चीनी मिट्टी कैसे बनाया जाता है? - cheenee mittee kaise banaaya jaata hai?

चीनी मिट्टी कैसे बनाया जाता है? - cheenee mittee kaise banaaya jaata hai?

चीनी मिट्टी (या, केओलिनाइट / Kaolinite) एक प्रकार की सफेद और सुघट्य मिट्टी हैं, जो प्राकृतिक अवस्था में पाई जाती है। इसका रासायनिक संघटन जलयुक्त ऐल्यूमिनो-सिलिकेट (Al2O3. 2SiO2. 2H2O) है। चीनी मिट्टी को 'केओलिन' भी कहते हैं। चीनी भाषा में केओलिन का अर्थ 'पहाड़ी डाँडा' होता है। डांडे बहुधा फेल्सपार खनिज के होते हैं और इस फेल्सपार का रासायनिक विघटन होने के कारण चीन मिट्टी या केओलिन इन्हीं डाँडों में पाई जाती है, बल्कि उस सफेद और सुघट्य मिट्टी को भी कहते हैं जो विघटन के स्थान से बहकर किसी अन्य स्थान में जमा हो जाती है। इसलिये चीनी मिट्टी दो प्रकार की होती है :

१. वह जो विघटनस्थल पर पाई जाती है, तथा२. वह जे विघटन के स्थान से बहकर दूसरे स्थान में जमी पाई जाती है।

उपयोग[संपादित करें]

चीनी मिट्टी का उपयोग बर्तन, प्याले, कटोरी, थाली, अस्पताल में काम में लाए जानेवाले सामान, बिजली के पृथक्कारी (इंसुलेटर), मोटरगाड़ियों के स्पार्क प्लग, तापसह ईटें इत्यादि बनाने में होता है। रबर, कपड़ा तथा कागज बनाने में चीनी मिट्टी को पूरक की तरह उपयोग में लाते हैं। कभी कभी इसे दवा के रूप में भी खिलाते हैं। हैजा इत्यादि बीमारी में केओलिन दी जाती है।

भारत में चीनी मिट्टी[संपादित करें]

भारत में चीनी मिट्टी बिहार की राजमहल पहाड़ियों और पथरगट्टा नामक स्थान के पास, दिल्ली के आसपास की पहाड़ियों में तथा केरल में त्रिवेंद्रम के पास कुंडारा नामक स्थान में अच्छी और प्रचुर मात्रा में मिलती है। राजस्थान में कई स्थानों पर (विशेषकर पहाड़ियों पर), मध्यप्रदेश, बंबई, गुजरात, चेन्नै, बंगाल और आंध्रप्रदेशों में भी चीनी मिट्टी बहुतायत से पाई जाती है। असम और पंजाब में भी चीनी मिट्टी प्रचुर मात्रा में पाई जाने की संभावना है।

गुणधर्म एवं वर्गीकरण[संपादित करें]

स्पेन की एक खान से निकली 'चीनी मिट्टी'

मृद्भाण्ड (pottery) उद्योग में उपयागी हाने के लिय चीनी मिट्टी के कुछ अन्य गुण भी होने चाहिए जैसे,

  • गीली रहने पर उसे मनचाही आकृति दे देना,
  • सूखने पर कठोर हो जाना,
  • ऊँचे ताप पर न गलना
  • सूखने पर या आग में पकने पर भी दी हुई आकृति का ज्यों का त्यों बना रहना,
  • सूखने वा आग में पकाने पर नियमित रूप से सिकुड़ना, तथा

इन गुणों को ध्यान में रखते हुए उपर्युक्त दो प्रकार की चीनी मिट्टी का आगे और भी वर्गीकरण किया जा सकता है, जैसे:

१. वह चीनी, मिट्टी जो आग में पकाने पर सफेद रहती है और वह चीनी मिट्टी जो आग में पकाने पर सफेद नहीं रहती;

२. सूखने और पकाने पर अधिक सिकुड़नेवाली चीनी मिट्टी और कम सिकुड़नेवाली चीनी मिट्टी;

३. ऊँचे ताप पर गल जानेवाली और न गलनेवाली चीनी मिट्टी;

४. विशेष सुघट्य और कम सुघट्य मिट्टी तथा

५. छोटे कणोंवाली मिट्टी और बड़े कणोंवाली मिट्टी।

विशेष प्रकार के गुणोंवाली मिट्टी ही विशेष प्रकार के उद्योग में अधिक उपयोगी सिद्ध होती हे, जैसे ऊँचे ताप को सह सकनेवाली मिट्टी का उपयोग तापसह ईटों के बनाने में होता है। मकान इत्यादि बनाने के लिये पकाने पर सुंदर और लाल हो जानेवाली मिट्टी अधिक उपयोगी है। प्याले, कटोरी इत्यादि बनाने में आग में पकाने पर सफेद रहनेवाली मिट्टी को ही लोग अधिक पसंद करते हैं। कपड़ा, कागज या रबर बनाने के उद्योग में खूब छोटे कणोंवाली सफेद मिट्टी की ही अधिक माँग है।

