हिंदू धर्म में लहसुन प्याज क्यों नहीं खाते? - hindoo dharm mein lahasun pyaaj kyon nahin khaate?

व्रत और पूजा के दौरान लहसुन-प्याज खाने की क्यों है मनाही? जानिए इसके पीछे की वजह

हिंदू धर्म में ब्राह्मणों के अलावा कई लोग लहसुन और प्याज खाने से बचते हैं। नवरात्रि के दिनों में भी तामसिक भोजन की मनाही होती है। जानिए आखिर क्यों भगवान के भोग तक में लहसुन और प्याज का इस्तेमाल नहीं किया जाता है।

 नई दिल्ली, Real logic behind not consuming onion and garlic: अक्सर आपने सुना होगा कि ब्राह्मणों के अलावा जो व्यक्ति व्रत रखते हैं वह लोग लहसुन और प्याज खाने से परहेज करते हैं। यहां तक कि भगवान के भोग में भी प्याज और लहसुन का इस्तेमाल नहीं किया जाता है। लेकिन आप क्या जानते हैं कि असल में इसके पीछे की वजह क्या है? जबकि प्याज और लहसुन सेहत के लिए काफी अच्छा माना जाता है। यह खाने का स्वाद बढ़ाने के साथ-साथ कई रोगों से लड़ने में मदद करता है। लेकिन फिर भी इसे ब्राह्मण और व्रत रखने वाले लोग खाने में इस्तेमाल नहीं करते हैं।जानिए इसके पीछे क्या है धार्मिक कारण। इसके साथ ही जानिए लहसुन और प्याज के उत्पन्न होने की पौराणिक कथा।

वेद-शास्त्रों के अनुसार, भोजन के तीन प्रकार होते हैं। पहला भोजन सात्विक, दूसरा राजसिक और तीसरा तामसिक भोजन। इन तीनों ही प्रकार के भोजन का मनुष्य के जीवन पर अलग-अलग प्रभाव पड़ता है।

सात्विक भोजन

माना जाता है कि जो व्यक्ति सात्विक भोजन यानी दूध, घी, आटा, सब्जियां, फल आदि का सेवन करता है, तो उनके अंदर सत्व गुण सबसे अधिक होते हैं। ऐसा भोजन करने से व्यक्ति सात्विक बनता है। इसको लेकर एक श्लोक भी कहा गया है।

आहारशुद्धौ सत्तवशुद्धि: ध्रुवा स्मृति:। स्मृतिलम्भे सर्वग्रन्थीनां विप्रमोक्ष:॥

इस श्लोक का अर्थ है कि आहार शुद्ध होगा तो व्यक्ति एंदर से शुद्ध होगा और इससे ईश्वर में स्मृति दृढ़ होती है। स्मृति प्राप्त हो जाने से हृदय की अविद्या जनित हर एक गांठ खुल जाती है।

सात्विक भोजन करने से व्यक्ति का मन शांत होने के साथ विचार शुद्ध होते हैं।

राजसिक भोजन

शास्त्रों के अनुसार ऐसा भोजन करने वाले लोगों का मन अधिक चंचल होता है और ये लोग संसार में प्रवृत्त होते हैं। राजसिक भोजन में नमक, मिर्च, मसाले, केसर, अंडे, मछली आदि आते हैं।

तामसिक भोजन

वेद -शास्त्रों के अनुसार, लहसुन और प्याज तामसिक भोजन की श्रेणी में आता है। माना जाता है कि इन दोनों चीजों का सेवन करने से व्यक्ति अंदर रक्त का प्रवाह बढ़ या फिर घट जाता है। ऐसे में व्यक्ति को अधिक गुस्सा, अंहकार, उत्तेजना, विलासिता का अनुभव होता है। इसके साथ ही वह आलसी और अज्ञानी भी हो जाता है। इसी कारण ब्राह्मणों के अलावा पूजा पाठ करने वाले लोग इसका सेवन नहीं करते हैं।

लहसुन-प्याज उत्पन्न होने के पीछे पौराणिक कथा

समुद्र मंथन करने के दौरान लक्ष्मी के साथ कई रत्नों समेत अमृत कलश भी निकला था। अमृत पान के लिए देवताओं और असुरों में विवाद हुआ, तो भगवान विष्णु मोहिनी रुप धारण कर अमृत बांटने लगे। जैसे ही मोहिनी रूप धरे श्री विष्णु ने देवताओं को अमृत पान कराना शुरू किया वैसे ही एक राक्षस देवता का रूप धर कर देवताओं की लाइन में आकर खड़ा हो गया। लेकिन सूर्य और चंद्र देव ने उस राक्षस को पहचान लिया और उन्होने विष्णु जी को बता दिया। ऐसे में भगवान विष्णु ने अपने चक्र से उसका सिर धड़ से अलग कर दिया। लेकिन उसने थोड़ा अमृत पान किया था, जो अभी उसके मुख में था। सिर कटने से खून और अमृत की कुछ बूंदें जमीन पर गिर गईं। उससे ही लहसुन और प्याज की उत्पत्ति हुई। जिस राक्षस का सिर और धड़ भगवान विष्णु ने काटा था, उसका सिर राहु और धड़ केतु के रूप में जाना जाने लगा।

मान्यता है कि राक्षस से उत्पन्न होने के कारण भी लहुसन और प्याज का सेवन नहीं किया जाता है।

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Edited By: Shivani Singh

व्रत और पूजा में क्यों नहीं होता है लहसुन तथा प्याज का प्रयोग? पढ़ें यह पौराणिक कथा

