टॉप स्पिन एक ऐसी डिलीवरी है, जिसका उपयोग उंगली और कलाई के स्पिनरों द्वारा किया जाता है। गेंद को उनकी उंगलियों के ऊपर से छोड़ा जाता है, जिससे वह बल्लेबाज की ओर हवा में आगे की ओर घूमती है। ऑफ स्पिनर काफी हद तक गेंद को ऑफ स्टंप पर या बाहर पिच करने की कोशिश करेगा, इस उम्मीद में कि बल्लेबाज टर्न पर खेलेगा। इसकी ग्रिप सामान्य साइड स्पिनर की तरह ही होती है। Show
इस तरह कलाई की स्पिन हो या फिंगर स्पिन दोनों में गेंदबाज गेंद को डिलीवरी से पहले अपनी उंगलियों से घुमाकर टॉप स्पिन प्रदान करता है। दोनों ही मामलों में, समझ लीजिए, टॉप स्पिनर एक तरह से स्टॉक डिलीवरी और ‘गलत टर्न’ के बीच की गेंद है, कलाई के स्पिनर के मामले में उसकी गुगली और फिंगर स्पिनर के मामले में उसका ‘दूसरा’। टॉप स्पिनर का नाम क्रिकेट के अतिरिक्त और कुछ खेलों में भी सुनने को मिलता है, एक टॉप स्पिनिंग क्रिकेट बॉल, टेनिस या टेबल टेनिस में टॉप स्पिन शॉट्स की तरह व्यवहार करती है। फॉरवर्ड स्पिन से गेंद अपने ऊपर की हवा को चीरती है, इससे गेंद के ऊपर और नीचे की हवा के दबाव में अंतर आ जाता है (इसे साइंस में मैग्नस इफेक्ट कहते हैं)। इसकी वजह से गेंद तेजी से नीचे की ओर गिरती है- किसी भी अन्य सामान्य गेंद से पहले और तेजी से। क्रिकेट के शब्दों में कहें तो इसका मतलब है कि गेंद शार्ट होती है, तेजी से गिरती है और बल्लेबाज की उम्मीद से ज्यादा बाउंस लेती है। इन खूबियों को क्रिकेट के शब्दों में “लूपिंग” या “लूपी” डिलीवरी के रूप में बताया जाता है। इसके अलावा, कलाई स्पिन या फिंगर स्पिन स्टॉक डिलीवरी की तुलना में गेंद सीधे जाती है। इसी में बल्लेबाज़ चकमा खाता है क्योंकि देखने में ये स्टॉक डिलीवरी की तरह है (जो हवा के दबाव में बाईं या दाईं ओर टर्न ले लेती है)। टॉप स्पिन फेंकते कैसे हैं? रिलीज़ : डिलीवरी में, टॉपस्पिनर की ग्रिप सामान्य साइड स्पिनर जैसी ही होती है। एक लेगस्पिनर के लिए गेंद को रिलीज़ करते समय हाथ का पिछला हिस्सा कवर रीजन और हथेली मिड विकेट रीजन के सामने होते हैं। एक ऑफ स्पिनर के लिए, ये दिशाएं उलट जाती हैं। इस तरह गेंद को रिलीज़ करते समय, बल्लेबाज़ की ओर जाते हुए सीम बिलकुल सीधी या तेजी से हिलती हुई होती है। एक स्पिनर अक्सर टॉप स्पिन और साइड स्पिन दोनों तरह की गेंदें फेंकता है। जब ये खूबी बराबर हो तो उस गेंद को आमतौर पर “ओवरस्पिनिंग” लेग ब्रेक या ऑफ ब्रेक कहा जाता है। टेनिस के एक टॉप स्पिन शॉट की तरह (गेंद ज्यादा बाउंस के साथ पिच से उछलती है) अक्सर बल्लेबाज को बैट या ग्लव्स पर ऊपर हिट करती है। इसे हाथ के एक तरफ से, लेग ब्रेक और गुगली के बीच में रिलीज़ कर दिया जाता है। ग्रिप : गेंद को सामान्य लेग ब्रेक की तरह पकड़ें- इंडेक्स और मिडिल उंगलियों