इंटरमीडिएट शिक्षा अधिनियम 1921 गृह विज्ञान - intarameediet shiksha adhiniyam 1921 grh vigyaan

यहां पर उत्तर प्रदेश के अशासकीय इण्टर कालेजों/हाईस्कूलों में प्रशिक्षित स्नातक के रिक्त पदों पर भर्ती हेतु विवरण दिया गया है. यह भर्ती उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड द्वारा की जायेगी पढ़े एवं लाभ उठाएं.

रिक्तियों की संख्या: 1197

आवेदन पत्र पहुंचने की अन्तिम तिथि: 16.1.2011

शैक्षिक योग्यता: प्रशिक्षित स्नातक के लिए

I. अनिवार्य योग्यता:

1. उर्दू वाणिज्य, कृषि विषय के प्रशिक्षित स्नातक पद हेतु सम्बन्धित विषय में स्नातक उपाधि के साथ प्रशिक्षण.

2. संस्कृत विषय हेतु प्रशिक्षित स्नातक संस्कृत अथवा सम्पूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय वाराणसी द्वारा प्रदत्त शास्त्री या आचार्य के साथ प्रशिक्षण उपाधि.

3. हिन्दी विषय हेतु हिन्दी एंव संस्कृत विषय के साथ स्नातक एवंम प्रशिक्षण उपाधि अथवा सम्पूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय वाराणसी द्वारा प्रदत्त शास्त्री परीक्षा के साथ प्रशिक्षण उपाधि.

4. अंग्रेजी विषय हेतु स्नातक अंग्रेजी साहित्य अथवा अंग्रेजी भाषा सहित प्रशिक्षण उपाधि.

5. गणित विषय हेतु बी०ए० अथवा बी०एस०सी० गणित सहित प्रशिक्षण उपाधि.

6. विज्ञान विषय हेतु भौतिक विज्ञान तथा रसायन विज्ञान के साथ बी०एस०सी० सहित प्रशिक्षण उपाधि.

7. जीव विज्ञान विषय हेतु जन्तु विज्ञान तथा वनस्पति विज्ञान के साथ बी०एस०सी० सहित प्रशिक्षण उपाधि.

8. सामाजिक विषय हेतु राजनीति शास्त्र, भूगोल, अर्थशास्त्र, इतिहास विषयों में से किन्ही दो विषयों में स्नातक के साथ प्रशिक्षण उपाधि.

9. कला, संगीत, गृहविज्ञान, व्यायाम (शारीरिक शिक्षा) विषयों हेतु इण्टरमीडिएट शिक्षा अधिनियम 1921 द्वारा निर्धारित अर्हता तथा समय समय पर प्रख्यापित हुए संशोधनो एवं राजाज्ञाओं द्वारा संशोधित यथा परिवर्धित योग्यतायें भी मान्य होगी.

नोट: प्रशिक्षण का तात्पर्य बी०एड०, एल०टी०, बी०टी० अथवा शिक्षा शास्त्री उपाधि से है.

आयु: आयु 1 जुलाई 2012 को 21 वर्ष से कम न हो.

चयन प्रक्रिया: अभ्यर्थियों का चयन लिखित और साक्षात्कार परीक्षा के आधार पर किया जाएगा.

I. लिखित परीक्षा: प्रशिक्षित स्नातक पद की सीधी भर्ती हेतु 85 प्रतिशत का निर्धारित पाठ्यक्रम से सम्बन्धित एक लिखित वस्तु परक (बहुविकल्पी) प्रश्न पत्र होगा.परीक्षा में दिये उत्तर पत्रक में दिये गये प्रश्न के कमांक के सामने बने चार गोलों में से सही गोले को बाल पेन की काली स्याही से भरना होगा.

परीक्षा शुल्क: सामान्य एवं पिछड़ी जाति के अभ्यर्थियों के लिय रुपया 430 (रु० 400 शुल्क, रु० 30 डाक व्यय), अनुसूचित जाति के लिये रु० 230 (रु० 200 शुल्क, रु० 30 डाक व्यय), अनुसूचित जनजाति के लिये रु० 130 (रु० 100 शुल्क, रु० 30 डाक व्यय) शुल्क केवल भारतीय स्टेट बैंक, पंजाब नेशनल बैंक, यूनियन बैंक ऑफ इण्डिया, बैंक ऑफ बड़ौदा, तथा इलाहाबाद बैंक द्वारा निर्गत रेखांकित नवीनतम बैंक ड्राफ्ट जो सचिव, उ०प्र० माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड, के पक्ष में तथा इलाहाबाद में देय हो संलग्न करना अनिवार्य है. शुल्क के अभाव में आवेदन पत्र स्वत: निरस्त हो जायेगा. शुल्क में छूट प्राप्ति हेतु जाति प्रमाण पत्र संलग्न करना अनिवार्य है अन्यथा छूट देय नहीं होगी.

