फसलों को कीट पतंगों से बचाने के लिए कौन कौन से कीटनाशकों का उपयोग किया जाता है? - phasalon ko keet patangon se bachaane ke lie kaun kaun se keetanaashakon ka upayog kiya jaata hai?

फसलों से कीटों से बचाने के लिए कीटनाशक की बजाय यह तरीका अपनाएं किसान

कीटनाशकों को पूरी फसल पर छिड़कने के बजाय, एक सीमित जगह पर सुरक्षा जाल लगा कर उन्हें नष्ट किया जा सकता है

On: Thursday 27 August 2020

फसलों को कीट पतंगों से बचाने के लिए कौन कौन से कीटनाशकों का उपयोग किया जाता है? - phasalon ko keet patangon se bachaane ke lie kaun kaun se keetanaashakon ka upayog kiya jaata hai?
Photo: wikimedia commons

वैज्ञानिकों ने एक नई प्रणाली विकसित की है, जिसमें कीटों को आकर्षित करने के लिए चींटी के फेरोमोन को कीटनाशक चारे के रुप में धीरे-धीरे छोड़ा जाता है। इसका मतलब है कि कीटनाशकों को पूरी फसल पर छिड़कने के बजाय, एक सीमित जगह पर सुरक्षा जाल लगा कर उन्हें नष्ट किया जा सकता है। इस प्रणाली को यूके की यूनिवर्सिटी ऑफ बाथ एंड ससेक्स ने विकसित किया है। 

फेरोमोन एक केमिकल या गंध है जो एक कीट/जीव द्वारा पैदा की जाती है जो उसी प्रजाति के दूसरे कीटों के व्यवहार को बदलता है, वे इस गंध की ओर दूसरे को आकर्षित कर सकते हैं।

फसल की पत्तियों को काटने वाली (लीफकटर) चींटियां कृषि के प्रमुख कीटों की प्रजातियां हैं, इन चींटियों से कृषि को गंभीर खतरा हो सकता है। वे आसानी से पत्ते को खा सकते हैं। इन कीटों से प्रभावित क्षेत्रों में फसल की वार्षिक उपज में कमी हो सकती है। उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में इनके कारण अरबों का नुकसान होता है। भारत भी उष्णकटिबंधीय देशों की श्रेणी में आता है।

पारंपरिक कीटनाशक अक्सर जल्दी खराब हो जाते हैं और इनका विशेष कीटों पर असर नहीं होता है, जिसके परिणामस्वरूप कीट नियंत्रण उत्पादों का पर्याप्त नुकसान होता है। इसका पर्यावरणीय प्रदूषण, लोगों के स्वास्थ्य और अन्य कीटों पर हानिकारक प्रभाव पड़ता है।

बाथ के केमिस्ट और केमिकल इंजीनियरों की टीम ने मेटल-ऑर्गेनिक फ्रेमवर्क (एमओफ) नामक आणविक स्पंज का इस्तेमाल किया, जो  पत्ती काटने वाली चींटियों/कीटों के खतरे का संकेत देने वाले फेरोमोन को भिगोते हैं और फिर कीटों को एक जाल की ओर आकर्षित करने के लिए धीरे-धीरे इसे छोड़ते हैं।

प्रयोगों के अलावा, उन्होंने एमओएफ के छिद्रों के अंदर फेरोमोन अणु की गति को जानने के लिए कम्प्यूटेशनल मॉडलिंग का इस्तेमाल किया, ताकि यह अनुमान लगाया जा सके कि कौन सी संरचनाएं ऐसी है, जो इसे छोड़ने की अधिकतम क्षमता और गति प्रदान करेंगी।

उन्होंने पाया कि बुनियादी ढांचे के भीतर रासायनिक समूहों को बदलकर, वे फेरोमोन को छोड़ने की गति को एडजस्ट  कर सकते हैं ताकि रसायनों को धीरे-धीरे, दिनों के बजाय कई महीनों की अवधि तक उपयोग किया जा सके।

ब्राज़ील में यूनिवर्सिटी ऑफ़ ससेक्स के शोधकर्ताओं द्वारा फील्ड परीक्षण से पता चला है कि पत्ती काटने वाली चींटियों को इस जाल ने अपनी ओर आकर्षित किया था। यह अध्ययन डेल्टन ट्रैन्ज़ैक्शन्ज नामक पत्रिका में प्रकाशित हुआ है।

अध्ययनकर्ता ने कहा कि कीट फेरोमोन का उपयोग कीटों को आकर्षित करने के लिए पहले भी किया गया था, लेकिन परेशानी यह थी कि वे काफी अस्थिर थे, इसलिए उनका प्रभाव बहुत लंबे समय तक नहीं रहता था।

हमारे मेटल-ऑर्गेनिक फ्रेमवर्क एक प्रकार के स्पंज के रूप में कार्य करते हैं, जहां फेरोमोन छिद्रों में बंद हो सकते हैं और फिर समय के साथ धीरे-धीरे निकल सकते हैं।

यह प्रणाली दुनिया भर में फसल पर कीटनाशकों के छिड़काव की मात्रा को कम कर सकती है और अधिक मूल्य वाली फसलों के लिए विशेष रूप से उपयोगी सिद्ध हो सकती है।

फसलों को कीट पतंगों से बचाव हेतु किन किन कितना शकों का उपयोग किया जाता है?

जैविक एजेन्ट तथा जैविक पेस्टीसाइड कीटनाशकों को फसलों को कीट पतंगों से बचाव में सहयोग करते हैं। जैविक एजेन्ट तथा जैविक पेस्टीसाइड जीवों यथा कीटों, फफूदों, जीवाणुओं एवं वनस्पतियों पर आधारित उत्पाद हैं, जो फसलों, सब्जियों एवं फलों को कीटों एवं व्याधियों से सुरक्षित कर उत्पादन बढ़ाने में सहयोग करते हैं।

कीटनाशक कितने प्रकार के होते है?

कीटनाशक के प्रकार पायरेथ्रम और पायेरेथ्रिन, औरगेनो क्लोरीन, औरगेनो फोसफोरस, कार्बामेट और औरगेनिक मरक्यूरिआल कीटनाशकों के प्रमुख प्रकार हैं। इनमें से औरगेनो क्लोरीन, औरगेनो फोसफोरस संयुग बहुत ज़हरीले होते हैं। ये दोनों ही तंत्रिका तंत्र पर असर डालते हैं।

सबसे अच्छा कीटनाशक कौन सा है?

क्विनालफॉस भारत में सबसे ज्यादा इस्तेमाल किया जाने वाला कीटनाशक है, इसका भारत के अंदर अत्यधिक मात्रा में उपयोग किया जाता है।

कीटनाशकों के प्रयोग से कृषि पर क्या प्रभाव पड़ता है?

कीटनाशक के ज्यादा इस्तेमाल से भूमि की उर्वरा शक्ति कम हो रही है तथा यह कीटनाशक जमीन में रिसकर भूजल को जहरीला बना रहा है। नदियों तालाबों तथा अन्य जलस्रोतों में बहकर वहां के पानी को जहरीला बनाता है जिससे इंसानों के साथ-साथ पशु-पक्षियों और पर्यावरण को खासा नुकसान पहुंच रहा है।