Show Sepertinya Anda menyalahgunakan fitur ini dengan menggunakannya terlalu cepat. Anda dilarang menggunakan fitur ini untuk sementara. Jika Anda merasa ini tidak melanggar Standar Komunitas, beri tahu kami. These NCERT Solutions for Class 6 Hindi Vasant & Bal Ram Katha Class 6 Questions and Answers Summary Chapter 11 लंका विजय are prepared by our highly skilled subject experts. Bal Ram
Katha Class 6 Question Answers Chapter 11 पाठाधारित प्रश्न अतिलघु उत्तरीय प्रश्न प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. प्रश्न 4. प्रश्न 5. प्रश्न 6. प्रश्न 7. प्रश्न 8. प्रश्न 9. प्रश्न 10. प्रश्न 11. प्रश्न 12. लघु उत्तरीय प्रश्न प्रश्न 1. प्रश्न
2. प्रश्न 3. प्रश्न 4. प्रश्न 5. प्रश्न 6. प्रश्न 7. प्रश्न 8. दीर्घ उत्तरीय प्रश्न प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. मूल्यपरक प्रश्न प्रश्न 1. अभ्यास प्रश्न लघु उत्तरीय प्रश्न 1. हनुमान ने सीता को कैसे विश्वास दिलाया कि वह राम का सेवक है? दीर्घ उत्तरीय प्रश्न 1. लक्ष्मण और मेघनाद के युद्ध का वर्णन करें। Bal Ram Katha Class 6 Chapter 11 Summary सुग्रीव ने युद्ध की तैयारियाँ तुरंत आरंभ करने का निर्देश दिया। सुग्रीव ने लक्ष्मण के साथ बैठकर युद्ध की योजना पर विचार-विमर्श किया। योग्यता और उपयोगिता के आधार पर भूमिकाएँ निश्चित कर दी गईं। समुद्र को पार करने के तरीके पर भी विचार हुआ। लंका कूच करने की तैयारियाँ रातभर चलती रहीं। सेना किष्किंधा से दहाड़ती, किलकारियाँ भरती रवाना हुई। हनुमान, अंगद, जामवंत, नल और नील को आगे रखा गया। युद्ध के नियम और अपनी रक्षा के तरीके भी बताए गए। सुग्रीव के सेनापति नल सेना का नेतृत्व कर रहे थे। जामवंत और हनुमान सबसे पीछे थे। दिन रात चलकर सेना ने महेंद्र पर्वत पर अपना डेरा डाला। उधर लंका में खलबली मची हुई थी। समुद्र निकट ही था। पर्वत पर सेना का ध्वज लहरा रहे थे। उधर राक्षसों को यह डर सता रहा था कि जिसका दूत लंका में आग लगा सकता है वह स्वयं कितना शक्तिशाली होगा लेकिन रावण इससे अनभिज्ञ था। विभीषण सेना की हताशा से परिचित हो गए थे। वे रावण को वस्तु स्थिति बताने के लिए गए। उन्होंने सीता को लौटा देने की सलाह दिया। विभीषण की बात अनसुनी कर दी। उन्हें अपने कक्ष से निकाल दिया। फिर भी विभीषण रावण को समझाने लगे। रावण क्रुद्ध हो उठा बोला निकल जाओ, तुम मेरे भाई नहीं, शत्रु के शुभचिंतक हो। विभीषण उसी रात अपने चार सहायकों के साथ लंका से निकल गए। दोनों के रास्ते अलग हो गए। विभीषण उसी रात राम के पास जाना चाहते थे। विभीषण को देखकर वानर चिल्लाकर सबको सावधान कर रहे थे। वानर उन्हें सुग्रीव के सामने लाए। विभीषण बोले “मैं लंका के राजा रावण का छोटा भाई हूँ। मैं राम की शरण में आया हूँ, मुझे उनके पास पहुँचा दें।” सुग्रीव राम के पास गए। उनकी बात सुनकर राम ने कहा-“हमें विभीषण को स्वीकार करना चाहिए। विभीषण को आदर सहित अंदर लाइए।” जल्दी ही विभीषण राम के विश्वासपात्र बन गए। विभीषण ने उन्हें रावण की शक्ति से परिचित कराया। राम ने विभीषण को आश्वस्त करते