उपयोग में लाने के पहले चीनी मिट्टी को अपद्रव्यों से मुक्त करना पड़ता है। यह क्रिया चीनी मिट्टी को पानी से 'धोकर' की जाती है। इसके लिए चीनी मिट्टी को पानी में मिलाकर नालियों में बहाया जाता है। अपद्रव्य भारी होने के कारण नीचे बैठ जाते हैं और चीनी मिट्टी पानी के साथ बह जाती है। कुछ दूर बहने के बाद इस चीनी-मिट्टी-युक्त पानी को एक टंकी में जमा कर लिया जाता है। कुछ समय के बाद चीनी मिट्टी भी पानी में नीचे बैठ जाती है। ऊपर का पानी निकाल लिया जाता है और मिट्टी सुखा ली जाती है।

बाहरी कड़ियाँ[संपादित करें]

  • चीनी मिट्टी के बर्तन

विषयसूची

  • 1 चीनी मिट्टी से बना एक प्रसिद्ध पात्र कौन सा है?
  • 2 चीनी पाटरी क्या है?
  • 3 चीनी मिट्टी के बर्तन को क्या कहते हैं?
  • 4 चीनी मिट्टी के बर्तन कैसे होते हैं?

चीनी मिट्टी से बना एक प्रसिद्ध पात्र कौन सा है?

इसे सुनेंरोकेंब्लैंक डी चाइन एक प्रकार का सफेद चीनी मिट्टी का बरतन है जो देहुआ फ़ुज़ियान प्रांत में बनाया गया है। इसका उत्पादन मिंग राजवंश (1368-1644) से किया गया है। वर्तमान दिन। बड़ी मात्रा में यूरोप में चीनी निर्यात चीनी मिट्टी के बरतन के रूप में 18 वीं शताब्दी की शुरुआत में पहुंचा और इसे मीसेन और अन्य जगहों पर कॉपी किया गया था।

चीनी मिट्टी का मूल नाम क्या है?

इसे सुनेंरोकेंचीनी भाषा में केओलिन का अर्थ पहाड़ी डाँडा होता है। डांडे बहुधा फेल्सपार खनिज के होते हैं और इस फेल्सपार का रासायनिकविघटन होने के कारण चीन मिट्टी या ”केओलिन” इन्हीं डाँडों में पाई जाती है, बल्कि उस सफेद और सुघट्य मिट्टी को भी कहते हैं जो विघटन के स्थान से बहकर किसी अन्य स्थान में जमा हो जाती है।

चीनी मिट्टी कैसे बनाई जाती है?

इसे सुनेंरोकेंअपद्रव्य भारी होने के कारण नीचे बैठ जाते हैं और चीनी मिट्टी पानी के साथ बह जाती है। कुछ दूर बहने के बाद इस चीनी-मिट्टी-युक्त पानी को एक टंकी में जमा कर लिया जाता है। कुछ समय के बाद चीनी मिट्टी भी पानी में नीचे बैठ जाती है। ऊपर का पानी निकाल लिया जाता है और मिट्टी सुखा ली जाती है।

चीनी पाटरी क्या है?

इसे सुनेंरोकेंचीनी मिट्टी- संज्ञा स्त्रीलिंग [हिंदी चीनी (विशेषण)+मिट्टी] एक प्रकार की मिट्टी जो पहले पहल चीन के किंग विशेषण चिन् नामक पहाड से निकली थी ओर अब अन्य देशों में भी कहीं कहीं पाई जाती है ।

मिट्टी के बर्तन बनाने के लिए कौन सी मिट्टी चाहिए?

इसे सुनेंरोकेंमिट्टी यहां तीन तरह की मिलती है लाल, काली और सफेद। इसमें से लाल मिट्टी बर्तन बनाने के लिए उपयुक्त नहीं है। काली मिट्टी जो करिया मिट्टी और सफेद मिट्टी जो पौंड्रा मिट्टी कहलाती है ,काम के लिए उपयुक्त मानी जाती हैं । इनमें भी काली मिट्टी शक्तिशाली समझी जाती है और श्रेष्ठ मानी जाती है।

मरे हुए जानवरों की हड्डियों से क्या बनता है?

इसे सुनेंरोकेंकुछ लोग कहते हैं कि टूथपेस्ट किसी खाद्य पदार्थ से नहीं बल्कि, जानवरों के हड्डियों के चूरे से बनता है. दावा किया जाता है कि जानवरों के हड्डियों के चूरे के साथ-साथ इसमें एक और खतरनाक चीज मिलाई जाती है, वो है फ्लोराइड. फ्लोराइड नाम उस जहर का है जो शरीर में फ्लोरोसिस नाम की बीमारी करता है.

