गोवपयों ने स्वयं को क्या कहा है? - govapayon ne svayan ko kya kaha hai?

विषयसूची

  • 1 गोपियों ने स्वयं को अबला और भोरी क्यों कहा है?
  • 2 मन चकरी से क्या अभिप्राय है MCQ?
  • 3 गोपियां अपने मन की व्यथा को क्यों नहीं कह पा रही हैं?
  • 4 गोपियों की व्यथा क्यों बढ़ गई?
  • 5 गोपियों के वाक् चातुर्य की मुख्य विशेषता क्या है?
  • 6 चाकरी से क्या अभिप्राय है *?

गोपियों ने स्वयं को अबला और भोरी क्यों कहा है?

इसे सुनेंरोकेंगोपियों ने स्वयं को ‘भोरी’ कहा है। वे छल-कपट और चतुराई से दूर थीं इसीलिए वे अपने प्रियतम की रूप माधुरी पर शीघ्रता से आसक्त हो गईं। वे स्वयं को श्रीकृष्ण से किसी भी प्रकार दूर करने में असमर्थ मानती थीं। वे चाहकर भी उन्हें प्राप्त नहीं कर सकती इसलिए उन्होंने स्वयं को अबला कहा है।

गोपियों ने ज्ञानी उद्धव को कैसे परास्त किया?

इसे सुनेंरोकेंगोपियों ने सरलता, मार्मिकता, उपालंभ, व्यगात्म्कथा, तर्कशक्ति आदि के द्वारा उद्धव के ज्ञान योग को तुच्छ सिद्ध किया है। गोपियों ने खुद को हारिल पक्षी व श्रीकृष्ण को लकड़ी की भाँति बताकर अनन्य प्रेम का परिचय दिया है। अनुप्रास, उपमा, दृष्टांत, रूपक, व्यतिरेक, विभावना, अतिशयोक्ति आदि अनेक अलंकारों का सुन्दर प्रयोग किया है।

मन चकरी से क्या अभिप्राय है MCQ?

इसे सुनेंरोकेंमन चकरी वाला शब्द गोपियाँ कृष्ण जी को बोल रही है , कृष्ण का मन चंचल हो गया है| वह सब भूल गए है| वादे कर के भूल जाते है| जिनका मन कभी स्थिर नहीं रहता है। गोपियों का मन तो कृष्ण के प्रेम में हमेशा से अचल है।

गोपिया अपने मन की व्यथा को क्यों नहीं कह पा रही थी?

इसे सुनेंरोकें(ङ) गोपियाँ धीरज धारण क्यों नहीं कर पा रही थीं? उत्तर: (क) गोपियों के मन की बात मन में ही रह गई क्योंकि गोपियाँ श्रीकृष्ण से प्रेम करती थीं, फिर भी ये अपने प्रेम को श्रीकृष्ण के सम्मुख प्रकट नहीं कर पाई। (ख) गोपियों श्रीकृष्ण के वियोग में विरह व्यथा को सह रही थीं।

गोपियां अपने मन की व्यथा को क्यों नहीं कह पा रही हैं?

इसे सुनेंरोकेंगोपियाँ अपने मन की बात क्यों नहीं कह पा रही हैं?(i) क्योकि उद्धव कृष्ण के मित्र हैं। (ii) क्योंकि यह बात वे कृष्ण से ही कहना चाहती थीं। (iii) कृष्ण ने उनके लिए कोई संदेश नहीं भेजा। (iv)गोपियाँ दुःख के मारे बोल नहीं पा रहीं थीं।

गोपियों ने स्वयं को अबला और भोली बताकर उद्धव पर क्या कटाक्ष किया है?

इसे सुनेंरोकेंप्रश्न (ख)-गोपियों ने स्वयं को ‘अबला’ और ‘भोली’ बताकर उद्धव पर क्या कटाक्ष किया है? उत्तर: उद्धव के ज्ञान-अभिमान पर व्यंग्य प्रहार किया है। अहंकार रहित और सरल हृदय व्यक्ति ही श्रीकृष्ण के प्रेम का पात्र हो सकता है।

गोपियों की व्यथा क्यों बढ़ गई?

