Show इस पोस्ट में हम सिगमंड फ्रायड का मनोविश्लेषण सिद्धांत (Sigmund Freud Theory In Hindi)आप सभी के साथ शेयर कर रहे हैं सिगमंड फ्रायड ऐसे प्रथम मनोवैज्ञानिक है, जिन्होंने मूल प्रवृत्तियों को मानव व्यवहार का निर्धारित तत्व माना। फ्रायड के व्यक्तित्व संबंधी विचारों को मनोलैंगिक विकास का सिद्धांत भी कहा जाता है।इसके साथ ही सिगमंड फ्रायड ने दो प्रकार की मूल प्रवृत्तियां बताई है। सिगमंड फ्रायड का मनोविश्लेषण सिद्धांत (Sigmund Freud’s Psychoanalytic Theory)प्रतिपादक- सिगमंड फ्रायड निवासी- ऑस्ट्रिया (वियना) 1856-1939 यह सिद्धांत सिगमंड फ्रायड ने दीया, इन्होंने अपने सिद्धांत को समझाने के लिए मन के तीन स्तर बताएं जो इस प्रकार है। 1. चेतन मन ( 10%),1\10 भाग 2. अर्द्ध चेतन मन 3. अचेतन मन (90%),9\10 भाग (1)चेतन मन- यह मन वर्तमान से संबंधित है। (2) अर्द्ध चेतन मन – ऐसा मन जिसमें याद होते हुए भी याद ना आए कोई भी चीज, पर जब मन पर ज्यादा जोर दिया जाए तो यह ( कोई भी चीज) याद आ जाता है। (3) अचेतन मन – जो मन चेतना में नहीं होता, यह दुखी, दम्भित इच्छाओं का भंडार होता है। 1. Id (इदम् ) 2. Ego (अहम् ) 3. Super ego (पराअहम्) 1. Id (इड़) इदम्
2. Ego (अहम् )
3. Super ego (पराअहम्)
सिगमंड फ्रायड ने दो प्रकार की मूल प्रवृत्तियां बताए हैं। (1) जीवन मूल प्रवृत्ति – यह जीने के लिए साधन जुटाने के लिए अभी प्रेरित करती है। यह जीवन मूल प्रवृत्ति के शारीरिक व मानसिक दोनों पक्षों का प्रतिनिधित्व करती है। इसमें काम, वासना, भूख, व्यास शामिल है। (2) मृत्यु मूल प्रवृत्ति- इस मूल प्रवृत्ति को घृणा मूल प्रवृत्ति भी कहा जाता है। इसका संबंध विनाश से है। यह मूल प्रवृत्ति जीवन मूल प्रवृत्ति के विपरीत कार्य करती है। इसमें व्यक्ति आक्रामक व विध्वंसक कार्य कर सकता है। इसको प्राइड ने थेनाटोस कहा है। मन की तुलना बर्फ से ” फ्रायड ने मन की तुलना बर्फ से की है। जैसे बर्फ को अगर पानी में डालते हैं, तो उसका 90% भाग पानी में तथा 10% भाग बाहर रहता है।”
चेतन और अचेतन की बीच की अवस्था अर्द्ध चेतन होती है। 1. मौखिक अवस्था – जन्म से 1 वर्ष तक 2. गुदा अवस्था – 2 से 3 वर्ष 3. लैंगिक अवस्था- 4 से 5 वर्ष 4. सुषुप्त अवस्था – 6 से 12 वर्ष 5. जननी अवस्था – 12 से 20 वर्ष ओडीपस व एलेक्ट्रा ग्रंथि
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मूल प्रवृत्ति का मतलब क्या होता है?मूल प्रवृत्तियाँ, अंतर्नोद, चित्र 9.1 : अभिप्रेरणात्मक चक्र अध्याय 9• अभिप्रेरणा एवं संवेग 2022-23 177 Page 3 आवश्यकता है। आवश्यकता अंतर्नोद को जन्म देती है। किसी आवश्यकता के कारण जो तनाव या उद्वेलन उत्पन्न होता है. वही अंतनोंद है।
मूल प्रवृत्ति कौन कौन सी है?मूल प्रवृत्तियाँ के चौदह प्रकार. पलायन----भय. युयुत्सा----क्रोध. निवृत्ति----घृणा. पुत्रकामना----वात्सल्य. शरणागत----करूणा. काम प्रवृत्ति----कामुकता. जिज्ञासा----आश्चर्य. दीनता----आत्महीनता. मूल प्रवृत्तियां कितनी होती है?मानव की मूल प्रवृत्तियां 14 होती हैं. मूल प्रवृत्तियों का सिद्धांत विलियम मैकडूगल (William McDougall) ने दिया था. प्रत्येक मूल प्रवृत्ति से एक संवेग संबंधित होता है.
मूल प्रवृत्ति के जनक कौन है?सर्वप्रथम मूल प्रवृति का सम्प्रत्यय का प्रयोग विलियम जेम्स द्वारा किया गया। लेकिन पूर्ण एवं व्यवस्थित रूप से इस सिद्धांत का प्रतिपादन विलियम मैक्डूगल द्वारा किया गया इसलिए विलियम मैक्डूगल को मूल प्रवृत्ति का जनक कहा जाता है।
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