भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए Show Kavita Kosh से गोपालदास "नीरज"
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कोई नहीं पराया कविता के लेखक कौन हैं *?कोई नहीं पराया (गोपालदास नीरज)/कक्षा -8/लिखित व्याख्या के साथ
कोई नहीं पराया कविता का मूल भाव क्या है?(ङ) 'कोई नहीं पराया' कविता का मूल भाव क्या है? 'कोई नहीं पराया' का मूल भाव है-बसुधैव कुटुम्बकम।
कवि मानवता पर अभिमान क्यों करता है?उत्तर कवि को प्रत्येक मनुष्य से प्रेम करता है इसलिए कवि को मानवता पर अभिमान है।
कोई नहीं पराया कविता द्वारा कवि क्या कहना चाहता है?उत्तर- कवि को मानवता पर इसलिए अभिमान है क्योंकि मुझे देवत्व नहीं मानवता अच्छी लगती है कवि कहते हैं कि कोई भी इंसान कहीं भी और कैसे भी रहता हो यदि उनमें इंसानियत है तो वह हमें प्रिय है।
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