हुए कहा-“विभीषण तुम चिंता मत करो। राक्षस मारे जाएंगे। लंका की गद्दी तुम्हारी होगी।” विभीषण ने लंका की बहुत-सी जानकारी राम को दी। रावण और उसके योद्धाओं की शक्ति के बारे में बताया। अब समस्या थी कि समुद्र को पार कैसे किया जाए। राम ने समुद्र से विनती की कि समुद्र रास्ते दे दे। वह नहीं माना। राम को क्रोध आ गया। राम का क्रोध देखते हुए समुद्र ने राम को सलाह दी कि आपकी सेना में नल पुल बना सकता है। अगले दिन नल ने समुद्र पर पुल बनाने का काम प्रारंभ कर दिया। पाँच दिन में पुल तैयार हो गया। पुल बनने की बात सुनकर रावण क्रोध से चीख उठा। राम की सेना समुद्र पार गई थी। अब दोनों सेनाएँ समुद्र के एक ओर थीं। राम अपनी सेना को चार भागों में बाँट रखा था। राम ने स्वयं पर्वत पर चढ़कर लंका का निरीक्षण किया। राम ने लक्ष्मण को आदेश दिया कि सूर्योदय होते ही लंका को घेर लिया जाए। वानर सेना जय-जयकार करती चल पड़ी। इसी बीच राम ने अंगद को अपना दूत बनाकर लंका भेजा। राम ने कहा कि सुलह का अंतिम प्रयास कर लो ताकि रावण सीता लौटा दे और युद्ध टल जाए। रावण उनका संदेश सुनकर क्रोधित हो उठा। अंगद ने सारी स्थिति से राम को परिचित करा दिया। अब युद्ध छिड़ गया। भयानक युद्ध हुआ। शाम होते समय मेघनाद ने रावण सेना को पीछे हटते देखा। मेघनाद की नज़र राम-लक्ष्मण पर थी। वह मायावी राक्षस था। उसके बाण राम-लक्ष्मण को लग गए। दोनों मूच्छित होकर गिर पड़े। मेघनाद दोनों भाइयों को मृत समझकर रावण को सूचना देने के लिए राजमहल की ओर दौड़ा। इधर सभी वानर राम-लक्ष्मण के पास एकत्र हो गए। विभीषण ने दोनों का उपचार किया। उनकी मूर्छा टूटी तो सभी वानर युद्ध के लिए तैयार हो गए और वानरों में खुशी की लहर दौड़ गई। अगले दिन फिर युद्ध की शुरुआत हुई। रावण की सेना के महाबली एक-एक करके मारे जाने लगे। युद्ध में धूम्राक्ष, वज्रद्रष्ट, अकंपन, प्रहस्त मारे गए। रावण को सारी सूचनाएँ मिल रही थीं। अब उसने स्वयं युद्ध का. नेतृत्व संभाला। पहली मुठभेड़ में वह लक्ष्मण पर भारी पड़ा, परंतु राम के बाणों ने उसका मुकुट ज़मीन पर गिरा दिया। रावण लज्जित हो गया। उसने अपने भाई कुंभकर्ण को जगाया जो छह महीना सोता और छह महीना जागता था। कुंभकर्ण ने अंगद और हनुमान को घायल कर दिया। फिर राम-लक्ष्मण ने यह देखकर बाणों की वर्षा करके उसे मार दिया। रावण निराश हो गया। कुंभकर्ण के मरने से लंका अनाथ हो गई। मेघनाद ने रावण को सहारा दिया। मेघनाद ने रावण से कहा आप मुझे आज्ञा दें मैं दोनों भाइयों को मारकर आपके चरणों में ला दूंगा। मेघनाद और लक्ष्मण में भीषण युद्ध हुआ। अचानक लक्ष्मण का एक बाण उसे लगा। मेघनाद घायल होकर महल की ओर भागा। लक्ष्मण उसका पीछा करना चाहते थे पर महल की संरचना उन्हें पता नहीं थी। तभी विभीषण ने लक्ष्मण को महल का गुप्त मार्ग बताया। मेघनाद महल में मारा गया। अब रावण विलाप करने लगा। वह मूच्छित हो गया। लक्ष्मण की वानर सेना भी महल में प्रवेश कर गई थी। वानरों ने लंका को तहस-नहस कर दिया। लक्ष्मण ने अतिकाय का सिर काट डाला। वानरों ने लंका में आग लगा दी। चारों ओर मारकाट मच गई। अकंपन, प्रजंध, युपाक्ष, कुंभ मारे गए। राक्षस सेना