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महत्वपूर्ण जानकारी
हिन्दू धर्म में पूर्णिमा का विशेष महत्व है। हिन्दू धर्म में कैलेण्डर व हिन्दू पंचाग के तिथि में चन्द्रमा के अनुसार ही बदलती है। पूर्णिमा क्या होता है? यह वह रात होती है जब चन्द्रमा पूर्ण रूप से दिखाई देता है। पूर्णिमा की रात हर 30 दिन बाद आती है यह ऐसा कहा जा सकता है कि पूर्णिमा एक महीने में एक बार आती है। चन्द्रमा के घटते और बढते हुए को पक्ष कहा जाता है दो प्रकार के होते है शुक्ल पक्ष और कृष्णपक्ष। 2022 में पूर्णिमा के तिथि इस प्रकार है:-जनवरी में पूर्णिमा तिथिपौष, शुक्ल पूर्णिमा, पौष पूर्णिमा व्रत, पौष पूर्णिमा फरवरी में पूर्णिमा तिथिमाघ, शुक्ल पूर्णिमा, माघ
पूर्णिमा व्रत, माघ पूर्णिमा मार्च में पूर्णिमा तिथिहुतसनी पूर्णिमा, फाल्गुन, शुक्ल पूर्णिमा, फाल्गुन पूर्णिमा व्रत अप्रैल में पूर्णिमा तिथिचैत्र, शुक्ल पूर्णिमा, चैत्र
पूर्णिमा व्रत, चैत्र पूर्णिमा मई में पूर्णिमा तिथिबुद्ध पूर्णिमा, वैशाख, शुक्ल पूर्णिमा, वैशाख पूर्णिमा जून में पूर्णिमा तिथिदेव स्नान पूर्णिमा, ज्येष्ठ पूर्णिमा जुलाई में पूर्णिमा तिथिगुरु पूर्णिमा, आषाढ़, शुक्ल पूर्णिमा, आषाढ़ पूर्णिमा व्रत, आषाढ़ पूर्णिमा अगस्त में पूर्णिमा तिथिनारली पूर्णिमा, जंध्याल पूर्णिमा, श्रावण पूर्णिमा, श्रावण, शुक्ल पूर्णिमा, श्रावण पूर्णिमा व्रत सितंबर में पूर्णिमा तिथिभाद्रपद, शुक्ल पूर्णिमा, भाद्रपद पूर्णिमा व्रत, भाद्रपद पूर्णिमा अक्टूबर में पूर्णिमा तिथिशरद पूर्णिमा, अश्विना, शुक्ल पूर्णिमा, अश्विनी पूर्णिमा व्रत, अश्विनी पूर्णिमा नवंबर में पूर्णिमा तिथिकार्तिका, शुक्ल पूर्णिमा, कार्तिका पूर्णिमा व्रत,
कार्तिका पूर्णिमा दिसंबर में पूर्णिमा तिथिमार्गशीर्ष, शुक्ल पूर्णिमा, मार्गशीर्ष पूर्णिमा अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्नदेव स्नान या स्नान यात्रा पूर्णिमा कब है?देव स्नान या स्नान यात्रा पूर्णिमा मंगलवार, 14 जून, 2022 को है आपको अवश्य पढ़ना चाहिएपूर्णिमा कब है:- नमस्कार दोस्तों, दोस्तों जैसा की आप जानते हैं की हिन्दू धर्म में व्रत एवं त्यौहार के लिए पूर्णिमा और अमावस की तिथियों का बड़ा महत्व है। हम जानते हैं चाँद अपनी 16 कलाओं के अनुसार अपना स्वरुप बदलता रहता है। चाहे हम बात करें अंग्रेजी महीनों की या हिंदी महीनों की साल एक महीने में 30 दिन होते हैं और 30 दिनों को चाँद की कलाओं के अनुसार
दो पक्षों में बांटा गया है। हिंन्दी पंचाग के अनुसार साल के हर एक महीने को चाँद की स्थिति के अनुसार दो पक्षों में बांटा गया है। आपको बता दें की जब चाँद बढ़ती हुई स्थिति में होता है उसे शुक्ल पक्ष कहा जाता है और जब चाँद अपनी घटने की स्थिति में होता है उसे कृष्ण पक्ष कहा जाता है। Sacha dharm kon sa hai | सबसे सच्चा धर्म कौन सा है? लेकिन जब आकाश में चाँद अपनी कला लेते हुए पूर्ण रूप में होता है उस दिन या तिथि को पूर्णिमा कहा जाता है तथा जब चाँद आकाश में दिखाई नहीं देता और आकाश पूर्णतः काला दिखाई दे रहा हो तो वह दिन अमवस्या का होता है। लोगों का मानना है की