फेसबुक-वाट्सऐप - फोटो : PTI विस्तारउच्च न्यायालय ने बुधवार को फेसबुक (अब मेटा) जैसी सोशल मीडिया कंपनियों की गोपनीयता नीतियों पर अपनी चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि इन कंपनियों द्वारा लोगों के व्यक्तिगत डेटा को साझा करने और स्क्रैप करने की जांच की जानी चाहिए। न्यायमूर्ति राजीव शकधर और न्यायमूर्ति पूनम ए बांबा की खंडपीठ ने कहा कि लोग अपनी गोपनीयता के बारे में चिंतित हैं और कई लोगों को यह नहीं पता है कि क्या उनके डेटा को सोशल मीडिया दिग्गजों द्वारा कैम्ब्रिज एनालिटिका जैसी निजी संस्थाओं के साथ साझा किया जा रहा है जो अन्य उद्देश्यों के लिए इसका इस्तेमाल करते हैं। कैम्ब्रिज एनालिटिका एक ब्रिटिश राजनीतिक परामर्श फर्म है जो फेसबुक-कैम्ब्रिज एनालिटिका घोटाले के सामने आने के बाद विवादों में घिर गई है। फर्म पर यूनाइटेड किंगडम में 2016 ब्रेक्सिट जनमत संग्रह के साथ-साथ संयुक्त राज्य अमेरिका में 2016 के राष्ट्रपति अभियान में वोटिंग पैटर्न को प्रभावित करने के लिए लाखों लोगों से फेसबुक डेटा एकत्र करने का आरोप लगाया गया है। अदालत ने यह टिप्पणी व्हाट्सएप की नई गोपनीयता नीति में भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआई) की जांच में हस्तक्षेप करने से इनकार करने वाले एकल-न्यायाधीश के आदेश के खिलाफ फेसबुक और व्हाट्सएप द्वारा दायर अपील पर सुनवाई करते हुए की। फेसबुक और व्हाट्सएप की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे ने अदालत को मामले के तथ्यों से अवगत कराते हुए कहा नई गोपनीयता नीति उपयोगकर्ता को अपना डेटा साझा नहीं करने की स्वतंत्रता देती है और इसमें कोई जबरदस्ती शामिल नहीं है। साल्वे ने कहा कि यह व्यवस्था तब तक जारी रहेगी जब तक सरकार डेटा संरक्षण विधेयक नहीं लाती। उन्होंने आगे कहा कि व्हाट्सएप पर संचार एंड-टू-एंड एन्क्रिप्टेड है लेकिन फेसबुक के साथ ऐसा नहीं है जहां कोई व्यक्ति अपना जीवन सार्वजनिक डोमेन में डालता है। न्यायमूर्ति शकधर ने कहा कि बेहतर होता कि साल्वे इस मामले में न्याय मित्र होते क्योंकि यह एक ऐसी चीज है जिस पर गौर करने की जरूरत है। हम फेसबुक द्वारा डेटा साझा करने के बारे में चिंतित हैं। आप एमिकस होते तो बेहतर होता। मुझे व्यक्तिगत रूप से लगता है कि किसी को इस पर गौर करने की जरूरत है। कुंडली स्थित एक रेजीडेंसी में रहने वाले ठेकेदार से एक महिला ने अन्य के संग मिलकर 1.08 लाख रुपये ऐंठ लिए। महिला ने पीड़ित ठेकेदार की अश्लील वीडियो बना ली थी और उसे यू-ट्यूब पर वायरल करने की धमकी देकर बार-बार ब्लैकमेल कर रही थी। पुलिस ने मुकदमा दर्ज कर लिया है। कुंडली स्थित एक रेजीडेंसी में रहने वाले ठेकेदार ने बताया कि उसके पास एक महिला की फेसबुक पर फ्रेंड रिक्वेस्ट (दोस्ती के लिए आवेदन) आई थी। उसने महिला की रिक्वेस्ट को स्वीकार कर लिया। उसकी महिला से फेसबुक पर बातचीत होने लगी। एक दिन महिला की वीडियो कॉल आई। महिला ने उसकी एक अश्लील