विषयसूची कुई के खुदाई का कार्य निम्नलिखित में कहाँ पर होता है?इसे सुनेंरोकेंराजस्थान रेतीला स्थान है वहां पर जल की समस्या रहती है । जमीन के नीचे खड़िया की कठोर परत को तलाशकर उसके ऊपर गहरी खुदाई की जाती है और विशेष प्रकार से चिनाई की जाती है। – चिनाई करने के बाद खड़िया की पट्टी पर रेत के कणों में रिस – रिसकर पानी एकत्रित हो जाता है। – पेय जल की आपूर्ति के उस साधन को कुइं कहते है। कुई की खुदाई चिनाई करते समय चेजारो अपने सिर पर टोपी क्यों पहनते है?इसे सुनेंरोकेंAnswer: चेजार सिर पर काँसे, पीतल या किसी अन्य धातु का एक बर्तन टोप की तरह पहनते हैं ताकि ऊपर से रेत, कंकड़-पत्थर से उनका बचाव हो सके। किसी-किसी स्थान पर ईट की चिनाई से मिट्टी नहीं रुकती तब कुंई को रस्से से बाँधा जाता है। कुंई की खुदाई को विशेष प्रक्रिया क्यों कहा गया है विस्तार से स्पष्ट कीजिए?इसे सुनेंरोकेंइन क्षेत्रों में कुंई खोदना एक विशेष प्रक्रिया है। इसमें छोटे से व्यास की तीस से साठ हाथ तक खुदाई और उसके साथ-साथ चिनाई करनी पड़ती है। खुदाई के समय ज़मीन की नमी और हवा के अभाव में दमघोंटू वातावरण रहता है। चिनाई के लिए ईंट-पत्थर या खींप की रस्सी गिराई जाती है। कुंई की खुदाई का काम क्या कहलाता है? इसे सुनेंरोकेंचेलवांजी यानी चेजारे,कुंई की खुदाई ओर एक विशेष तरह की चिनाई करने वाले दक्षतम लोग। यह काम चेजा कहलाता है। चेजारो जिस कुंई को बना रहे हैं, वह भी कोई साधारण ढांचा नहीं है। कुई यानी बहुत ही छोटा-सा कुआं। राजस्र्ान की कुं ई क्यों बनाई जाती हैं कुं ई सेजल लेनेकी प्रद्विया बताइए? इसे सुनेंरोकें➲ कुईं का संबंध राजस्थान से है। कुईं का व्यास छोटा इसलिये रखा जाता है, ताकि कम मात्रा का पानी ज्यादा फैल नहीं और ऊपर आसानी से निकल जाए। राजस्थान में कुईं का प्रचलन बहुत अधिक रहा है। कुईं राजस्थान जैसे कुछ क्षेत्रों में ही प्रचलित है जहाँ पानी की कमी होती है। भूजल का स्तर भी बेहद कम होता है। चेजारो अपने सिर की रछा कैसे करते है?इसे सुनेंरोकेंउत्तर- चेजारो अपने सिर पर काँसे, पीतल या अन्य किसी धातु के बर्तन को टोप की तरह पहन लेते हैं। यह टोप ऊपर से पड़े कंकड़-पत्थर या अन्य वस्तु से उनके सिर की रक्षा करता है। कोई का मुंह छोटा क्यों रखा जाता है कारण लिखिए?इसे सुनेंरोकेंराजस्थान में अलग-अलग स्थानों में एक विशेष कारण से कुंइयों की गहराई कुछ कम-ज्यादा होती है। कुंई का मुँह छोटा रखा जाता है। यदि कुंई का व्यास बड़ा होगा तो उसमें कम मात्रा का पानी ज्यादा फैल जाता है और तब उसे ऊपर निकालना कठिन होता है। निजी होते हुए भी: सार्वजनिक क्षेत्र में कुंइयों पर ग्राम्य समाज का अंकुश लगा रहता है। कुई की खुदाई कैसे की जाती है?इसे सुनेंरोकेंकुंई का व्यास बहुत कम होता है। इसलिए इसकी खुदाई फावड़े या कुल्हाड़ी से नहीं की जा सकती। बसौली से इसकी खुदाई की जाती है। यह छोटी डंडी का छोटे फावड़े जैसा औजार होता है जिस पर लोहे का नुकीला फल तथा लकड़ी का हत्था लगा होता है। इसे सुनेंरोकेंExplanation: चेलवांजी कुएँ की खुदाई व चिनाई करने वाले प्रशिक्षित लोग होते हैं। चेजारो कुई की खुदाई के समय अपने सिर पर टोपी क्यों धारण करते हैं? इसे सुनेंरोकेंAnswer: चेजार सिर पर काँसे, पीतल या किसी अन्य धातु का एक बर्तन टोप की तरह पहनते हैं ताकि ऊपर से रेत, कंकड़-पत्थर से उनका बचाव हो सके। कोई की खुदाई
