घमंड के कारण तो रावण जैसे भूमंडल के स्वामी का भी नाश हो गया था हम तो फिर भी साधारण इंसान हैं।

 

प्रश्न 3– बड़े भाई साहब को अपने मन की इच्छाएँ  क्यों दबानी पड़ती थी?

उत्तर – बड़े भाई साहब को अपने मन की इच्छाएँ इसलिए दबानी पड़ती थीं क्योंकि बड़े भाई, छोटे भाई का ध्यान रखना अपना कर्तव्य मानते थे। वह छोटे भाई से पाँच वर्ष बड़े थे लेकिन बड़े होने के नाते वे उसके लिए मिसाल बनना चाहते थे। बड़े होने के कारण छोटे भाई की देखरेख की जिम्मेदारी उन पर थी।

यदि वे खुद बेराह चलते तो छोटे भाई को ग़लत राह पर चलने से कैसे रोक सकते थे। खेलने का मन होते हुए भी वे अपनी इच्छा दबा लेते थे और पढ़ाई में लगे रहते थे। वे ऐसा कोई काम नहीं करना चाहते थे ,जिससे छोटे भाई पर गलत या बुरा प्रभाव पड़े।

 

प्रश्न 4– बड़े भाई साहब छोटे भाई को क्या सलाह देते थे और क्यों?

उत्तर –बड़े भाई ,छोटे भाई को समय-समय पर अनेक सलाह और उपदेश देते रहते थे-

1.उसे दिन रात पढ़ाई करने की सलाह देते थे ताकि पढ़ाई की नींव मजबूत हो सके।

2.उसे खेलकूद से दूर रहने के लिए कहते थे क्योंकि इससे समय बर्बाद होता है।

3.सफलता प्राप्त करने पर अभिमान न करने की सलाह देते थे।

4.उसे समझाते थे कि इतिहास ज्योमैटरी अत्यंत कठिन विषय हैं।

5.अंग्रेजी पढ़ना आसान नहीं है, दिन रात आंखें फोड़ दी पड़ती है।

6.पुस्तकीय ज्ञान की बजाय व्यावहारिक ज्ञान सीखने की सलाह देते थे।

7.उसे बताते थे कि जीवन का अनुभव अधिक लाभकारी है।

 

प्रश्न 5–छोटे भाई ने बड़े भाई साहब के नरम व्यवहार का क्या फायदा उठाया?

उत्तर –छोटे भाई ने बड़े भाई साहब के नरम व्यवहार का अनुचित फायदा उठाया। उसने मनमानी शुरू कर दी , उसने पढ़ना छोड़ दिया और छिपकर पतंग उड़ानी शुरू कर दी। भाई साहब के बार-बार फेल होने पर लेखक यानी छोटे भाई के स्वभाव में अंतर आ गया लेखक लेखक की मनमानी और स्वच्छंदता अधिक बढ़ गई।

बड़े भाई का खौफ उसके मन से निकल गया, बड़े भाई के प्रति उनके दिल में आदर भाव भी कम हो गया। उसे यह विश्वास हो गया था कि वह पढ़े न पढ़े पास तो हो ही जाएगा, उसे स्वयं पर घमंड हो गया था।

 

लिखित –

(ख) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (25-30 शब्दों में) लिखिए –

प्रश्न 1–बड़े भाई साहब की डाँट फटकार अगर ना मिलती तो क्या छोटा भाई कक्षा में अव्वल आता? अपने विचार प्रकट कीजिए।

उत्तर –मेरे विचार से अगर बड़े भाई साहब की डाँट-फटकार ना मिलती तो छोटा भाई कक्षा में अव्वल नहीं आता। यद्यपि लेखक ने बड़े भाई की सलाह और लताड़ से कोई सीख ग्रहण नहीं की लेकिन अप्रत्यक्ष रूप से इसका प्रभाव लेखक पर पड़ता था। बड़े भाई साहब की डाँट-फटकार से लेखक की शैतानियों पर नियंत्रण रहता था।

बुद्धिमान तो वह था ही और और यह बड़े भाई का ही डर था कि छोटा भाई थोड़ा बहुत पढ़ लेता था। बड़े भाई साहब की डाँट-फटकार के कारण उसे  शिक्षा का महत्व पता चला, अनुशासित जीवन की समझ आई और इसीलिए वह हर बार कक्षा में अव्वल आता रहा।

 

प्रश्न 2– इस पाठ में लेखक ने समूचे शिक्षा के इन तौर तरीकों पर व्यंग्य किया है? क्या आप उनके विचारों से सहमत हैं?