चीनी मिट्टी के बर्तन को क्या कहते हैं?

इसे सुनेंरोकेंचाइना का शब्द भी चीनी मिट्टी के बर्तन के साथ ब्रिटेन और पूरे यूरोप में मशहूर हो गया , जिस से चाइना और चीनी मिट्टी के बर्तन और चीन दोनों के नाम हो गए ।

मिट्टी से बर्तन कैसे बनाते हैं?

इसे सुनेंरोकेंआप मिट्टी के किनारों को एक आकार पर रख दें। उस आकार पर हल्का खाना पकाने वाले तेल का लेप लगा दें या एक प्लास्टिक थैली का प्रयोग करें जिससे ये सतह पर चिपक न जाये। सूखने पर इसे ढांचे से उठा लें, ये सिकुड़ हुआ होगा और संभवतः बर्तन के ऊपर ढंका हुआ छोड़ने से इसमें दरारें पड़ी होंगी परंतु इसका आकार बना रहेगा।

चीन की 90% मिट्टी क्या है?

इसे सुनेंरोकेंचीनी भाषा में केओलिन का अर्थ ‘पहाड़ी डाँडा’ होता है। डांडे बहुधा फेल्सपार खनिज के होते हैं और इस फेल्सपार का रासायनिक विघटन होने के कारण चीन मिट्टी या केओलिन इन्हीं डाँडों में पाई जाती है, बल्कि उस सफेद और सुघट्य मिट्टी को भी कहते हैं जो विघटन के स्थान से बहकर किसी अन्य स्थान में जमा हो जाती है।

चीनी मिट्टी के बर्तन कैसे होते हैं?

इसे सुनेंरोकेंचीनी मिट्टी के बर्तन को बनाने के लिए गीली मिट्टी को एक आवश्यक आकार दिया जाता है। फिर उन्हें एक भट्ठी में उच्च तापमान तक गर्म कर दिया जाता है जो मिट्टी से सभी पानी सोख लेती है। पानी सूख जाने से आकार सख्त हो जाता है और विभिन्न उत्पादों का निर्माण किया जा सकता है।

मिट्टी से कौन कौन सी चीजें बनाई जाती है?

“मिट्टी से बनी वस्तुएँ” श्रेणी में पृष्ठ

  • कलश (बासन)
  • क्रातेर (बासन)

बर्तन बनाने वाले को क्या कहते हैं?

इसे सुनेंरोकेंकुम्हार (Kumhar) = potter १. मिट्टी का बरतन बनानेवाला मनुष्य । २.

चीनी मिट्टी कैसे बनाई जाती है?

चीनी मिट्टी के बर्तन को बनाने के लिए गीली मिट्टी को एक आवश्यक आकार दिया जाता है। फिर उन्हें एक भट्ठी में उच्च तापमान तक गर्म कर दिया जाता है जो मिट्टी से सभी पानी सोख लेती है। पानी सूख जाने से आकार सख्त हो जाता है और विभिन्न उत्पादों का निर्माण किया जा सकता है।

चीनी मिट्टी की चीज़ें बनाने के लिए सामग्री क्या हैं?

अधिकांश सिरेमिक उत्पाद मिट्टी पर आधारित होते हैं और क्वार्ट्ज और फेल्डस्पार जैसे खनिज संशोधक के साथ मिश्रित एक या एक या अधिक मिट्टी से बने होते हैं। सिरेमिक के लिए उपयोग की जाने वाली व्यावसायिक मिट्टी के प्रकार मुख्य रूप से काओलिन और बॉल क्ले हैं।

चीनी मिट्टी क्यों होती है?

चीनी मिट्टी एक प्रकार की सफेद और सुघट्य मिट्टी हैं, जो प्राकृतिक अवस्था में पाई जाती है। डा. ग्रिम के कथनानुसार, ''चीनी मिट्टी वह खनिज पदार्थ है जो, फेल्सपार या उसके समान रासायनिक संघटनवाले खनिजों के रासायनिक विघटन से प्रकृति में बनती है।'' इसका रंग सफेद होता है और इसमें प्राकृतिक सुघट्यता होती है।

चीनी मिट्टी से बने पात्र को क्या कहते हैं?

मर्तबान चीनी मिट्टी आदि के बने हुए एक प्रकार के गोलाकार पात्र को कहा जाता है। प्राचीन समय से ही यह पात्र प्रयोग में लाया जाता था। मर्तबान का इस्तेमाल अधिकांशत: अचार, मुरब्बे तथा रसायन आदि रखने के लिए किया जाता था।