वीडियो बना ली। उसके बाद वह उसे यू-ट्यूब पर वायरल करने की धमकी देने लगी। जिससे वह समाज में बदनामी फैलने की वजह से डर गया। उसने महिला के अकाउंट में 1 लाख 8 हजार रुपये भेज दिए। महिला उसके बाद भी उसे बार-बार ब्लैकमेल कर रही थी। इसी वजह से उसने कुंडली थाना पुलिस में शिकायत दी। पुलिस ने महिला के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया है। पुलिस महिला के मोबाइल नंबर व अकाउंट नंबर की मदद से उसकी पहचान करने का प्रयास कर रही है। थाना प्रभारी इंस्पेक्टर रवि कुमार ने कहा कि पुलिस जल्द ही आरोपी का पता लगाकर उसे गिरफ्तार कर लेगी। Delhi: दिल्ली हाई कोर्ट में फेसबुक और व्हाट्सएप के तरफ से कंपटीशन कमीशन ऑफ इंडिया के क्षेत्राधिकारी को चुनौती देने वाली याचिका को खारिज कर दिया. फेसबुक और व्हाट्सएप ने यह कहते हुए कमीशन ऑफ इंडिया के आदेश को चुनौती है थी कि कंपटीशन कमीशन ऑफ इंडिया के पास फेसबुक और व्हाट्सएप के द्वारा जारी की गई नीजता नीति पर सुनवाई करने का अधिकार नहीं. गौरतलब है कि नई निजता नीति जारी कर व्हाट्सएप ने पिछले साल जनवरी में भारतीयों को चेताया था कि अगर वे इसे नहीं स्वीकारेंगे तो उन्हें व्हाट्सएप ठीक से उपयोग नहीं करने दिया जाएगा. जिसके बाद सीसीआई ने नीति की जांच शुरू की थी, जिसे कंपनियों ने हाईकोर्ट में चुनौती देकर कहा था कि नीति पर खुद हाईकोर्ट व सुप्रीम कोर्ट पहले ही विचार कर रहे हैं. जवाब में सीसीआई ने कहा था कि वह नीति से नागरिकों की निजता उल्लंघन की जांच नहीं कर रहा बल्कि यह पड़ताल कर रहा है कि सोशल मीडिया पर एकाधिकार जमा कर चुकी दोनों कंपनियां इस नीति से लोगों की ऑनलाइन गतिविधियों का हर समय पीछा करके कितना सारा डाटा जमा कर लेंगी. दरअसल फेसबुक और व्हाट्सएप ने दिल्ली हाई कोर्ट में यह कहते हुए याचिका दायर की थी कि कंपटीशन कमीशन ऑफ इंडिया के पास उनकी ओर से जारी की गई निजता नीति पर सुनवाई करने का कोई अधिकार नहीं है. बता दें कि व्हाट्सएप ने पिछले साल जनवरी में नई निजता नीति जारी कर सभी भारतीयों को चौंका दिया था. जिसमें कहा गया था कि उसे स्वीकार नहीं करने पर ग्राहक व्हाट्सएप ठीक से उपयोग नहीं कर पाएंगे. ताज़ा वीडियो निजता नीति पर व्हाट्सएप ने दायर की थी याचिका इसके बाद सीसीआई की ओर से व्हाट्सएप की निजता नीति की जांच शुरू कर दी गई. इस पर कंपनी ने हाई कोर्ट में चुनौती देते हुए कहा कि नीति पर पहले से ही हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट विचार कर रहे हैं. इस पर सीसीआई ने जवाब देते हुए कहा कि वह इस नीति से नागरिकों की निजता उल्लंघन की जांच नहीं कर रहा है. कंपटीशन कमीशन ऑफ इंडिया (Competition Commission of India) का कहना है कि वह अपनी जांच इस बिंदु पर केंद्रित कर रहा है कि सोशल मीडिया (Social Media) पर एकाधिकार जमा चुकी यह दोनों फेसबुक (Facebook) और व्हाट्सएप (WhatsApp) अपनी इस नीति के जरिए लोगों का कितना डाटा जमा कर रही हैं. इसे भी पढ़ेंः |