कबीर दास के 10 दोहे Class 10? - kabeer daas ke 10 dohe chlass 10?

कबीर के दोहे Class 10?

व्याख्या -: कबीर जी कहते हैं कि जब इस हृदय में 'मैं ' अर्थात मेरा अहंकार था तब इसमें परमेश्वर का वास नहीं था परन्तु अब हृदय में अहंकार नहीं है तो इसमें प्रभु का वास है। जब परमेश्वर नमक दीपक के दर्शन हुए तो अज्ञान रूपी अहंकार का विनाश हो गया। सुखिया सब संसार है , खायै अरु सोवै। दुखिया दास कबीर है , जागै अरु रोवै।।

कबीर की साखी class 10 Summary?

भावार्थ – संत कबीर कहते हैं की निंदा करने वाले व्यक्ति को सदा अपने पास रखना चाहिए, हो सके तो उसके लिए अपने पास रखने का प्रबंध करना चाहिए ताकि हमें उसके द्वारा अपनी त्रुटियों को सुन सकें और उसे दूर कर सकें। इससे हमारा स्वभाव साबुन और पानी की मदद के बिना निर्मल हो जाएगा। पोथी पढ़ि-पढ़ि जग मुवा, पंडित भया ना कोइ।

कबीर दास के 10 दोहे अर्थ सहित?

तो मित्र चलिए जानते हैं संत कबीर दास के 10 दोहे अर्थ सहित.
दुर्लभ मानुष जन्म है, देह न बारम्बार, ... .
जिन खोजा तिन पाइया, गहरे पानी पैठ, ... .
जाति न पूछो साधु की, पूछ लीजिये ज्ञान, ... .
धीरे-धीरे रे मना, धीरे सब कुछ होय, ... .
साईं इतना दीजिये, जा मे कुटुम समाय ... .
ते दिन गए अकारथ ही, संगत भई न संग ।.

कबीर के 200 दोहे अर्थ सहित?

कबीर दास जी के प्रसिद्द दोहे हिंदी अर्थ सहित.
अर्थ: जब मैं इस संसार में बुराई खोजने चला तो मुझे कोई बुरा न मिला। ... .
अर्थ: बड़ी बड़ी पुस्तकें पढ़ कर संसार में कितने ही लोग मृत्यु के द्वार पहुँच गए, पर सभी विद्वान न हो सके। ... .
अर्थ: इस संसार में ऐसे सज्जनों की जरूरत है जैसे अनाज साफ़ करने वाला सूप होता है। ... .