अधिकतर लोगों के मन में यह सवाल आता है कि लहसुन तथा प्याज का प्रयोग व्रत और पूजा में क्यों नहीं किया जाता है? इस सवाल का जवाब समुद्र मंथन की पौराणिक घटना में है। आइए पढ़ें इससे जुड़ी कथा।

लहसुन तथा प्याज के आयुर्वेदिक गुणों से हर कोई वाकिफ है। लहसुन तथा प्याज सब्जियों का हिस्सा है। हालांकि अधिकतर लोगों के मन में यह सवाल आता है कि लहसुन तथा प्याज का प्रयोग व्रत और पूजा में क्यों नहीं किया जाता है? इस सवाल का जवाब समुद्र मंथन की पौराणिक घटना में छिपा है। आइए जानते हैं कि समुद्र मंथन के समय ऐसा क्या हुआ था, जिसके कारण लहसुन और प्याज का प्रयोग पूजा तथा व्रत में वर्जित है।

समुद्र मंथन की घटना

श्रीहीन हो चुके स्वर्ग को खोई हुई वैभव-संपदा की प्राप्ति के लिए देव और असुरों ने मिलकर समुद्र मंथन किया था। समुद्र मंथन करने के दौरान लक्ष्मी के साथ कई रत्नों समेत अमृत कलश भी निकला था। अमृत पान के लिए देवताओं और असुरों में विवाद हुआ, तो भगवान विष्णु मोहिनी रुप धारण कर अमृत बांटने लगे।

सबसे पहले अमृत पान की बारी देवताओं की थी, तो भगवान विष्णु क्रमश: देवताओं को अमृत पान कराने लगे। तभी एक राक्षस देवता का रूप धारण कर उनकी पंक्ति में खड़ा हो गया। सूर्य देव और चंद्र देव उसे पहचान गए। उन्होंने विष्णु भगवान से उस राक्षस की सच्चाई बताई, तब भगवान विष्णु ने अपने चक्र से उसका सिर धड़ से अलग कर दिया। उसने थोड़ा अमृत पान किया था, जो अभी उसके मुख में था। सिर कटने से खून और अमृत की कुछ बूंदें जमीन पर गिर गईं। उससे ही लहसुन और प्याज की उत्पत्ति हुई। जिस राक्षस का सिर और धड़ भगवान विष्णु ने काटा था, उसका सिर राहु और धड़ केतु के रूप में जाना जाने लगा।

राक्षस के अंश से लहसुन और प्याज की उत्पत्ति

राक्षस के अंश से लहसुन और प्याज की उत्पत्ति हुई थी, इस कारण से उसे व्रत या पूजा में शामिल नहीं किया जाता है। उनकी जहां उत्पत्ति हुई थी, वहां अमृत की बूंदें भी गिरी थीं, इस कारण से लहसुन और प्याज में अमृत स्वरूप औषधीय गुण विद्यमान हो गए। लहसुन और प्याज कई तरह की बीमारियों में लाभदायक होता है। राक्षस के अंश से उत्पत्ति के कारण इसे काफी लोग अपने भोजन में भी शामिल नहीं करते हैं। लहसुन और प्याज को तामसिक भोज्य पदार्थ माना जाता है। इस वजह से भी इसे पूजा आदि में वर्जित किया गया है।

Edited By: Kartikey Tiwari

प्याज और लहसुन ब्राह्मण क्यों नहीं खाते?

साधु-संत नहीं करते प्याज-लहसुन का उपयोग : सनातन धर्म के अनुसार उत्तजेना और अज्ञानता को बढ़ावा देने वाले खाद्य पदार्थों को साधु-संत को उपयोग नहीं करना चाहिए। इससे अध्यात्मक के मार्ग पर चलने में बाधा उत्पन्न होती हैं और व्यक्ति की चेतना प्रभावित होती है।

हिंदू धर्म में प्याज क्यों वर्जित है?

वेद शास्त्रों के अनुसार,लहसुन और प्याज जैसी सब्जियां जुनून,उत्तेजना को बढ़ावा देती हैं और आध्यात्म के मार्ग पर चलने से रोकती हैं इसलिए इनका सेवन नहीं करना चाहिए। वहीं आयुर्वेद के मुताबिक,फ़ूड प्रोडक्ट्स को तीन कैटेगरीज में बांटा जाता है। सात्विक,राजसिक और तामसिक जिनमें सात्विक खाना:शांति,पवित्र माना जाता है।

शास्त्रों के अनुसार लहसुन प्याज क्यों नहीं खाना चाहिए?

वेद -शास्त्रों के अनुसार, लहसुन और प्याज तामसिक भोजन की श्रेणी में आता है। माना जाता है कि इन दोनों चीजों का सेवन करने से व्यक्ति अंदर रक्त का प्रवाह बढ़ या फिर घट जाता है। ऐसे में व्यक्ति को अधिक गुस्सा, अंहकार, उत्तेजना, विलासिता का अनुभव होता है। इसके साथ ही वह आलसी और अज्ञानी भी हो जाता है।

लहसुन प्याज खाना क्यों वर्जित है?

शास्त्रों के अनुसार लहसुन-प्याज तामसिक प्रकृति के होते हैं जोकि अशुद्ध श्रेणी में शामिल होते हैं। लहसुन-प्याज का सेवन करने से अज्ञानता को बढ़ावा मिलता है। साथ ही इनके सेवन से इंसान की वासना भी बढ़ती है। इसलिए उपवास के दौरान लहसुन-प्याज का सेवन करने की मनाही होती है।