छत्तीसगढ़ में नक्सली प्रभावित जिलों की सूची - chhatteesagadh mein naksalee prabhaavit jilon kee soochee

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छत्तीसगढ़ में नक्सली प्रभावित जिलों की सूची - chhatteesagadh mein naksalee prabhaavit jilon kee soochee

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रायपुर.   केंद्र सरकार ने कवर्धा को नक्सल प्रभावित जिला घोषित किया है। केंद्रीय गृह विभाग ने दो दिन पहले माओवाद प्रभावित जिलों को नए सिरे से चिन्हित किया है। माओवाद प्रभावित जिलों की सूची से 44 जिलों का नाम हटा दिया गया है। अब देश के सिर्फ 30 जिले ही माओवाद से प्रभावित हैं। इसमें छत्तीसगढ़ के सरगुजा (अंबिकापुर), कोरिया और जशपुर जिले को नक्सल सूची से बाहर करते हुए कवर्धा जिले को शामिल किया है। क्योंकि, 2016 से मप्र के बालाधाट, मंडला के सरहद से लगे कवर्धा में नक्सल मूवमेंट में तेजी आई है। अपने विस्तार प्लान के तहत इस इलाके में नक्सलियों ने बटालियन तक तैनात कर रखी है। 

अब राज्य में 14 जिले नक्सल प्रभािवत 
नई सूची में कवर्धा का नाम जुड़ने और तीन जिलों का नाम हटने से राज्य में अब माओवाद प्रभावित जिलों की संख्या 14 हो गई है। इनमें बीजापुर, सुकमा, दंतेवाड़ा, बस्तर, नारायणपुर, कोंडागांव, कांकेर, राजनांदगांव, बालोद, गरियाबंद, धमतरी, महासमुंद, कवर्धा और बलरामपुर जिले शामिल हैं। इन जिलों की सुरक्षा में करीब 60 हजार से अधिक जवान तैनात हैं। इसमें 40 हजार जवान केंद्रीय बलों के हैं। नक्सल प्रभावित सूची से बाहर हुए सरगुजा, कोरिया और जशपुर में पिछले 5 वर्षों से न तो कोई नक्सल मूवमेंट हुई न ही कोई घटना हुई, इसलिए सूची से इनका नाम हटाया गया। 

अमरकंटक तक नेटवर्क फैलाना चाहते हैं नक्सली

बस्तर क्षेत्र में फोर्स से अपने कैडर को हो रहे नुकसान के कारण नक्सली विस्तार में जुटे हैं। वे मध्यप्रदेश के सतपुड़ा रेंज कहे जाने वाले मैकाल की पहाड़ियों से लगे इलाकों को अपने लिए महफूज ठिकाना बना रहे हैं। इन पहाड़ियों की इस ओर कवर्धा और इस ओर मप्र के बालाघाट, मंडला जिले की सरहद आती है। इस क्षेत्र में नक्सली आमदरफ्त बढ़ाते हुए बीते दो वर्ष में छोटी-बड़ी वारदात भी कर चुके हैं। कवर्धा के बकरकट्टा से लेकर रेंगाखार तक उनकी आवाजाही के मामले सामने आ चुके हैं। वर्ष 2016 में कवर्धा के भावे में पुलिस ने बड़े एनकाउंटर को भी अंजाम दिया था। उसमें मिले नक्सली साहित्य के हवाले से पुलिस सूत्रों का कहना है कि माओवादी बालाघाट से अमरकंटक तक के इलाकेे में नेटवर्क फैलना चाहते हैं।

राजनीतिक रुप से यह होगा असर
कवर्धा को नक्सल प्रभावित जिले में शामल किए जाने के की राजनीतिक मायने भी होंगे। इस साल के चुनावी कार्यक्रम में कवर्धा को बस्तर के साथ पहले चरण के मतदान वाले जिलों में रखा जाना तय है। यहां के मतदान पर सीधे केंद्रीय फोर्स की नजर रहेगी। इस जिले में कवर्धा और पंडरिया दो विधान सभा क्षेत्र आते हैं। इस समय दोनों ही सीटों पर भाजपा का कब्जा है। वर्ष 2013 के चुनाव में राजनांदगांव को बस्तर के साथ पहले चरण में रखा गया था।

बस्तर के सभी सातों जिलों के अलावा राजनांदगांव जिला भी अति नक्सल प्रभावित जिलों की सूची में शामिल हो गया है।

अनिल मिश्रा, रायपुर: देश के सर्वाधिक नक्सल प्रभावित 30 जिलों में से आठ छत्तीसगढ़ में हैं। केंद्रीय गृह मंत्रालय की रिपोर्ट में बस्तर के सभी सातों जिलों के अलावा राजनांदगांव जिला भी अति नक्सल प्रभावित जिलों की सूची में शामिल हो गया है।

