छोटे बच्चों की आंख आ जाए तो क्या करें? - chhote bachchon kee aankh aa jae to kya karen?

बच्‍चों और शिशुओं की इम्‍यूनिटी बहुत कमजोर होती है इसलिए उनमें कंजक्‍टिवाइटिस यानि पिंक आई का खतरा ज्‍यादा रहता है। चूंकि, शिशु को हर मर्ज के लिए दवा नहीं दी जा सकती है इसलिए इनके लिए घरेलू नुस्‍खे ज्‍यादा कारगर और सुरक्षित होते हैं।

बच्‍चों में कंजक्टिवाइटिस के इलाज के लिए कुछ सुरक्षित घरेलू उपाय मौजूद हैं जिनकी मदद से आप अपने शिशु की पिंक आई को ठीक कर सकते हैं।

​ब्रेस्‍ट मिल्‍क

छोटे बच्चों की आंख आ जाए तो क्या करें? - chhote bachchon kee aankh aa jae to kya karen?

मां के दूध में हर बीमारी को दूर करने के गुण होते हैा। मां के दूध में कोलोस्‍ट्रम होता है जिसमें प्रचुरता में माइक्रो न्‍यूट्रिएंट पाए जाते हैं। यहां तक कि डॉक्‍टर भी इस बात से सहमत होते हैं कि नवजात शिशु में होने वाली कई सामान्‍य समस्‍याओं को ब्रेस्‍ट मिल्‍क से ठीक किया जा सकता है।

दिन में 2 से 3 बार बच्‍चे की दोनों आंखों की पलकों पर ब्रेस्‍ट मिल्‍क लगाएं। आप ड्रॉपर की मदद से भी पलकों पर ब्रेस्‍ट मिल्‍क लगा सकती हैं। आप ब्रेस्‍ट से सीधा पलकों पर दूध लगा सकती हैं या किसी कप या कटोरी में दूध डालकर फिर उंगली से भी उसे लगा सकती हैं।

अगर एक आंख में दिक्‍कत हुई है तो भी आप शिशु की दोनों आंखों पर दूध लगा सकती हैं। इससे इंफेक्‍शन फैलने का खतरा कम होगा।

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​शहद

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शहद में एंटी-फंगल, एंटीबैक्‍टीरियल और एंटीबायोटिक गुण होते हैं। आंखों से संबंधित कई बीमारियों के इलाज के लिए मॉडर्न थेरेपी में शहद का इस्‍तेमाल किया जाता है। आंखों के लिए मनुका शहद सबसे ज्‍यादा सही माना जाता है। हालांकि, आप कच्‍चा शहद भी लगा सकती हैं।

एक चौथाई कप शहद लें और इतनी ही मात्रा में गुनगुना पानी लें। अब एक साफ ड्रॉपर की मदद से दोनों आंखों में एक से दो बूंद डालें।

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​नमक का पानी

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आंखों में इंफेक्‍शन के इलाज का सबसे आसान, सस्‍ता और कारगर उपाय सलाईन वॉटर है। इससे आंखों को आराम मिलता है और संक्रमण के कारण पैदा हुई गंदगी भी साफ होती है।

एक गिलास उबले हुए पानी में थोड़ा नमक डालें। इसके ठंडा होने पर इसमें रूई का एक फाहा भिगोएं और उसे शिशु की पलकों पर लगाएं। आपको हर बार नई रूई का इस्‍तेमाल करना है। इस बात का ध्‍यान रखें कि इस्‍तेमाल करते समय पानी ज्‍यादा गर्म नहीं होना चाहिए।

​हल्‍दी

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हल्‍दी एक प्राकृतिक एंटीबायोटिक की तरह काम करती है। यह सूजन से लड़ने में मदद करता है। हल्‍दी एंटीबॉडी बना सकती है जो पिंक आई पैदा करने वाली एलर्जी को रोकने में कारगर होती है।

एक चम्‍मच हल्‍दी में पानी मिलाकर घोल बना लें। इस मिश्रण से बच्‍चे की आंख धोएं। आप चाहें तो इससे सिकाई भी कर सकती हैं। उसके लिए एक कप गर्म पानी में एक चम्‍मच हल्‍दी डालें। इसमें रूई का एक फाहा भिगोएं और बच्‍चे की आंख पर रख दें।

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​आलू

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आलू में एस्ट्रिंजेंट गुण होते हैं। इससे आंखों की जलन और सूजन को कम किया जा सकता है। यह कं‍जक्टिवाइटिस से होने वाले दर्द को भी कम करता है। आलू का एक टुकड़ा या आलू को घिसकर इस्‍तेमाल कर सकती हैं।

सबसे पहले आलू को धो लें और उसकी एक पतली सी स्‍लाइस काट लें। इस स्‍लाइस को आंखों पर रखें और लगभग दस मिनट के लिए छोड़ दें। जब भी आप इस नुस्‍खे का इस्‍तेमाल करें, तभी आलू का ताजा स्‍लाइस काटें। आप दिन में कई बार इस उपाय को कर सकते हैं।

नोट : आंखें बहुत नाजुक होती हैं इसलिए किसी भी घरेलू नुस्‍खे का इस्‍तेमाल करने से पहले डॉक्‍टर से जरूर पूछ लें।

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कई बार बच्चों के खेलने और सोने के दौरान भी कोई कीड़ा काट दे तो, इससे भी उनकी आंखे लाल हो सकती है। इसके गंभीर परिणाम भी हो सकते हैं।