के टॉप सीम के दोनों ओर होते हैं, गेंद तीसरी उंगली और अंगूठे के बीच टिकी रहती है। कलाई : एक टॉप स्पिनर के लिए गेंद की फ्लाइट के दौरान, कलाई फर्श से लगभग 90 डिग्री पर और सीम बल्लेबाज की ओर इशारा करेगी। गुगली की तरह गेंद छोड़ते समय हाथ का पिछला हिस्सा आसमान की ओर होना चाहिए। गेंद को बल्लेबाज के सामने सीम के साथ घड़ी की उलटी दिशा में घूमना चाहिए। तीसरी उंगली ये सारा काम करती है। टॉप स्पिन फेंकने के माहिर गेंदबाज़ ऊपर के ब्यौरे को पढ़कर ऐसा लगेगा कि इस गेंद को फेंकना आसान नहीं। ये सच है और माहिर/ अनुभवी गेंदबाज़ ही इस फेंकने की कोशिश करते हैं। आधुनिक दौर में अनिल कुंबले को टॉप स्पिन फेंकने वालों में नंबर 1 लेग स्पिनर माना जाता है। मुथैया मुरलीधरन इसमें एक ऑफ स्पिनर का उदाहरण हैं। इन दोनों ने इस गेंद का खूब उपयोग किया।
स्पिन गेंदबाजी क्रिकेट के खेल में गेंदबाजी के लिए प्रयोग की जाने वाली एक तकनीक है। इस तकनीक के माहिरों को स्पिन गेंदबाज या स्पिनर कहा जाता है। प्रयोजन[संपादित करें]स्पिन गेंदबाजी का मुख्य उद्देश्य गेंद को तेज़ घुमाव (रोटेशन) के साथ फेंकना होता है, ताकि पिच पर टप्पा खाने के बाद गेंद दिशा परिवर्तन करे और बल्लेबाज को उसे खेलने में कठिनाई हो। [1] इस विधा में गेंद की गति महत्वपूर्ण नहीं है, तथा तेज़ गेंदबाजी के मुकाबले में यह काफी कम होती है। आम तौर पर स्पिन गेंद की गति 70- 90 कि॰मी॰ प्र. घ.(45 -55 मील प्र. घ.) रहती है। तकनीकें[संपादित करें]एक ऑफ स्पिन गेंदबाजी. एक लेग स्पिन गेंदबाजी. गेंदबाज के हाथ के इस्तेमाल को देखते हुए स्पिन गेंदबाजी को चार अलग अलग श्रेणियों में बांटा गया है। हालाँकि अंगुली और कलाई के इस्तेमाल वाली दो मूल बायोमेकेनिकल विधाओं में कोई भी समानता नहीं है।
हर तकनीक में स्पिनर कलाई या अंगुली का प्रयोग करके एक क्षैतिज पंक्ति के इर्द-गिर्द गेंद को घुमाता है। यह पंक्ति पिच के लम्बाई से एक कोण पर होती है। इस विधा में मेग्नस प्रभाव के कारण गेंद टप्पा खाने से पहले भी हवा में दिशा परिवर्तन कर सकती है। इस तरह के दिशा- परिवर्तन को ड्रिफ्ट कहा जाता है। स्पिन तथा ड्रिफ्ट का मेल गेंद की चाल को अति क्लिष्ट बना देता है और वो टप्पा खाने के बाद दिशा परिवर्तन भी करती है। एक स्पिन गेंदबाज के द्वारा प्राप्त स्पिन, दिशा-परिवर्तन व घुमाव से अनुभवहीन बल्लेबाजों को काफी उलझन हो सकती है। स्पिन गेंदबाजों को आम तौर पर एक पुरानी गेंद के साथ गेंदबाजी करने का कार्य दिया जाता है। नई गेंद तेज़ गेंदबाजी के लिए तथा पुरानी घिसी हुई गेंद स्पिन गेंदबाजी के लिए अनुकूल होती है। पुरानी घिसी हुई गेंद पिच को बेहतर पकड़ कर अधिक स्पिन प्राप्त करती है।[1] पिच के सूखने व दरारें पड़ने से मैच के के बाद के हिस्से में स्पिनर अधिक प्रभावशाली हो जाते हैं। इस समय स्पिनर को पिच अधिक मदद करती है और गेंद बेहतर स्पिन होती है। अनुरूपताएं[संपादित करें]उंगली स्पिन और कलाई स्पिन गेंदबाज, दोनों स्पिन के विभिन्न कोणों का उपयोग करके बल्लेबाज को भ्रमित और आउट करते हैं। इन भिन्न विधाओं में आपस में कई प्रत्यक्ष समकक्ष है, लेकिन हर विधा में नाम अलग हो सकता है।
