सभी सजीव प्राणियों के लिए जल बहुत महत्वपूर्ण यौगिक है। मानव शरीर का 65% भाग जल होता है। परंतु कुछ पेड़ पौधों में लगभग 95% जल होता है। अतः जीवो को जीवित रखने के लिए जल एक महत्वपूर्ण यौगिक है। Show जल के भौतिक गुण
जल के रासायनिक गुण1. जल एक उभयधर्मी ऑक्साइड है अतः यह अम्ल तथा क्षार दोनों रूपों में व्यवहार करता है। यह हम अम्लों के प्रति प्रोटोन ग्राही तथा क्षारकों के प्रति प्रोटोन दाता के रूप में कार्य करता है। 2. जल उदासीन यौगिक है इसका लिटमस पेपर पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है। 4. अम्लीय ऑक्साइड जल से अभिक्रिया करके ऑक्सी अम्ल बनाती हैं। पढ़ें… हाइड्राइड किसे कहते हैं यह कितने प्रकार के होते हैं, आयनिक, अंतराकाशी, इलेक्ट्रॉन न्यून जल की संरचनापानी एक सहसंयोजी यौगिक है जो कि दो हाइड्रोजन एवं एक ऑक्सीजन के आपस में सहसंयोजी बंध से बना होता है। जल की लुईस एवं आण्विक संरचना को नीचे दर्शाया गया है। जल का आबंध कोण 104.5 होता है। जल अणु अत्याधिक ध्रुवीय होता है। क्योंकि ऑक्सीजन की विद्युत ऋणात्मकता बहुत अधिक होती है। ऑक्सीजन परमाणु पर आंशिक ऋणावेश (δ–) तथा हाइड्रोजन परमाणु पर आंशिक धनावेश (δ+) होता है। स्थायी कठोरताः जल की कठोरता यदि जल को उबालने से दूर नहीं होती है, तो इस प्रकार की कठोरता स्थायी कठोरता कहलाती है। जल की स्थायी कठोरता उसमें कैल्शियम और मैग्नीशियम के सल्फेट, क्लोराइड, नाइट्रेट आदि लवणों के घुले रहने के कारण होती है।ऐसे जल को कठोर जल, (Hard water) कहते हैं जिसमें खनिज लवणों की अधिकता हो। इसमें कैल्शियम व मैग्नीशियम के बाइकार्बोनेट व कार्बोनेट उपस्थित रहते हैं। इसकी सरल पहचान है कि यह साबुन के साथ फेन (झाग) उत्पन्न नही करता। ध्यान रहे कि ‘भारी जल’ अलग चीज है। इंस्टाग्राम पर फोलो करें आईडी Me Rajput Sonu plz सपोर्ट करे ❣️❣️ आम प्रयोग में ‘उच्च-टीडीएस जल’ को ‘कठोर जल’ के समानर्थी के रूम में इस्तेमाल किया जाता है। वैज्ञानिक प्रयोग में उच्च टीडीएस जल का मतलब उसमें घुले सोडियम, पोटेशियम, कैल्शियम, मैग्नीशियम, कार्बोनेट. बाईकार्बोनेट, क्लोराइड, सल्फेट जैसे पदार्थों की घुली मात्रा से है। दूसरी ओर जल की कठोरता से मतलब कैल्शियम और मैग्नीशियम से है जिसे मिलीग्राम/लीटर से व्यक्त किया जाता है। कठोरता की मात्रा के अनुसार अगर इसकी मात्रा 60 से कम होती है तो उसे 'मृदु जल' (सॉफ्ट वाटर) कहा जाता है। 61 से 120 के बीच होने पर थोड़ा कठोर और 121 से 180 के बीच होने पर कठोर और 180 से अधिक होने पर बहुत कठोर कहा जाता है। ऐसे में कठोरता और उच्च टीडीएस को समानार्थक के रूप में न इस्तेमाल करना ही बेहतर है ताकि भ्रम की स्थिति से बचा जा सके। कठोर जल उसे कहा जाता है जिसमें कैल्शियम और मैगनीशियम की मात्रा अधिक होती है। वर्षा का पानी जब चट्टानों और मैदान से होकर गुज़रता है तो उसमें ये खनिज घुलते जाते हैं। विभिन्न अनुसंधानों से ये पता चला है कि अगर