संत कबीर के दोहे Kabir ke dohe in Hindi साधु ऐसा चाहिए, जैसा सूप सुभाय, Show भावार्थ: इस संसार में ऐसे सज्जनों की जरूरत है जैसे अनाज साफ़ करने वाला सूप होता है। जो सार्थक को बचा लेंगे और निरर्थक को उड़ा देंगे। saadhu aisa chaahie, jaisa soop subhaaya, bhaavaarth: is samsaar mein aise sajjanom ki jaroorat hai jaise anaaj saaf karane vaala soop hota hai. jo saarthak ko bacha lenge aur nirarthak ko ura denge.
साधु ऐसा चाहिए, जैसा सूप सुभाय, सार-सार को गहि रहै, कबीरदास का दोहा साधु ऐसा चाहिए?सार-सार को गहि रहै, थोथा देई उड़ाय। भावार्थ: इस संसार में ऐसे सज्जनों की जरूरत है जैसे अनाज साफ़ करने वाला सूप होता है। जो सार्थक को बचा लेंगे और निरर्थक को उड़ा देंगे।
साधु से सूप की उपमा क्यों दी गई है?ठीक इसी प्रकार सच्चे साधु का भी स्वभाव होता है। वह भी व्यर्थ की बातों को छोड़ देता और अच्छी बातों को ग्रहण कर लेता है। इस प्रकार साधु का स्वभाव सूप से बिल्कुल मिलता-जुलता है। इसलिए साधु के स्वभाव की तुलना सूप के साथ की गई है।
संत कबीर दास जी के दोहे?कबीर के 10 बेहतरीन दोहे : देते हैं जिंदगी का असली ज्ञान. मैं जानूँ मन मरि गया, मरि के हुआ भूत | ... . भक्त मरे क्या रोइये, जो अपने घर जाय | ... . मैं मेरा घर जालिया, लिया पलीता हाथ | ... . शब्द विचारी जो चले, गुरुमुख होय निहाल | ... . जब लग आश शरीर की, मिरतक हुआ न जाय | ... . मन को मिरतक देखि के, मति माने विश्वास | ... . कबीर मिरतक देखकर, मति धरो विश्वास |. |