हमें अपने माता पिता की आज्ञा का पालन करना चाहिए ट्रांसलेशन - hamen apane maata pita kee aagya ka paalan karana chaahie traansaleshan

Q.Translate into English : (any five)

(i) तुम कहाँ रहते हो?

(ii) हमें माता पिता की आज्ञा माननी चाहिए।

(iii) सूर्य पश्चिम में अस्त होता है।

(iv) मेरे पास दो पुस्तकें हैं।

(v) वह एक गीत गायेगा।

(vi) तुम्हारा क्या नाम है?

Answer:
(i) Where do you live?
(ii) We should obey our parents.
(iii) The sun sets in the west.
(iv) He will sing a song.
(v) What is your name?

 

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माता-पिता के आज्ञा पालन से खुश होते हैं प्रभु

रांची : बालकों! अपने माता-पिता के आज्ञाकारी बनो, क्योंकि यह उचित है। अपने माता-पिता का आदर कर, यह प्रभु की पहली आज्ञा है। जिसके साथ प्रतिज्ञा भी है कि तेरा भला हो, और तू धरती पर बहुत दिनों तक जीवित रहे। आज के इस वर्तमान समय में बच्चे अपने माता-पिता, बड़े-बुजुर्गो का लिहाज नही रखते हैं, न ही उनके प्रति प्रेम और आदर की भावना है। टीवी और फिल्म ने बच्चों के मनों को भ्रष्ट कर दिया है। आज के बच्चे सिर्फ मारधाड़, सेक्स और बदले की भावना से भरपूर चीजों को देखना पंसद करते है। माता-पिता की शिक्षा और बातें उन्हें दकियानूसी और पुरानी लगती हैं। वे इस बात से बिल्कुल अनजान हैं कि पवित्र शास्त्र हमें यह बात बताता है 'हे बालकों सब बातों में अपने-अपने माता-पिता की आज्ञा का पालन करो, क्योंकि प्रभु इससे प्रसन्न होता है। अपने माता-पिता की आज्ञा मानकर उसका पालन करना हमारे सृजनहार को प्रसन्न करने वाली बात होती है, जिससे हम बहुत वर्षो तक इस संसार में जीवित रहते हैं। माता-पिता के लिए भी यह जरूरी है कि वे अपने बच्चों को क्या शिक्षा देते हैं, क्या वे अपने बच्चों की भौतिक आवश्यकताओं की पूर्ति कर अपने दायित्व से मुक्त हो जाना चाहते हैं। यह फिर उन्हें परमेश्वर के भय और प्रेम की ओर उनके ध्यान को लगाने में उनके सहायक बन रहे हैं। राजा सुलेमान कहता है 'लड़के के मन में मूढ़ता की गांठ बंधी रहती है, परंतु अनुशासन की छड़ी द्वारा वह खोलकर उसे दूर की जाती है। माता-पिता द्वारा समझदारी, प्यार और सोच समझ कर दिया गया अनुशासन का पाठ बच्चों को सीखने में मदद करता है कि गलत व्यवहार, दुख देने वाले परिणाम लाता है और इसमें कष्ट भी भोगने पड़ सकते है। छड़ी और डांट से बुद्धि प्राप्त होती है। जो लड़का यूं ही छोड़ा जाता है वह अपनी माता की लज्जा का कारण बनता है। ऐसा अनुशासन आवश्यक है, क्योंकि ऐसा न करने से बच्चों में ऐसी मनोवृति का विकास हो सकता है, जो बाद में उन्हें विनाश और मृत्यु तक पहुंचा सकती है। परिवार में ईश्वरीय अनुशासन घर में आनंद और शांति लाता है, यह हमेशा प्रेमपूर्वक किया जाए। जिस प्रकार हमारा स्वर्गीय पिता करता है।

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प्रश्न

माता-पिता की आज्ञा पालन करने के बारे में बाइबल क्या कहती है?

