समझने के लिए पढ़ने को प्रोत्साहनयह इकाई किस बारे में है Show
जब छात्र किसी ऐसी भाषा में लिखा गया पाठ पढत़े हैं जिसे वे सीख रहे हैं, जैसे अंग्रेजी, तब उनका ध्यान उन शब्दों या उन व्याकरण सम्बन्धी रचनाओं पर केन्द्रित रहता है जिन्हें वे नहीं समझते हैं या नहीं जानते हैं इसका मतलब यह है कि वे जो कुछ पढ़ रहे हैं जैसे किसी कहानी की घटनाऍ या लेखक के तर्क आदि तो वे उसके समग्र अर्थ पर ध्यान नहीं देते हैं: यह इकाई आपके छात्रों द्वारा अंग्रेजी में पढ़ी जा रही विषयवस्तु के अर्थ को समझने में मदद करने के संबंध में है। खास तौर पर उनकी पाठ्यपुस्तकों के अध्याय। यह कुछ ऐसी तकनीकों का वर्णन करती है जिनका उपयोग आप अपने छात्रों द्वारा अंग्रेजी में पढ़ी जा रही विषयवस्तु को समझने में मदद करने के लिए कर सकते हैं। यह आपको दिखाती है कि कुछ ऐसी गतिविधियाँ कैसे की जायं जिन्हें छात्र पाठ को पढ़ने से पहले, के दौरान और बाद में कर सकते हैं, ताकि जो कुछ वे पढ़ रहे हैं उसके अर्थ पर ध्यान देने में उन्हें सहायता मिल सके। इकाई के अंत में, आप इन सभी तकनीकों का उपयोग करते हुए अध्याय पढ़ाने के लिए एक अध्याय योजना पाएंगे। आप इस इकाई में क्या सीख सकते हैं
1 छात्रों को पढ़ने के लिए तैयार करनाकई अध्यापक नए पाठ को पढ़ाते समय अनुवाद का उपयोग करते हैं, क्योंकि इससे छात्रों को अलग–अलग शब्दों को समझने में मदद मिल सकती है। तथापि, हर समय अनुवादों का उपयोग करने से कुछ हानियाँ होती हैं:
विचार के लिए रुकें आपने अपने छात्रों को जो पिछला अध्याय पढ़ाया था उसके बारे में सोचें और इन प्रश्नों का उत्तर दें।
जो कुछ वे पढत़े हैं उसे समझने में आपके छात्रों की सहायता करने के लिए अन्य तकनीकों (कुछ अनुवाद और स्पष्टीकरण के साथ) का उपयोग करना आपके लिए अच्छा है। छात्रों को अपनी पाठ्यपुस्तकों में कई अध्याय पढ़ने हैं। इनमें से कई पठन–सामग्रियाँ कठिन हैं, और उनमें जटिल शब्दावली और व्याकरण संबंधी संरचनाएं हैं। कभी–कभी पाठ्य वस्तु के शीर्षक या मूल विचार भी कठिन होते हैं, जिनमें बहुत समय पहले हुई ऐसी घटनाओं की चर्चा होती है, जो या तो बहुत समय पहले हो चुकी हैं या वे ऐसे स्थानों में होती हैं जहाँ छात्र न तो कभी गए हैं न ही कभी उन्होंने उसका नाम सुना है। छात्र पाठ्य वस्तु और पाठ की भाषा को तब बेहतर समझ पाएंगे जब आप उन्हें पढ़ने के लिए तैयार करेंगे। छात्रों के पढ़ना शुरू करने से पहले पाठ के कुछ शब्दों, वाक्यांषों व व्याकरण संबंधी संरचनाओं को पढ़ाकर या पाठ के शीर्षक व मूल विषय पर चर्चा करके आप ऐसा कर सकते हैं। गतिविधि 1: सत्रहवीं सदी की एक कविता, ’The Perfect Life’ को पढ़ाने के तरीके का नियोजन करनायह आपके करने की गतिविधि है; यह नियोजन गतिविधि है। कक्षा 10 की पाठ्यपुस्तक से इस कविता को पढ़ें (English: A Textbook for Class X)। इसका नाम ’The Perfect Life’ है और इसे Ben Jonson ने लिखा था।
जब आप इसे पढ़ लें, तब इन प्रश्नों का उत्तर दें। हो सके तो अपने किसी सहकर्मी के साथ उन पर चर्चा करें:
अब इस कविता को पढ़ाने के ढंग के बारे में कुछ शिक्षकों के विचार पढें, और उनकी तुलना अपने स्वयं के विचारों से करें। आपने जो कोई विचार सोचें हैं उन्हें नीचे दिये हुए स्थान पर लिखें वे गतिविधियाँ जिनमें आप अपने छात्रों को कुछ पढ़ने से पहले तैयार करते हैं अक्सर पठन – पूर्व गतिविधियाँ कहलाती हैं। पाठ किस बारे में होगा इस विषय में सोचने में वे छात्रों की सहायता करती हैं , जिससे उन्हें पाठ को बेहतर ढंग से समझने में भी मदद मिलती है। केस स्टडी 1: सुश्री गुप्ता अपनी कक्षा के साथ एक पठन–पूर्व गतिविधि करती हैंसुश्री गुप्ता कक्षा 10 को अंग्रेजी पढ़ाती हैं। उन्हें अपने छात्रों को Ben Jonson की कविता ’The Perfect Life’ पढ़ानी थी। उन्हें पता था कि पाठ कठिन है, और उन्होंने सोचा कि यदि वे अपनी कक्षा को कविता पढ़ने से पहले तैयार करेंगी तो वे उसे बेहतर ढंग से समझेंगे और याद रखेंगे। कविता पढ़ाने से पहले, मैंने बोर्ड पर उसका शीर्षक लिखाः ‘The Perfect Life’. मैंने अपने छात्रों से शीर्षक का हिंदी में अनुवाद करने को कहकर यह जाँच की कि क्या वे इसका अर्थ समझ सकते हैं। फिर मैंने उनसे पूछाः ‘‘What makes a perfect life?’ शुरू में किसी ने भी कोई सुझाव नहीं दिया, इसलिए मैंने उन्हें एक उदाहरण दियाः ‘The perfect life for me would be to do no cooking!’ छात्र हँसने लगे, और उनमें से एक या दो में सुझाव देने का आत्मविश्वास जागा। इससे अन्य छात्रों को भी विचार आए, और मैंने उनमें से पाँच या छह को बोर्ड पर लिखा। फिर मैंने हर एक को जोड़ियों में संगठित किया। मैंने हर दूसरी बेंच पर बैठे छात्रों को पीछे घूमने को कहा और अब उनके सामने बैठे सहपाठी के साथ काम करने को कहा मैंने उनसे कहाः जब मेरे छात्र लिख रहे थे, तब मैंने कक्षा में घूमते हुए सुनिश्चित किया कि वे गतिविधि कर रहे हैं और यदि किसी को कुछ शब्दों के अर्थ नहीं आ रहे थे तो मैने उसकी सहायता की। कुछ मिनटों के बाद मैंने हर एक से लिखना बंद करने को कहा और बोर्ड पर निम्नलिखित वाक्य लिखाः ‘The perfect life is like a …’ मैंने बोर्ड पर लिखा वाक्य पढ़कर सुनाया, और छात्रों से किसी प्राकृतिक वस्तु का उपयोग करते हुए वाक्य को पूरा करने को कहा, और उन्हें एक उदाहरण दियाः ‘The perfect life is like a hotel.’ This is because you don’t have to cook when you stay at a hotel! फिर मैंने उन्हें जोड़ी में कार्य करके कुछ विचार देने को कहा और साथ ही साथ उन सुझावों के पीछे छिपे कारणों को भी बताने को कहा। अधिकांश छात्रों के लिए अंग्रेजी में कारण बता पाना कठिन था, इसलिए मैंने जाँच की कि क्या अन्य छात्र सही शब्दों की खोज करने में उनकी मदद कर सकते हैं। यदि वे फिर भी अंग्रेजी में नहीं समझा सकते थे, तो मैंने उनसे उनकी स्थानीय भाषा का उपयोग करने को कहा। मेरे लिए महत्वपूर्ण यह था कि छात्र विषय में रुचि लें, और कविता को पढ़ने के लिए उत्सुक रहें। इसके बाद, मैंने अपनी कक्षा को बताया कि वे ’‘The Perfect Life’ शीर्षक वाली एक कविता पढ़ने जा रहे हैं। मैंने उनसे कहा कि मैं कविता को ऊँची आवाज में पढ़कर सुनाने जा रही हूँ, और और उन्हें उसे सुनना चाहिए और अपनी पाठ्य पुस्तकों में उसका अनुसरण करना चाहिए। मैंने समझाया कि कविता में कवि जीवन की तुलना प्राकृतिक वस्तुओं से करता है। मैंने उनसे उनके कविता को पढ़ते और सुनते समय यह नोट करने को कहा कि वे प्राकृतिक वस्तुएं क्या थीं। मैंने ऐसा इसलिए किया ताकि उनके पास पाठ को पढ़ने के लिए कोई कारण रहे। मैंने फिर कविता को बिना अनुवाद किए या समझाए, सस्वर पढ़ा । फिर मैंने कक्षा से कुछ प्रश्न पूछेः इस गतिविधि ने कविता को समझने में हर एक की मदद की। इसके बाद, कविता पर चर्चा करना अधिक आसान था, और छात्रों ने कविता को बेहतर तरह से याद भी किया।
गतिविधि 2: कक्षा में आजमाएं – छात्रों को पढ़ने के लिए तैयार करनाइससे पहले कि छात्र कोई पाठ या अन्य अंग्रेजी पठन–सामग्री पढ़ें, उन्हें तैयार करना हमेशा उपयोगी होता है (आप छात्रों को किसी सुनने की गतिविधि के लिए भी इसी तरह से तैयार कर सकते हैं – देखें इकाई अंग्रेजी सुनने में अपने छात्रों की सहायता करना।) निम्नलिखित चरणों का अनुसरण करें:
विचार के लिए रुकें इस गतिविधि को आजमाने के बाद विचार करने के लिए यहॉ कुछ प्रश्न दिए गए हैं। यदि संभव हो, तो इन प्रश्नों की चर्चा किसी सहकर्मी के साथ करें।
आप सोच सकते हैं कि पठन–पूर्व गतिविधियाँ बहुत ज्यादा समय ले लेती हैं, और अध्याय बस शुरू कर देने से समय बचेगा लेकिन इस तरह की गतिविधियाँ अधिक समय लें ऐसा जरूरी नहीं है – पाँच या दस मिनट भी छात्रों को पढ़ने के लिए तैयार करने में मददगार हो सकते हैं। उम्मीद है कि ये गतिविधियाँ आपके छात्रों की दिलचस्पी को बढ़ाएंगी और अध्यायों को बेहतर ढंग से समझने में उनकी सहायता करेंगी। नोट करें कि कौन से छात्र समझ रहे हैं और कौन नहीं ताकि आप उन लोगों की आगे सहायता कर सकें जिन्हें समझने में अब भी कठिनाई हो रही है। छात्रों के पढ़ने से पहले विभिन्न गतिविधियों को आजमाएं और देखें कि कौन सी अधिक प्रभावी हैं। 2 पाठ को पढ़ते समय उसे समझने में छात्रों की मदद करनाछात्रों को पठन–पूर्व गतिविधि देने से जो कुछ वे पढ़ने जा रहे हैं उसके लिए तैयार होने में उन्हें मदद मिलती है। छात्रों को अपने आप मौन होकर पढ़ने के लिए समय देना (चित्र 1) उन्हें पाठ को समझने – और उसका आनंद लेने – में भी मदद कर सकता है। निम्नलिखित में, आप वे गतिविधियाँ देखेंगे जो आप अपने छात्रों को मौन होकर पढत़े समय दे सकते हैं ताकि वे समझ सकें कि वे क्या पढ़ रहे हैं। चित्र 1 एक छात्रा मौन होकर पढत़े हुए। विद्यार्थी क्या पढ़ रहे हैं इसे समझने में मदद करने के लिए उन्हें मौन वाचन करते समय कुछ विचार बिन्दु देना महत्वपूर्ण है। उदाहरण के लिए प्रश्नों के उत्तरों की तलाश करना आपके छात्रों को पाठ को पढ़ने के लिए एक प्रयोजन देता है और वे जो कुछ पढ़ रहे हैं उस पर ध्यान केन्द्रित करने में मदद करता है। छात्रों को मौन वाचन के समय उत्तर देने के लिए प्रश्न देने से भी आपको इस बात का आकलन करने में मदद मिलेगी कि छात्रों ने कितना समझा है। छात्र अलग अलग रफ्तारों से पढ़ेंगे, और अलग अलग बातें समझेंगे। जब आपके छात्र पढ़ रहे हों तब कमरे में घूमें। नोट करें कि किन छात्रों को प्रश्नों का उत्तर देने में समस्या हो रही है और किन छात्रों को गतिविधि आसान लग रही है। गतिविधि 3: कक्षा में आजमाएं – पाठ पढ़ते समय उसे समझने में अपने छात्रों की मदद करने के लिए मौन पठन का उपयोग करनाअपनी कक्षा में मौन पठन आजमाने के लिए इन चरणों का अनुसरण करें:
