बहुविकल्पात्मक प्रश्न1. जूझ साहित्य की किस विधा में लिखा गया है ? Show 4. लेखक का दादा कोल्हू जल्दी क्यों चलाता था ? 7. राव सरकार ने दादा को किस -किस बात के लिए डांटा ? 19. आनंदा भैंस की पीठ पर क्या करता था ? (क) उसकी मराठी भाषा सुधरने लगी (ख) वह लिखते समय सचेत रहने लगा 37. बसंत पाटिल किस विषय में होशियार था ? For Class : XII हिंदी (कोर) 002पाठ्यक्रम 2021-2022आरोह (भाग–2) कविता खंड (अंक भार : कुल – 15) This slideshow requires JavaScript. Advertisement Relatedजूझ कहानी का संदेश क्या है?'जूझ' में लेखक यह कहना चाहता है कि व्यक्ति को संघर्ष से नहीं घबराना चाहिए। समस्याएँ तो जीवन में आती ही रहती हैं। हमें इन समस्याओं से भागना नहीं चाहिए बल्कि उनका मुकाबला करना चाहिए। संघर्षों से जूझने के लिए आत्मविश्वास का होना जरूरी है।
जूझ कहानी हमें क्या प्रेरणा देती है?'जूझ' कहानी में लेखक के मन में कविताएँ रचने का प्रेरणा-स्रोत उसका शिक्षक सौंदलगेकर रहे हैं। वस्तुत: शिक्षक का दायित्व बड़ा होता है। कविता रस, लय, छद के आधार पर पढ़ाई व गाई जाती है। यदि शिक्षक का गला सुरीला है तथा उसे छद, अलंकार, लय व ताल आदि का ज्ञान होता है तो बच्चों में कविता सुनने व रचने की इच्छा जाग्रत होती है।
जूझ कहानी के लेखक में कौन सी विशेषता?वह स्वयं व्यक्तिगत स्तर पर, पारिवारिक स्तर पर, सामाजिक स्तर पर, विद्यालय के माहौल के स्तर पर, आर्थिक स्तर पर आदि इस तरह के कई स्तर पर उसका संघर्ष दिखाई देता है। स्पष्ट है कि यह शीर्षक कथानायक के पढ़ाई के प्रति जूझने की भावना को उजागर करता है। लेखक ने अपनी आत्मकथा अपनी इसी चारित्रिक विशेषता को केन्द्र में रखकर की है।
जूझ कहानी में लेखक ने क्या सन्देश दिया है?'जूझ' का अर्थ है-संघर्ष। इसमें कथा नायक आनंद ने पाठशाला जाने के लिए संघर्ष किया। यह एक किशोर के देखे और भोगे हुए गाँवई जीवन के खुरदरे यथार्थ व परिवेश को विश्वसनीय ढंग से व्यक्त करता है। इसके अतिरिक्त, आनंद की माँ भी अपने स्तर पर संघर्ष करती है।
|