पिच का प्रभाव[संपादित करें]हाल के वर्षों में स्पिन गेंदबाजी की कला में भारतीय उपमहाद्वीप के गेंदबाजों का वर्चस्व रहा है। इसके लिए प्राथमिक कारण यह है कि उप महाद्वीप में पिच स्पिन गेंदबाजों को अधिक मदद प्रदान करती है। पिच जितना शीघ्र टूटे, स्पिनर उतना जल्दी प्रभावी होता है। आस्ट्रेलिया और दक्षिण अफ्रीका के विकेट आमतौर पर बहुत सख्त और उछाल वाले हैं जहाँ तेज गेंदबाज को अधिक मदद मिलती है। वे टेस्ट मैच की पूरी अवधि के दौरान ज्यादा नहीं टूटते. लेकिन उप महाद्वीप में पिचें उतनी सख्त नहीं हैं। उनमें आम तौर पर बंधे रखने के लिए अधिक घास नहीं होती है। इसलिए यहाँ पिचें जल्दी टूट जाती हैं तथा स्पिन के लिए अनुकूल होती जाती हैं। स्पिन की सभी कलाओं में लेग स्पिन सबसे कठिन कला है, परन्तु विकेट लेने की सफलता भी इसी में सर्वाधिक है।[3] इन्हें भी देखें[संपादित करें]
सन्दर्भ[संपादित करें]
संदर्भग्रन्थ[संपादित करें]
बाहरी कड़ियाँ[संपादित करें]
क्रिकेट का एक स्पिन बॉल हवा में प्रबल पद पर नहीं जाता है क्यों?क्रिकेट की एक स्पिन बॉल हवा में परवलयिक पथ पर नहीं जाती क्योंकि एक क्रिकेट बॉल एक ही समय पर घुमावदार और सीधी होती है। दो गतियाँ एक-दूसरे के विरोध एक समय पर कार्य करने के कारण गेंद के नीचे हवा का वेग कम होता है।
चर्चा करें कि क्रिकेट की गेंद परवलयिक पथ का अनुसरण क्यों नहीं करती है in Hindi?एक गेंद को ऊपर की ओर फेंका जाता है और यह एक परवलयिक पथ का अनुसरण करते हुए जमीन पर लौटती है।
स्पिन बॉलिंग का मतलब क्या होता है?स्पिन गेंदबाजी का मुख्य उद्देश्य गेंद को तेज़ घुमाव (रोटेशन) के साथ फेंकना होता है, ताकि पिच पर टप्पा खाने के बाद गेंद दिशा परिवर्तन करे और बल्लेबाज को उसे खेलने में कठिनाई हो। इस विधा में गेंद की गति महत्वपूर्ण नहीं है, तथा तेज़ गेंदबाजी के मुकाबले में यह काफी कम होती है। आम तौर पर स्पिन गेंद की गति 70- 90 कि॰मी॰ प्र.
गेंद कैसे फेंकते हैं?वहीं गेंद छोड़ते वक्त आपको गेंद को पीछे की ओर मूव करनी होती है यानी गेंद फेंकते समय आपकी सीम का फेस थर्ड मैन की ओर होना चाहिए. यह भी ध्यान रखें कि आप आउट स्विंग को क्रीज के बीच से फेंके, जिससे बल्लेबाज को लगे कि गेंद उसकी ओर आ रही है, लेकिन आखिरी समय में गेंद बाहर की ओर मुड़ जाए.
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