विचार के लिए रुकें इस गतिविधि को आजमाने के बाद विचार करने के लिए यहॉ कुछ प्रश्न दिए गए हैं। यदि संभव हो, तो इन प्रश्नों की चर्चा किसी सहकर्मी के साथ करें।
समय सीमा महत्वपूर्ण होती हैं क्योंकि कुछ छात्र अन्य लोगों से अधिक तेजी से पढ़ेंगे, और कुछ अन्य लोगों से अधिक समझेंगे। जो भी हो, आपके द्वारा तय की गई समय सीमा में सभी छात्र अध्याय का कम से कम कुछ भाग पढ़ने में समर्थ होंगे, और उन्हें सामग्री का कुछ भाग तो समझ में आएगा। यदि कुछ छात्र अन्य लोगों से पहले समाप्त कर लेते हैं, तो वे पूरा अध्याय या अध्याय के एक खंड को दोबारा पढ़ सकते हैं। जब वे मौन होकर पढत़े हैं, तब आपके छात्र हर शब्द को नहीं समझेंगे। उन्हें ऐसा करने की जरूरत नहीं है, और जब वे पहली बार कोई चीज पढत़े हैं तो यह बिल्कुल सामान्य बात है। महत्वपूर्ण यह है कि वे सबसे आवश्यक जानकारी, या पाठ के संदेश को समझें। आप उनसे जो प्रश्न पूछें वे पाठ के संदेश को खोजने में विद्यार्थियों की मदद करने वाले होने चाहिए। अभ्यास से, छात्र अपने बल पर बेहतर ढंग से पढ़ने लगेंगे। अधिकांश लोगों के लिए, मौन होकर पढत़े समय पाठ का आनंद लेना और उसे समझना अधिक आसान होता है। फिर भी अंग्रेजी कक्षा में, छात्रों से अक्सर पाठों को सस्वर पढ़ने को कहा जाता है – या शिक्षक अपने छात्रों को सस्वर पढ़कर सुनाते हैं। सस्वर पढ़ना एक उपयोगी तकनीक हो सकती है तथापि, उसे हर समय करने से स्वतंत्र रूप से पढ़ना सीखने छात्रों की प्रगति में बाधा पड़ सकती है। 3 पाठ को पढ़ने के बाद उसकी समझ की जाँच करनाछात्रों के पाठ को पढ़ लेने के बाद, उन्हें पाठ की महत्वपूर्ण बातों या लेखक द्वारा कही गयी कुछ महत्वपूर्ण बातों की संभवतः कुछ समझ होगी। उन्हें शब्दावली और भाषा की भी थोड़ी–बहुत समझ होगी। पाठ के पढ़ने के बाद, आपको जाँचना चाहिए कि छात्रों ने कितना समझा है। जिन गतिविधियों का उपयोग आप छात्रों की समझ की जाँच करने के लिए कर सकते हैं, उनमें निम्नलिखित शामिल हैं:
वे गतिविधियाँ, जिनमें आप जाँच करते हैं कि छात्रों ने पाठ के बारे में कितना समझा है, या उन्हें किसी अंश की भाषा का उपयोग करने को प्रोत्साहित करते हैं, पठनोपरान्त गतिविधियाँ कहलाती हैं। वे आप और आपके छात्रों की यह देखने में मदद करती हैं कि उन्होंने कितना समझा है, और वे नई भाषा सीखने में छात्रों की मदद करती हैं। गतिविधि 4: पठनोपरान्त गतिविधि का नियोजन और निष्पादन करनाउस पाठ का उपयोग करने वाले अध्याय के बारे में सोचें जो आप अगले सप्ताह पढ़ाने जा रहे हैं। पठनोपरान्त गतिविधियों के लिए विचारों को देखें और तय करें कि आप अपनी कक्षा के लिए किन का उपयोग करेंगे। अध्यायों के नियोजन के बारे में अधिक जानकारी के लिए, देखें संसाधन 2। पठनोपरान्त गतिविधि का उपयोग करते हुए अध्याय का नियोजन और निष्पादन करें। जब छात्र पठनोपरान्त गतिविधियाँ कर रहे हों, कमरे में घूमकर जाँचें कि उन्होंने क्या समझा है, और इसका उपयोग पठन में छात्रों की प्रगति के अपने आकलन के भाग के रूप में करें। क्या इस गतिविधि ने छात्रों की समझ का आकलन करने में आपकी सहायता की? अपने आकलनों का उपयोग आप अपने अगले अध्याय का नियोजन करने के लिए कैसे करेंगे? आकलन पर अधिक जानकारी के लिए, संसाधन 3 देखें। 4 तकनीकों का संयोजन करनाअब केस स्टडी 2 पढें। केस स्टडी 2: श्रीमती गुप्ता ‘भारत के नाम नेहरू के पत्र‘ पर एक विचार मंथन सत्र संचालित कर रही हैंश्रीमती गुप्ता ने इस इकाई की तकनीकों का उपयोग कक्षा 9 को एक अंश पढ़ाने के लिए किया। उन्होंने कक्षा को पठन–पूर्व गतिविधि के लिए तैयार किया और फिर छात्रों के पठन को पूरा कर लेने के बाद अंश के विषय से संबंधित भाषा का अभ्यास करने के लिए कुछ गतिविधियाँ कीं। पिछले सप्ताह, मैं नेहरूजी द्वारा लिखित ‘A letter to the children of India’ पाठ कक्षा 9 को पढ़ा रही थी [संसाधन 1 देखें]। मेरे छात्रों द्वारा पाठ को पढ़ने से पहले, मैंने बोर्ड पर शीर्षक लिखा, और समझाया कि पत्र किस बारे में है। मैंने उन्हें बताया कि वह एक वृद्ध आदमी द्वारा लिखा गया था जो युवा पीढ़ी को कुछ सलाह दे रहे थे। मैंने अपने छात्रों से कुछ ऐसे सुझाव सोचने के लिए कहा जो वे भारत के बच्चों को देंगे। एक–दो छात्रों ने कुछ सुझाव दिए, जैसे ‘You should visit Delhi!’ और ‘You should learn about technology!’ तब मैंने उनसे जोड़ियों में काम करने, और उन पाँच सुझावों को लिखने को कहा जो वे देंगे। मैंने उनसे वाक्यों को अंग्रेजी में लिखने को कहा। मुझे उन गलतियों की चिंता नहीं थी जो छात्रों के लिखते समय हो रही थीं। मैं तो बस उनसे कुछ विचार चाहती थी। तीन मिनट बाद, मैंने गतिविधि को समाप्त कर दिया, और तीन या चार जोड़ियों से उन्होंने जो कुछ लिखा था उसके कुछ उदाहरण पढ़कर सुनाने को कहा। फिर मैंने कक्षा से नेहरूजी के पत्र को मौन रहकर पढ़ने को कहा। मैंने उनसे पढत़े समय उस सुझाव को रेखांकित करने को कहा जो उन्होंने अपने पत्र में दिये थे। मैंने उन्हें पढ़ने और सुझाव को खोजने के लिए दस मिनट की समय सीमा दी। जब वे पढ़ रहे थे, मैंने कमरे में घूमकर यह सुनिश्चित किया कि हर एक ने समझ लिया है कि उन्हें क्या करना है। मैंने देखा कि अजला पत्र में कुछ भी रेखांकित नहीं कर रही थी। उसको समझ में नहीं आया था कि उसे सुझाव की तलाश करनी है, इसलिए मैंने उसे समझाया और कुछ खोजने में उसकी मदद की। तब वह अपने आप यह काम करने लगी। जब समय खत्म हो गया, तब मैंने अपने छात्रों से कहा कि वे अपने बगल मैं बैठे सहपाठी के साथ उनको मिले सुझाव की तुलना करें। मैंने उनसे यह भी चर्चा करने को कहा कि वह सुझाव उन सुझावों के कितने समान या उससे कितनी भिन्न थी जो उन्होंने पत्र को पढ़ने से पहले लिखी थी। जब वे अपने विचारों की तुलना कर रहे थे, तब मैं कमरे में घूमती रही और वार्तालापों को सुना। यह स्पष्ट था कि कुछ छात्रों ने पत्र में दिये गये सुझाव समझ लिए थे, जबकि कुछ छात्रों को कठिनाई हो रही थी। कुछ मिनटों बाद, मैंने कक्षा से बातचीत करना बंद करने को कहा। फिर हमने पत्र में दिए गए सुझावों पर एक समग्र कक्षा के रूप में चर्चा की, और मैंने सभी ऐसे शब्दों को स्पष्ट किया जो विद्यार्थियों के लिए दी गई सलाह को समझने में बाधक थे। इसके बाद, मैंने बोर्ड पर ऐसे कुछ वाक्यांश लिखे जिनका उपयोग हम अंग्रेजी में सलाह देते समय कर सकते हैं: मैंने अपने छात्रों से यह कल्पना करने को कहा कि वे नेहरूजी की तरह बूढ़े दादा और दादी हैं, और अपने पोते–पोतियों के साथ बात कर रहे हैं। उनमें से कुछ को यह काफी मज़ेदार लगा और उन्हें यह विचार पसंद आया! मैंने उनसे ऐसी कुछ सलाह सोचने को कहा जो वे अपने पोते–पोतियों को दे सकते हैं। मैंने उन्हें एक उदाहरण दियाः ‘You should work hard.’ कुछ छात्रों ने कुछ और विचार दिए और मैंने उन्हें बोर्ड पर इस प्रकार लिख दियाः मैंने स्पष्ट किया कि छात्र किसी भी प्रारम्भिक वाक्यांश (बोर्ड के बायीं तरफ) को किसी भी समाप्ति वाक्यांश (बोर्ड के दाहिने तरफ) के साथ उपयोग में ला सकते हैं। मैंने क्रियाओं (‘enjoy’, ‘eat’, ‘do’, ‘be’, ‘avoid’) को रेखांकित किया और समझाया कि उन्हें इन वाक्यांशों के बाद क्रियाओं के अनियत रूप (infinite form) का उपयोग करना चाहिए। फिर मैंने वाक्यों को ऊँची आवाज में पढ़ा, और छात्रों से उन्हें दोहराने को कहा ताकि वे अपने उच्चारण का अभ्यास कर सकें। उसके बाद, मैंने छात्रों को जोड़ियों में व्यवस्थित किया, और उनसे कहा कि उनमें से एक दादा/दादी है, और दूसरा पोता/पोती। मैंने समझाया कि दादा/दादी द्वारा पोते/पोती को सलाह दी जानी चाहिए। जब वे तैयार हो गए, तो मैंने उन्हें भूमिकाओं का अभिनय करने के लिए दो या तीन मिनट दिए, और फिर उन्होंने अपनी भूमिकाएं आपस में बदल लीं। जब मैं सुन रही थी, तब मैंने देखा कि कुछ जोड़ियाँ बोर्ड पर लिखी सलाह का उपयोग कर रही थीं, जबकि अधिक आश्वस्त वक्ता नए वाक्यांश बोल रहे थे। अंत में, मैंने छात्रों से, एक नियत कार्य (assignment) के रूप में, ‘A letter to the children of India’ शीर्षक वाला एक स्वयं अपना पत्र लिखने को कहा। मैंने उनसे उन कुछ वाक्यांशों का उपयोग करने को कहा जिनका उन्होंने अभी–अभी अभ्यास किया था, और यह कल्पना करने को कहा कि वह पत्र टाइम्स ऑफ इंडिया में प्रकाशित होगा। अगली कक्षा में मेरे पास कुछ बहुत रोचक पत्र पढ़ने के लिए उपलब्ध थे! गतिविधि 5: कक्षा में आजमाएं – भारत के बच्चों के नाम एक पत्रकेस स्टडी 2 में, नेहरूजी के पत्र को पढ़ने से पहले, पढ़ने के दौरान और पढ़ने के पश्चात् छात्र कई गतिविधियाँ करते हैं। इन गतिविधियों में सुनना, बोलना, पढ़ना और लिखना शामिल है। आप संसाधन 4 में शिक्षक की अध्याय योजना पा सकते हैं। यह अध्याय (या ऐसा ही कोई अध्याय) अपने छात्रों को पढ़ाने के लिए आप इस अध्याय योजना का उपयोग कर सकते हैं। विचार के लिए रुकें इस गतिविधि को आजमाने के बाद विचार करने के लिए यहां कुछ प्रश्न दिए गए हैं। यदि संभव हो, तो इन प्रश्नों की चर्चा किसी सहकर्मी के साथ करें।