पूर्णिमा वाले दिन नदी में स्नान, अर्घ्य देना, व्रत करना, पूजा करना आदि सब करने से जीवन में समृद्धि आती है और पुण्य कर्मों का फल मिलता है। देखें :-कलयुग में किस भगवान की पूजा करनी चाहिये | भगवान को कैसे प्राप्त करे कलयुग मे लेकिन दोस्तों हिन्दू धर्म में साल में आने वाली हर एक पूर्णिमा तिथि का अपना ही एक धार्मिक महत्त्व होता है। आज के आर्टिकल में हम आपको इन्हीं तिथियों से संबंधित धार्मिक महत्त्व, त्यौहार एवं व्रत से संबंधित जानकारी प्रदान करने वाले हैं। आइये जानते हैं इन तिथियों के धार्मिक महत्वों को। दोस्तों यहां हमने आपको एक टेबल के माध्यम से बताया है वर्ष 2022 के किस तिथि और किस दिन पूर्णिमा होगी। इसके साथ ही आप पूर्णिमा से संबंधित हिंदी महीने और जयंती , त्यौहार एवं व्रत की जानकारी भी ले सकते हैं।
जानें पूर्णिमा का धार्मिक महत्त्व :हिन्दू धर्म में पुरे साल आने वाली अलग-अलग पूर्णिमा तिथियों का अलग-अलग धार्मिक महत्व है। आगे आर्टिकल में हमने आपको विभिन्न पूर्णिमा तिथियों के धार्मिक महत्व के बारे में बताया है। श्रावण पूर्णिमा 2022:दोस्तों जैसा की आप जानते हैं हिन्दुओं में सावन महीने को बड़ा ही पवित्र माना यह पूरा भगवान शिव को समर्पित होता है। हिंदी महीने श्रावण को सावन महीने के रूप में जाना जाता है। श्रावण महीने में शिवालय मंदिरों को जाने के लिए लोगों द्वारा पैदल कांवड़ यात्राएं की जाती हैं। इस यात्रा में शामिल होने वाले शिव भक्त को सिर्फ फलाहार और सात्विक भोजन करना होता है। सावन के महीने में लोग शिवालय मंदिरों में जाकर भगवान शिव को प्रसन्न के लिए जल एवं दुध चढ़ाते हैं। और इसी महीने भाई -बहन का पवित्र त्यौहार रक्षा बंधन भी मनाया जाता है। साल 2022 में रक्षा बंधन गुरुवार 11 अगस्त को था। आश्विन या शरद पूर्णिमा 2022:आपको बताते चलें आश्विन पूर्णिमा को शरद पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है। हिन्दू धर्म में ऐसी मान्यता है की इस दिन चाँद अपनी 16 कलाओं को पूर्ण कर लेता है। लोग मानते हैं आकाश में चाँद पूरा होने पर पृथ्वी पर अमृत वर्षा होती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार लोग इस दिन व्रत एवं पूजा पाठ करते हैं और रात के समय प्रसाद के रूप में खीर-पूरी बनाकर खुले आसमान के नीचे रख देते हैं। इस दिन कोजागर पूजा होने के कारण आश्विन पूर्णिमा को कोजागर पूर्णिमा भी कहा जाता है। कोजागर पूजा के बारे में धार्मिक मान्यता यह है की इस दिन देवी लक्ष्मी रात के समय विचरण करती हैं और माता का जिसके भी घर आगमन होता है उस पर देवी लक्ष्मी की कृपा बरसती है वह व्यक्ति धन-वैभव का सुख भोगता है। साल 2022 में आश्विन पूर्णिमा 9 अक्टूबर को है। कार्तिक पूर्णिमा 2022:हिन्दू धर्म में कार्तिक पूर्णिमा का अपना एक धार्मिक महत्व है। हिन्दू धर्म को मानने वाले लोग इस दिन को देव दीपावली के रूप में मनाते हैं। एक धार्मिक प्राचीन कथा के अनुसार भगवान शिव ने इस दिन त्रिपुरासुर नामक राक्षस का वध करके राक्षस के अत्याचारों से पीड़ित पृथ्वी वासियों को बचाया था। लोगों का मानना है की कार्तिक पूर्णिमा