Dr. Nikhil Agrawal एक गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल सर्जन के रूप में मेरी प्रैक्टिस के सबसे कठिन पहलुओं में से एक है, दुर्भाग्यपूर्ण कैंसर रोगियों को यह बताना कि बहुत देर हो चुकी है और बहुत कुछ नहीं किया जा सकता है। यह उनके और उनके प्रियजनों के लिए दिल तोड़ने वाला होता है। वे अक्सर निराशा में टिप्पणी
करते हैं "लेकिन वो पंद्रह दिन पहले तक ठीक थे " या, "हमने इस छोटे से लक्षण को नजरअंदाज कर दिया" या, "हम इस लक्षण के साथ डॉक्टर के पास गए थे लेकिन जांच नहीं हुई"। गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल कैंसर यानि पेट के कैंसर विश्व स्तर पर सबसे आम कैंसर हैं। गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल सिस्टम के कैंसर में इसोफेगस (भोजन नली), स्टमक (आमाशय), बड़ी आंत, पित्ताशय, पित्त नली, पैंक्रियास (अग्न्याशय), लिवर (यकृत) और
गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल स्ट्रोमल ट्यूमर (जीआईएसटी) के कैंसर शामिल हैं। हमारी सारी गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल प्रणाली पेट के अंदर बंद रहती है; इसी तरह, भोजन नली छाती के अंदर से जाती है। यह इन अंगों की सुरक्षा और कार्य के लिए महत्वपूर्ण है। लेकिन इससे एक नुकसान भी होता है - इन अंगों के रोगों और कैंसर का पता लगाना मुश्किल होता है। इन अंगों की बीमारियां एवं कैंसर अंदर ही अंदर बढ़ते रहते हैं और जब तक उनके लक्षण हमें चिकित्सक के पास जाने के लिए मजबूर करते हैं तब तक कई बार ये काफी बढ़ जाती हैं। ध्यान रहेलक्षण द्वारा हमारा शरीर हमें सचेत करता है कि कुछ गलत हो रहा है। पेट के सारे कैंसरों के भी अपने अपने विशिष्ट लक्षण हैं। लेकिन दुर्भाग्य से, अक्सर ये लक्षण तब आते हैं जब पहले से ही बहुत देर हो चुकी होती है। इनमें से कई लक्षण रोजमर्रा की सामान्य बीमारियों में भी होते हैं जो हमें समय-समय पर प्रभावित करती हैं। इसलिए ज़्यादातर हम इन्हें नज़रअंदाज़ कर देते हैं। इसके अलावा, किसी भी लक्षण का कारण एक मामूली बीमारी होने की संभावना ज्यादा होती है। यह संभावना हमेशा कम होती है कि आपका कोई लक्षण कैंसर जैसी गंभीर बीमारी के कारण होगा। इन सभी चीज़ों का परिणाम यह होता है कि इन कैंसर का पता काफी देर से चलता है। चेतावनी के संकेतपेट एवं आंत के रोगों और कैंसर के लक्षणों में शामिल है: खाना निगलने में कठिनाई, पेट में हमेशा दर्द रहना, बार-बार उल्टी होना एवं जी मिचलाना, अपने आप वजन घटना, भूख न लगना, उल्टी में रक्त, मल में रक्त, आंत्र की आदतों में बदलाव (लगातार दस्त या कब्ज रहना), लगातार पेट की परेशानी, पेट साफ़ ना होना, कमजोरी या थकान महसूस करना, लगातार अपच रहना, सीने में काफी जलन होना, पीलिया, खुजली, मधुमेह की शुरुआत, पेट में गांठ और आवाज में बदलाव। यदि आपको इनमें से कोई भी लक्षण है, तो कैंसर होने की संभावना इस पर निर्भर करती है कि आपमें कैंसर के खतरे को बढ़ाने वाले कितने कारण मौजूद हैं। जितने ज़्यादा कारण उतनी ही ज़्यादा संभावना। वैसे तो कैंसर के खतरे को बढ़ाने वाले कारण सभी कैंसर के लिए भिन्न होते हैं, लेकिन आम तौर पर इसमें बढ़ती उम्र, पेट और आंत के कैंसर का पारिवारिक इतिहास, धूम्रपान और शराब का सेवन, आहार में फलों और सब्जियों की कमी और मोटापा शामिल है। क्या करें?एक हल्के पेट की परेशानी या गैस्ट्रिक परेशानी की अनदेखी करने में संभवतः बहुत नुकसान नहीं है। लेकिन, आपको चिंतित होना चाहिए, अगर इनमें से कोई भी लक्षण नियमित रूप से होता है। इसके अलावा, आपकी शिकायत अगर काम होने की बजाय बढ़ती जा रही है और तो तुरंत अपने चिकित्सक या एक विश्वसनीय जीआई सर्जन से परामर्श करें। अगर सही समय पर जांच की जाये तो इन कैंसर का पता ऐसी स्टेज में चल सकेगा जहां वे अभी भी ठीक हो सकते हैं। सतर्क रहें, स्वस्थ रहें और खुश रहें! विषयसूची बड़ी आंत का क्या कार्य होता है?