गौरतलब है कि राजनांदगांव सूबे के मुख्यमंत्री डॉ.रमन सिंह का निर्वाचन क्षेत्र है। इसी साल केंद्रीय गृह मंत्रालय ने छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित जिलों की नई सूची जारी की है, जिसमें मुख्यमंत्री के गृह जिले कवर्धा को भी जोड़ा गया है।

हालांकि, कवर्धा को अति नक्सल प्रभावित जिला नहीं माना गया है। रिपोर्ट में बताया गया है कि देश के इन्हीं तीस जिलों में अधिकांश नक्सली वारदात हो रही हैं। कुल नक्सली वारदात के 88 फीसद केस इन तीस जिलों में दर्ज किए गए हैं। नक्सलवाद के चलते हो रही मौतों में 94 फीसद वारदात इन्हीं जिलों में हुई हैं।

सिमट रहा नक्सल प्रभावित इलाकों का दायरा

देश में नक्सलवाद का दायरा सिमट रहा है। वर्ष 2015 में देशभर में 106 जिले नक्सल प्रभावित थे, जबकि 2017 में इनकी संख्या घटकर 90 रह गई। कुल 11 राज्यों में नक्सलियों का प्रभाव है। मध्यप्रदेश में मामूली असर है, जबकि छत्तीसगढ़ से नक्सली रेड कॉरीडोर दूसरे प्रदेशों तक जुड़ा है। छत्तीसगढ़ के अलावा झारखंड, ओडिशा, बिहार सबसे ज्यादा प्रभावित हैं।

पश्चिम बंगाल, आंध्रप्रदेश, तेलंगाना, महाराष्ट्र कम प्रभावित राज्य हैं। हाल में जारी रिपोर्ट में बताया गया है कि केरल, कर्नाटक, तमिलनाड़ू आदि राज्यों में नक्सली अपना नेटवर्क खड़ा करने की कोशिश कर रहे हैं। पश्मिोत्तर में असम और अरुणाचल प्रदेश तक नक्सली कॉरीडोर बनाए जाने की सूचना भी सुरक्षा एजेंसियों के पास है।

बस्तर में सुकमा सबसे ज्यादा प्रभावित

बस्तर के सातों जिलों बस्तर, कोंडागांव, नारायणपुर, कांकेर, बीजापुर, दंतेवाड़ा, सुकमा के साथ ही राजनांदगांव को नक्सल मामलों में संवेदनशील बताया गया है, लेकिन सुकमा में सर्वाधिक नक्सली गतिविधियां दर्ज की गई हैं। 2017 में सुकमा में कई बड़ी घटनाएं दर्ज की गई।

कांकेरलंका और भेज्जी जैसी घटनाओं में सुरक्षा बलों को काफी नुकसान उठाना पड़ा। हालांकि, पिछले दो वर्षो में बस्तर में फोर्स का दबाव बढ़ा है और बड़े पैमाने पर नक्सलियों का सरेंडर तथा गिरफ्तारियां हुई हैं। खुद नक्सलियों ने माना है कि बस्तर में उनके 237 बड़े लीडर मारे गए हैं।

Edited By: Arun Kumar Singh

छत्तीसगढ़ के कितने जिले नक्सल प्रभावित हैं?

अब राज्य में 14 जिले नक्सल प्रभािवत इनमें बीजापुर, सुकमा, दंतेवाड़ा, बस्तर, नारायणपुर, कोंडागांव, कांकेर, राजनांदगांव, बालोद, गरियाबंद, धमतरी, महासमुंद, कवर्धा और बलरामपुर जिले शामिल हैं। इन जिलों की सुरक्षा में करीब 60 हजार से अधिक जवान तैनात हैं

भारत के कितने जिले नक्सल प्रभावित हैं?

फरवरी 2019 तक, 11 राज्यों के 90 जिले वामपंथी उग्रवाद से प्रभावित हैं

भारत में नक्सलवाद की शुरुआत कब हुई?

ये आंदोलन 1967 में पश्चिम बंगाल के गांव नक्सलबाड़ी से शुरू हुआ था। मजूमदार चीन के कम्यूनिस्ट नेता माओत्से तुंग के बड़े प्रशंसकों थे और वो मानते थे कि भारतीय मजदूरों और किसानों की दुर्दशा के लिए सरकारी नीतियां जिम्मेदार हैं। भारत में नक्सली हिंसा की शुरुआत 1967 में पश्चिम बंगाल के नक्सलबाड़ी से हुई थी।

नक्सली क्यों बनते हैं?

नक्सली : सरकारी नीतियों से असंतुष्ट या शोषित जब विरोध करते है तो भारत मे उनको नक्सली बोला जाता है। यह विरोध हिंसक ओर अहिंसक दोनों होता है, यह इस बात पर निर्भर करता है कि सरकार ने अपनी नीतियों को लागू करने के लिए कितनी सख्ती से काम लिया है।