उत्तर – इस पाठ में लेखक ने समूची शिक्षा के इन तौर तरीकों पर व्यंग्य किया है। उस समय शिक्षक रटने पर ज्यादा ज़ोर देते थे, विद्यार्थी किताब के एक-एक शब्द को रटते रहते थे उनका अर्थ जानने की कोशिश नहीं करते थे। लेखक ने परीक्षा प्रणाली पर भी वार किया है कि यह व्यवस्था बालकों की बुद्धि व कौशल को ठीक प्रकार से आँक नहीं पाती। आज की शिक्षा व्यवस्था में काफी हद तक सुधार आया है, किंतु पिछड़े इलाकों में अभी भी वही हाल है। सरकार को समय-समय पर पिछड़े इलाकों के शिक्षकों को नई नीतियों से परिचित करवाने के लिए प्रशिक्षण की व्यवस्था करनी चाहिए।

     मैं बड़े भाई साहब के विचारों से पूर्णतः सहमत हूँ क्योंकि ऐसी शिक्षा प्रणाली जो लाभदायक कम, और बोझ ज्यादा लगे ठीक नहीं है। मेरे विचार में शिक्षा बाल केन्द्रित होनी चाहिए और खेलकूद के बिना शिक्षा अधूरी है। खेलकूद, आपसी मेलजोल ,अनुशासन और मैत्री को बढ़ावा देते हैं ये समूची शिक्षा का आधार है।

 

प्रश्न 3– बड़े भाई साहब के अनुसार जीवन की समझ कैसे आती है?

उत्तर – बड़े भाई साहब के अनुसार जीवन की सही समझ अनुभव से आती है। जिस व्यक्ति को दुनियादारी का ज्ञान होता है और दुनिया देखने और समझने का अधिक अनुभव होता है, वही व्यक्ति समझदार माना जाता है। घरों में बड़े बुजुर्ग कम शिक्षित होकर भी अपने अनुभव के आधार पर समस्याओं से अधिक कुशलता से निपटते हैं।

मुश्किल समय में उनका अनुभव ही काम आता है। अम्मा और दादा का उदाहरण और हेड मास्टर साहब का उदाहरण देकर बड़े भाई साहब कहते हैं कि चाहे कितनी भी डिग्री क्यों न हो, जिंदगी के अनुभव के आगे सब बेकार है जिंदगी की कठिन परिस्थितियों का सामना अनुभव के आधार पर ही सरलता से किया जा सकता है।

You May Like – विडीओ – बड़े भाई साहब

प्रश्न 4– छोटे भाई के मन में बड़े भाई साहब के प्रति श्रद्धा क्यों उत्पन्न हुई?

उत्तर – छोटे भाई के मन में बड़े भाई के प्रति श्रद्धा इसलिए उत्पन्न हो गई क्योंकि जब एक दिन पतंगबाजी करते समय बड़े भाई साहब ने लेखक को पकड़ लिया और अगली कक्षा की कठिनाइयों का एहसास दिलवाया। जीवन के अनुभव को अधिक महत्वपूर्ण बताया तथा व्यवहारिक ज्ञान अर्जित करने की सीख दी। उनकी बातें सुनकर छोटे भाई की आँखें खुल गईं और बड़े भाई के प्रति श्रद्धा उत्पन्न हो गई।