बच्चों की त्वचा बहुत ही मुलायम और सेंसटिव होती है। इसके अलावा उनकी आंखे तो बेहद ही नाजुक होती है। बच्‍चों और शिशुओं की इम्‍यूनिटी बहुत कमजोर होती है इसलिए उनमें कंजक्‍टिवाइटिस यानि पिंक आई का खतरा ज्‍यादा रहता है। शिशुओं और छोटे बच्चों में आंखों के संक्रमण होना काफी आम है। ऐसे में उनका खास ख्याल रखना होता है।

बच्चों की आंखें लाल होने के कारण इसमें ड्राईनेस, खुजली और पानी आने लगता है। जिसके वजह से पैरेंट्स परेशान हो उठते हैं। आंखों के संक्रमणों का तुरंत उपचार करवाना जरुरी है। हालांकि, कुछ इनफेक्शन घरेलू नुस्खों से भी ठीक हो जाते हैं, वहीं कुछ में दवाओं और अतिरिक्त देखभाल की जरुरत होती है। आंख में इनफेक्शन होने के शुरुआती संकेतों में शामिल हैं आंख पर दाना होना, अत्याधिक पानी आना या आंख लाल, चिपचिपी या सूजी हुई दिखना आदि।

एलर्जी: आंखें लाल होने का सबसे प्रमुख कारण एलर्जी है। कई बार इसकी वजह से भी बच्चों की आंखें लाल हो जाती है। एलर्जी का कारण धूल कण, किसी प्रोडक्ट का इस्तेमाल आदि हो सकते हैं। एलर्जी के कारण भी आंखों से पानी भी निकल सकता है। इसके लिए आपको अपने चिकित्सक से संपर्क करने की जरूरत है।

बिलनी (स्टाई): बिलनी (स्टाई) को मेडिकल टर्म में होर्डियोलम कहा जाता है। हिंदी में इसे अंजनहारी और गुहेरी नाम से भी जाना जाता है। यह पलक पर या पलक के अंदर की तरफ छोटा, लाल या पीला दाना होता है और इसमें दर्द भी होता है। बिलनी आमतौर पर पलक के बालों की जड़ या पलक की ग्रंथि के जीवाणु (बैक्टीरिया) से संक्रमित होने की वजह से होती है। सूजन कम करने और बिलनी को ठीक करने के लिए शिशु की आंख पर हल्की गर्म सिकाई करें।

ब्लेफराइटिस: ब्लेफराइटिस बच्चों की तुलना में वयस्क लोगों में अधिक आम है। ब्लेफराइटिस तब होता है जब पलकों के किनारे लाल हो जाएं और इनमें सूजन आ जाए। यह पलक में बैक्टीरियल इनफेक्शन की वजह से हो सकता है। सामान्यतः इसकी वजह से बच्चे की पलकें एक-दूसरे से चिपक जाती हैं। पलकों के बालों की जड़ों में पपड़ी भी जम सकती है। आंखों पर हल्की गर्म सिकाई के लिए आप हल्के गर्म पानी में एक रुमाल को डुबोएं और बच्चे की आंख पर 10 मिनट तक रखें। बच्चे की पलकों पर धीरे-धीरे गोलाई में मालिश करें। रुमाल ठंडा होने पर इसे बदल लें।

बच्चों की आंखें लाल हो रही है तो इसके लिए आपको घबराने की जरूरत नहीं है। आप इन घरेलू उपायों को अपनाने के अलावा अगर बच्चे की आंखों का लालिमा कम नहीं हो रही है तो आपको तुरंत अपने डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।

बच्चे की आंख आ जाए तो क्या करें?

आंखों पर हल्की गर्म सिकाई के लिए आप हल्के गर्म पानी में एक रुमाल को डुबोएं और बच्चे की आंख पर 10 मिनट तक रखें। बच्चे की पलकों पर धीरे-धीरे गोलाई में मालिश करें

नवजात शिशु की आंख में पानी क्यों आता है?

नवजात बच्चों में जन्म के तीन से चार हफ्ते के अंदर जन्मजात इन्फेक्शन हो सकता है, जिसे ऑफ्थैलमिया नियोनेटोरम कहते हैं। यह बच्चे के जन्म के समय होने वाली लापरवाही के कारण होता है। बच्चे की आंख से पानी आना, आंख का चिपकना, आंख की पलकों पर सूजन आना, आंख का लाल होना इसके लक्षण हो सकते हैं।

आंख आने पर कौन सा ड्रॉप डालें?

बैक्टीरियल कंजक्टिवाइटिस: बैक्टीरिया के किसी भी संक्रमण के लिए एंटीबायोटिक्स सबसे सामान्य उपचार है। बैक्टीरियल कंजक्टिवाइटिस में एंटीबायोटिक्स आई ड्रॉप्स और ऑइंटमेंट (मरहम/जैल) के इस्तेमाल से कुछ ही दिनों में आंखें सामान्य और स्वस्थ्य होने लगती हैं।

आंख लाल होने पर कौन सा ड्रॉप डालना चाहिए?

आप डीकन्जेस्टेन्ट आई ड्रॉप को पहचान लेंगे क्योंकि इसका विज्ञापन प्रायः लाल आंखों को राहत देने वाले आई ड्रॉप के रूप में किया जाता है। डीकन्जेस्टेन्ट आई ड्रॉप आपकी आंखों की लालिमा घटाते तो हैं, पर लंबे समय तक उपयोग करने पर वे आंख में सूखेपन के लक्षणों को और बदतर भी बना सकते हैं।