इसे सुनेंरोकेंवे कहती हैं कि उद्धव अपने उपदेश उन्हें दें जिनका मन कभी स्थिर नहीं रहता है। गोपियों का मन तो कृष्ण के प्रेम में हमेशा से अचल है। गोपियों को योग साधना की बात बेकार लगती है। उनकी हालत ऐसे ही है जैसे किसी बच्चे को उसके मनपसंद खिलौने की जगह कोई झुनझुना पकड़ा दिया गया हो।

गोपियों ने अपने वाक्चातुर्य से उद्धव को परास्त कर दिया उनके वाक्चातुर्य की क्या विशेषता थी *?

इसे सुनेंरोकेंव्यंग्यात्मकता – गोपियों में व्यंग्य करने की अद्भुत क्षमता है। वह अपने व्यंग्य बाणों द्वारा उद्धव को घायल कर देती हैं। उनके द्वारा उद्धव को भाग्यवान बताना उसका उपहास उड़ाना था। तीखे प्रहारों द्वारा – गोपियों ने तीखे प्रहारों द्वारा उद्धव को प्रताड़ना दी है।

गोपियों के वाक् चातुर्य की मुख्य विशेषता क्या है?

इसे सुनेंरोकेंउत्तर गोपियों के वाक्चातुर्य की प्रमुख विशेषताएँ इस प्रकार हैं- क) गोपियाँ व्यंग्य के माध्यम से उद्धव से कहती है कि तुम तो बहुत भाग्यशाली हो जो श्रीकृष्ण के साथ रहते हुए भी उनके प्रेम में नहीं डूब सके। ख) गोपियाँ श्रीकृष्ण के प्रेम में डूबी हैं, इसलिए उनकी ज्ञानी बातों को वे नहीं समझ पाती हैं।

मन चकरी का क्या अर्थ है?

इसे सुनेंरोकें’ जिनके मन चकरी ‘ का आशय है- ‘ जिनके मन चकरी ‘ कथन के द्वारा गोपियाँ श्री कृष्ण पर व्यंग्य करते हुए कहती हैं कि जो कल तक उनसे प्रेम करते थे वो अब कुब्जा पर मुग्ध हो गए हैं। अतः कृष्ण की प्रवृत्ति भौंरे के समान है। एक जगह टिककर नहीं रह सकते। प्रेम रस को पाने के लिए अलग-अलग डाली पर भटकते रहते हैं।

चाकरी से क्या अभिप्राय है *?

इसे सुनेंरोकेंहिन्दीशब्दकोश में चाकरी की परिभाषा चाकरी संज्ञा स्त्री० [फ़ा०] सेवा । नौकरी । टहल । खिदमत ।

गोपियों ने स्वयं को भोरी क्यों कहा है *?

इसे सुनेंरोकेंगोपियों ने स्वयं को ‘भोरी’ कहा है। वे छल-कपट और चतुराई से दूर थीं इसीलिए वे अपने प्रियतम की रूप माधुरी पर शीघ्रता से आसक्त हो गईं। वे स्वयं को श्रीकृष्ण से किसी भी प्रकार दूर करने में असमर्थ मानती थीं। वे चाहकर भी उन्हें प्राप्त नहीं कर सकती इसलिए उन्होंने स्वयं को अबला कहा है।

गोप द्वारा य ढोटा कौने ढंग लायो क ने में कौन सा र्ाव मुखररत ुआ ै?

इसे सुनेंरोकेंउत्तर: गोपी द्वारा ‘यह ढोटा कौनैं ढँग लायौं’ कहने के पीछे उपालंभ का भाव मुखरित हुआ है। वह कहती है तूने इसे क्या सिखाया-पढ़ाया है जो यह मना करने पर भी अपनी चोरी की आदत से बाज नहीं आता है।

गोपियों को योग कैसे लगता है?

इसे सुनेंरोकेंAnswer: गोपियों के अनुसार योग की शिक्षा उन्हीं लोगों को देनी चाहिए जिनकी इन्द्रियाँ व मन उनके बस में नहीं होते। जिस तरह से चक्री घूमती रहती है उसी तरह उनका मन एक स्थान पर न रहकर भटकता रहता है। परन्तु गोपियों को योग की आवश्यकता है ही नहीं क्योंकि वह अपने मन व इन्द्रियों को श्री कृष्ण के प्रेम के रस में डूबो चुकी हैं।

गोपियों के अनुसार पहले के लोग भले क्यों थे?

इसे सुनेंरोकें6 ‘ऊधौ भले लोग आगे के’- पहले के लोगों को गोपियोंने भला क्यों कहा- [A] वे लोग दूसरों के हित के लिए भाग-दौड़ करते थे [B] वे लोग दूसरों का अहित नहीं करते थे [C] वे लोग कृष्ण का संदेश लाते थे

सूरदास के पद पाठ के संबंध में कौन सी बात सही नहीं है?