लेखक को समझ आ गया कि उसकी सफलता के पीछे बड़े भाई साहब की प्रेरणा हैं बड़े भाई साहब केवल अधिकार जताने के लिए उसे नहीं डांटते अभी तो वास्तव में उसका भला चाहते हैं।

 

प्रश्न 5– बड़े भाई की स्वभावगत विशेषताएँ बताइए।

उत्तर – बड़े भाई साहब के स्वभाव में निम्नलिखित विशेषताएँ थीं –

1.परिश्रमी एवं अध्ययनशील – बड़े भाई साहब अध्ययनशील परिश्रमी व धुन के पक्के थे।वह लगभग हर समय पुस्तकें खोले बैठे रहते थे।

2.कुशल उपदेशक- बड़े भाई साहबउपदेश देने की कला मेँ निपुण थे। उपदेशों के माध्यम से ऐसे ऐसे सूक्ति बाण चलाते थे कि छोटा भाई पढ़ने के लिए विवश हो जाता था।

3.अनुशासनप्रिय एवं कर्तव्यपरायण – बड़े भाई साहब अनुशासनप्रिय, सिद्धांतप्रिय एवं कर्तव्यपरायण थे। वे आदर्शवादी बनकर छोटे भाई के सामने एक मिसाल प्रस्तुत करना चाहते थे।

4.वाकपटु – बड़े भाई साहब वाक कला मेँ निपुण थे, वे अपने छोटे भाई को भिन्न-भिन्न प्रकार के उदाहरण देकर उसे पढ़ाई के प्रति प्रेरित करते रहते थे।

5.रटंत शिक्षा प्रणाली के आलोचक- बड़े भाई साहब रखने को बढ़ावा देने वाली शिक्षा प्रणाली के घोर विरोधी थे। वह चाहते थे कि शिक्षा ऐसी हो जो जीवन के प्रति समझ पैदा करें।

6.अनुभवी एवं बड़ों का सम्मान करने वाले – बड़े भाई साहब बड़ों का आदर करते थे और उनके अनुभव को सम्मान देते थे। वे अपने अनुभव के आधार पर छोटे भाई को समझाते रहते थे।

 

प्रश्न 6– बड़े भाई साहब ने जिंदगी के अनुभव और किताबी ज्ञान में से किसे और क्यों महत्वपूर्ण कहा है?

उत्तर –बड़े भाई साहब ने जिंदगी के अनुभव और किताबी ज्ञान में से जिंदगी के अनुभव को महत्पूर्ण कहा है क्योंकि उनके अनुसार जीवन की समझ पुस्तकें रटने या पुस्तकों का ज्ञान परीक्षा में ज्यों का त्यों उतार देने से नहीं आती। किताबी ज्ञान से, जिंदगी का अनुभव अधिक महत्वपूर्ण है। वास्तव में जीवन की समझ व्यावहारिक अनुभव से ही विकसित होती है है। पुस्तकीय ज्ञान भी तभी सार्थक होता है जब उसका व्यवहारिक जीवन में प्रयोग करना आ जाए।

जिस व्यक्ति को दुनियादारी का ज्ञान होता है और दुनिया देखने और समझने का अधिक अनुभव होता है वही व्यक्ति समझदार माना जाता है। घरों में बड़े बुजुर्ग कम शिक्षित होकर भी अपने अनुभव के आधार पर समस्याओं से अधिक कुशलता से निपटते हैं। मुश्किल समय में उनका अनुभव ही काम आता है। अम्मा और दादा का उदाहरण और हेड मास्टर साहब का उदाहरण देकर बड़े भाई साहब कहते हैं कि चाहे कितनी भी डिग्री क्यों न हो जिंदगी के अनुभव के आगे सब बेकार है जिंदगी की कठिन परिस्थितियों का सामना अनुभव के आधार पर ही सरलता से किया जा सकता है।

 

(ख) निम्नलिखित का आशय स्पष्ट कीजिए  – 

प्रश्न 1–  इम्तिहान पास कर लेना कोई चीज़ नहीं असली चीज़ है बुद्धि का विकास- आशय स्पष्ट कीजिए।