भाग खड़ी हुई। अब रावण अकेला बच गया था। विभीषण को राम की सेना में देखकर रावण उबल पड़ा। पहले उसने अपने छोटे भाई को शत्रु मानकर बाण चलाया पर लक्ष्मण ने उस बाण को बीच में ही काट दिया। दूसरी बार बाण लक्ष्मण को लगा। लक्ष्मण अचेत होकर धरती पर गिर पड़े। राम ने रावण को चुनौती देते हुए कहा-तेरा अंत निश्चित है। हनुमान लक्ष्मण को रक्षाक्षेत्र से दूर ले गए। वैद्य सुषेण को बुलाया गया। हनुमान संजीवनी बूटी लाए। धीरे-धीरे रक्त रिसाव बंद हो गया। लक्ष्मण स्वस्थ हो गए। अब राम-रावण का युद्ध भयानक हो गया। रावण का एक बाण राम को लगा। उनके रथ की ध्वजा कटकर गिर पड़ी। राम ने प्रहार किया। बाण रावण के मस्तक पर लगा। रक्त की धारा बह निकली। वह अपने महल में चला गया। युद्ध फिर शुरू हुआ। राम के बाणों ने रावण के रथ का मुँह तोड़ दिया। यह पराजय का संकेत था। रावण हिम्मत हारने लगा। राम का एक बाण रावण के पार निकल गया। रावण के हाथ से धनुष छूट गया और वह पृथ्वी पर गिर पड़ा। लंका विजय अभियान पूरा हुआ। राम की जयकार होने लगी। बची हुई सेना इधर-उधर जान बचाकर भागने लगी। इधर विभीषण अपने भाई की मौत पर विलाप कर रहे थे। राम ने उनको ढाढस बँधाया। उन्हें समझाया कि रावण महान योद्धा था। मृत्यु सत्य है इसे स्वीकार करो। राम ने सुग्रीव को गले लगा लिया। राम ने एक-एक वानर का आभार माना। राम ने लक्ष्मण से विभीषण के राज्याभिषेक की तैयारी करने को कहा। हनुमान को अशोक वाटिका में जाकर सीता को लंका-विजय का समाचार सुनाने को कहा गया। रावण के अंत्येष्टि के बाद विभीषण का राज्याभिषेक शुरू हो गया। लक्ष्मण विभीषण को राजसिंहासन तक लाए। समुद्र-जल से उनका अभिषेक किया गया। हनुमान सीता को लेकर वहाँ आ गए। सभी वानरों ने पहली वार सीता माँ को देखा। सुग्रीव नल-नील ने भी उनके दर्शन किए। सीता एक वर्ष बाद राम से मिलीं। शब्दार्थ: पृष्ठ संख्या 69 पृष्ठ संख्या 70 पृष्ठ संख्या 71 पृष्ठ संख्या 73 पृष्ठ संख्या 75 पृष्ठ संख्या 77 पृष्ठ संख्या 78 पृष्ठ संख्या 79 हनुमान ने रावण से क्या कहा?रावण के प्रश्नों का उत्तर निर्भीकतापूर्वक देते हुए हनुमान ने कहा-मैं श्रीराम का दास हूँ। मैं सीता की खोज में आया था। उनसे मैं मिल चुका हूँ। आपके दर्शन करने के लिए मुझे इतना उत्पात करना पड़ा।
विभीषण ने रावण को क्या समझा?विभीषण ने रावण को समझाया कि देवी सीता एक पतिव्रता स्त्री है उनके प्रति काम भाव और कुदृष्टि रखना विनाश को निमंत्रण देना है। इन्होंने बताया कि काम भव जब सिर चढ जाए तो यह नरक की ओर ले जाता है। इसलिए काम भाव को सिर पर हावी नहीं होने देना चाहिए। जो काम के वश में हो जाता है उसकी बुद्धि नष्ट हो जाती और विनाश आरंभ हो जाता है।
हनुमान जी के पैर के नीचे कौन है?हनुमानजी के पैर तले स्त्री रूप में विराजे हैं शनिदेव | हनुमानजी के पैर तले स्त्री रूप में विराजे हैं शनिदेव - Dainik Bhaskar.
हनुमान जी की लंबाई कितनी थी?इसकी ऊंचाई 135 फीट है. इसके बाद शिमला के जाखू मंदिर और दिल्ली के संकट मोचन मंदिर में स्थित बजरंग बली की मूतियों का नंबर आता है. इनकी ऊंचाई 108-108 फीट है.
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