आपको हर बार कोई अध्याय पढ़ाते समय सभी तकनीकों का उपयोग करने की जरूरत नहीं है। फिर भी, आपसे जितना हो सके और जितनी बार हो सके उपयोग करना अच्छी बात है। आप इन तकनीकों का उपयोग पाठ्यपुस्तक के किसी भी अध्याय, या किसी भी अन्य पाठ (उदा. अखबार का कोई लेख) के साथ कर सकते हैं। किसी अन्य अध्याय या पाठ के साथ ऐसी ही योजना लिखें, और उसे अपने सहकर्मियों के साथ साझा करें। 5 सारांशसमझने के लिए पढ़ने में छात्रों की मदद करने के लिए, आप उन्हें पठन–पूर्व गतिविधियाँ दे सकते हैं। आप छात्रों को मौन होकर पढ़ने के लिए भी प्रोत्साहित कर सकते हैं, और उनके पढत़े समय उन्हें कुछ करने को दे सकते हैं (जैसे प्रश्नों के उत्तर खोजना)। आप उन्हें समझ की जाँच करने, अध्याय से नई भाषा का अभ्यास करने या बोलने या लिखने जैसे भाषा संबंधी कौशल विकसित करने के लिए पठनोपरान्त गतिविधियाँ दे सकते हैं। इन तकनीकों के संयोजन का उपयोग पाठ्यपुस्तक या कहीं और से भी लिए गए किसी भी पाठ के साथ किया जा सकता है। यदि आप अपने स्वयं के पठन कौशलों को विकसित करने के बारे में अधिक जानना चाहते हैं, तो संसाधन 5 देखें, और यदि आप पठन सिखाने के बारे में अधिक जानना चाहते हैं, तो अतिरिक्त संसाधन खंड देखें। इस विषय पर अन्य माध्यमिक अंग्रेजी शिक्षक विकास इकाइयाँ ये हैं:
संसाधनसंसाधन 1: भारत के बच्चों के नाम एक पत्र
(Nehru, 1949) कुछ प्रश्न जो आप पत्र के बारे में पूछ सकते हैं
संसाधन 2: पाठों का नियोजन करनाअपने पाठों का नियोजन और उनकी तैयारी क्यों महत्वपूर्ण हैअच्छे अध्यायों की योजना बनानी होती है। नियोजन आपके अध्यायों को स्पष्ट और सुसामयिक बनाने में मदद करता है, जिसका अर्थ यह है कि आपके छात्र सक्रिय और रुचिपूर्ण बने रह सकते हैं। प्रभावी नियोजन में कुछ अंतर्निहित लचीलापन भी शामिल होता है ताकि अध्यापक पढ़ाते समय अपने छात्रों की शिक्षण-प्रक्रिया के बारे में कुछ पता चलने पर उसके प्रति अनुक्रिया कर सकें। अध्यायों की श्रंखला के लिए योजना पर काम करने में छात्रों और उनके पूर्व-शिक्षण को जानना, पाठ्यक्रम में से आगे बढ़ने के क्या अर्थ है, और छात्रों के पढ़ने में मदद करने के लिए सर्वोत्तम संसाधनों और गतिविधियों की खोज करना शामिल होता है। नियोजन एक सतत प्रक्रिया है जो आपको अलग-अलग अध्यायों और साथ ही, एक के ऊपर एक विकसित होते अध्यायों की श्रंखला, दोनों की तैयारी करने में मदद करती है। अध्याय के नियोजन के चरण ये हैं:
अध्यायों की श्रंखला का नियोजन करनाजब आप किसी पाठ्यक्रम का अनुसरण करते हैं, तो नियोजन का पहला भाग यह निश्चित करना होता है कि पाठ्यक्रम के विषयों और प्रसंगों को खंडों या टुकड़ों में किस सर्वोत्तम ढंग से विभाजित किया जाय। आपको छात्रों के प्रगति करने तथा कौशलों और ज्ञान का क्रमिक रूप से विकास करने के लिए उपलब्ध समय और तरीकों पर विचार करना होगा। आपके अनुभव या सहकर्मियों के साथ चर्चा से आपको पता चल सकता है कि किसी विषय के लिए चार अध्याय लगेंगे, लेकिन किसी अन्य विषय के लिए केवल दो। आपको इस बात से अवगत रहना चाहिए कि आप भविष्य में उस सीख पर अलग तरीकों से और अलग अलग समय पर तब लौट सकते हैं, जब अन्य विषय पढ़ाए जाएंगे या विषय को विस्तारित किया जाएगा। सभी पाठों की योजनाओं में आपको निम्न बातों के बारे में स्पष्ट रहना होगा:
आप शिक्षण को सक्रिय और रोचक बनाना चाहेंगे ताकि विद्यार्थी सहज और उत्सुक महसूस करें। इस बात पर विचार करें कि पाठों की श्रंखला में विद्यार्थियों से क्या करने को कहा जाएगा ताकि आप न केवल विविधता और रुचि बल्कि लचीलापन भी बनाए रखें। योजना बनाएं कि जब आपके विद्यार्थी पाठों की श्रंखला में से प्रगति करेंगे तब आप उनकी समझ की जाँच कैसे करेंगे। यदि कुछ भागों को अधिक समय लगता है या वे जल्दी समझ में आ जाते हैं तो समायोजन करने के लिए तैयार रहें। अलग-अलग पाठों की तैयारी करनापाठों की शृंखला को नियोजित कर लेने के बाद, प्रत्येक पाठ को उस प्रगति के आधार पर अलग से नियोजित करना होगा जो विद्यार्थियों ने उस बिंदु तक की है। आप जानते हैं या पाठों की शृंखला के अंत में यह आप जान सकेंगे कि