आरक्षण: अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति एवं समाज के अन्य पिछड़े वर्ग के लिये आरक्षित रिक्तियों की संख्या विद्यालय द्वारा अवधारित तथा जिला विद्यालय निरीक्षक द्वारा प्राप्त अधियाचनों के अनुसार है तथा अन्य प्रकार के आरक्षण भूतपूर्व सैनिक, स्वंतत्रता संग्राम सेनानी आश्रित एवं विकलांग उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा चयन बोर्ड की नियमावली में सम्मिलित प्रावधान के अनुसार होगा. आरक्षण का लाभ उत्तर प्रदेश के निवासी के लिये ही अनुमन्य है.

आवेदन पत्र भेजने का पता: सचिव, उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड 23, एलनगंज, इलाहाबाद – 211002.

विज्ञापन संख्या: 1- 2/2011

इंटरमीडिएट शिक्षा अधिनियम 1921 गृह विज्ञान - intarameediet shiksha adhiniyam 1921 grh vigyaan

By: Inextlive | Updated Date: Thu, 08 Mar 2018 07:00:16 (IST)

एनसीईआरटी पाठ्यक्रम अपनाने के बाद बोर्ड ने लिया निर्णय

नए सत्र से लागू होगी यूपी बोर्ड में नई व्यवस्था

ALLAHABAD: यूपी बोर्ड में नए सत्र से पाठ्यक्रम में बड़े स्तर पर बदलाव दिखाई देगा। इसमें सबसे बड़ा बदलाव हाईस्कूल में प्रारंभिक गणित का विकल्प खत्म किया जाना है। इसके बाद सभी स्टूडेंट्स को गणित विषय की पढ़ाई करके परीक्षा देनी होगी। बोर्ड प्रशासन को एनसीईआरटी का पाठ्यक्रम अपनाने की वजह से यह निर्णय लेना पड़ा है। शासन की मंजूरी के बाद इसे गजट कराया जा रहा है।

20 साल के बाद विषय में बदलाव

माध्यमिक शिक्षा परिषद यानी यूपी बोर्ड में पहले वर्गवार यानि विज्ञान, कला व वाणिज्य आदि के हिसाब से विषय रहे हैं। ईश्वर भाई पटेल कमेटी ने इसमें बदलाव कर यह निर्देश दिया कि अब हाईस्कूल में सभी को विज्ञान, सामाजिक विज्ञान, गणित आदि की पढ़ाई करनी होगी। यह नियम 1982 में लागू हुआ, तब गणित-1, गणित-2 आदि विषय तय हुए और उसकी 1984 में परीक्षा हुई। इसके बाद 1998 में शासन ने फिर बदलाव किया। उसी समय हाईस्कूल में गणित और प्रारंभिक गणित लागू हुई। प्रारंभिक गणित में पुराने पैटर्न की विषयवस्तु रही है और वह गणित से कुछ सरल भी थी। अमूमन जिन छात्रों को इंटर में विज्ञान की पढ़ाई करनी होती थी वे केवल गणित लेते रहे हैं।

प्रस्ताव पर मुहर, विनिमय संशोधित

शासन के उप सचिव संतोष कुमार रावत की ओर से जारी आदेश में कहा गया है कि इंटरमीडिएट शिक्षा अधिनियम 1921 में संशोधन के प्रस्ताव को मंजूरी दे गई है। अब एक अप्रैल से शुरू हो रहे 2018-19 शैक्षिक सत्र में जो छात्र कक्षा नौ में प्रवेश लेंगे उन्हें प्रारंभिक गणित विषय का विकल्प नहीं मिलेगा। वहीं, 2017-18 में कक्षा नौ में जिन छात्रों ने प्रारंभिक गणित विषय लिया था उनके लिए 2019 में हाईस्कूल की बोर्ड परीक्षा कराई जाएगी।

छात्राओं को गृह विज्ञान का विकल्प

यूपी बोर्ड ने हाईस्कूल से प्रारंभिक गणित विषय खत्म करने के साथ ही छात्राओं का पूरा ध्यान रखा है। उनके लिए जरूरी नहीं है कि वे गणित ही पढ़ें। वे गृह विज्ञान लेकर परीक्षा उत्तीर्ण कर सकती हैं। वहीं, 2018 की हाईस्कूल परीक्षा में प्रारंभिक गणित लेने वाले एक लाख 48 हजार 755 व केवल गणित लेने वाले परीक्षार्थियों की संख्या 25 लाख 21 हजार 353 रही है। यूपी बोर्ड सचिव नीना श्रीवास्तव का कहना है कि एनसीईआरटी का पाठ्यक्रम लागू होने के बाद प्रारंभिक गणित का औचित्य खत्म हो गया है।