जानिए कैसे हुआ था भगवान श्री गणेश का जन्म. Ganesha Chaturthi 2019: आज से गणेश चतुर्थी (Ganesh Chaturthi) की शुरुआत हो चुकी है. इस पर्व को धूमधाम से मनाया जा रहा है. इसे विनायक चतुर्थी (Vinayak Chaturthi) के नाम से भी जाना जाता है. मान्यता है कि इसी दिन बुद्धि, समृद्धि और सौभाग्य के देवता श्री गणेश (Lord Ganesha) का जन्म हुआ था. इस पर्व को देश भर में खास तौर से महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश में हर्षोल्लास, उमंग और उत्साह के साथ मनाया जाता है. गणेश चतुर्थी (Ganesh Chaturthi) के दिन भक्त प्यारे बप्पा (Ganpati Bappa) की मूर्ति को घर लाकर उनका सत्कार करते हैं. फिर 10वें दिन यानी कि अनंत चतर्दशी (Ananta Chaturdashi) को विसर्जन के साथ मंगलमूर्ति भगवान गणेश को विदाई जाती है. श्री गणेश माता पार्वती और शिवजी के बेटे हैं. गणेश चतुर्थी पर जानिए उनकी जन्म कथा. यह भी पढ़ेंGanesh Chaturthi 2019: आज है गणेश चतुर्थी, जानिए शुभ मुहूर्त, पूजा विधि, व्रत कथा और महत्व भगवान गणेश की जन्म कथा (Lord Ganesha birth story) Happy Ganesh Chaturthi 2019: गणेश चतुर्थी की हर तरफ धूम, इन मैसेजेस से दें Ganesha Chaturthi की बधाई
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Ganesh Chaturthi 2019: Ganesh Ji को क्यों चढ़ाया जाता है Modak? जानिए महत्व यह सुनकर शनिदेव बोले, "माते! मैं आपके सामने कुछ कहने लायक नहीं हूं लेकिन यह सब कर्मों के कारण है. मैं बचपन से ही श्री कृष्ण का भक्त था. मेरे पिता चित्ररथ ने मेरा विवाह कर दिया, वह सती-साध्वी नारी छाया बहुत तेजस्विनी, हमेशा तपस्या में लीन रहने वाली थी. एक दिन वह ऋतु स्नान के बाद मेरे पास आई. उस समय मैं ध्यान कर रहा था. मुझे ब्रह्मज्ञान नहीं था. उसने अपना ऋतुकाल असफल जानकर मुझे शाप दे दिया. तुम अब जिसकी तरफ दृष्टि करोगे वह नष्ट हो जाएगा इसलिए मैं हिंसा और अनिष्ट के डर से आपके और बालक की तरफ नहीं देख रहा हूं." Ganesha Chaturthi 2019: इन गानों के बिना अधूरा है गणेश चतुर्थी का त्योहार, सुनते ही बप्पा की भक्ति में हो जाएंगे लीन
यह सुनकर माता पार्वती के मन में कौतूहल हुआ. उन्होंने शनिदेव से कहा, "आप मेरे बालक की तरफ देखिए. वैसे भी कर्मफल के भोग को कौन बदल सकता है? तब शनि ने बालक के सुंदर मुख की तरफ देखा और उसी शनिदृष्टि से उस बालक का मस्तक आगे जाकर उसके शरीर से अलग हो गया. माता पार्वती विलाप करने लगीं. यह देखकर वहां उपस्थित सभी देवता, देवियां, गंधर्व और शिव आश्चर्यचकित रह गए. देवताओं की प्रार्थना पर श्रीहरि गरुड़ पर सवार होकर उत्तर दिशा की ओर गए और वहां से एक हाथी (गज) का सिर लेकर आए. सिर बालक के धड़ पर रखकर उसे जोड़ दिया. तब से भगवान गणेश गजमुख हो गए. ब्रह्मवैवर्तपुराण के अनुसार एक बार नारद जी ने श्री नारायण से पूछा कि प्रभु आप बहुत विद्वान हैं और सभी वेदों को जानने वाले हैं. मैं आप से यह जानना चाहता हूं कि जो भगवान शंकर सभी परेशानियों को दूर करने वाले माने जाते हैं उन्होंने क्यों अपने पुत्र गणेश के मस्तक को काट दिया. पार्वती के अंश से उत्पन्न हुए पुत्र का सिर्फ एक ग्रह की दृष्टि के कारण मस्तक कट जाना बहुत आश्चर्य की बात है.
श्री नारायण ने कहा, "नारद एक समय की बात है. भगवान शंकर ने माली और सुमाली को मारने वाले सूर्य पर त्रिशूल से प्रहार किया. सूर्य भी शिव के समान तेजस्वी और शक्तिशाली थे इसलिए त्रिशूल की चोट से सूर्य की चेतना नष्ट हुई. जब कश्यप जी ने देखा कि मेरा पुत्र मरने की अवस्था में है. तब वह उसे छाती से लगाकर फूट-फूट कर विलाप करने लगे. देवताओं में हाहाकार मच गया. वे सभी भयभीत होकर जोर-जोर से रुदन करने लगे. सारे जगत में अंधेरा हो गया. तब ब्रह्मा के पौत्र तपस्वी कश्यप जी ने शिव जी को शाप दिया, "जैसा आज तुम्हारे प्रहार के कारण मेरे पुत्र का हाल हो रहा है, ठीक वैसे ही तुम्हारे पुत्र पर भी होगा. तुम्हारे पुत्र का मस्तक कट जाएगा." तब तक भोलेनाथ का क्रोध शांत हो चुका था. उन्होंने सूर्य को फिर से जीवित कर दिया. सूर्य कश्यप जी के सामने खड़े हो गए. जब उन्हें कश्यप जी के शाप के बारे में पता चला तो उन्होंने सभी का त्याग करने का निर्णय लिया. भगवान ब्रह्मा सूर्य के पास पहुंचे और उन्हें उनके काम पर नियुक्त किया. ब्रह्मा, शिव और कश्यप आनंद से सूर्य को आशीर्वाद देकर अपने-अपने भवन चले गए. इधर, सूर्य भी अपनी राशि पर आरूढ़ हुए. इसके बाद माली और सुमाली को सफेद कोढ़ हो गया जिससे उनका प्रभाव नष्ट हो गया. तब ब्रह्मा ने उन्हें कहा, "सूर्य के कोप से तुम दोनों का तेज खत्म हो गया है. तुम्हारा शरीर खराब हो गया है. तुम सूर्य की आराधना करो." उन दोनों ने सूर्य की आराधना शुरू की और फिर से निरोगी हो गए. Ganesh का जन्म कब हुआ?पौराणिक मान्यताओं के अनुसार भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि पर भगवान गणेश का जन्म हुआ था। Ganesh Chaturthi Vrat Katha : शास्त्रों के अनुसार बुधवार का दिन भगवान गणेश की पूजा के लिए विशेष फलदायी होता है।
गणेश जी का जन्म कब और कैसे हुआ?भाद्रपद मास की शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को भगवान शिव और माता पार्वती के पुत्र भगवान गणेश का जन्म हुआ था। इस बार यह शुभ तिथि 22 अगस्त यानी आज है। देशभर में यह त्योहार बहुत धुमधाम से मनाया जाता है।
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