उत्तर –प्रस्तुत पंक्ति के माध्यम से लेखक ने किताबी ज्ञान की बजाय बुद्धि के विकास को अधिक महत्व दिया है। कक्षा में अव्वल आ जाने पर छोटे भाई को अभिमान हो जाता है वह अपनी स्वतंत्रता का प्रदर्शन अपने आचरण में करने लगता है।

यह देख बड़े भाई साहब ने उसके अभिमान को लक्ष्य करके कहा कि कक्षा में प्रथम आकर यह न सोचो कि तुमने बहुत बड़ी सफलता पा ली है, इस सफलता से बड़ी चीज़ है बुद्धि का विकास, समझ तथा अनुभव इस अनुभव में तुम अभी भी छोटे हो इस मामले में मेरी बुद्धि तुम से अधिक विकसित है।

 

प्रश्न 2–फिर भी जैसे मौत और विपत्ति के बीच भी आदमी मोह और माया के बंधन में  जकड़ा रहता है, मैं फटकार और घुड़कियां खाकर भी खेल कूद का तिरस्कार न कर सकता था। आशय स्पष्ट कीजिए।

 उत्तर –इन पंक्तियों के माध्यम से लेखक कह रहा है कि चाहे कितनी भी विपत्ति क्यों न आ जाए और मौत जैसा सत्य भी सामने क्यों ना हो ,फिर भी इंसान सांसारिक मोहमाया से नहीं छूटता। वह सांसारिक विषय-वासनाओं और लालच के आकर्षण में जकड़ा ही रहता है।

उसी प्रकार लेखक भी खेल-कूद, उछल-कूद, मौज-मस्ती के आकर्षण और लालच से बाहर नहीं आ पाता था। वह बड़े भाई की डाँट-फटकार सहन कर लेता था परंतु सैर सपाटा खेल कूद नहीं छोड़ता था।

 

 प्रश्न 3– बुनियाद ही पुख्ता ना हो तो मकान पायदार कैसे बने? आशय स्पष्ट कीजिए।

 उत्तर – इस पंक्ति के माध्यम से नींव की मजबूती पर प्रकाश डाला गया है। जिसप्रकार किसी मकान को टिकाऊ एवं मजबूत बनाने के लिए उसकी नींव को ठोस और गहरा बनाया जाता है, उसी प्रकार जीवन रूपी भवन की नींव को मजबूत बनाने के लिए शिक्षा रूपी नींव भी मजबूत होनी चाहिए।

यदि पढ़ाई का आरंभिक आधार ही ठोस नहीं हो तो मनुष्य आगे चलकर कुछ भी नहीं कर पाता। जो बचपन में मेहनत से अध्ययन करता है उसी की बुद्धि का पूर्ण विकास होता है। वास्तव में यह भाई साहब की पढ़ाई पर व्यंग्य किया गया है।

प्रश्न 4– आंखें आसमान की ओर थी और मन उस आकाशगामी पति की ओर जो मंद गति से झूमता पतन की ओर चला आ रहा था, मानो कोई आत्मा स्वर्ग से निकलकर  विरक्त मन से नए संस्कार ग्रहण करने जा रही हो। आशय स्पष्ट कीजिए।

उत्तर – इन पंक्तियों के माध्यम से लेखक कह रहा है कि जब वह पतंग लूट रहा था तो उसकी आँखें आसमान की ओर थी और मन पतंग रूपी राहगीर की तरह लेखक को पतंग एक दिव्य आत्मा जैसी लग रही थी ,जो धीरे-धीरे नीचे आ रही थी ।वह उसे पाने के लिए दौड़ रहा था उसे इधर-उधर से आने वाली किसी भी चीज़ की कोई खबर नहीं थी।

You May Like -पाठ -सपनों के से दिन, प्रश्नोत्तरSapno ke se Din , Question/Answers (पाठ -सपनों के से दिन, प्रश्नोत्तर)

 

  स्वमूल्यांकन हेतु अतिरिक्त प्रश्न

 

प्रश्न 1- शिक्षा जैसे मसले पर बड़े भाई साहब के विचारों को स्पष्ट कीजिए।

प्रश्न 2- डाँट -फटकार लगाने के बाद बड़े भाई साहब लेखक को क्या सलाह दिया करते? उनके इस व्यवहार को आप कितना उचित समझते हैं?