उत्तर

एक व्यक्ति के द्वारा उसके माता-पिता की आज्ञा का पालन करने का आदेश सीधे परमेश्‍वर की ओर से दिया गया है। "हे बालको, प्रभु में अपने माता-पिता के आज्ञाकारी बनो, क्योंकि यह उचित है।" (इफिसियों 6:1)। इस वचन में शब्द आज्ञाकारी को "आदर" दिए जाने के विचार से अलग नहीं किया जा सकता है। इफिसियों 6:2-3 आगे कहता है कि: "'अपनी माता और पिता का आदर कर' - यह पहली आज्ञा है, जिसके साथ प्रतिज्ञा भी है - 'कि तेरा भला हो, और तू धरती पर बहुत दिन जीवित रहे।'” सम्मान में एक व्यक्ति का उसके अभिभावक के प्रति दिखाए जाने वाले व्यवहार से कहीं अधिक बातें पाई जाती हैं, और यह समझा जाता है कि आज्ञाकारिता किसी के माता-पिता के प्रति सम्मान के दृष्टिकोण के साथ की जानी चाहिए। अनैच्छिक आज्ञाकारिता आदेश की पुष्टि नहीं करती है।

बच्चों के लिए अपने माता-पिता की आज्ञा का पालन और सम्मान करना सीखना चुनौतीपूर्ण हो सकता है- कुछ बच्चों के लिए, यह दूसरों की तुलना में कठिन होता है! परन्तु इस आदेश के लिए एक बहुत अच्छा कारण पाया जाता है। नीतिवचन शिक्षा देता है कि जो लोग अपने माता-पिता की सुनते हैं, वे ज्ञान को प्राप्त करते हैं: "बुद्धिमान पुत्र पिता की शिक्षा सुनता है, परन्तु ठट्ठा करनेवाला घुड़की को भी नहीं सुनता" (नीतिवचन 13:1)। परमेश्‍वर की रूपरेखा बच्चों के लिए उनके माता-पिता का सम्मान और आज्ञा पालन करने को सीखने की है, क्योंकि वे बड़े होते हैं, तो वे बुद्धिमानी से जीवन व्यतीत कर सकें। जब वे घर में सम्मान देना सीखते हैं, तब वे घर को छोड़ते समय दूसरों का उचित सम्मान देंगे। यहाँ तक कि युवा यीशु, यद्यपि वह परमेश्‍वर का पुत्र था, अपने सांसारिक माता-पिता की आज्ञा पालन करता था और ज्ञान में बढ़ता रहा था (लूका 2:51-52)। बाइबल कहती है कि जो बच्चे अनुशासित नहीं होते हैं, या जो अपने माता-पिता का पालन करने में असफल रहते हैं, वे अपने जीवन में बहुत ही अधिक खराब होते हैं (देखें नीतिवचन 22:15; 19:18; और 2 9:15)।

जैसे बच्चों के पास अपने माता-पिता की आज्ञा पालन करने का उत्तरदायित्व है, वैसे ही माता-पिता के पास भी उत्तरदायित्व है कि वे अपने बच्चों को परमेश्‍वर के मार्गों में चलने का निर्देश दें। "हे बच्‍चेवालो, अपने बच्‍चों को रिस न दिलाओ, परन्तु प्रभु की शिक्षा और चेतावनी देते हुए उनका पालन-पोषण करो" (इफिसियों 6:4)। परन्तु यदि एक कोई माता-पिता उनके दिए हुए निर्देशित आदेश का पालन नहीं कर रहा है, तौभी बच्चों के पास उनके माता-पिता का पालन करने और सम्मान करने का आदेश है।

सब से बढ़कर हमारा अन्तिम दायित्व परमेश्‍वर से प्रेम करना और उसकी आज्ञा का पालन करना है। उसने बच्चों को उनके माता-पिता की आज्ञा पालन करने का आदेश दिया है। किसी के माता-पिता की आज्ञा की अवहेलना करने के लिए एकमात्र उचित कारण यह होगा कि माता-पिता एक बच्चे को ऐसा कुछ करने का निर्देश दे रहे थे, जो स्पष्ट रूप से परमेश्‍वर के आदेशों में से किसी एक के विरूद्ध जाता हो। इस स्थिति में, बच्चे को इसकी अपेक्षा परमेश्‍वर का पालन करना चाहिए (प्रेरितों के काम 5:29 को देखें)।

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माता-पिता की आज्ञा पालन करने के बारे में बाइबल क्या कहती है?