आपके आहार में कैल्शियम अधिक है तो आपकी हड्डियाँ मज़बूत रहेंगी। जहाँ तक मैगनीशियम का सवाल है उससे मांसपेशियों की कमज़ोरी, अवसाद और ऊँचाई के डर को रोका जा सकता है। अगर हमारे शरीर में मैगनीशियम की कमी हो जाए तो उससे हमारा विकास धीमा पड़ जाता है, हमारे गुरदे प्रभावित होते हैं और हमारे बाल झड़ने लगते हैं। इसलिए कठोर जल का सेवन स्वास्थ्य के लिए हितकर ही है। हाँ, इससे हमारी त्वचा रूखी ज़रूर हो जाती है और हमारे बालों को भी ये नुक़सान करता है। यह साबुन के साथ झाग उत्पन्न नहीं करता है। जल की कठोरता | जल की कठोरता कितने प्रकार की होती है
जल की कठोरता | जल की कठोरता कितने प्रकार की होती है ◆ जल एक यौगिक (Compound) है। इसमें हाइड्रोजन व ऑक्सीजन का अनुपात भार के अनुपात में 1:8 एवं आयतन के अनुपात में 2:1 होता है। ◆ जल दो प्रकार का होता है- 1. मृदु जल (Soft Water) एवं 2. कठोर जल (Hard Water)। 1. मृदु जल (Soft Water) जो जल साबुन के साथ आसानी से झाग देता है और पीने में उपयुक्त होता है, उसे मृदु व शुद्ध जल कहते हैं। 2. कठोर जल (Hard Water) ◆ वह जल जिसमें साबुन आसानी से झाग नहीं देता है और पीने में उपयुक्त नहीं होता है, उसे कठोर जल कहते हैं। ◆ जल की कठोरता : जल की कठोरता, जल में कैल्सियम और मैग्नीशियम के घुलनशील लवणों (बाईकार्बोनेट, सल्फेट, क्लोराइड आदि) के कारण होती है। जल की कठोरता को दूर करने के लिए इसमें सोडियम कार्बोनेट (Na₂CO₃) मिलाया जाता है। जल की कठोरता से आप क्या समझते है?ऐसा जल जिसमें साबुन के साथ अधिक झाग उत्पन्न नहीं होता है, कठोर जल कहलाता है। जल की कठोरता को जल में घुलित आयनों, मुख्यतः कैल्शियम (Ca+2) एवं मैग्नीशियम (Mg+2) के लवणों की सान्द्रता के रूप में व्यक्त किया जाता है। जल में इन आयनों की उपस्थिति का कारण इनके खनिज हैं जैसे कि डोलोमाइट, मैग्नेसाइट, कैल्साइट इत्यादि।
जल में कठोरता के क्या कारण हैं यह कितने प्रकार की होती है ?`?जल की कठोरता उसमें घुले लवणों के आधार पर दो प्रकार की होती है (1) अस्थायी कठोरता, और (2) स्थायी कठोरता । - 1. अस्थायी कठोरता : ऐसी कठोरता जो जल में घुले कैल्शियम एवं मैग्नीशियम के बाई - कार्बोनेट लवणों के कारण होती है, अस्थायी कठोरता कहलाती है।
पानी की कठोरता क्या है इसे कैसे व्यक्त किया जाता है?जल की कठोरता मुख्यतः जल में उपस्थित कैल्सियम और मैग्नीशियम लवणों के कारण होती है। इसे पीपीएम (मि. ग्रा./ लीटर) में व्यक्त किया जाता है।
जल की कठोरता का क्या कारण है स्थाई कठोरता कैसे दूर करेंगे?स्थायी कठोरता जल में क्लोराइड और सल्फेट के रूप में मैग्नीशियम और कैल्शियम के घुलनशील लवणों की उपस्थिति के कारण होती है। उबालने से स्थायी कठोरता दूर नहीं होती है। इस विधि भी जिओलाइट/पेरमुटाईट प्रक्रिया कहा जाता है। इस विधि में रेजिन का उपयोग करके जल की स्थायी कठोरता को दूर किया जाता है।
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