विद्यार्थियों ने क्या सीख लिया होगा, लेकिन आपको किसी अप्रत्याशित चीज को फिर से दोहराने या अधिक शीघ्रता से आगे बढ़ने की जरूरत हो सकती है। इसलिए हर पाठ को अलग से नियोजित करना चाहिए ताकि आपके सभी विद्यार्थी प्रगति करें और सफल तथा सम्मिलित महसूस करें। पाठ की योजना के भीतर आपको सुनिश्चित करना चाहिए कि प्रत्येक गतिविधि के लिए पर्याप्त समय है और सभी संसाधन तैयार हैं, जैसे क्रियात्मक कार्य या सक्रिय समूहकार्य के लिए। बड़ी कक्षाओं के लिए सामग्रियों के नियोजन के हिस्से के रूप में आपको अलग अलग समूहों के लिए अलग अलग प्रश्नों और गतिविधियों की योजना बनानी पड़ सकती है। जब आप नए विषय पढ़ाते हैं, आपको आत्मविश्वासी होने के लिए अभ्यास करने और अन्य अध्यापकों के साथ विचारों पर बातचीत करने के लिए समय की जरूरत पड़ सकती है। तीन भागों में अपने पाठों को तैयार करने के बारे में सोचें। इन भागों पर नीचे चर्चा की गई है। 1 परिचय पाठ के शुरू में, विद्यार्थियों को समझाएं कि वे क्या सीखेंगे और करेंगे, ताकि हर एक को पता रहे कि उनसे क्या अपेक्षित है। विद्यार्थी पहले से ही जो जानते हैं उन्हें उसे साझा करने की अनुमति देकर वे जो करने वाले हों उसमें उनकी रुचि पैदा करें। 2 पाठ का मुख्य भाग विद्यार्थी जो कुछ पहले से जानते हैं उसके आधार पर सामग्री की रूपरेखा बनाएं। आप स्थानीय संसाधनों, नई जानकारी या सक्रिय पद्धतियों के उपयोग का निर्णय ले सकते हैं जिनमें समूहकार्य या समस्याओं का समाधान करना शामिल है। उपयोग करने के लिए संसाधनों और उस तरीके की पहचान करें जिससे आप अपनी कक्षा में उपलब्ध स्थान का उपयोग करेंगे। विविध प्रकार की गतिविधियों, संसाधनों, और समयों का उपयोग पाठ के नियोजन का महत्वपूर्ण हिस्सा है। यदि आप विभिन्न पद्धतियों और गतिविधियों का उपयोग करते हैं, तो आप अधिक विद्यार्थियों तक पहुँचेंगे, क्योंकि वे भिन्न तरीकों से सीखेंगे। 3 सीखने की जाँचँच के साथ पाठ की समाप्ति हमेशा यह पता लगाने के लिए समय (पाठ के दौरान या उसकी समाप्ति पर) रखें कि कितनी प्रगति की गई है। जाँच करने का अर्थ हमेशा परीक्षा ही नहीं होता है। आम तौर पर उसे शीघ्र और उसी जगह पर होना चाहिए – जैसे नियोजित प्रश्न या विद्यार्थियों को जो कुछ उन्होंने सीखा है उसे प्रस्तुत करते देखना – लेकिन आपको लचीला होने के लिए और विद्यार्थियों के उत्तरों से आपको जो पता चलता है उसके अनुसार परिवर्तन करने की योजना बनानी चाहिए। पाठ को समाप्त करने का एक अच्छा तरीका हो सकता है शुरू के लक्ष्यों पर वापस लौटना और विद्यार्थियों को इस बात के लिए समय देना कि वे एक दूसरे को और आपको उस शिक्षण से हुई उनकी प्रगति के बारे में बता सकें। विद्यार्थियों की बात को सुनकर आप सुनिश्चित कर सकेंगे कि आपको पता रहे कि अगले पाठ के लिए क्या योजना बनानी है। पाठों की समीक्षा करनाहर पाठ का पुनरावलोकन करें और यह बात दर्ज करें कि आपने क्या किया, आपके विद्यार्थियों ने क्या सीखा, किन संसाधनों का उपयोग किया गया और सब कुछ कितनी अच्छी तरह से संपन्न हुआ ताकि आप अगले पाठों के लिए अपनी योजनाओं में सुधार या उनका समायोजन कर सकें। उदाहरण के लिए, आप निम्न का निर्णय कर सकते हैं:
सोचें कि आप विद्यार्थियों के सीखने में मदद के लिए क्या योजना बना सकते थे या अधिक बेहतर कर सकते थे। जब आप हर पाठ को ध्यानपूर्वक पढ़ंगे आपकी पाठ संबंधी योजनाएं अपरिहार्य रूप से बदल जाएंगी, क्योंकि आप हर होने वाली चीज का पूर्वानुमान नहीं कर सकते। अच्छे नियोजन का अर्थ है कि आप जानते हैं कि आप शिक्षण को किस तरह से करना चाहते हैं और इसलिए जब आपको अपने विद्यार्थियों के वास्तविक अधिगम के बारे में पता चलेगा तब आप लचीले ढंग से उसके प्रति अनुक्रिया करने को तैयार रहेंगे। संसाधन 3: प्रगति और कार्यप्रदर्शन का आकलन करनाछात्रों के अधिगम का मूल्यांकन करने के दो उद्देश्य हैं:
निर्माणात्मक मूल्यांकन अधिगम को बढ़ाता है, क्योंकि सीखने के लिए, अधिकांश छात्रों को:
शिक्षक के रूप में, अगर आप प्रत्येक पाठ में उपर्युक्त चार बिंदुओं पर ध्यान देंगे, तो आप अपने विद्यार्थियों से सर्वश्रेष्ठ परिणाम प्राप्त करेंगे। इस प्रकार पढ़ाने से पहले, पढ़ाते समय और पढ़ाने के बाद मूल्यांकन किया जा सकता है:
पहले: आपके छात्र क्या सीखेंगे इस बारे में स्पष्ट रहनाजब आप तय करते हैं कि छात्रों को पाठ या पाठों की श्रंखला में क्या सीखना चाहिए, तो आपको उसे उनके साथ साझा करना चाहिए। सावधानी से अंतर करें कि छात्रों को आप क्या करने के लिए कह रहे हैं, और छात्रों से क्या सीखने की उम्मीद की जा रही है। ऐसा प्रश्न पूछिये जिससे कि आपको इस बात का आकलन करने का अवसर प्राप्त हो कि क्या उन्होंने वाक़ई समझा है या नहीं। उदाहरण के लिए: छात्रों को जवाब देने से पहले सोचने के लिए कुछ सेकंड दें, या शायद छात्रों को पहले जोड़े या छोटे समूहों में अपने जवाब पर चर्चा करने को कहें। जब वे आपको अपना उत्तर बताएँ, आप जान जाएँगे कि क्या वे समझते हैं कि उन्हें क्या सीखना है। पहले: जानना कि छात्र अपने अधिगम के किस स्तर पर हैंअपने विद्यार्थियों में सुधार लाने के लिए, आपको व आपके विद्यार्थियों को उनकी वर्तमान स्थिति को जानना आवश्यक है।
कहाँ से शुरुआत करनी है, यह जानने का मतलब है कि आप अपने छात्रों के लिए प्रासंगिक और रचनात्मक रूप से पाठ की योजना बना सकते हैं। यह भी महत्वपूर्ण है कि आपके छात्र यह मूल्यांकन करने में सक्षम हों कि वे कितनी अच्छी तरह सीख रहे हैं, ताकि आप और वे, दोनों जान सकें कि उन्हें आगे क्या सीखने की ज़रूरत है। आपके छात्रों को स्वयं अपने शिक्षण का भार उठाने का अवसर प्रदान करने से उन्हें आजीवन शिक्षार्थी बनाने में मदद मिलेगी। पढ़ाते समय: शिक्षा में छात्रों की प्रगति सुनिश्चित करनाजब आप छात्रों से उनकी वर्तमान प्रगति के बारे में बात करते हैं, तो सुनिश्चित करें कि उन्हें आपका फीडबैक उपयोगी और रचनात्मक, दोनों लगे। निम्नांकित के द्वारा इस काम को करें:
आपको छात्रों के लिए उनके अधिगम को बेहतर बनाने के लिए अवसर मुहैया कराने की ज़रूरत पड़ेगी। इसका अर्थ यह हुआ कि पढ़ाई के मामले में छात्रों के वर्तमान स्तर और जहाँ आप उन्हें देखना चाहते हैं, इसके बीच के अंतराल को पाटने के लिए हो सकता है कि आपको अपनी पाठ योजना को संशोधित करना पड़े। ऐसा करने के लिए आपको निम्नवत करना होगा:
पाठों की रफ़तार को धीमा करके, अक्सर आप पढ़ाई को वास्तव में तेज़ करते हैं, क्योंकि आप छात्रों को यह सोचने और समझने का समय और आत्मविश्वास देते हैं कि उन्हें सुधार लाने के लिए क्या करने की ज़रूरत है। छात्रों को आपस में अपने काम के बारे में बात करने का मौक़ा देकर, और इस बात पर चिंतन करके कि अंतर कहाँ पर है और वे इसे किस प्रकार से ख़त्म कर सकते हैं, आप उन्हें स्वयं का आकलन करने के तरीक़े उपलब्ध करा रहे हैं। पढ़ाने के बाद: प्रमाण एकत्रित करना और उसकी व्याख्या करना, और आगे की योजना बनानाजब शिक्षण अधिगम चल रहा हो तब कक्षा-कार्य और गृह-कार्य निर्धारित करने के बाद आप के लिए ज़रूरी है कि:
मूल्यांकन की चार प्रमुख स्थितियों की नीचे चर्चा की गई है। सूचना या प्रमाण एकत्रित करनाप्रत्येक छात्र, स्वयं स्कूल के अंदर और बाहर अलग प्रकार से अपनी गति से और अपनी शैली में सीखता है। इसलिए, छात्रों का मूल्यांकन करते समय आपको दो काम करने होंगे:
अभिलेखनभारत भर के सभी स्कूलों में रिकॉर्डिंग का सबसे आम स्वरूप रिपोर्ट कार्ड के उपयोग के माध्यम से होता है, लेकिन इसमें आपको एक छात्र के सीखने या व्यवहार के सभी पहलुओं को रिकॉर्ड करने की व्यवस्था नहीं होती है। इस काम को करने के कुछ सरल तरीक़े हैं, जिन पर भी आप विचार कर सकते हैं, जैसे कि:
प्रमाण की व्याख्यासूचना और प्रमाण एकत्रित और अभिलिखित हो जाने के बाद, उसकी व्याख्या करना ज़रूरी है, ताकि यह समझा जा सके कि प्रत्येक छात्र किस प्रकार सीख रहा है और प्रगति कर रहा है। इस पर सावधानी से विचार करने और विश्लेषण की आवश्यकता होगी। फिर इन निश्कर्शों के आधार पर काम करते हुए आप विद्यार्थियों को फीडबैक देकर, नए संसाधन खोजकर, समूहों को पुनर्व्यवस्थित कर या किसी अधिगम बिन्दु को दोहराकर अधिगम को बेहतर करने का प्रयास कर सकते हैं। सुधार के लिए योजना बनानामूल्यांकन, ऐसी विशिष्ट और विविध अधिगम गतिविधियों की स्थापना द्वारा प्रत्येक छात्र को सार्थक रूप से सीखने के अवसर प्रदान करने में आपकी सहायता कर सकते हैं जिसमें आप जरूरतमंद विद्यार्थियों पर अधिक ध्यान देने के साथ–साथ प्रतिभाशाली विद्यार्थियों को चुनौतीपूर्ण कार्य के अवसर प्रदान कर सकते हैं। संसाधन 4: अध्याय योजना – भारत के बच्चों के नाम एक पत्रआप इस अध्याय योजना की संरचना का उपयोग किसी भी पाठ या गद्यांश के साथ कर सकते हैं। इसके विभिन्न अंगों को एक ही कक्षा में, या कई कक्षाओं में संचालित किया जा सकता है। पठन–पूर्व
सुझाव: याद रखें कि यह चरण विचार प्राप्त करने और पाठ के लिए तैयारी करने के बारे में है। गलतियों पर ध्यान न दें। बल्कि विषय–वस्तु पर ध्यान दें; यानी, वह सुझाव जो आपके छात्र दे रहे हैं। पढ़ते समय