इसे सुनेंरोकें➲ उद्धव गोपियों को कृष्ण की ओर से प्रेम का संदेशा लेकर आए हैं, लेकिन गोपियां ज्ञान को महत्व देती हैं। ✎… ‘सूरदास के पद’ पाठ के संबंध में यह बात सही नहीं है कि उद्धव गोपियों को कृष्ण की ओर से प्रेम का संदेश लेकर आए हैं, लेकिन गोपियां ज्ञान को महत्व देती हैं।

क्या जानकर कृष्ण घर में घुस जाते हैं?

इसे सुनेंरोकेंAnswer: व्याख्या – सूरदास जी कहते हैं कि गोपियाँ सदा श्री कृष्ण की शिकायत यशोदा माँ से करती रहती है। एक गोपी यशोदा जी को कहती है कि आपका लाल मेरा मक्खन खा जाता है, दोपहर के समय जब उसका घर खाली होता है, तो कृष्ण स्वयं ही ढूंढकर घर आ जाते हैं।

गोपियों को योग की बातें कड़वी ककड़ी के समान क्यों लगती है?

इसे सुनेंरोकेंAnswer: गोपियो को योग की बातें कर्वी करकरी के समान इसलिए लगी क्योंकि उन्हें यह योग साधना मे कोई दिलचस्पी नही थी ।

गोपियों की क्या कामना है?

इसे सुनेंरोकेंAnswer: सखी ने गोपी से श्रीकृष्ण का रूप धारण करने का आग्रह किया। सिर पर मोर पंख का मुकुट, गले में गुंज के फूलों की माला पहनकर श्रीकृष्ण के समान पीले वस्त्र धारण कर हाथ में लाठी लेकर वन में ग्वालों के साथ जाने की कामना की है। श्रीकृष्ण के समान रूप धारण करके वह उनके प्रति अपना अनन्य प्रेम प्रकट करना चाहती है।

गोवपयों ने स्वयं को क्या कहा है?

इसे सुनेंरोकेंगोपियों ने स्वयं को 'भोरी' कहा है। वे छल-कपट और चतुराई से दूर थीं इसीलिए वे अपने प्रियतम की रूप माधुरी पर शीघ्रता से आसक्त हो गईं। वे स्वयं को श्रीकृष्ण से किसी भी प्रकार दूर करने में असमर्थ मानती थीं। वे चाहकर भी उन्हें प्राप्त नहीं कर सकती इसलिए उन्होंने स्वयं को अबला कहा है

गोपियों स्वयं को क्या समझती है?

This is Expert Verified Answer गोपियों के मन, प्राण–सब कुछ श्रीकृष्ण के लिए हैं। उनका जीवन केवल श्रीकृष्ण-सुख के लिए है। सम्पूर्ण कामनाओं से रहित उन गोपियों को श्रीकृष्ण को सुखी देखकर अपार सुख होता है। उनके मन में अपने सुख के लिए कल्पना भी नहीं होती।

गोपियों ने स्वयं को अबला और बोली क्यों कहा है?

गोपियाँ ने स्वयं को अबला और भोली इसलिए कहा क्योंकि श्रीकृष्ण ने उद्धव के माध्यम से योग सन्देश भिजवाया था। जबकि उन्होंने स्वयं आने के लिए कहा था। उद्धव गोपियों को समझा रहे थे, तो गोपियों ने कहा कि है उद्धव हम तुम्हारी तरह बुद्धिमान नहीं हैं। हमें नीति का अर्थ समझ नहीं आता।

गोपियों ने स्वयं को अबला और भोली कहा है आपकी दृष्टि से उनका ऐसा कहना कितना उपयुक्त है?

(1)गोपियों ने उद्धव के व्यवहार की तुलना कमल के पत्ते से की है जो नदी के जल में रहते हुए भी जल की ऊपरी सतह पर ही रहता है। अर्थात् जल का प्रभाव उस पर नहीं पड़ता। श्री कृष्ण का सानिध्य पाकर भी वह श्री कृष्ण के प्रभाव से मुक्त हैं। (2)वह जल के मध्य रखे तेल के गागर (मटके) की भाँति हैं, जिस पर जल की एक बूँद भी टिक नहीं पाती।