प्रश्न 3- फेल होने पर भी बड़े भाई साहब किस आधार पर अपना बड़प्पन बनाए हुए थे?

प्रश्न 4- लेखक अपने ही बनाए हुए टाइमटेबल पर अमल क्यों नहीं कर पाता था?

प्रश्न 5- बड़े भाई साहब के फ़ेल होने पर लेखक के मं में क्या -क्या विचार आए?

प्रश्न 6- बड़े भाई साहब भले ही फेल होते हों पर उनकी सहज बुद्धि बड़ी तेज थी। स्पष्ट कीजिए।

प्रश्न 7- बड़े -बुजुर्गों को समझने का अधिकार क्यों है?

प्रश्न 8- बड़े भाई साहब और छोटे भाई के स्वभाव में क्या अंतर था?

प्रश्न 9- इस क़हानी से आपको क्या प्रेरणा मिलती है?

प्रश्न 10- बड़े भाई साहब ने तत्कालीन शिक्षा प्रणाली की जिन कमियों की ओर संकेत करते हुए अपने फेल होने के लिए उसे उत्तरदायी ठहराने की कोशिश की है, उससे आप कितना सहमत हैं? अपने विचार लिखिए।

छोटे भाई और बड़े भाई में कितना अंतर था?

आँखें आसमान की ओर थीं और मन उस आकाशगामी पथिक की ओर, जो मंद गति से झूमता पतन की ओर चला आ रहा था, मानो कोई आत्मा स्वर्ग से निकलकर विरक्त मन से नए संस्कार ग्रहण करने जा रही हो । जी पढ़ने में बिलकुल न लगता था। एक घंटा भी किताब लेकर बैठना पहाड़ थाभाई साहब उपदेश की कला में निपुण थे।

बड़े भाई साहब की स्वभावगत विशेषताएँ कौन कौन सी थी लिखिए?

बड़े भाई की स्वभावगत विशेषताएँ बताइए? बड़े भाई साहब परिश्रमी विद्यार्थी थे। एक ही कक्षा में तीन बार फेल हो जाने के बाद भी पढाई से उन्होंने अपना नाता नहीं तोड़ा। वे गंभीर तथा संयमी किस्म का व्यक्तित्व रखते थे अर्थात् हर समय अपने छोटे भाई के सामने आदर्श उदाहरण प्रस्तुत करने के लिए खेल-कूद से दूर और अध्ययनशील बने रहते थे।

रावण का उदाहरण देकर बड़े भाई ने छोटे भाई को क्या समझाया?

उत्तर- बड़े भाई साहब ने देखा कि उनके फेल होने और खुद के पास होने से लेखक के मन में घमंड हो गया है। उसका घमंड दूर करने के लिए उसने रावण का उदाहरण देते हुए कहा कि रावण चक्रवर्ती राजा था, जिसे संसार के अन्य राजा कर देते थे। बड़े-बड़े देवता भी उसकी गुलामी करते थे।

लेखक ने अपने बड़े भाई की क्या विशेषताएँ बताई?

बड़े भाई साहब की स्वभावगत विशेषतायें : बड़े भाई साहब अनुशासन प्रिय थे। वह अपने छोटे भाई को भी तरह-तरह के आदर्श उदाहरण देकर अनुशासन अपनाने के लिए सलाह देते रहते थे। बड़े भाई साहब का स्वभाव भी गंभीर और सयंमी प्रवृत्ति का था। बड़े बड़े भाई साहब यूं तो परिश्रमी थे, लेकिन अपनी कक्षा में तीन बार बाद फेल हो गए थे।