सुझाव: यह आपके लिए यह देखने का अवसर है कि आपके छात्रों ने पत्र को कितनी अच्छी तरह से समझा है। कोई बात नहीं यदि उन्होंने पाठ के हर शब्द को नहीं समझा है, लेकिन आपको यह देखना है कि उन्होंने सबसे महत्वपूर्ण बातें समझ ली हैं। क्या आपके अधिकांश छात्र उस सुझाव सलाह को खोज पाए हैं जो नेहरूजी देते हैं? , तो वह क्या चीज़ है जो उन्हें समझने से रोक रही है? आप उनकी सहायता कैसे कर सकते हैंयदि नहीं? कुछ छात्रों ने दूसरों से अधिक समझा है। शायद वे समझा सकते हैं। पठनोपरान्त
सुझाव: किसी पाठ के मूल अंश के बारे में बोलने और लिखने की गतिविधियाँ आपके छात्रों को उसमें प्रयुक्त भाषा का अभ्यास करने का अच्छा अवसर प्रदान करती हैं। यहाँ यदि आप चाहते हैं तो भाषा के सटीक उपयोग पर ध्यान दे सकते हैं। इस प्रकार की गतिविधियाँ छात्रों को पाठ्यपुस्तक के अध्यायों के प्रति अनुक्रिया करने, और उन्हें अपने जीवन के साथ संबंधित करने का अवसर भी देती हैं। संसाधन 5: स्वयं अपनी अंग्रेज़ी का विकास करेंHere are some tips and links for developing your own reading skills:
निम्नलिखित साधन आपके लिए उपयोगी हो सकते हैं–
अतिरिक्त संसाधनReferencesGupta, S.P. (ed.) (2012) English (A Textbook for Class X), revd edn (revised by K.D. Upadhyay). Noida: Banwari Lal Kaka & Sons (Publishers). National Focus Group on Teaching of English © National Council of Educational Research and Training, 2006. Acknowledgementsअभिस्वीकृतियाँतृतीय पक्षों की सामग्रियों और अन्यथा कथित को छोड़कर, यह सामग्री क्रिएटिव कॉमन्स एट्रिब्यूशन–शेयरएलाइक लाइसेंस के अंतर्गत उपलब्ध कराई गई है (http://creativecommons.org/licenses/by-sa/3.0/)। नीचे दी गई सामग्री मालिकाना हक की है तथा इस परियोजना के लिए लाइसेंस के अंतर्गत ही उपयोग की गई है, तथा इसका Creative Commons लाइसेंस से कोई वास्ता नहीं है। इसका अर्थ यह है कि इस सामग्री का उपयोग अननुकूलित रूप से केवल TESS-India परियोजना के भीतर किया जा सकता है और किसी भी बाद के OER संस्करणों में नहीं। इसमें TESS-India, OU और UKAID लोगो का उपयोग भी शामिल है। इस यूनिट में सामग्री को पुनः प्रस्तुत करने की अनुमति के लिए निम्न स्रोतों का कृतज्ञतापूर्ण आभारः गतिविधि 1: पाठ्यपुस्तक अंग्रेजी में बेन जॉनसन की ’द परफेक्ट लाइफ’: [Activity 1: ‘The Perfect Life’ by Ben Jonson, in the textbook English:] कक्षा 10, NCERT के लिए एक पाठ्यपुस्तक। [A Textbook for Class X, NCERT] ’यह इकाई किस बारे में है’/वृत्त अध्ययन 1: UPS कल्लि पश्चिम के अध्यापक। [‘What this unit is about’/Case Study 1: teacher from UPS Kalli Paschim.] अनुमति प्रदान की गई। [Permission granted.] फोटोः [Photo:] किम ऐशमोर। [Kim Ashmore.] संसाधन 1: नेहरू, जे. (1949) ’भारत के बच्चों के नाम एक पत्र’, 3 दिसंबर। [Nehru, J. (1949) ‘A letter to the children of India’, 3 December.] कॉपीराइट के स्वामियों से संपर्क करने का हर प्रयास किया गया है। यदि किसी को अनजाने में अनदेखा कर दिया गया है, तो पहला अवसर मिलते ही प्रकाशकों को आवश्यक व्यवस्थाएं करने में हर्ष होगा। वीडियो (वीडियो स्टिल्स सहित): भारत भर के उन अध्यापक शिक्षकों, मुख्याध्यापकों, अध्यापकों और छात्रों के प्रति आभार प्रकट किया जाता है जिन्होंने उत्पादनों में दि ओपन यूनिवर्सिटी के साथ काम किया है। जो शब्द सबसे कम समझ में आते हैं और जिन का प्रयोग होता है सबसे अधिक होने क्या कहते हैं?इन दो शब्दों के साथ जब अनेक विशेषण लग जाते हैं, उदाहरण के लिए जैसे भौतिक-सभ्यता और आध्यात्मिक - सभ्यता, तब दोनों शब्दों का जो थोड़ा बहुत अर्थ समझ में आया रहता है, वह भी गलत-सलत हो जाता है।
क्षेत्रीय शब्द से आप क्या समझते हैं उत्तर?साथ-साथ प्रयोग की ओर संकेत करता है। अन्य क्षेत्रों में क्षेत्रीय संस्कृतियाँ, क्षेत्रीय धार्मिक परंपराओं से विकसित हुई थीं। इस प्रक्रिया का सर्वोत्तम उदाहरण है - पुरी, उड़ीसा में जगन्नाथ का संप्रदाय (जगन्नाथ का शाब्दिक अर्थ है, दुनिया का मालिक जो विष्णु का पर्यायवाची है) ।
मानव संस्कृति में माता पिता को क्या कहा गया है?दक्ष प्रजापति (प्रथम) और उनकी पत्नी प्रसुति तथा स्वायम्भुव मनु और उनकी पत्नी शतरूपा होमो सेपियन्स के आदि माता- पिता कहे गये हैं। मानव शब्द का मतलब ही स्वायम्भुव मनु की सन्तान है। मनुर्भरत अर्थात स्वायम्भुव मनु के वंशज चक्रवर्ती भरत की सन्तान जो भारतीय हैं वे मानव हैं।
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