चारु चंद्र की चंचल किरणें कौन सा अलंकार है? - chaaru chandr kee chanchal kiranen kaun sa alankaar hai?

चारु चंद्र की चंचल किरणें में कौन सा अलंकार है?

(A) यमक अलंकार
(B) उपमा अलंकार
(C) अनुप्रास अलंकार
(D) श्लेष अलंकार

Explanation : चारु चंद्र की चंचल किरणें, खेल रही थीं जल-थल में। पंक्ति में अनुप्रास अलंकार है। अनुप्रास अलंकार की परिभाषा – जहाँ व्यंजनों की आवृत्ति बार-बार हो, चाहे उनके स्वर मिलें या ​न मिलें वहाँ अनुप्रास अलंकार होता है। अनुप्रास अलंकार शब्दालंकार के तीन भेद– 1. अनुप्रास, 2. यमक और 3. श्लेष में से एक है। सामान्य हिंदी प्रश्न पत्र में अनुप्रास अलंकार संबंधी प्रश्न पूछे जाते है। इसलिए यह प्रश्न आपके लिए कर्मचारी चयन आयोग, बीएड, आईएएस, सब इंस्पेक्टर, पीसीएस, बैंक भर्ती परीक्षा, समूह 'ग' आदि प्रतियोगी परीक्षाओं के अलावा विभिन्न विश्वविद्यालयों की प्रवेश परीक्षाओं के लिए भी उपयोगी साबित होगें।....अगला सवाल पढ़े

Tags : अनुप्रास अलंकार अलंकार अलंकारिक शब्द

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                            भगवान श्रीराम, पत्नी सीता व भाई लक्ष्मण के साथ 14 वर्ष के वनवास पर जा चुके हैं। वहां वह पंचवटी में पर्णकुटी अर्थात् पत्तों की कुटिया बनाकर रहने लगते हैं। एक रात्रि राम व सीता विश्राम कर रहे हैं और लक्ष्मण बाहर कुटी का पहरा दे रहे हैं। इस दृश्य को कवि मैथिली शरण गुप्त अपने काव्य-ग्रंथ 'पंचवटी' में यूं लिखते हैं कि
                                                                                                
                                                     
                            

चारुचंद्र की चंचल किरणें, खेल रहीं हैं जल थल में
स्वच्छ चाँदनी बिछी हुई है अवनि और अम्बरतल में
पुलक प्रकट करती है धरती, हरित तृणों की नोकों से
मानों झीम रहे हैं तरु भी, मन्द पवन के झोंकों से

(सुंदर चंद्रमा की चंचल किरणें जल और थल सभी स्थानों पर क्रीड़ा कर रही हैं। पृथ्वी से आकाश तक सभी जगह चंद्रमा की स्वच्छ चाँदनी फैली हुई है जिसे देखकर ऐसा मालूम पड़ता है कि धरती और आकाश में कोई धुली हुई सफेद चादर बिछी हुई हो। पृथ्वी हरे घास के तिनकों की नोंक के माध्यम से अपनी प्रसन्नता को व्यक्त कर रही है। मंद सुगंधित वायु बह रही है, जिसके कारण वृक्ष धीरे-धीरे हिल रहे हैं)

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3 years ago

चारु चंद्र की चंचल किरणें खेल रही थी जल थल में में कौनसा अलंकार है?

प्रश्न – चारु चंद्र की चंचल किरणें खेल रही थी जल थल में में कौनसा अलंकार है? उदाहरण सहित स्पष्ट कीजिये।

उत्तर – प्रस्तुत पंक्ति में अनुप्रास अलंकार है। जब कविता में एक या अनेक वर्ण की आवृत्ति हो तब वहाँ अनुप्रास अलंकार होता है। इस काव्य पंक्ति में च वर्ण की आवृत्ति हो रही है जिससे अनुप्रास की छटा बिखर रही है।

इस पंक्ति में अनुप्रास अलंकार का कौन सा भेद हैं?

जब काव्य में एक ही पंक्ति बार बार प्रयुक्त हो तो वहाँ वृत्यानुप्रास होता है। इस पंक्ति में च वर्ण की आवृत्ति हो रही है इसलिए इसमे वृत्यानुप्रास है।

जैसा कि आपने इस उदाहरण में देखा जहां पर किसी वर्ण के विशेष प्रयोग से पंक्ति में सुंदरता, लय तथा चमत्कार उत्पन्न हो जाता है उसे हम शब्दालंकार कहते हैं।

अनुप्रास अलंकार शब्दालंकार का एक प्रकार है। काव्य में जहां समान वर्णों की एक से अधिक बार आवृत्ति होती है वहां अनुप्रास अलंकार होता है।

चारु चंद्र की चंचल किरणें खेल रही थी जल थल में में अलंकार से संबन्धित प्रश्न परीक्षा में कई प्रकार से पूछे जाते हैं। जैसे कि – यहाँ पर कौन सा अलंकार है? दी गई पंक्तियों में कौन सा अलंकार है? दिया गया पद्यान्श कौन से अलंकार का उदाहरण है? पद्यांश की पंक्ति में कौन-कौन सा अलंकार है, आदि।

इस काव्य पंक्ति में अन्य अलंकार की उपस्थिति –

किरणों को मनुष्य के रूप में दिखाया गया है इसलिए इसमे मानवीकरण अलंकार है।

चारुचंद्र की चंचल किरणें कौन सा अलंकार है?

अनुप्रास अलंकार की बानगी है यह कविता 'चारु चंद्र की चंचल किरणें'

चारु चंद्र की चंचल किरणें कौन सा अनुप्रास है?

" चारु चन्द्र की चंचल किरणें खेल रहीं हैं जल थल में " इन पंक्तियों में अनुप्रास अलंकार है । इस पंक्ति में त वर्ण की आवृत्ति बार बार हुई है।

चारू चन्द्र की चंचल किरणें पंक्ति में कौन सा अलंकार है क रूपक ख अनुप्रास ग यमक घ श्लेष?

उपरोक्त पंक्ति में 'च' वर्ण की कई बार आवृत्ति हुई है, अत: अनुप्रास अलंकार है। जब किसी काव्य को सुंदर बनाने के लिए किसी वर्ण की बार-बार आवृति हो तो वह अनुप्रास अलंकार कहलाता है। किसी विशेष वर्ण की आवृति से वाक्य सुनने में सुंदर लगता है।

चारु चंद्र की चंचल किरणें का अर्थ क्या है?

सुंदर चंद्रमा की चंचल किरणें जल और भूमि (थल) सभी स्थानों पर खेल रहीं हैं। पृथ्वी (अवनि) से आकाश तले (अम्बरतल) तक चंद्रमा की स्वच्छ चाँदनी फैली (बिछी) हुई है. पृथ्वी हरी घास के तिनकों की चोंच (नोंकों) के माध्यम से अपने आनंद (पुलक) को व्यक्त कर रही है। ऐसा लगता है पेड़ (तरु) भी हल्की (मन्द) हवा के झोकों से झूम रहे हैं।