इसे सुनेंरोकेंहम जो भी खाते-पीते हैं, उसका पाचन और अवशोषण प्रमुख रूप से छोटी और बड़ी आंत में ही होता है। बड़ी आंत में पानी अवशोषित होता है और छोटी आंत में मिनरल, विटामिन और दूसरे तत्व। आंतों के बीमार होने से न केवल भोजन का पाचन, बल्कि पोषक तत्वों का अवशोषण भी प्रभावित होता है। आंत कैसे काम करती है? इसे सुनेंरोकेंइंसान के शरीर में आंत को ‘दूसरा मतिष्क’ कहते हैं. इसमें एक रीढ़ की हड्डी से ज़्यादा न्यूरॉन होते हैं और ये शरीर के केंद्रीय तंत्रिका तंत्र से बिलकुल अलग काम करता है. आंत का जटिल काम हमारे स्वास्थ्य को प्रभावित करता है. डॉक्टरों का मानना है कि हमारी पाचन प्रणाली खाने को पचाने के अलावा भी कई काम करती है. आंतों को मजबूत करने के लिए क्या खाएं?इसे सुनेंरोकेंसबसे पहले आपको अपने खाने में कच्ची, उबली और पकी सब्जियों को शामिल करना चाहिए. कुछ फलों, नट्स, स्प्राउट्स और प्रीबायोटिक्स और प्रोबायोटिक्स से भरपूर खाना खाएं. बता दें कि प्रोबायोटिक्स और प्रीबायोटिक्स से भरपूर भोजन आंतों में गुड बैक्टीरिया को बढ़ावा देते हैं. इसके अलावा आप खाने में कलरफुल फल-सब्जियों को शामिल करें. आंतों में इन्फेक्शन कितने दिन में ठीक होता है? इसे सुनेंरोकेंइलाज – शुरुआत में ओआरएस व चीनी-नमक का घोल दिया जाता है। अगर ज्यादा तकलीफ है तो फिर हॉस्पिटल में एडमिट करके इलेक्ट्रोलाइन इम बैलेंस इंजेक्शन दिया जाता है। 2 से 4 दिन में मरीज ठीक हो जाता है। बचाव – पानी उबालकर पीएं, बरसात में बाहर का खाना खाने से परहेज करे, बासी खाना न खाएं, साफ-सफाई पर ध्यान दें। छोटी आंत क्या कार्य करती है?इसे सुनेंरोकेंक्षुद्रांत्र या छोटी आंत (स्माल इन्टेस्टिन) मानव पाचन तंत्र का एक महत्वपूर्ण भाग है जो आमाशय से आरम्भ होकर बृहदांत्र (बड़ी आंत) पर पूर्ण होती है। क्षुदान्त्र में ही भोजन का सबसे अधिक पाचन और अवशोषण होता है। आंतों की मजबूती के लिए क्या करें? इसे सुनेंरोकें2- खाने में प्रोटीन जरूर शामिल करें आंतों को स्वस्थ रखने की बात हो तो आपको खाने में प्रोटीन का सेवन जरूर करना चाहिए. प्रोटीन बेहतर स्वास्थ्य के लिए जरूरी है. आप दिन की दो मील में प्रोटीन जैसे पनीर, दालें, साबुत अनाज या अंडा जरूर शामिल करें. इसके अलावा आप डाइट में फल-सब्जियों को भी शामिल करें. डुओडेनम क्या है?इसे सुनेंरोकेंग्रहणी (duodenum) अधिकांश उच्चतर कशेरुकी प्राणियों (जैसे स्तनधारी, सरिसृप, पक्षी आदि) के क्षुदांत्र का प्रथम भाग होता है। छोटी आंत का क्या काम है?क्षुद्रांत्र या छोटी आंत (स्माल इन्टेस्टिन) मानव पाचन तंत्र का एक महत्वपूर्ण भाग है जो आमाशय से आरम्भ होकर बृहदांत्र (बड़ी आंत) पर पूर्ण होती है। क्षुदान्त्र में ही भोजन का सबसे अधिक पाचन और अवशोषण होता है।
छोटी आंत और बड़ी आंत का कार्य क्या है?हम जो भी खाते-पीते हैं, उसका पाचन और अवशोषण प्रमुख रूप से छोटी और बड़ी आंत में ही होता है। यहीं सबसे अधिक पोषक तत्व अवशोषित होते हैं। बड़ी आंत में पानी अवशोषित होता है और छोटी आंत में मिनरल, विटामिन और दूसरे तत्व। आंतों के बीमार होने से न केवल भोजन का पाचन, बल्कि पोषक तत्वों का अवशोषण भी प्रभावित होता है।
बड़ी आंत का कार्य क्या है?Solution : बड़ी आंत की कुल लंबाई 1.5 मीटर होती है परंतु यह छोटी आंत से मोटाई में अधिक होने के कारण ही बड़ी आंत कहलाती है। इसका मुख्य कार्य जल एवं कुछ लवणों का अवशोषण करना है। बड़ी आंत का अंतिम भाग मलाशय कहलाता है जहाँ अपचित पदार्थ मल के रूप में एकत्रित हो जाता है और गुदा इसे निष्कासित कर देती है।
छोटी आंत में पाचन कैसे होता है?3.छोटी आंत
यहां भोजन पचाने की प्रक्रिया डेढ़ से तीन घंटे चलती है। आंतों में ग्रंथियां भोजन के पोषक तत्वों को अवशोषित करती हैं। छोटी आंत विटामिन, बी-12, मिनरल्स कैल्शियम, मैग्नीशियम व प्रोटीन अवशोषित करती हैं। भोजन से 90 प्रतिशत पोषक तत्व ले लेती है।
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