कैसे की जाती है? इसे सुनेंरोकेंकुंई का व्यास बहुत कम होता है। इसलिए इसकी खुदाई फावड़े या कुल्हाड़ी से नहीं की जा सकती। बसौली से इसकी खुदाई की जाती है। यह छोटी डंडी का छोटे फावड़े जैसा औजार होता है जिस पर लोहे का नुकीला फल तथा लकड़ी का हत्था लगा होता है। कोई के मुंह पर गिरने क्यों लगाई जाती है?इसे सुनेंरोकेंइसके तीन कारण हैं। पहला रेत में जमा पानी से बूंदें धीरे-धीरे रिसती हैं। मुँह बड़ा होने पर कम पानी अधिक फैल जाता है, अत: उसे निकाला नहीं जा सकता। यदि कुंई गहरी हो तो पानी खींचने की सुविधा के लिए उसके ऊपर घिरनी या चकरी भी लगाई जाती है। कुई का निर्माण कौन करता है? इसे सुनेंरोकेंचेजारो के साथ गाँव समाज के व्यवहार में पहले की तुलना में आज क्या फ़र्क आया है, पाठ के आधार पर बताइए? उत्तर: ‘चेजारो’ अर्थात् चिनाई करने वाले। कुंई के निर्माण में ये लोग दक्ष होते हैं। राजस्थान में कोई किसे कहते हैं इसकी गहराई और व्यस्तता सामान्य को की गहराई और व्यास में क्या अंतर है? इसे सुनेंरोकेंइसकी गहराई और व्यास तथा सामान्य कुंओं की गहराई और व्यास में क्या अंतर होता है? उत्तर:- राजस्थान में रेत अथाह होने के कारण वर्षा का पानी रेत में समा जाता है फलस्वरूप नीचे की सतह पर नमी फ़ैल जाती है। इस चिनाई के बाद खड़िया की पट्टी पर रिस-रिस कर पानी एकत्र हो जाता है। इसी तंग गहरी जगह को कुंई कहा जाता है। रेजाणीपानी क्या है?इसे सुनेंरोकेंरेजाणीपानी- धरातल से नीचे उतरा, लेकिन पाताल में न मिलने वाला पानी रेजाणीपानी कहलाता है। वर्षा-जल को मापने के लिए ‘रेजा’ शब्द का उपयोग होता है और रेजा का माप धरातल पर हुई वर्षा को नहीं, धरातल में समाई वर्षा को मापता है। राजस्थान में कोई किसे कहते हैं इसकी गहराई और व्यास तथा सामान्य को की गहराई और व्यास में क्या अंतर है? इसे सुनेंरोकेंइसकी गहराई और व्यास तथा सामान्य कुओं की गहराई और व्यास में क्या अंतर होता है? राजस्थान में कुंई छोटे कुएँ को कहते हैं। यह छोटी केवल व्यास में होती है, गहराई में यह कुएँ से कम नहीं होती। राजस्थान में अलग-अलग स्थानों में एक विशेष कारण से कुंइयों की गहराई कुछ कम-ज्यादा होती है। कुई की खुदाई का काम क्या कहलाता?चेलवांजी यानी चेजारो, कुंई की खुदाई और एक विशेष तरह की चिनाई करने वाले दक्षतम लोग। यह काम चेजा कहलाता है।
कोई की खुदाई कौन करता है?बसौली से इसकी खुदाई की जाती है।
कुए की चिनाई करने वाले को क्या कहते हैं?कुंई की खुदाई और चिनाई करने वाले लोगों को चेलवांजी के नाम से जाना जाता है। लेखक अनुपम मिश्र जी कहते हैं कि चेलवांजी कुंई के भीतर काम कर रहे है, जो पसीने से तरबतर है। तीस-पैंतीस हाथ गहरी खुदाई हो चुकी है।
कुई के खुदाई का कार्य निम्नलिखित में कहाँ पर होता है?उत्तर – राजस्थान के रेतीले इलाके में पीने के पानी की बड़ी भारी समस्या है। वहाँ जमीन के नीचे खड़िया की कठोर परत को तलाशकर उसके ऊपर गहरी खुदाई की जाती है और विशेष प्रकार से चिनाई की जाती है। इस चिनाई के बाद खडिया की पट्टी पर रेत के कणों में रिस-रिसकर जल एकत्र हो जाता है। इस पेय जल आपूर्ति के साधन को कुंई कहते हैं।
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