की रात स्वर्ग से सभी देवी देवता भगवान शिव की पूजा करने बनारस के काशी तट गंगा घाट पर आते हैं। कार्तिक पूर्णिमा को काशी के गंगा घाट पर विशेष पूजा आयोजन किया जाता है। जो कोई भी इस दिन गंगा के पावन जल में स्नान करता है उसे अक्षय पुण्य का फल प्राप्त होता है। साल 2022 में कार्तिक पूर्णिमा मंगलवार 8 नवंबर को आएगी। पूर्णिमा कब है से संबंधित FAQsसाल 2022 में आश्विन पूर्णिमा कब है ? आपको बता दें की साल 2022 में आश्विन पूर्णिमा 9 अक्टूबर को है। साल 2022 में अगला चंद्रग्रहण कब है ? साल का पहला पूर्ण चंद्रग्रहण 16 मई 2022 को लगा था और अगला पूर्ण चंद्र ग्रहण 8 नवंबर 2022 को लगेगा। फुल मून क्या होता है ? जिस दिन चाँद आकाश में अपनी पूरी स्थिति में पूर्ण रूप से ज्यादा चमकदार और औसत से बड़ा दिखाई दे रहा हो उसे फुल मून कहा जाता है। फुल moon हमेशा पूर्णिमा की रात को देखने को मिलता है। साल 2022 में दत्रात्रेय जयंती कब है ? साल 2022 में दत्रात्रेय जयंती 7 दिसंबर को है। हिन्दू वर्ष कैलेंडर में महीने को कितने पक्ष में बांटा गया है ? आपकी जानकारी के लिए बता दें की हिन्दू वर्ष कैलेंडर में हिंदी महीने के दिनों को चाँद की स्थिति के अनुसार दो पक्षों में बांटा गया है। वट पूर्णिमा व्रत क्या होता है ? वट पूर्णिमा व्रत हिन्दू धर्म में विवाहित महिलाओं के द्वारा किया जाने वाला व्रत है इस दिन विवाहित महिलाएं अपने पति की लम्बी उम्र और परिवार की आर्थिक समृद्धि के लिए व्रत रखती हैं। वट पूर्णिमा वाले दिन महिलाएं एक पवित्र धागा लेकर वट वृक्ष के चारों और बांधती हैं। पुरानी मान्यता है की सावित्री ने अपने पति सत्यवान को यमराज से बचाने के लिए इस वट पूर्णिमा व्रत को किया था। 2022 मार्च की पूर्णिमा कब है?नए साल की पहली पूर्णिमा 17 जनवरी को
नए साल 2022 की पहली पूर्णिमा जनवरी माह में 17 जनवरी को आएगी. उस समय हिन्दी कैलेंडर का पौष माह का शुक्ल पक्ष होगा, इस पूर्णिमा को पौष पूर्णिमा कहा जाता है. 2022 की पूर्णिमा में फाल्गुन पूर्णिमा ,बौद्ध पूर्णिमा,गुरु पूर्णिमा, शरद पूर्णिमा और कार्तिक पूर्णिमा भी शामिल है.
2022 में फाल्गुन पूर्णिमा कितने तारीख को है?फाल्गुन पूर्णिमा- शुक्रवार 18 मार्च, 2022।
फाल्गुन पूर्णिमा कब से कब तक है?17 मार्च 2022 को होलिका दहन
इस बार फाल्गुन पूर्णिमा की तिथि का प्रारंभ 17 मार्च को दोपहर 01 बजकर 29 मिनट से हो रहा है और समापन 18 मार्च को दोपहर में हो रहा है. दोपहर बाद चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि शुरु हो जा रही है. होलिका दहन फाल्गुन पूर्णिमा की तिथि में होनी है, ऐसे में होलिका दहन 17 मार्च की रात होगी.
मार्च में पूर्णिमा कब है?होलिका दहन (Holika Dahan) इस साल पंचांग की गणना के अनुसार 17 मार्च गुरुवार के दिन किया जा रहा है। रंगोत्सव, रंग गुलाल वाली होली 18 मार्च शुक्रवार को होगी। दरअसल इस साल फाल्गुन पूर्णिमा तिथि का आरंभ 17 मार्च को दोपहर 1 बजकर 30 मिनट पर होगा। पूर्णिमा तिथि 18 मार्च को दोपहर 12 बजकर 48 मिनट पर समाप्त हो जाएगी।
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